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Thursday, 21 November, 2024
होममत-विमतपश्चिम बंगाल की हिटलर दीदी ममता बनर्जी, पीएम नरेन्द्र मोदी के प्रति नरम कैसे हो गईं

पश्चिम बंगाल की हिटलर दीदी ममता बनर्जी, पीएम नरेन्द्र मोदी के प्रति नरम कैसे हो गईं

ममता को मोदी को राजनीतिक चुनौती देने के लिये एक सक्षम विपक्षी नेता माना जाता है और अनेक मौकों पर उनका नाम प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार के रूप में चर्चा का केंद्र बनता रहा है.

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पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्‍यक्ष ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के खिलाफ अपने आक्रामक तेवर के लिये जानी जाती हैं. पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान दोनों के बीच रिश्‍ते बहुत ही तल्‍ख हो गये थे और भारतीय जनता पार्टी ने तृणमूल के अनेक सांसदों और विधायकों को जिस तरह से एक एक करके तोड़ा और फिर उन्‍हें चुनाव लड़ा कर चुनौती दी उससे यही लगने लगा था कि ये दूरियां शायद ही मिटें.

ममता को मोदी को राजनीतिक चुनौती देने के लिये एक सक्षम विपक्षी नेता माना जाता है और अनेक मौकों पर उनका नाम प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार के रूप में चर्चा का केंद्र बनता रहा है.

पश्चिम बंगाल के लाल गढ़ को ध्‍वस्‍त करके ममता ने सबको पहली बार न केवल चौंकाया बल्कि राष्‍ट्रीय राजनीति में विपक्ष को एकजुट करने में उनके प्रयासों को खासी तवज्‍जो मिलती रही है लेकिन पिछले दो महीनों में उनके रूख में बदलाव के जो संकेत मिले वे राजनीतिक पर्यवेक्षकों को भी चौंकाने लगे हैं. इसकी शुरुआत 13 जुलाई 2022 से हुई जब राष्‍ट्रपति और उपराष्‍ट्रपति के चुनाव से ऐन पहले ममता की मुलाकात दार्जिलिंग के राजभवन में राज्‍यपाल जगदीप धनखड़ और असम के मुख्‍यमंत्री हेमंत बिस्‍वा सरमा से हुई. लगभग तीन घंटे चली इस लंबी बैठक के तुरंत बाद किसी ने भी कुछ साफ कहने से इंकार कर दिया. जगदीप धनखड़ का एक ट्वीट आया ‘पश्चिम बंगाल के राज्‍यपाल जगदीप धनखड़ मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी और असम के मुख्‍यमंत्री हेमंत बिस्‍वा सरमा के साथ राजभवन,दार्जिलिंग में .’

ममता ने इस मुलाकात के बाद कहा कि राज्‍यपाल ने चाय पर आमंत्रित किया था इसलिये यहां आई थी. यह पूछे जाने पर कि क्‍या राष्‍ट्रपति चुनाव के बारे में बात हुई तो उन्‍होंने कहा कि इस बारे में कोई चर्चा नही हुई, कोई राजनीतिक बात नही हुई. असम के मुख्‍यमंत्री की उपस्थिति पर उन्‍होंने कहा कि दो अलग-अलग राज्‍य हैं, इनके बीच संबंध होने चाहिये. उनकी अलग पार्टी है और हमारी अलग पार्टी है. संसद भवन की नई इमारत की चोटी पर लगाये गये अशोक स्‍तंभ विवाद के बारे पूछे जाने पर ममता बनर्जी ने कहा कि उन्‍होंने इस बारे में स्‍टडी (अध्‍ययन) नहीं किया है, जब वह स्‍टडी कर लेंगी तो ही इस मामले पर कुछ बोल पायेंगी.


