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Saturday, 21 December, 2024
होममत-विमतइमरान खान ने शहरयार अफरीदी को UNGA में कश्मीर पर बोलने भेजा लेकिन वे टाइम्स स्क्वायर में व्लॉगिंग कर रहे हैं

इमरान खान ने शहरयार अफरीदी को UNGA में कश्मीर पर बोलने भेजा लेकिन वे टाइम्स स्क्वायर में व्लॉगिंग कर रहे हैं

विश्व के सभी आला दर्जे के नेता इस सप्ताह न्यूयॉर्क में हैं और साथ ही पाकिस्तान की कश्मीर मामलों की समिति के अध्यक्ष शहरयार अफरीदी भी. लेकिन वे तो लीवायज़ की कमीज में घूम रहे हैं और अमेरिकी महिलाओं और बेघरों पर टिप्पणी कर रहे हैं.

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इस सप्ताह पूरा न्यूयॉर्क शहर संयुक्त राष्ट्र महासभा की वजह से रोशन हो रहा है. दुनिया भर के तमाम देशों के नेता इस संयुक्त राष्ट्र सभा में भाषण देंगे और फिर कुछ ऐसे लोग, यानि कि तालिबान, भी हैं जो अफगानिस्तान के नए शासकों के रूप में यहां पहली बार दाखिल होना चाहते हैं. लेकिन जो सचमुच में इन सबसे अलग दिखता वह है पहली बार पाकिस्तान से संयुक्त राज्य अमेरिका जाने वाले शहरयार खान अफरीदी. हम आपको आगे बताएंगे क्यों.

कश्मीर मसले पर पाकिस्तान की संसदीय समिति के अध्यक्ष के रूप में शहरयार अफरीदी को प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा यूएनजीए में इसलिए भेजा गया था ताकि वे सारी दुनिया को यह बता सके कि जम्मू और कश्मीर में फिलहाल हो क्या रहा है. उनके इस दौरे के पीछे का मकसद कथित तौर पर ‘जागरूकता बढ़ाना’ है.

परंतु, जागरूकता बढ़ाने वाले अपने इस सफर के दौरान, लगता है कि शहरयार अफरीदी ने अपनी ही जागरूकता खो दी. उन्होंने तो लीवायज़ की टी-शर्ट पहनकर एक व्लॉगर बनने और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे ताकतवर देश को ही सीख देने का फैसला कर लिया है. उन्हें टाइम स्क्वायर में घूमते हुए, फुटपाथ पर बेघर लोगों को रिकॉर्ड करते हुए और वहां से गुजरने वाली महिलाओं पर लाइव कमेंट्री करते हुए देखा जा सकता है जिसमें वे जोर देकर कहते हैं कि पाकिस्तानियों को हर उस चीज के लिए शुक्रगुज़ार होना चाहिए जो उन्हें मिली है.

अफरीदी हमें न्यूयॉर्क से यह भी बताते हैं, ‘उस देश में महिलाओं की स्थिति को देखिए जो हमेशा दूसरों को मानवाधिकारों पर सीख देता रहता है. पाकिस्तान में महिलाएं उन देशों की तुलना में कहीं बेहतर परिस्थितियों में रह रही हैं जो मानवाधिकारों के चैंपियन होने का दिखावा करते रहते हैं.’

इस सब के बीच, पाकिस्तान की महिलाएं हिंसक यौन अपराधों की कभी न खत्म होने वाले स्थानीय महामारी (एन्डेमिक) से अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं. जब अफरीदी उनके संरक्षण की बात करते हैं, उसी वक्त नूर मुकादम, जिसका इस्लामाबाद में सिर कलम कर दिया गया था, का परिवार लगातार न्याय की मांग कर रहा है और कराची में एक अन्य महिला का अपने ही भाई के द्वारा अपार्टमेंट में बंधक बनाकर रखे जाने के साथ-साथ दो साल तक बलात्कार किया जाता है.

