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Sunday, 1 December, 2024
होममत-विमतइमरान ख़ान मीडिया के पीछे पड़े हैं, वहीं पाकिस्तानी पुरुष टिकटॉक पर जन्नत ‘गंवा’ रहे हैं

इमरान ख़ान मीडिया के पीछे पड़े हैं, वहीं पाकिस्तानी पुरुष टिकटॉक पर जन्नत ‘गंवा’ रहे हैं

पाकिस्तान इन दिनों टिकटॉक के मज़े ले रहा है, जहां किसी को भी बख्शा नहीं जाता. हालांकि, इसे गैर-इस्लामी करार देने वाले और इस पर प्रतिबंध की मांग करने वाले सक्रिय हो चुके हैं.

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काम में व्यस्तता के चलते टिकटॉक से दूर रहने वाले पाकिस्तानियों का जीवन नीरस है. पाकिस्तान की टिकटॉक क्रांति के लिए उत्तरदायी ज़िंदादिल लोगों की जमात में युवा, बुज़ुर्ग, शहरी और ग्रामीण सब शामिल हैं. देश में मुख्यधारा के मीडिया पर अंकुश के ताजा दौर में किसी भी सामाजिक, सांस्कृतिक या राजनीतिक दलील को ध्वस्त करने में टिकटॉक के 15 सेकंड के वीडियो अक्सर कामयाब साबित हो रहे हैं.

पुरुषों और महिलाओं का व्यवहार कैसा होना चाहिए. इस बारे में सांस्कृतिक आधिपत्य को तोड़ते पाकिस्तानी टिकटॉकर इस बात की परवाह नहीं करते कि दुनिया क्या कहेगी. लंबी दाढ़ी वाले पुरुष की प्रचलित छवि के विपरीत एक बुज़ुर्ग, अपना पसंदीदा फास्ट-फूड मांगते बच्चे की आवाज़ के साथ अपना वीडियो रिकॉर्ड करता है.

एक अन्य वीडियो में वही बुज़ुर्ग एक छोटी बच्ची की आवाज़ पर एक्टिंग करते दिखता है. स्फूर्तिदायक बात ये है लंबी दाढ़ी वाला यह बुज़ुर्ग बिल्कुल भोला दिखता है और उसे हर वॉयस-ओवर को पूरी तन्मयता से करते देखना सुकून देता है.

पाकिस्तान में ‘इनोसेंस ऑफ मुस्लिम्स’ फिल्म की वजह से 2012 से 2016 तक यूट्यूब पर प्रतिबंध रहा था. फेसबुक पर भी 2010 में दो हफ्ते के लिए पाबंदी रही, कारण था उसके ‘एवेरीबॉडी ड्रॉ मोहम्मद डे’ जैसे पन्नों पर कथित ईशनिंदात्मक सामग्री का होना. ऐसे देश में जहां कि ईशनिंदा के आरोपों का तमाशा हमेशा ही वास्तविक और निरंतर मौजूद खतरा साबित होता है. टिकटॉक अभी तक सुरक्षित है. मुख्यत: इमरान ख़ान सरकार के पत्रकारों को परेशान करने और ट्विटर खातों को बंद कराने के काम में व्यस्तता की वजह से.

वैसे तो टिकटॉक पर ग्रामीण, निम्न मध्यवर्गीय पाकिस्तानियों का प्रभुत्व है, पर शहरी ‘बर्गर क्राउड’ ने भी दोस्ती के किस्सों, रोमांस संबंधी परेशानियों और जातिवादी चुटकुलों के साथ अपनी उपस्थित दर्ज कराई है. जातिवादी नोंकझोंक तब देखने को मिलते हैं जब किसी धनी और सुविधा-संपन्न यूजर को ये बात हजम नहीं होती है कि वंचित वर्ग का कोई यूजर उसे अधिक लाइक जुटा ले. भेदभाव के संदर्भ में टिकटॉक एक बड़ा इक्वलाइज़र साबित हुआ है.

राजनीति से अछूता नहीं

टिकटॉक कोई फेसबुक नहीं है कि जहां आप ये प्रदर्शित करना चाहें कि आपकी ज़िंदगी कितनी खुशहाल है. इसके विपरीत टिकटॉक के वीडियो खामियों और कमियों पर केंद्रित होते हैं. पर पाकिस्तान में क्रिएटिविटी का कोई भी साधन राजनीति से अछूता नहीं रह सकता.


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सरकार ने अधिकतर टीवी न्यूज़ चैनलों पर भले ही अंकुश लगा रखा हो, पर सरकार विरोधी लोग टिकटॉक पर उसका खूब मजाक उड़ा रहे हैं. टिकटॉकर्स नया पाकिस्तान बनाने के इमरान ख़ान के वादे का माखौल उड़ाते हैं. प्रधानमंत्री को याद दिलाते हैं कि उन्होंने किसी के सामने हाथ नहीं फैलाने की बात की थी, लेकिन वही काम करने लगे.

