एक त्वचा विशेषज्ञ के रूप में मैंने देखा है कि कई मरीज़ ऐसे विज्ञापनों का शिकार हो जाते हैं जो उन्हें घने, चमकदार और लंबे बाल देने का वादा करते हैं. लेकिन अक्सर इसमें शामिल जोखिमों के बारे में कम जागरूकता होने के कारण मरीज़ सोशल मीडिया पोस्ट और अन्य चीजों के माध्यम से किए गए इन वादों के झांसे में आ जाते हैं. इसके बारे में पर्याप्त जानकारी के बिना हेयर ट्रांसप्लांट का विकल्प चुनकर मरीज अपने स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकते हैं.
कॉस्मेटिक सर्जरी मरीज़ों को सामाजिक और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित कर सकती है. यह एक सच्चाई है कि हेयर ट्रांसप्लांट जीवन के लिए खतरा हो सकता है. यह एक वैश्विक चिंता का विषय भी है, लेकिन किसी भी अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा किए गए किसी भी बड़े स्टडी में इसपर विस्तार से रिसर्च नहीं किया गया है. भारत में केवल कुछ ही मामले पर स्टडी की गई है.
2016 में चेन्नई में एक 22 वर्षीय मेडिकल स्टूडेंट संतोष की जान तब चली गई जब उसने एक प्राइवेट सेंटर में हेयर ट्रांसप्लांट कराया, जिसके पास वास्तव में सैलून का लाइसेंस था. 2019 में मुंबई के एक 43 वर्षीय व्यवसायी, जिसे एक ही बार में 9,000 ग्राफ्ट प्राप्त हुए थे, की दो दिनों के भीतर मृत्यु हो गई. सितंबर 2021 में, गुजरात में एक 31 वर्षीय व्यक्ति की हेयर ट्रांसप्लांट से होने वाली एलर्जी और एनाफिलेक्टिक शॉक से मृत्यु हो गई. 2022 में, दिल्ली स्थित भारतीय टेलीविजन एग्जीक्यूटिव अतहर रशीद की खराब सर्जरी के चलते मृत्यु हो गई.
ऐसे मामले गलत सूचना, भ्रामक विज्ञापनों और फर्जी सर्जिकल क्लिनिक और लोगों का जीवन को बर्बाद करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कड़े सरकारी उपायों की आवश्यकता है.
यदि आप हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी का विकल्प चुनने की योजना बना रहे हैं, तो यहां कुछ बुनियादी बातें हैं जो आपको जरूर जाननी चाहिए.
मैंने तेहरान में प्रोफेसर याह्या दोलाती के मार्गदर्शन में कई हेयर ट्रांसप्लांट तकनीकों के बारे में सीखा और मुझे सिखाया गया कि सर्जिकल प्रक्रियाएं निष्फल और गुणवत्ता-सुनिश्चित वातावरण में की जाती हैं. मैं अपने क्लिनिक में भी उन प्रोटोकॉल का पालन करती हूं. स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए सर्जरी से पहले कमरे को 24 घंटे के लिए अलग कर दिया जाता है. मरीजों की सुरक्षा और और उनके जीवन के साथ कोई खिलवाड़ ने हो, इसके लिए गुणवत्ता बनाए रखना एक शर्त की तरह है.
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सबसे पहले अपने डॉक्टर को जानें
अपनी सर्जरी ऐसे क्लीनिकों में कराएं जो प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हों और जिनके पास लाइसेंसिंग प्राधिकारी द्वारा स्वीकृत बुनियादी ढांचा हो. 2022 में नेशनल मेडिकल कमीशन और मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड एस्थेटिक सर्जरी और हेयर ट्रांसप्लांट प्रक्रिया पर एक गाइडलाइन लेकर आया, जो उन प्रोटोकॉल के बारे में बात करता है जिनका डॉक्टरों को पालन करना चाहिए. केवल पंजीकृत चिकित्सा व्यक्तियों (RMP) को ही प्रशिक्षित सहायक कर्मचारियों के साथ सर्जरी से पहले या बाद में पर्याप्त देखभाल और दवाओं के साथ प्रक्रिया को पूरा करना होगा. खराब प्रशिक्षण, स्वच्छता और विशेषज्ञता की कमी से कई बार असंतोषजनक और विनाशकारी परिणाम देखने को मिलते हैं.
