मुझे पूरा यकीन है कि ऐसे लोगों की संख्या काफी कम होगी. हालांकि, ज्यादातर लोग गॉलब्लैडर स्टोन (पित्ताशय की पथरी) शब्द से जरूर परिचित हैं. गॉलस्टोन या कोलेलिथियसिस तब बनते हैं जब पित्त (बाइल), कोलेस्ट्रॉल या पिग्मेंट (वर्णक) पित्ताशय की थैली में जमा हो कर सख्त हो जाते हैं. साल 2022 के एक अध्ययन में बताया गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 10-20 फीसदी लोगों में पित्त की पथरी होती है और इसका प्रचलन काफी बढ़ रहा है. गॉलस्टोन बहुत छोटे से लेकर गोल्फ की गेंद जितनी बड़े तक के विभिन्न आकार होते हैं. लोगों के बीच गॉलस्टोन का विकसित होना बहुत आम बात है, और वे अक्सर बिना किसी लक्षण वाले (असिम्प्टोमैटिक) होते हैं. हालांकि, 10 फीसदी लोग गंभीर पेट दर्द सहित कई लक्षणों से पीड़ित होते हैं. इलाज न किया जाए तो गॉलस्टोन दस्त, भ्रम, भूख न लगना, खुजली वाली त्वचा, दिल की तेज़ धड़कन और तेज बुखार का कारण बन सकती है.
कई अध्ययनों में अधिक वजन, मोटापा, मधुमेह टाइप-2, और एक एडवांस्ड लिपिड प्रोफाइल जैसे जीवनशैली से जुड़े कारकों को कोलेस्ट्रॉल गॉलस्टोन से जोड़ा गया है. जीवनशैली से संबंधित इन स्थितियों में योगदान करने वाले प्रमुख कारकों में से एक आहार संबंधी आदतें हैं. गैल्स्टोन का गठन ट्रांस फैट, परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट और कृत्रिम अवयवों से भरपूर पश्चिमी जगत वाले आहार (वेस्टर्नाइज्ड डाइट्स) से जुड़ा हुआ है. साल 2004 और साल 2008 के दो संभावित सहयोगी (कोहोर्ट) अध्ययनों में वयस्कों के मामले में सीआईएस अनसैचुरेटेड फैट और लॉन्ग चेन फैटी एसिड का सेवन गैल्स्टोन के गठन से जुड़ा हुआ पाया गया है. साल 1999 के जनसंख्या-आधारित, केस-कंट्रोल अध्ययन के आधार पर, चीनी सीधे तौर पर गॉलस्टोन के निर्माण में योगदान करती पाई गई है. इससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि शारीरिक गतिविधि की कमी के साथ-साथ फैट और शुगर से युक्त खराब डाइट से गैल्स्टोन के बनने पर अहम प्रभाव पड़ता है. इसी तरह, एक कैलोरी युक्त, लो-फाइबर आहार पित्त कोलेस्ट्रॉल के स्राव और संचय में वृद्धि के कारण गॉलस्टोन के निर्माण से जुड़ा हुआ है. साल 2013 में 77, 000 रोगियों को शामिल करके किये गए एक अध्ययन के अनुसार, उच्च बीएमआई और गॉलस्टोन का जोखिम निकटता से जुड़ा हुआ है.
वजन कम करना
गॉलस्टोन के बनने के जोखिम को कम करने हेतु शरीर के स्वस्थ वजन को कम बनाए रखना आवश्यक है. मोटापे के साथ कई जटिलताएं जुड़ी हुई होती हैं. समय के साथ लगातार वजन कम होने से गॉलस्टोन बनने का खतरा कम हो जाता है. हालांकि, 1.5 किग्रा/सप्ताह से अधिक की तेजी से वजन घटने और/या शरीर के वजन में 25 फीसदी से अधिक की कमी आने से गॉलस्टोन बनने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसा साल 2009 के एक अध्ययन के तहत पाया था. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड किडनी डिजीज ने स्थायी रूप से वजन घटाने और इसे दोबारा फिर से हासिल करने की संभावना को कम करने के लिए 6 महीने में शरीर के वजन का 5 से 10 फीसदी कम करने की सलाह दी हुई है.
