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Tuesday, 5 November, 2024
होममत-विमतपठान से लेकर मिशन मजनू तक, रॉ के एजेंटों को पाकिस्तानियों से बेहतर कोई नहीं जानता

पठान से लेकर मिशन मजनू तक, रॉ के एजेंटों को पाकिस्तानियों से बेहतर कोई नहीं जानता

तो क्या हुआ अगर रॉ एजेंट टाइगर, पठान और विनोद की हनी-ट्रैप होने की प्रवृत्ति है, हमने उन्हें अपने ही आईएसआई में गिन लिया है.

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रॉ एजेंट्स को पाकिस्तानियों से बेहतर कौन जानता है? आखिरकार, जिनके पास केवल सिंगल ब्रेन सेल होती है, उन्हें तुरंत ही रॉ एजेंट का लेबल लगा दिया जाता है. पड़ोस के एजेंटों के विशेषज्ञ के रूप में, एजेंट मजनू के बजाय एजेंट पठान को चुनना शायद ही एक मुश्किल विकल्प था. इसीलिए पाकिस्तान में ऐसे लोग हैं जो पठान उर्फ शाहरुख खान को भारत का अगला प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं, जबकि कुछ ऐसे हैं जो भीतर से हमलों के खिलाफ ‘दुश्मन’ एजेंट के लिए लड़ने को तैयार हैं.

तो क्या हुआ अगर ये रॉ एजेंट्स- टाइगर, पठान, विनोद- हनी ट्रैप में फंसने की प्रवृत्ति रखते हैं, तो हमने इन्हें अपने ही आईएसआई के गुर्गों से ढक लिया है, वो भी ‘बोल्ड एंड ब्यूटीफुल’. यह वह चीज़ है जिससे महान जासूस बनती है.

‘पठान फॉर पीएम’

भारत ने हमें इस सीजन में रॉ के दो एजेंट दिए- मजनू और पठान. जबकि मिशन मजनू में तारिक एक कमोड के माध्यम से पाकिस्तान के परमाणु प्रतिष्ठान को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा था – जीएचक्यू के लिए उसके टेलरिंग स्किल को मत भूलिए – वहीं, पठान एक दुष्ट मानसिकता वाले एक एजेंट और उसके साथी, एक पाकिस्तानी जनरल, को भारत के खिलाफ बॉयो केमिकल हमले से रोकने के मिशन पर था. ठीक वैसे ही जैसे ‘मैं हूं न’ में पठान मेजर राम थे या वीर जारा में भारतीय वायु सेना के पायलट वीर प्रताप सिंह किसी न किसी को बचा रहे थे.

हालांकि, एक पाकिस्तानी अभिनेता का मानना है कि पठान के लिए अब भारत का प्रधानमंत्री बनने का समय आ गया है क्योंकि वह मौजूदा प्रधानमंत्री की तुलना में अधिक लोकप्रिय है.

एक फैंटेसी यह है कि भारत को ‘धर्मनिरपेक्ष’ होना चाहिए, जबकि पाकिस्तान एक इस्लामिक गणराज्य बना रहना चाहिए. इसके अलावा, शान शाहिद के विचारों को पढ़ने के बाद, एक विचार उभरा: पठान के सीक्वल के बारे में जिसमें उसके पीएम बनने और पाकिस्तान में पहले से ही ‘स्वतंत्र’ कश्मीर को मुक्त कराने के बारे में हो. या पठान भारत के पीएम के रूप में पाकिस्तान का कर्ज चुका रहे हैं. और अगर हम कंगना रनौत के प्लॉट में ट्विस्ट जोड़ना शुरू करते हैं, तो यह काल्पनिक स्पाई थ्रिलर संभावित रूप से एक हॉरर फिल्म में भी बदल सकती है. एक स्पाई-हॉरर?


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जनरल केहर

यह देखकर दिल दहल गया था कि एक पाकिस्तानी जनरल केहर चाहता था – खेर नहीं – जब उसे पता चला कि भारत ने धारा 370 को निरस्त कर दिया है, जिससे कश्मीर का विशेष दर्जा छीन लिया गया है. अब तक हम केवल यही जानते थे कि केहर का मतलब कुछ शुक्रवार को आधा घंटा धूप में खड़ा होना और ‘इंडिया जा-जा कश्मीर से निकल जा गाना’, इस्लामाबाद में एक हाईवे का नाम बदलकर श्रीनगर करना और ट्रैफिक सिग्नल पर भारत के प्रधानमंत्री मोदी के बिलबोर्ड पर हॉर्न बजाना होता है. लेकिन एक काल्पनिक दुनिया में, कुछ चुनिंदा भारतीय शहरों पर जैविक हथियार चलाने की योजना थी. इससे कोई फर्क नहीं पड़ा कि योजना ने काम किया या नहीं; जनरल वैसे भी जल्द से जल्द मरने वाला था.

वैसे, हमारे जनरलों के साथ क्या हो रहा है, भारत के साथ ऐलान-ए-जंग के बारे में एक डॉक्टर और एक दर्जी (मिशन मजनू) के साथ परमाणु संयंत्र की जगह के बारे में चर्चा कर रहे हैं. जनरलों! इससे कुछ बेहतर करो.

पठान में केवल एक “जनाब” था, जो पाकिस्तान सरकार से 100 करोड़ रुपये के पुरस्कार का हकदार था.

ISI, मसाला और सब कुछ अच्छा है

बिकनी-बंदूक से लैस, व्हिस्की गटकती आईएसआई एजेंट डॉ. रुबीना अपने काम में उतनी ही अच्छी हैं, जितने कि पाकिस्तान की रक्षा मंत्री, जिनका बस एक ही काम है- अपनी कुर्सी पर बैठे रहना. नहीं, रुबीना के आईएसआई में शामिल होकर इंसानियत की खिदमत करने की शिकायत किसी को नहीं है. टोपी से बिकिनी तक, प्रतिनिधित्व के मामले में यह एक तेज बदलाव था. वास्तव में, आईएसआई की स्थापना के बाद से उसकी यह सबसे बड़ी सफलता है – पठान से रुबीना या टाइगर सीरीज से ज़ोया जैसी सेक्सी एजेंट पाना.

ISI को खुद को दुनिया की नंबर 1 खुफिया एजेंसी होने का दावा करने के बदले कुछ चाहिए होता है. सोशल मीडिया पर भारतीय जवानों को फंसाने वाले आईएसआई एजेंटों की सफलता काफी ज्यादा है और हम इसमें ऑनलाइन लूडो और यश राज प्रोडक्शन की गिनती भी नहीं कर रहे हैं. लड़कियां बदमाश हो रही हैं और अपने दिल की बात सुन रही हैं, जासूसी में एक और विषय है. आईएसआई प्रमुख को निश्चित रूप से वर्जित लव स्पाईक्राफ्ट की जांच करनी चाहिए.

जबरन गुमशुदगी के शिकार लोग आईएसआई से नाराज हैं जो उनके अपहरण के लिए गंजे, और पेट निकले एजेंटों को भेजता है, जबकि शाहरुख खान और सलमान खान को दीपिका पादुकोण और कैटरीना कैफ जैसी ‘एजेंट्स’ के साथ काम करने का मौका मिलता है. उनका कहना है कि यह गलत है.

फिर, अब पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों से प्रतिबंध हटाने का एक अच्छा समय है ताकि हम उन फिल्मों की पायरेटेड प्रतियां देखने के लिए मजबूर न हों जिनमें हम अच्छे-बुरे लोग हैं.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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