हालांकि सर्जरी आमतौर पर छोटी होती है और एनेस्थीसिया के साथ की जाती है. लेकिन ट्रांसप्लांट किए जाने वाले बालों की संख्या के आधार पर यह कुछ घंटों तक चल सकती है. सस्ते हेयर ट्रांसप्लांट के विज्ञापनों के बहकावे में न आएं. ऐसे मामलों में यह अक्सर समझौता गुणवत्ता प्रोटोकॉल के साथ आपके सिर पर काम करने वाला एक नीमहकीम होता है. इसके अलावा, मरीजों को सर्जरी का विकल्प चुनने से पहले अपने डॉक्टर से पूरी तरह परामर्श लेना चाहिए और उनकी सलाह का पालन करना चाहिए.
सर्जरी से पहले और बाद का इलाज भी इस प्रक्रिया जितना ही महत्वपूर्ण है. बाद में उम्मीद के मुताबिक रिजल्ट के लिए आपको अपने डॉक्टर द्वारा बताए गए शैम्पू, साबुन और दवाओं का ही उपयोग करना चाहिए.
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आप क्या कर सकते हैं
इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निरीक्षण और सख्त नियम की कमी ने रोगियों को गंभीर जोखिम में डाल दिया है. अनुचित देखभाल से अत्यधिक रक्त हानि, सदमा, सेप्सिस, संक्रमण और अन्य मुश्किलें हो सकती हैं जिसके परिणामस्वरूप मरीज की मौत भी हो सकती है. साथ ही या बालों को अनुचित तरीके से लगाने से कई सर्जिकल दोष भी हो सकते हैं.
साथ ही इस प्रक्रिया के दौरान मेडिकव सहायक को भी सतर्क रहना चाहिए और सर्जरी से पहले उपयोग की जाने वाली डिस्पोजेबल सीरिंज और अन्य उपकरणों की जांच करनी चाहिए. यदि सर्जरी के 12 से 24 घंटे बाद भी पट्टियां ताज़ा खून से लथपथ हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें. यदि सर्जरी के बाद आपके माथे पर कुछ सूजन दिखाई देती है – डायबिटीज के मरीज और प्री-डायबिटीज मरीज में इसकी संभावना अधिक होती है – तो आप इसे कम करने के लिए मौखिक दवाएं ले सकते हैं. सर्जरी के दो दिनों के भीतर विकसित होने वाली पित्ती या अन्य एलर्जी को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. यदि सर्जरी के बाद अचानक कोई न्यूरोलॉजिकल जटिलता विकसित हो जाती है, तो इसे इमरजेंसी की तरह ले और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
भारत सरकार को त्वचाविज्ञान डॉक्टरों और प्लास्टिक सर्जनों के लिए अधिक से अधिक कार्यक्रम और फ़ेलोशिप शुरू करनी चाहिए. स्पेशलिटी हासिल करने और क्लीनिकों में मरीजों को उनके लाइसेंस देने के लिए उन्हें अधिकृत पाठ्यक्रमों का अध्ययन करना चाहिए. सरकारी अस्पतालों को भी न्यूनतम लागत पर ऐसी सुविधाएं देनी चाहिए. धोखाधड़ी करने वालों और भ्रामक विज्ञापनों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
हेयर ट्रांसप्लांट आपकी सुंदरता को बढ़ा जरूर सकता है लेकिन तभी जब इसे बिल्कुल सही तरीके से किया जाए.
(डॉ दीपाली भारद्वाज एक त्वचा विशेषज्ञ, एंटी-एलर्जी विशेषज्ञ, लेजर सर्जन और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित एस्थेटीशियन हैं. उनका एक्स हैंडल @dermatdoc है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)
(संपादन: ऋषभ राज)
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