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आहार से संबंधित दिशानिर्देश
शोध से पता चलता है कि कुछ खाद्य समूह गॉलस्टोन बनने के जोखिम को कम करते हैं. एक अध्ययन में लगभग 46 हजार पुरुषों ने भाग लिया था और इसमें पाया गया कि मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड गॉलस्टोन के जोखिम को कम करते हैं. कुछ नर्सों के स्वास्थ्य के एक अध्ययन के अनुसार, जो महिलाएं अक्सर नट्स (काजू, बादाम, अखरोट जैसे सूखे मेवे) का सेवन करती हैं, उनमें गॉलस्टोन की सर्जरी का जोखिम कम होता है. इसी अध्ययन के अनुसार, जो पुरुष सप्ताह में पांच या अधिक बार इन्हें खाते हैं, उनमें भी गॉलस्टोन बनने और उन्हें हटाने का जोखिम 30 फीसदी तक कम हो जाता है. ये मेवे अनसैचुरेटेड फैट, फाइबर और आवश्यक खनिजों से भरे होते हैं, जो ब्लड कोलेस्ट्रॉल और लिपिड के स्तर को कम करते हैं. फिर भी, इस बात की अनुशंसा नहीं की जा सकती है कि आप एक दिन में एक मुट्ठी से अधिक की मात्रा में इनका सेवन करें. 12 साल के एक अध्ययन के अनुसार, उच्च कार्बोहाइड्रेट का सेवन, उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स और उच्च ग्लाइसेमिक लोड भी सिम्पटोमैटिक (लक्षण वाले) गॉलस्टोन से जुड़े हैं.
एक स्वस्थ, अच्छी तरह से परिपूर्ण, बहुमुखी आहार आपके पित्ताशय की थैली को स्वस्थ रखने की आधारशिला जैसा है. स्वस्थ अनसैचुरेटेड फैट, फाइबर, विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सिडेंट, ताजे फल और सब्जियों से भरपूर आहार कोलेस्ट्रॉल गॉलब्लेडर स्टोन की रोकथाम सहित समग्र स्वास्थ्य संवर्धन के लिए भी फायदेमंद होता है. ट्राइग्लिसराइड्स और ट्रांस फैट के उपभोग को कम करने के लिए ‘जंक फूड’ से बचें या उसकी मात्रा कम करें. स्वस्थ अनसैचुरेटेड फैट के कुछ शानदार स्रोतों में जैतून का तेल (ओलिव आयल), समुद्री मछली, अखरोट और बीज वाले आधार शामिल हैं. अपनी खाने की तश्तरी को फाइबर और हेल्थी कार्ब्स जैसे कि साबुत अनाज, साबुत फल, सब्जियां, नट्स, फलियां, सेम और दालों से भरा रखें. मीठे खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों से बचें. सबसे पहले तो अपनी चाय और कॉफी में चीनी मिलाना बंद कर दें. मेडिटरेनीयन-स्टाइल के भोजन को अपनाकर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के उपयोग को सीमित करें. अपने दैनिक आहार में अधिक-से-अधिक मात्रा में पौधे आधारित प्रोटीन, जैसे सोया, टोफू, बीन्स और नट्स, शामिल करें. रिफाइंड चीनी, शीतल पेय, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, रेड मीट, बेकरी के उत्पाद, फास्ट फूड और गहरे तले हुए खाद्य पदार्थों को अपने से दूर रखने की कोशिश करें ताकि पित्ताशय की पथरी की समस्या से बचा जा सके.
एक समझदार खरीदार बनें और जब भी संभव हो स्वस्थ, कम से कम संसाधित साबुत खाद्य पदार्थ खरीदें. यहां हमें आपको बता रहे हैं कि आपकी हरी-भरी, अपराध बोध-मुक्त किराने के सामान की सूची कैसी दिखनी चाहिए – सभी सब्जियां और फल (अच्छा हो कि मौसमी और स्थानीय); साबुत अनाज (जैसे कि जई, बाजरा, बुलगुर, राई, दलिया); सेम और फलियां (जैसे कि छोले, मिश्रित अंकुरित अनाज, दाल, राजमा, राजमा); बिना चर्बी वाले पशु प्रोटीन (जैसे कि त्वचा रहित चिकन, मछली, अंडे, समुद्री भोजन, टोफू); खाना पकाने के तेल (जैसे जैतून, मूंगफली, अखरोट; नट्स और बीज).
संक्षेप में
पित्ताशय की थैली की पथरी काफी दर्दनाक होती है और अगर इसे बिना किसी इलाज के छोड़ दिया जाए तो यह काफी जटिलताएं पैदा कर सकती है. पौष्टिक खाद्य पदार्थों से बना संतुलित आहार खाने पर ध्यान दें और शरीर के वजन को स्वस्थ बनाए रखने से गॉलस्टोन को बनने से रोका जा सकता है.
डॉक्टरेट स्कॉलर (केटोजेनिक डाइट) सुभाश्री रे प्रमाणित मधुमेह शिक्षक, और एक नैदानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य पोषण विशेषज्ञ हैं. वह @DrSubhasree से ट्वीट करती हैं. व्यक्त विचार निजी हैं.
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