किसी भी तरह के कूटनीतिक शिष्टाचार से महरूम अफरीदी की नौ मिनट की यह तकरीर एक खास तरह की शैली का ही नमूना है: ‘मेरे पाकिस्तानियों, तुम जिस हाल में हो, दूसरो से बहुत बेहतर रह रहे हो, इसलिए और ज़्यादा की मांग मत करो.’

टाइम स्क्वायर में पहले बेघर आदमी से मिलने के बाद ही अफरीदी पाकिस्तान में लंगर योजना शुरू करने के लिए इमरान खान की बड़ाई शुरू कर देते हैं. पर यहां असल सवाल तो यह है कि अगर आप अपने प्रधानमंत्री के प्रदर्शन की वाह-वाही ही करना चाहते हैं, तो इतनी दूर क्यों जाएं? आप किसी भी पाकिस्तानी शहर में एक वीडियो बनाकर अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड कर सकते हैं और सरकारी खजाने के पैसे बचा सकते हैं. इसलिए, अगर सीएनएन को लगता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा पीएम इमरान खान को फोन नहीं किया जाना एक सजा है, तो शहरयार अफरीदी का मैनहट्टन में खुलेआम भटकना हमारे पीएम द्वारा अमेरिका को दी गयी एक ‘सजा’ ही है.

अब हमें बड़ी बेसब्री से अफरीदी की स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी तक फेरी की सवारी का इंतजार है, जहां से वह शायद हमें बताएंगे कि कैसे लिबर्टी भी एक ‘क़ौम की बेटी’ है जो अपने लिए खुद से खड़ी है- नैतिक मूल्‍यों की इस कदर गिरावट को देखिए! पश्चिम आखिर जा कहां रहा है? वे यही सब पूछेंगे.

खबर है कि शहरयार अफरीदी को अमेरिका पहुंचने पर जेएफके एयरपोर्ट पर सेकेंडरी स्क्रीनिंग (दूसरी बार जांच) के लिए रोक दिया गया. था. लेकिन अफवाहें इस बात की भी थी कि अफरीदी को जेएफके में स्ट्रिप-सर्च (कपड़े उतारकर जांच) किया गया था, जिस पर उन्होंने जवाब दिया था कि यह ‘भारतीय लॉबी’ द्वारा किया गया कुप्रचार था क्योंकि वह कश्मीर जैसे ‘बड़े मसले’ के लिए अमेरिका आए हैं.

अफरीदी ने पहले भी पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के पटल पर खुद इसी तरह के प्रोपेगैंडा को उस वक्त खुशी-खुशी प्रोत्साहन दिया था, जब पूर्व पीएम शाहिद खाकान अब्बासी की एक अमेरिकी हवाई अड्डे पर स्ट्रिप सर्च किए जाने की छेड़-छाड़ की गयी (मॉर्फड) नकली तस्वीर सामने आई थी. अफरीदी ने तब कहा था, किसी भी देश का कानून सर्वोच्च होता है. अब जब पासा पलटा और खुद पर पड़ी तो कश्मीर समिति के अध्यक्ष ज्यादा उत्साहित नहीं दिखते.

इसलिए, इस तरह के जागरूकता वाले सफर हमेशा से समानांतर इतिहास में सबसे अच्छे सबकों की याद वापस दिलाते हैं: 2019 में, पीएम खान ने यह महसूस किया था कि 1992 का विश्व कप उन्होने उन्होंने यूएनजीए के ठीक बाद जीता था और उनके समर्थकों ने हम सभी आलोचकों को चुप कराने के लिए ‘सीनेटर टोनी बुकर’ को ढूंढ निकाला या यूं कहें कि जन्म ही दे दिया. यह हमारे लिए एक जिंदगी बदल डालने वाले सबक की तरह था.


