पाकिस्तान में हर राजनीतिक और गैर-राजनीतिक संगठन अपने विरोधियों पर भारत और इजरायल से पैसे लेने का आरोप लगाता रहता है. वजह साफ है—अपने दुश्मन को अपने राष्ट्रीय दुश्मन का सबसे अच्छा दोस्त करार दे देना हमेशा से ही आकृष्ट करता रहा है. इसलिए हम स्पष्ट रूप से लड़ना बंद करें और अपने फायदे के लिए, पूरे इतिहास पर नजर डालकर देखें कि कैसे भारत और इजरायल ने पाकिस्तान में सभी लोगों को वित्त पोषित किया. इसके लिए किसी भी तरह के साक्ष्य की जरूरत नहीं है तो आइये सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कुछ तस्वीरों की मदद से नए सिरे से एक समानांतर इतिहास रचें.
1947 बीपी (बिफोर पाकिस्तान): महिलाओं की तरह पोज देते दो भारतीय पुरुष जिन्होंने ट्विटर पर एक-दूसरे को भेजे डीएम के जरिये ही जाना कि वे वास्तव में पुरुष हैं. स्पष्ट तौर पर परेशान होकर @Shabnam420 और @Sheila9211 ने चीजों को बिगाड़ दिया. उनकी मित्रता झटके में टूट गई. विश्वासघात से आहत @Shabnam420 ने @Sheila9211 को धमकी भरे सुर में लिखकर भेजा : तेरे घर के सामने एक घर बनाऊंगा, तेरे घर के सामने दुनिया बसाऊंगा. इन शब्दों पर अमल भी हुआ. घर बनाया गया. और इस तरह भारत ने पाकिस्तान का निर्माण किया.
एक तथ्य तो कम ही लोगों को पता होगा कि जिन महिलाओं का काम लगता है कि हमेशा से ही देसी अंकल के फूहड़ जोक्स पर हंसना रहा है, वे भी इजरायलियों के साथ मिलकर साजिश रच रही थीं. यहां तक कि इजरायलियों को भी यह पता नहीं होगा कि किस बात की. लेकिन कुछ भी कहो वो हंसी बेवजह तो नहीं थी.
1947 में एपी (ऑफ्टर पाकिस्तान) काल में पहले सैन्य तानाशाह भारतीय प्रधानमंत्री के साथ कुछ कागजों का आदान-प्रदान करते हुए जो कि बतौर हाई प्रोफाइल इजरायली एजेंट प्रधानमंत्री के कामकाज की प्रगति से जुड़े हैं. तानाशाह की सेवाओं से जुड़ी बारीकियों के मद्देनजर प्रधानमंत्री को बताया गया कि यदि वह कभी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ तख्तापलट की इच्छा करते हों तो उनके लिए एक हेल्पलाइन की व्यवस्था की जाएगी क्योंकि व्हाट्सएप अब सुरक्षित नहीं है. दोनों राजी हो गए. इसके बाद 111 नंबर निर्धारित कर दिया गया.
एक बार पाकिस्तानी लड़कों ने भारत पहुंचकर अपनी दादियों से मिलने का फैसला किया. लेकिन उनकी यह यात्रा उस समय भावनात्मक मोड़ पर पहुंच गई जब उन्हें पता चला कि वे वास्तव में अपने औपनिवेशिक चचेरे भाइयों से काफी प्यार करते हैं और उनके साथ ही रहना चाहते हैं. हालांकि, उनके साथ रहने की शर्तें काफी कठोर थीं. एक दादी ने उनसे कहा, ‘इन बंदूकों को छोड़ दो और जब तक चाहो, तब तक खड़े रहो.’ भारतीय चचेरे भाइयों ने बंदूकें ले लीं और पाकिस्तानी लड़कों को लाल गुलाब के अनमोल खजाने के साथ लौटा दिया. बाकी, जैसा कि वे कहते हैं, सब इतिहास की बात है.
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1971 में लड़कों के हाल के लिए जिम्मेदार स्पेशल एजेंट अंकल ने दादी के साथ चाय पी और उनसे वादा किया कि उनके बैंड की अच्छी देखभाल की जाएगी. कई साल बाद थैंक्यू नोट के तौर पर दादी ने एक चचेरे भाई को भेजा. वह तो कहीं आसमान से छलांग लगाकर पहुंच गया. जब वह अपने पाकिस्तानी चचेरे भाइयों से मिला, तो उसने उन्हें बताया कि ‘चाय शानदार थी.’ लेकिन इस शर्मीले चचेरे भाई को यह कहते भी सुना गया: ‘माफ करें, मैं आपको ये बताने वाला नहीं हूं.’ फिर भी, वह एकदम हिट था और पाकिस्तान को सीमा पार से आए अपने चचेरे भाइयों में से यह एक काफी पसंद आया. लेकिन जल्द ही रिश्ता आंटियों को पता चल गया कि वह शादीशुदा है और उसके प्रति उनका सारा आकर्षण खत्म हो गया. उसे लिप्टन टी बैग के कार्टन के साथ भेजने की तैयारी कर ली गई.