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राष्ट्रपति चुनाव और धनखड़ से मुलाकात

जगदीप धनखड़ दार्जिलिंग से ही सीधे दिल्‍ली कूच कर गये और अगले दिन भारतीय जनता पार्टी ने उपराष्‍ट्रपति चुनाव के लिये उनकी उम्‍मीदवारी की घोषणा कर दी. राष्‍ट्रपति पद की उम्‍मीदवार द्रौपदी मुर्मु उन दिनों पश्चिम बंगाल के दौरे पर थीं लेकिन ममता बनर्जी उनसे नही मिलीं और उसकी वजह गिनाई गई कि तृणमूल नेता ने यशवंत सिन्‍हा का नाम राष्‍ट्रपति चुनाव के लिये घोषित किया है जो विपक्ष के उम्‍मीदवार हैं. राष्‍ट्रपति पद के चुनाव के लिये मतदान हुआ और तृणमूल कांग्रेस के दो सांसद और एक विधायक ने क्रास वोटिंग की तथा दो सांसद एवं चार विधायकों के मतपत्र अयोग्‍य पाये गये. द्रौपदी मुर्मु चुनाव जीत गईं और फिर ममता ने दलील दी कि अगर सत्‍तारूढ राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन (एनडीए) ने विपक्ष को पहले विश्‍वास में लिया होता तो द्रौपदी मुर्मु सर्वसम्‍मति से राष्‍ट्रपति चुन ली गई होतीं.

उपराष्‍ट्रपति के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने विपक्ष की उम्‍मीदवार के नाम की घोषणा से पहले उसे विश्‍वास में नही लेने का आरोप लगाया और मतदान में हिस्‍सा ही नहीं लिया. तृणमूल के इस रुख ने सबको हैरान किया कि ममता बनर्जी जगदीप धनखड़ को राज्‍यपाल बनाये जाने का घोर विरोध करती रहीं और उनपर आरोप लगाया था कि उन्‍होंने राजभवन को भाजपा का कार्यालय बना दिया है. जगदीप धनखड़ को तृणमूल कांग्रेस के मतदान में हिस्‍सा नही लेने का बड़ा फायदा हुआ और वह बड़ी आसानी से चुनाव जीत गये.

इस राजनीतिक गहमा गहमी के बीच लंबे अर्से से केंद्र की नरेन्‍द्र मोदी सरकार केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कथित दुरुपयोग को लेकर विपक्ष के निशाने पर है. यह विवाद तूल पकड़ता जा रहा है और विपक्षी दल अब खुलकर तंज कसने लगे हैं. चारा घोटाले में जेल की सजा काट कर आये लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्‍ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव ने कहा है कि सीबीआई और ईडी चाहे तो उनके घर में अपना कार्यालय खोल सकती हैं. उन्‍होंने कटाक्ष कि किया है कि भाजपा के तीन जमाई है , सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्‍स विभाग.

दरअसल वह भी रेलवे होटलों की बिक्री में धनशोधन के कथत मामले में ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं.  आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि वह सीबीआई और ईडी से डरती नहीं है और वह उसका स्‍वागत करेंगी.

दिल्‍ली के उपमुख्‍यमंत्री मनीष सिसोदिया और उनके अधिकारी नई शराब नीति में कथित घोटाले को लेकर अभियुक्‍त बनाये गये है. दिल्‍ली परिवहन निगम (डीटीसी) की नई बस खरीद में घोटाले की जांच चल रही है. धनशोधन के मामले में केजरीवाल सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री सत्‍येंद्र जैन पहले से ही जेल में हैं. अब उसके विधायक भी ईडी की जद में आने लगे हैं. शिव सेना सांसद एवं पार्टी के मुखर प्रवक्‍ता संजय राउत धन शोधन के कथित मामले में जेल में बंद हैं. इसी तरह पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी धनशोधन के मामले में जेल में है और खुद ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनके रिश्‍तेदार कोयला खदान घोटाले में ईडी के दफ्तर के चक्‍कर काट रहे हैं. कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी कथित नेशनल हेराल्‍ड घोटाले को लेकर ईडी के निशाने पर हैं और दोनों जमानत पर हैं.


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सीबीआई, ईडी और विपक्ष का हमला

सीबीआई और ईडी के कथित दुरूपयोग को लेकर मोदी सरकार पर विपक्ष लगातार हमलावर हो रहा है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी इससे विचलित हुये बगैर भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने का मंतव्‍य बार- बार जाहिर कर रहे हैं. मोदी ने स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले के प्राचीर से इस बार भ्रष्‍टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिये देशवासियों से अपील की और कहा ‘भारत जैसे लोकतंत्र में जहां लोग गरीबी से जूझ रहे हैं, जब ये देखते हैं, एक तरफ वो लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है. दूसरी ओर वो लोग हैं जिनको अपना चोरी किया हुआ माल रखने के लिए जगह नहीं है. यह स्थिति अच्‍छी नहीं है.

