पाकिस्तान के वज़ीरे आज़म इमरान खान ने अपने चुनाव क्षेत्र के एक बड़े तबके- युवाओं को खुद से दूर कर लिया है. पीटीआई सरकार ने एक ऑनलाइन मल्टीप्लेयर वीडियो गेम- प्लेयर अन-नोन्स बैटल ग्राउण्ड्स या पबजी पर ये कहते हुए पाबंदी लगा दी है कि इसकी लत लग जाती है, ये वक़्त की बर्बादी है और ये नौजवानों की ज़हनी और जिस्मानी सेहत पर बुरा असर डालता है. इसके बाद से ही पाबंदी को हटाने की मांगें उठ रही हैं और बहुत से पबजी प्लेयर्स और हिमायती, अब सिंध-पंजाब सरहद पर धरना देने की धमकी दे रहे हैं.
अगर मज़हबी खयालात, नैतिकता और वक़्त की बर्बादी किसी एक खेल को बैन करने का पैमाना हैं, तो फिर इमरान खान सरकार को पूरा डिजिटल स्पेस ही बंद कर देना चाहिए. क्योंकि कोई भी रेग्युलेटर- पाकिस्तान टेलीकम्यूनिकेशन अथॉरिटी (पीटीए) के तय किए पैमानों को पूरी तरह नहीं मानता. ये कहना सही रहेगा कि नैतिकता रेग्युलेटर की निगाह में बसती है.
पीटीए ने पाबंदी के खिलाफ दायर की गई एक अर्ज़ी की सुनवाई कर रहे, इस्लामाबाद हाई कोर्ट को बताया कि पबजी के अंदर कुछ साफ मंज़र होते हैं और इसमें ‘इस्लाम विरोधी मटीरियल’ होता है. यही इल्ज़ाम टिकटॉक पर भी लग सकता है, जिसे बैन करने के लिए भी अर्ज़ी डाली जा चुकी है.
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने वीडियो गेम पर प्रतिबंध लगाया है. 2013 में, युद्ध-थीम वाले गेम कॉल ऑफ ड्यूटी और मेडल ऑफ ऑनर को पाकिस्तान को आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित आश्रय के रूप में दिखाने के लिए स्टोर से हटा दिया गया था. दुकान मालिकों के अनुसार, इन खेलों ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों को अल-कायदा और अन्य जिहादी संगठनों का समर्थन करने के रूप में दिखाया. वलकायरी ड्राइव: भिक्खुनी को 2017 में अपनी यौन सामग्री और समलैंगिक रोमांस के महिमामंडन के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया था.
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आम नियम क्या है
पबजी पाकिस्तान में काफी दिनों से मुसीबत में है. खुदकुशी के कम से कम तीन वाकए सामने आ चुके हैं, जिन्हें पीटीए ने गेम को बैन करने की एक वजह बताया है. मरने वालों के घरवालों के मुताबिक, नौजवानों को पबजी की लत थी, जो ‘एक मिशन पूरा न करने का दबाव’ नहीं झेल पाए, इसलिए अपनी जाल ले ली.
इसलिए गेम के खिलाफ कुछ कार्रवाई होने वाली थी और जो कोई भी पाकिस्तान के इस इतिहास से वाकिफ है कि जिस सिचुएशन को वो हैंडल नहीं कर पाता, उससे किस तरह निपटता है, उसने आसानी से अंदाज़ा लगा लिया होगा कि गेम को बैन करना इमरान खान सरकार का पहला जवाब होगा. बसंत का त्योहार, जिसमें लोग पतंग उड़ाते हैं, पाकिस्तान में 2005 से बैन चला आ रहा है, जब पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने केमिकल से पुते धागों से जानों के नुकसान को बचाने के लिए, ये हुक्म जारी किया था. 2019 में पंजाब सरकार ने ऐलान किया था कि वो इस बैन को हटा रही है लेकिन अमल में आने से पहले ही उसने अपना फैसला वापस ले लिया.
इसलिए कोई ताज्जुब नहीं कि पबजी को बैन करना, इसकी खपत को रेगुलेट करने या ज़हनी सेहत से जुड़े मसलों को हल करने से आसान था. लेकिन विडंबना ये है: इसी इमरान खान सरकार ने कोरोनावायरस महामारी से लड़ने के लिए, मुकम्मल लॉकडाउन के खिलाफ ये दलील दी थी कि सड़क हादसों में मौतें होती हैं, तो इसका मतलब ये नहीं कि हमें कारों पर पाबंदी लगा देनी चाहिए.
