दो ऑटो-रिक्शा चालक अपनी अगली सवारी के इंतज़ार में हैं, पेट्रोल पंप का एक कर्मचारी घर लौटकर बच्चे से मिलने के इंतज़ार में है और एक टैक्सी चालक खुद को अचानक हुई बारिश से बचाने के लिए एक जगह खड़ा है. उनमें से कोई भी नहीं जानता था कि ये उनकी ज़िंदगी के आखिरी पल थे.
ये उन 16 लोगों में से चार हैं जिनकी सोमवार को तेज़ हवाओं के बीच मुंबई के घाटकोपर इलाके में 120×120 वर्ग फुट के विशाल “अवैध” होर्डिंग गिरने से मौत हो गई. इस दौरान 75 अन्य लोग घायल हो गए.
वर्षों से शहर में अवैध होर्डिंग्स के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर बॉम्बे हाई कोर्ट में कई सुनवाई के बावजूद सोमवार की यह दुर्घटना हुई. कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को ऐसे होर्डिंग्स के खिलाफ कार्रवाई करने के विशेष निर्देश दिए हैं. हालांकि, चर्चा शहर का हुलिया बिगाड़ने वाले या सड़कों और फुटपाथों को अवरुद्ध करने वाले अवैध राजनीतिक होर्डिंग्स पर केंद्रित है, न कि सुरक्षा और उनकी संरचनात्मक स्थिरता पर.
यही कारण है कि मुंबई के अवैध होर्डिंग दिप्रिंट के लिए इस हफ्ते का न्यूज़मेकर है.
ईगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड, जिस कंपनी ने अवैध होर्डिंग लगाई थी, उसके खिलाफ अवैध रूप से होर्डिंग में बाधा डालने वाले पेड़ों को काटने के लिए तीन एफआईआर दर्ज की गई थीं.
शहर के पेड़ों के विज्ञापनदाताओं के लालच का शिकार होने की अक्सर खबरें आती रही हैं — उन्हें अवैध रूप से काट दिया जाता है, या मार दिया जाता है क्योंकि वे एक विशेष जमाखोरी में बाधा डालते हैं. एफआईआर दर्ज की गई हैं, लेकिन मामूली जुर्माने के अलावा कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं हुई है.
इस बार, पीड़ित लोग थे जिसने पूरे प्रशासन को झकझोर कर रख दिया है. इसने मुंबई के विभिन्न हिस्सों को नियंत्रित करने वाली कई एजेंसियों के बीच दरार को भी उजागर किया है.
बीएमसी के अनुसार, शहर में अभी 1,025 आधिकारिक तौर पर स्वीकृत होर्डिंग्स हैं. हालांकि, मुंबई में रहने वाला कोई भी व्यक्ति आपको बता सकता है कि यह संख्या हास्यास्पद रूप से कम आंकी गई है.
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सुरक्षा नहीं, कोर्ट में सुनवाई
बॉम्बे हाई कोर्ट पिछले दस साल से अधिक समय से उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिनमें अवैध होर्डिंग्स के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है, लेकिन उनकी संरचनात्मक स्थिरता पर ध्यान नहीं दिया गया है.
2014 और 2015 में चर्चा सुरक्षा या पर्यावरण की कीमत के बजाय सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले अवैध होर्डिंग्स और बैनरों के बारे में थी. राजनीतिक दलों को सबसे बड़ा अपराधी पाया गया और हाई कोर्ट ने सभी प्रमुख दलों को हलफनामे में यह आश्वासन देने के लिए कहा कि उनके नेता और कार्यकर्ता अवैध होर्डिंग्स, बैनर या पोस्टर नहीं लगाएंगे.
उस समय, अदालत ने ‘आयुक्तों’ के तौर पर वकीलों की एक टीम नियुक्त की. इनका काम राज्य भर में अवैध पोस्टरों और बैनरों की पहचान करना था.