अब भ्रष्‍टाचार के खिलाफ मैं साफ देख रहा हूं कि हम एक निर्णायक कालखंड में कदम रख रहे हैं. बड़े-बड़े भी बच नहीं पाएंगे. इस मिजाज के साथ भ्रष्‍टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में अब हिन्‍दुस्‍तान कदम रख रहा है और मैं लाल किले की प्राचीर से बड़ी जिम्मेवारी के साथ कह रहा हूं. भ्रष्‍टाचार दीमक की तरह देश को खोखला कर रहा है. मुझे इसके खिलाफ लड़ाई लड़नी है, लड़ाई को तेज करना है, निर्णायक मोड़ पर इसे लेकर के ही जाना है. तब मेरे 130 करोड़ देशवासी, आप मुझे आर्शिवाद दीजिए, आप मेरा साथ दीजिए, यह चिंता का विषय है कि आज देश में भ्रष्‍टाचार के प्रति नफरत तो दिखती है, व्‍यक्‍त भी होती है लेकिन कभी-कभी भ्रष्‍टाचारियों के प्रति उदारता बरती जाती है, किसी भी देश में यह शोभा नहीं देगा.’

मोदी ने कहा ‘कई लोग तो इतनी बेशर्मी तक चले जाते हैं कि कोर्ट में सजा हो चुकी हो, भ्रष्‍टाचारी सिद्ध हो चुका हो, जेल जाना तय हो चुका हो, जेल गुजार रहे हो, उसके बावजूद भी उनका महिमामंडन करने में लगे रहते हैं, उनकी शान-ओ-शौकत में लगे रहते हैं, उनकी प्रतिष्‍ठा बनाने में लगे रहते हैं. अगर जब तक समाज में गंदगी के प्रति नफरत नहीं होती है, स्‍चछता की चेतना जगती नहीं है. जब तक भ्रष्‍टाचार और भ्रष्‍टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होता है, सामाजिक रूप से उसको नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं करते, तब तक यह मानसिकता खत्‍म होने वाली नहीं है. और इसलिए भ्रष्‍टाचार के प्रति भी और भ्रष्‍टाचारियों के प्रति भी हमें बहुत जागरूक होने की जरूरत है.’

उन्‍होंने भई भतीजावाद के खिलाफ भी जनसहयोग की अपील की और कहा- मैं भाई-भतीजावाद के खिलाफ लड़ाई में आपका साथ चाहता हूं. परिवारवादी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में मैं आपका साथ चाहता हूं. यह संवैधानिक जिम्‍मेदारी मानता हूं मैं. यह लोकतंत्र की जिम्‍मेदारी मानता हूं मैं. यह लालकिले के प्राचीर से कही गई बात की ताकत मैं मानता हूं.

लालकिले से की गई मोदी की अपील से भ्रष्‍टाचार के खिलाफ मुहिम तेज होने और उसे जनसमर्थन मिलने को लेकर हर कोई सशंकित है. विपक्ष मोदी की हर वाक्‍य के मायने तलाश रहा है और अपने बचाव के लिये इसे राजनीतिक हथियार के रूप में निरूपित करके मोदी की मुहिम को कुंद करना चाहता है. पिछले कुछ दिनों से विकास और मुफ्त सेवा की राजनीति के साथ भ्रष्‍टाचार के मुद्दे चर्चा जोरों पर है.

भ्रष्‍टाचार का मुद्दा सीधे कानून से जुड़ा है और ‘कानून अपना काम करेगा ‘ एक ऐसा शस्‍त्र है जिससे हर कोई अच्‍छी तरह से वाकिफ है, कम से राजनेता इसके परिणाम को भलीभांति जानते है. पश्चिम बंगाल विधानसभा में 19 सितंबर को केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ प्रस्‍ताव पारित किया गया. लेकिन ममता बनर्जी ने चर्चा में यह कहकर सबको हैरान कर दिया कि उन्‍हें नही लगता कि राज्‍य में केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरूपयोग के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी का हाथ है. अलबत्‍ता उन्‍होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं का एक तबका अपने हित साधने के लिये केंद्रीय एजेंसियों का दुरूपयोग कर रहा है.

(लेखक यूनीवार्ता के संपादक रहे हैं. वह @aupadhyay24 पर ट्वीट करते हैं .यहां व्यक्त विचार निजी है.)


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