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सच्चाई से हैं दूर
तो नाजवानों को नाराज़ करने के अलावा, पबजी को बैन करने से पाकिस्तान को क्या हासिल होगा? ठीक उसी तरह जैसे बसंत पर पाबंदी लगने के बाद, कितने लोगों की रोज़ी-रोटी छिन गई, उसी तरह पबजी को बैन करने का फैसला भी, बहुत से लोगों की ज़िंदगियों में रुकावट पैदा करेगा. कुछ लोगों के लिए लत होने से आगे, पबजी बहुत से नौजवानों के लिए तफरीह का एक ज़रिया है, जो पिछले चार महीने से कोरोनावायरस महामारी के चलते, अपने घरों में बंद हैं.
ये भी साफ है कि इमरान खान सरकार को अहसास नहीं है कि ई-स्पोर्ट्स या डिजिटल गेमिंग इंडस्ट्री कितनी बड़ी है. मिसाल के तौर पर, मई 2020 में पबजी मोबाइल दुनिया भर में सबसे ज़्यादा कमाई वाला गेम था, जिसने 22.6 करोड़ अमेरिकी डॉलर की कमाई की. पाकिस्तान में बहुत से लोग चाहते हैं कि सरकार गेमर्स को सपोर्ट करे, जिससे कि वो भी ‘पबजी जैसे गेम’ तैयार कर सकें. कुछ गेमिंग प्रोफेश्नल्स हैं जो पैसा लगाने के लिए किसी जोखिम की तलाश में हैं. लेकिन पाकिस्तान तफरीह के मकसद के लिए भी पबजी नहीं चाहता.
पाकिस्तान अकसर अपने यहां नौजवानों की सबसे बड़ी आबादी की डींग हांकता है लेकिन जब ऐसे फैसलों की बारी आती है जिनका उन पर सीधा असर पड़ता हो, तो उन्हें साथ नहीं लिया जाता. मुल्क के दूसरे मामलात की तरह, जो लोग पबजी पर फैसले ले रहे हैं, उनका गेमिंग इंडस्ट्री में कुछ दांव पर नहीं लगा है.
नौजवानों का गुस्सा
पबजी और टिकटॉक के खिलाफ चल रहे मुज़ाहिरों के साथ-साथ, पाकिस्तान की नौजवान आबादी इस लड़ाई को, #UnBanPUBGPakistan और #PUBGKaJawabDou जैसे हैशटैग्स के साथ, सोशल मीडिया पर ले जा रही है.
डिजिटल पाकिस्तान का दावा, जिसमें मुल्क को टेक्नोलॉजी के एतबार से सुपर पावर बनाने की बात की गई है, तब तक पूरा नहीं होगा जब तक इमरान खान सरकार, उस नौजवान कम्यूनिटी को नाराज़ करने से पहले दो बार नहीं सोचेगी, जिसके कंधों पर इस वादे को पूरा करने का दारोमदार है. तो क्या हुआ अगर ये खेल किसी मैदान में नहीं खेला जाता, उस खेल की तरह जो वज़ीरे आज़म अपनी जवानी के दिनों में, पेशेवर तौर पर खेला करते थे? पाकिस्तान की टीम फ्रीस्टाइल पबजी मोबाइल वर्ल्ड लीग 2020 (ईस्ट सीज़न ज़ीरो) जीतने के लिए, हर सपोर्ट पाने की हकदार है.
Team Free Style leader Abdul Haseeb Nasir pleads with Prime Minister @ImranKhanPTI to urge PTA to Unban @PUBGMOBILE in Pakistan so that they can participate in World League #PMCO #FreeStyle #UNBANPUBGPAKISTAN pic.twitter.com/TkvOWlkKNb
— Nabeel Hashmi (@iNabeelHashmi) July 10, 2020
आखिरकार, हमें ये यकीन करने के लिए कहा गया है कि असली नेशनल लीडरशिप किसी वर्ल्ड टूर्नामेंट को जीतने के बाद ही मिलती है. इसकी मिसाल है- 1992 का क्रिकेट वर्ल्ड कप.
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(लेखिका पाकिस्तान की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nailainayat है. व्यक्त विचार उनके निजी हैं)
Good move should be praise and Nayla Inayat always indulge in Anti -Imran activity .
So don’t prejudice on one side.