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‘मैने जान अल्लाह को देनी है’

इससे पहले अफरीदी ने नारकोटिक्स कंट्रोल मंत्री के रूप में अपनी पिछले कार्यकाल में ‘मैंने जान अल्लाह को देनी है‘ का खिताब हासिल किया था. अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी राणा सनाउल्लाह के खिलाफ नशीले पदार्थों के मामले में दर्ज किए गये एक हाई-प्रोफाइल मामले में बार-बार सबूत मांगे जाने पर वह कुछ इसी तरह जवाब देते थे. और फिर एक समय ऐसा भी था जब अफरीदी ने जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद को पाकिस्तान की मूल्यवान संपत्ति घोषित कर दिया था और कहा था कि कोई ‘माई का लाल’ नहीं है जो उसे तब तक नुकसान पहुंचा सके जब तक पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) नेशनल असेंबली में है.

एक और वक्त पर, अफरीदी जनरल कमर जावेद बाजवा को दिए गये सेवा-विस्तार पर भावुक हो गए और उन्होने टीवी पर घोषणा की थी कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख ‘हमारे पिता’ की तरह हैं. इसके जवाब में न्यूज एंकर ने कहा था कि आर्मी चीफ को तो हर छह साल में बदल दिया जाता है, लेकिन पिता को तो इस तरह नहीं बदला जा सकता. उस वक्त, सिर्फ अफरीदी का दिल ही वह बात जानता था जो दूसरों को मालूम ही न थी!! हमें यह भी कभी पता नहीं चला कि कब अफरीदी को सैफ्रन (स्टेट्स आंड फ्रांटियर रीजन्स) जैसा मंत्रालय दिया गया था, जो अस्तित्व में नहीं था. लेकिन ‘नया पाकिस्तान’ में ये चीजें अक्सर होती रहती हैं.

अगर ऐसे नहीं होता तो आप अफरीदी की इस बात को कैसे समझ पाते कि पीएम खान ने 2019 में ईरानी राष्ट्रपति अकबर हाशमी रफसंजानी– जिनकी 2017 में ही मृत्यु हो गई थी- के साथ एक लंबी-चौड़ी बातचीत की थी? देखा, हमारे पीएम मरहूम लोगों से भी बात कर सकते हैं!

अफरीदी की कई ‘कामयाबियों’ में से एक सीनेट चुनाव के दौरान अपने मतपत्र पर अपने नाम पर दस्तखत करना और अपना वोट खारिज करवाना भी शामिल है. यहां तक कि उन्हें इसके लिए प्रधानमंत्री खान से झाड़ भी सुननी पड़ी थी. अपने वोट दोबारा दर्ज कराने के लिए दी गयी अपनी दरख़्वास्त में अफरीदी ने पीठासीन अधिकारी से कहा कि वह बीमार थे और इसी वजह से इस चुनाव की तैयारी के लिए हुई पार्टी की बैठकों में शामिल नहीं हो सके. पर इससे कोई फायदा नहीं हुआ.

फिर भी, कश्मीर मसले की समिति के अध्यक्ष के रूप में, वह दुनिया को पाकिस्तान की तरफ से ‘कश्मीर मुद्दे’ के बारे में बताने के लिए एक महत्वपूर्ण मिशन पर भेजे गये हैं. यह एक ऐसा काम है जिसमें विफल रहने के लिए इमरान खान ने समिति के पिछले अध्यक्ष के रूप में काम करने वाले मौलाना फजलुर रहमान की कई बार खुलेआम आलोचना की थी. एक व्लॉगर के रूप में, अफरीदी का सारा-का-सारा ध्यान जो बाइडन के सामने खड़े घरेलू मुद्दों पर बना हुआ है. हम पूरी उम्मीद करते हैं कि यदि और कुछ नहीं भी हुआ तो पहले से ही ‘काफी सफल लग रही’ इस अमेरिकी यात्रा के अंत में उन्हें ओवल ऑफिस से भी बुलावा आ ही जाएगा.

(लेखिका पाकिस्तान की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nailainayat है. व्यक्त विचार निजी हैं)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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