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Monday, 22 September, 2025
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अवामी लीग के लिए हसीना की नज़र राहुल-प्रियंका मॉडल पर, उनका एक और बड़ा गलत कदम

गांधी परिवार से पीढ़ीगत रिश्तों ने पूर्व बांग्लादेश पीएम को प्रभावित किया, ताकि वे भी भारत के गांधी परिवार की तरह नेतृत्व अपनी संतान को सौंपें.

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी पार्टी के बड़े हिस्से ने सिर्फ भारत में शरण ही नहीं ली, बल्कि अब वे देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी—कांग्रेस से प्रेरणा लेती नज़र आ रही हैं. अगर भारत समर्थक छवि ने हसीना को अपने ही देश में अलोकप्रिय बना दिया था, तो भारतीय राजनीति से सीख लेना अब बांग्लादेशियों को और भी कम पसंद आएगा.

फरवरी 2026 में होने वाले बांग्लादेश के अगले आम चुनाव से पहले, हसीना की पार्टी—अवामी लीग गंभीरता से सोच रही है कि पदच्युत प्रधानमंत्री के बाद पार्टी का चेहरा कौन होगा.

आतंकवाद-रोधी कानून के तहत अवामी लीग की सभी राजनीतिक गतिविधियां तब तक प्रतिबंधित हैं, जब तक इसके नेताओं पर इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) में मुकदमा पूरा नहीं हो जाता. इसके बावजूद पार्टी हसीना की जगह नेतृत्व संभालने के लिए राहुल-प्रियंका गांधी मॉडल अपनाने पर विचार कर रही है.

हालांकि, भारत में कांग्रेस के राहुल-प्रियंका मॉडल की प्रभावशीलता को लेकर मतभेद हैं, लेकिन यह फॉर्मूला अवामी लीग के लिए कारगर साबित होगा, इसकी संभावना बेहद कम है—खासकर जुलाई 2024 की उस क्रांति के बाद जिसने हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया.

हसीना क्या चाहती हैं

8 सितंबर को बीबीसी बांग्ला ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें कहा गया कि हसीना अपनी पार्टी के लिए कांग्रेस जैसा परिवार-केंद्रित नेतृत्व मॉडल पर विचार कर रही हैं. रिपोर्ट में हसीना के नज़दीकी राजनीतिक सूत्रों के हवाले से कहा गया कि उनका बेटा सजीब वाजेद जॉय (54), जो इस समय अमेरिका में है, अवामी लीग का डिफैक्टो प्रवक्ता बन चुका है. वे अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बांग्लादेश की राजनीति और पार्टी के रुख पर बोलता है.

हसीना की बेटी सायमा वाजेद पुतुल (52), जो पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन की दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय निदेशक रह चुकी हैं, कथित तौर पर पार्टी की आंतरिक ज़िम्मेदारियों को संभाल रही हैं—भाषण तैयार करना, राजनीतिक कार्यक्रमों की योजना बनाना और कूटनीतिक बैठकों में अपनी मां का प्रतिनिधित्व करना. हसीना के भांजे रदवान मुजीब सिद्दीक बॉबी से भी उम्मीद है कि वे उनके बच्चों का सहयोग करेंगे.

इस बीबीसी बांग्ला रिपोर्ट ने बांग्लादेश में हलचल मचा दी है. इसमें कहा गया कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में भी बड़े बदलाव हो रहे हैं. हसीना सरकार के 5 अगस्त 2024 को गिरने से पहले अवामी लीग का एक बड़ा चेहरा रहे ओबैदुल कादिर अब भी पार्टी के महासचिव हैं. हालांकि, खबरों के मुताबिक वे हसीना से भारत आने के बाद से नहीं मिले हैं.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि हसीना का नया समूह पूर्व गृहमंत्री असदुज्ज़मान खान कमाल, पूर्व सांसद और मौजूदा संयुक्त सचिव बहाउद्दीन नसीम, और पूर्व वस्त्र एवं जूट मंत्री जहांगिर कबीर नानक से मिलकर बना है. बताया गया कि कोलकाता में एक अस्थायी दफ्तर खोला गया है, जहां से अवामी लीग नेता पार्टी का कामकाज संभालते हैं. हसीना से सलाह-मशविरा करने के लिए वे दिल्ली जाते हैं.

बीबीसी रिपोर्ट के अनुसार, अवामी लीग हलकों में यह आम धारणा है कि गांधी परिवार से हसीना परिवार के पीढ़ीगत रिश्तों ने पूर्व प्रधानमंत्री को अपनी पार्टी की कमान अपने बच्चों को सौंपने के लिए प्रभावित किया है, जैसे भारत में गांधी परिवार करता आया है. कहा जा रहा है कि हसीना ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और उसके भारतीय राजनीति पर प्रभाव की भी तारीफ की है. रिपोर्ट में यह भी जोड़ा गया कि हसीना राहुल और प्रियंका की राजनीतिक यात्रा में गहरी रुचि दिखा चुकी हैं और उन्होंने तय कर लिया है कि यही फॉर्मूला अपनी पार्टी पर भी लागू करेंगी.