2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने विभिन्न हितधारकों को अवैध होर्डिंग्स से निपटने के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए. राज्य पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि अवैध होर्डिंग्स के खिलाफ कार्रवाई करते समय नागरिक निकायों को उचित सुरक्षा मिले. उन्हें अवैध होर्डिंग और बैनर लगाने से रोकने के लिए लगातार निगरानी रखने को भी कहा गया.
नागरिक निकायों को अवैध होर्डिंग्स के बारे में नागरिकों की शिकायतों को दर्ज करने के लिए टोल-फ्री नंबर और व्हाट्सएप या एसएमएस के माध्यम से शिकायतों के लिए सेल फोन नंबर स्थापित करने के लिए कहा गया था. किसी भी शिकायत को महाराष्ट्र संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम 1995 के तहत अपराध के रूप में दर्ज किया जाना था.
आदेश में राज्य सरकार को होर्डिंग्स और स्काई साइन के लिए अनुमति को मंजूरी देने के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया के साथ आने का निर्देश दिया गया और आगे कहा गया कि ऐसे सभी होर्डिंग्स पर अनुमति संख्या और वह अवधि प्रदर्शित होनी चाहिए जिसके लिए अनुमति दी गई है.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिशानिर्देशों का अक्षरश: पालन नहीं करने के लिए बार-बार महाराष्ट्र सरकार और राज्य के नागरिक निकायों की फटकार भी लगाई है.
आरोप-प्रत्यारोप का खेल
कई एजेंसियां मुंबई के विभिन्न न्यायक्षेत्रों को नियंत्रित करती हैं. शहर का एक बड़ा हिस्सा बीएमसी के अधीन है, फिर कुछ क्षेत्र मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं, अन्य मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के अधीन हैं और कुछ मध्य रेलवे और अन्य एजेंसियों के अधीन हैं.
परिणामस्वरूप, मुंबई में हर बार कोई दुर्घटना होती है — चाहे वो 2017 एलफिंस्टन रोड भगदड़ हो, 2018 गोखले पुल का ढहना हो, भारी बारिश के कारण शहर में कई बार बाढ़ आई हो, या इससे पहले साल में पुल के पुनर्निर्माण में हुई चूक हो — हमेशा आरोप-प्रत्यारोप का खेल शामिल होता है.
घाटकोपर होर्डिंग का दुर्घटनाग्रस्त होना, जिसके बारे में बीएमसी का कहना है कि अवैध था, कोई अपवाद नहीं था. इस बार सारा दोष बीएमसी और रेलवे पर मढ़ दिया गया.
आपदा के तुरंत बाद, बीएमसी ने दावा किया कि होर्डिंग अवैध था और रेलवे की ज़मीन पर था. मध्य रेलवे ने इस बात से इनकार किया कि यह ज़मीन उसके स्वामित्व में है. बाद में राज्य सरकार के अधीन आने वाली राजकीय रेलवे पुलिस ने कहा कि होर्डिंग उसके अधिकार क्षेत्र में है और इसे नवंबर 2022 में मंजूरी दी गई थी.
एक स्वागत योग्य कदम में बीएमसी ने अब कड़ा रुख अपनाया है. शहर में सभी होर्डिंग्स को अनिवार्य रूप से नागरिक निकाय के मानदंडों का पालन करना होगा, भले ही वे किसी सार्वजनिक ज़मीन या निजी भूमि पर हों. इसने गुरुवार को घोषणा की कि होर्डिंग्स के लिए नई अनुमतियां रोक दी गई हैं और यह होर्डिंग्स के आकार और संरचनात्मक स्थिरता से संबंधित कड़े प्रावधानों को शामिल करने के लिए होर्डिंग्स नीति पर फिर से विचार करेगी.
इस त्रासदी ने देश के अन्य हिस्सों में नगर निगमों को भी अपने शहरों में होर्डिंग्स का जायजा लेने के लिए उकसाया है.
व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.
(इस न्यूज़मेकर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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