जब पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमतें बढ़ीं तो टिकटॉक पर गधागाड़ी में तेल भराने का वीडियो खूब चला. सरकार के मौजूदा हाल पर तंज कसते एक वीडियो में एक यूजर इमरान ख़ान को पहले 500 रुपये का और 1000 रुपये के नोट दिखाता है, पर प्रधानमंत्री आखिरकार 5000 रुपये का नोट देखने पर ही मुस्कुराते हैं.

पूरे तामझाम के साथ शूट किए गए जर्मनी-जापान सीमा वाले वीडियो में प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की संभावित मनोदशा दिखाई गई है, जब उन्होंने दुनिया को बताया था कि जर्मनी और जापान द्वितीय विश्वयुद्ध के खात्मे तक लाखों लोगों को मारते रहे, जब तक कि उन्होंने अपने सीमावर्ती इलाकों में साझा उद्योग-धंधे स्थापित करने का फैसला नहीं कर लिया.

टिकटॉकर्स दरअसल किसी से संतुष्ट नहीं हैं. एक यूजर एक गाने पर डांस कर रहा है जिसमें कहा गया है कि पहले पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने उसे तीर से मारा, फिर वह पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के शेर का शिकार बना और अब इमरान ख़ान का शौकत ख़ानम अस्पताल उसकी खाल खींच रहा है.

लोकप्रिय है बॉलीवुड

हास्य भरा भोलापन संक्रामक होता है. जब सरगोदा स्टेशन पर महक नाचती है, तो आपको पता होता है कि पृष्ठभूमि और चरित्र वास्तविक है या, कराची के दो भाई अपने वीडियो में बॉलीवुड के गानों पर नाचते हैं, तो आपको भी झूमने का मन करता है.

यदि अपने पूरे करियर में सलमान ख़ान की पहचान शर्ट उतारने वाले हीरो के रूप में रही है, तो टिकटॉक के इन कलाकारों को देखें जो हर वीडियो में अपने टीशर्ट फाड़ते हैं. क्यों करते हैं ऐसा? कैसे वे इतने टीशर्ट फाड़ सकते हैं? इन बातों की कोई परवाह नहीं करता क्योंकि पहले ही बहुत से लोग उनकी इस आदत की नकल शुरू कर चुके हैं.

यदि दुनिया में रोमांस है, तो एंटी-रोमांस भी है. उदाहरण के लिए, यह नानी रोमांस करने के बारे में पूछे जाने पर चिढ़ गई और कहा ‘अब मैं रोमांस का क्या करूंगी, मैं बूढ़ी हो गई हूं’. अपने तिरस्कार भाव में भी वह कितनी प्यारी लग रही हैं.


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पर एक ओर जहां रोमांस को नापसंद करती नानी है, तो वहीं मस्त रहने वाले बुज़ुर्ग भी हैं. ‘इक परदेसी मेरा दिल ले गया’ गाते इन दोनों बुज़ुर्गों को देख कर पाकिस्तान में टिकटॉक पर मौजूद विविधता का अंदाज़ा भलीभांति लगाया जा सकता है.

टिकटॉक की मस्ती अपनी जगह है, पर ये सब कायदे-कानूनों से परे नहीं है. पंजाब में झेलम जिले के साजिद ख़ान पर 30-बोर की पिस्तौल के साथ वीडियो रिकॉर्ड कराने को लेकर मामला दर्ज किया जा चुका है. पुलिस ने उन पर अवैध रूप से हथियार रखने का आरोप लगाया है.

टिकटॉक यूजर्स के लिए जन्नत नहीं?

टिकटॉकर्स के काम को गैर-इस्लामी मानने वाले भी हमेशा से रहे हैं. पाकिस्तान में टिकटॉक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हो चुका है. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि टिकटॉक पर सक्रिय युवा अपना मरणोत्तर जीवन खराब कर रहे हैं. ज़ाहिर है बात जन्नत की हो रही थी.

टिकटॉक पर बैन की बात करने वाले कुछ ऐसे भी लोग हैं जो एक हद से ज़्यादा मस्ती को अनुशासनबद्ध समाज के लिए नुकसानदेह बताते हैं. इसी साल जनवरी में, टिकटॉक को एक ‘सामाजिक बुराई’ बताते हुए नौशेरा ज़िले का एक व्यक्ति शिकायत भी दर्ज़ करा चुका है.

प्रतिबंधित किए जाने तक, जैसा कि विगत में यूट्यूब और फेसबुक के साथ हो चुका है, टिकटॉक पाकिस्तान में तमाम विमर्शों का लोकतांत्रिकीकरण करता रहेगा और इन्फ्लुएंसरों की एक नई फौज के सहारे हज़ारों की संख्या में व्यूज़ हासिल करता रहेगा.

(लेखिका पाकिस्तान की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विट हैंडल @nailainayat है. यहां प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं.)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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