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गलत आकलन

शेख हसीना के खिलाफ युवाओं के सड़क पर उतरने की सबसे बड़ी वजह बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार था, जिसका फायदा कथित तौर पर उनके परिवार और पार्टी के शीर्ष नेताओं को मिला. जुलाई 2024 की क्रांति भले ही सरकारी नौकरियों में कोटा व्यवस्था के मुद्दे से शुरू हुई थी, लेकिन जल्द ही यह हसीना सरकार और उसके प्रतीक बन चुके वंशवादी शासन के खिलाफ युवाओं का नारा बन गई, जिसने देश की नई पीढ़ी की आकांक्षाओं को नज़रअंदाज़ किया.

17 सितंबर को बांग्लादेशी मीडिया ने खबर दी कि हसीना, उनके बेटे जॉय, बेटी पुतुल और अन्य पर कथित ज़मीन घोटाले से जुड़े तीन अलग-अलग मामलों में पांच गवाहों ने बयान दिया है. यह तर्क दिया जा सकता है कि इनमें से कुछ मामले मौजूदा अंतरिम सरकार (मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में) की राजनीतिक मंशा से दर्ज किए गए हों, लेकिन हसीना परिवार के खिलाफ जनता का गुस्सा नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.

हसीना सरकार गिरने के तुरंत बाद भीड़ ने उनके पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की मूर्तियों को तोड़ा, यहां तक कि 15 अगस्त 1975 को उनकी हत्या वाले घर ‘धनमंडी 32’ को भी ध्वस्त कर दिया, जो एक स्मारक के तौर पर बना हुआ था. गुस्सा इतना ज़्यादा था कि हमलावर उनके पिता—जो देश के संस्थापक और राष्ट्रपिता माने जाते थे को भी सामूहिक स्मृति से मिटाना चाहते थे. ऐसे में सवाल उठता है कि अवामी लीग की कमान अपने बच्चों को सौंपने का हसीना का फैसला कितना समझदारी भरा है?

एक और गलत कदम

बांग्लादेशी हिंदू अधिकार कार्यकर्ता रूपन गुहा ने दिप्रिंट से कहा कि देश को 1971 के मुक्ति संग्राम के मूल्यों की ओर लौटना चाहिए, जब लोग संकीर्ण धार्मिक पहचान से ऊपर उठकर साझा भाषा और संस्कृति से जुड़े थे. गुहा ने कहा, “जॉय और पुतुल दोनों पढ़े-लिखे, योग्य और दिल से सेक्युलर हैं. वे अच्छे विकल्प हो सकते हैं जो मौजूदा सांप्रदायिकता और अराजकता के दौर से बांग्लादेश को एक संतुलित कल की ओर ले जाएं.”

लेकिन भारत की क्रेआ यूनिवर्सिटी में पोस्ट-डॉक्टोरल फैलो और बांग्लादेशी अकादमिक शारिन शहजाहन नाओमी का कहना है कि जॉय और पुतुल के पास ज़मीनी राजनीतिक अनुभव की कमी उनके खिलाफ जाएगी. नाओमी ने कहा, “वे अवामी लीग के कई हितधारकों में से दो हो सकते हैं, लेकिन आज बांग्लादेश का युवा ऐसे नेताओं को चाहता है जिन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया हो, धूल भरी सड़कों पर चले हों और जनता से जुड़े हों—न कि ऐसे लोग जो अतीत का बोझ लेकर आएं.”

द डिप्लोमैट के बांग्लादेश संवाददाता साकलैन रिज़वे ने कहा कि राहुल-प्रियंका मॉडल जॉय और पुतुल पर लागू नहीं हो सकता क्योंकि भारत में कांग्रेस सरकार कभी जनविद्रोह से नहीं गिरी. रिज़वे ने कहा, “हसीना को भ्रष्टाचार, जबरन गुमशुदगियों और आखिरकार सामूहिक हत्याओं के कारण हटाया गया. उनके बच्चे उस विरासत से बच नहीं सकते. जनता उन्हें कैसे स्वीकार करेगी?”

अगर फरवरी 2026 में चुनाव हुए भी, तो मौजूदा राजनीतिक माहौल देखते हुए अवामी लीग के उसमें भाग लेने की संभावना बहुत कम है. इसका मतलब है कि हसीना की पार्टी कुछ समय और सत्ता से बाहर रहेगी. ऐसे में नेतृत्व को चाहिए कि वह नए सिरे से सोचकर ऐसा राजनीतिक मॉडल पेश करे जो युवाओं को आकर्षित करे. जिस वंशवादी राजनीति के खिलाफ युवाओं ने विद्रोह किया था, उसी पर लौटना शायद ही अब कामयाब हो.

(दीप हालदार लेखक और पत्रकार हैं. उनका एक्स हैंडल @deepscribble है. यह उनके निजी विचार हैं.)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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