कुख्यात इजराइली पायलट, जो भारत के साथ मिलकर आराम से काम कर रहा था और बताया जाता है कि पाकिस्तान में पकड़ लिया गया था, अब उसका पता लग गया है. उसने धर्मांतरण कर लिया है और शादी रचा चुका है और 100 से अधिक बच्चों का पिता बन चुका है—और सुनिये तो—वह भी केवल दो वर्षों में. उसका यह रिकॉर्ड गिनीज बुक में दर्ज होने के इंतजार में है.
एक आम आदमी को इजरायली आविष्कार कहे जाने वाले क्रिकेट नामक एक खेल का पता चला. दुश्मन को संभावित परमाणु हमले की धमकी देने के बाद उसने मामला क्रिकेट की पिच पर निपटाने और दोगुना लगान वसूलने का फैसला किया. लेकिन जैसा किस्मत में लिखा था, आम गायब हो गया.
रॉ प्रमुख भविष्य के पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को धन देते नजर आ रहे हैं. पीछे कुछ इजरायली भी देखे जा सकते हैं जो सेब का जूस पीते हुए पीएम के जीवन की इस महत्वपूर्ण घटना का जश्न मनाते नजर आ रहे हैं.
कुछ अज्ञात भारतीय प्रधानमंत्री की चीनी मिलों में काम करने वालों को फंड देने और भर्ती करने के लिए पाकिस्तान पहुंचे हैं. उसके बाद जैसा कि संभावित ही था, कल की कोई परवाह किए बिना पाकिस्तानी प्रधानमंत्री हाथ हिलाकर उनका अभिवादन कर रहे हैं.
पाकिस्तान में अब तक के अंतिम सैन्य शासक एक भावनात्मक बयान के साथ भारतीय राजशाही के आगे झुकते हुए—एक मर्द का सिर सिर्फ तीन औरतों के सामने झुकता है. ऐसे शिष्टाचार से प्रभावित होकर ही राजसत्ता ने तानाशाह की यात्रा और ठहरने के खर्चों का पूरा इंतजाम किया, इसके अलावा नजदीक में आयोजित क्रिकेट मैच के लिए मुफ्त पास भी उपलब्ध कराया. पाकिस्तान के सरकारी खजाने को इससे कितनी बड़ी राहत मिली है.
दुश्मन के दो साथी काके दा ढाबा के बाहर मिलते हैं. हाथों में हाथ डाले भविष्य की योजना बनाते हैं और परमाणु पर गोपनीय जानकारियां साझा करते हैं. अपनी उदारता के कारण एक ने नौकरी गवां दी, दूसरे को याद है कि मां ने कैसे कहा था, ‘मेरे करण अर्जुन आएंगे.’ साझेदारी अभी मजबूत हो रही है. हमारे सूत्रों का कहना है कि हमेशा पाकिस्तान के प्रति अपने रुझान को दर्शाने वाले टीवी एंकर के साथ जो हुआ, उसे देखते हुए इन दोनों ने सुरक्षा कारणों से सिग्नल एप ज्वाइन कर लिया है.
मोसाद मुख्यालय का एक पहले कभी न देखा गया फुटेज: बहकाने में माहिर होने के विशेष गुण से सम्पन्न दो एजेंट भर्ती किए गए हैं. आखिरकार, अगला युद्ध इसी तरह के प्रलोभनों पर तो लड़ा जाएगा. परमाणु हथियार इंतजार कर सकते हैं.
क्या आप भी वही देख रहे हैं जो मुझे दिख रहा है? हां, एक पीला फूल और उसके पीछे बैठे दो इंसान. जैसा दिखता है, उतनी ही गंभीरता के साथ एक ने ओटीटी शो में अपनी खास रुचि पर चर्चा की, जबकि दूसरे ने अपने मन की बात कहने का इंतजार किया. दोनों इस पर सहमत थे कि संयम बनाए रखना और भारत और इजरायल पर आरोप मढ़ते रहना पाकिस्तान के भविष्य के लिए सबसे अच्छा है.
मुझे नहीं पता कि आप इन तस्वीरों और समानांतर पाकिस्तानी दुनिया में निकाले जा रहे इनके अर्थों से आप कितना आश्वस्त है. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या मानते हैं, बस इतना समझ लीजिए कि महत्वपूर्ण यह था कि कोई भारत-इजरायल की तरफ से फंडिंग के मुद्दे को एक बार हमेशा के लिए सुलझा दे. इस बीच, यहूद और हनूद (यहूदियों और हिंदुओं) की साजिशों से जुड़ी कहानियां अनंतकाल तक चलती रहेंगी.
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(लेखिका पाकिस्तान की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nailainayat है. व्यक्त विचार निजी हैं.)
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