बुधवार सुबह करीब 4.35 के आसपास पंजाब के भारी किलेबंद बठिंडा सैन्य स्टेशन एक इंसास राइफल की फायरिंग से वहां सोए लोगों की नींद खुली.
इस आवाज को सेना के अड्डे के अधिकांश सैनिकों ने किसी प्रकार के प्रशिक्षण का हिस्सा मान लिया होगा. लेकिन ऐसा नहीं था.
चार सैनिक – सागर बन्ने, कमलेश आर, संतोष नागराल, और योगेशकुमार जे- को गोलियों से छलनी कर दिया गया था. ये सभी ऑफिसर मेस के पीछे अपने बंकर में सोए हुए थे.
और इसीलिए बठिंडा मिलिट्री स्टेशन, भारत के सबसे बड़े सैन्य अड्डों में से एक, दिप्रिंट का न्यूज़मेकर ऑफ़ द वीक है.
बड़े पैमाने पर अपराधी, रहस्य लाजिमी
बताया जा रहा है कि चश्मदीद ने सफेद कुर्ता-पायजामा पहने दो नकाबपोश लोगों को भागते देखा. एक के हाथ में इंसास राइफल थी तो दूसरे के हाथ में कुल्हाड़ी थी.
सूचना मिलते ही पूरे कैंपस में भगदड़ मच गई. लेकिन मिनटों के भीतर, त्वरित प्रतिक्रिया टीम को कार्रवाई में जुट जाना चाहिए था.
हालांकि, समस्या यह है कि 72 घंटे बीत जाने के बाद भी सेना और पंजाब पुलिस अभी तक दोषियों को नहीं पकड़ पाई है.
रहस्य तब और बढ़ा जब गुरुवार की शाम को, एक अन्य सैनिक की कथित तौर पर आत्महत्या से मौत हो गई, जिसके बारे में सेना ने जोर देकर कहा कि यह शूटिंग की घटना से संबंधित नहीं है.
इसके बाद सोमवार को शस्त्रागार से एक इंसास रायफल सहित लोडेड मैगजीन गायब पाई गई.
इसलिए डर इस बात का है कि यह एक सुनियोजित कार्रवाई थी न कि अचानक की गई कार्रवाई.
लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि यह किसी घर के भेदिया द्वारा किया जाने वाला कृत्य है, जैसा कि दिप्रिंट ने शुरू से ही रिपोर्ट किया था. पंजाब पुलिस के रिकॉर्ड में यह कहने से बहुत पहले कि यह एक आतंकवादी हमला नहीं था, बल्कि सेना का आंतरिक मामला था.
सेना ने अपने बयान में कहा था कि दोनों संदिग्ध जंगल में भाग गए जहां से उन्होंने इस्तेमाल की गई मैगजीन के साथ लावारिस इंसास राइफल बरामद की.
राइफल से कुल 19 राउंड फायर किए गए, जिसे फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है. सेना की मिलिट्री इंटेलिजेंस और पंजाब पुलिस की संयुक्त टीम मामले की जांच कर रही है.
मजे की बात यह है कि जब एक हेड काउंट किया गया, तो सभी सैनिकों का हिसाब किया गया.
इसका मतलब यह है कि अगर यह वास्तव में भ्रातृहत्या का मामला था, तो दोनों सैनिक, चार सैनिकों को मारने के बाद वापस लाइनों में आने में कामयाब कैसे रहे?
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सेना, पंजाब पुलिस पूरी तरह सहमत नहीं
ऐसा लगता है कि पंजाब पुलिस घटनाओं के सेना द्वारा दी जा रही जानकारी को स्वीकार नहीं कर रही है.
80 मीडियम रेजीमेंट के मेजर आशुतोष शुक्ला द्वारा दायर प्राथमिकी के अनुसार सेना के गनर देमाई मोहन ने कुर्ता-पायजामा पहने दो नकाबपोश लोगों को देखने का दावा किया था, जो हत्या कर भाग रहा था.
गोलियों की आवाज सुनकर मोहन ने ही मेजर शुक्ला को इसकी जानकारी दी.
मोहन, जो इस मामले का एकमात्र चश्मदीद है, ने अपने वरिष्ठ अधिकारी को बताया कि अज्ञात हमलावरों में से एक इंसास राइफल ले जा रहा था, जबकि दूसरे के पास कुल्हाड़ी थी.
हालांकि, पंजाब पुलिस के मुताबिक पोस्टमॉर्टम से पता चला है कि मारे गए चार जवानों में से किसी को भी कुल्हाड़ी से कोई चोट नहीं लगी थी और सभी को इंसास राइफल से गोली मारी गई थी.
वे एकमात्र गवाह से पूछताछ कर रहे हैं क्योंकि परिसर में किसी और ने दोनों संदिग्धों को नहीं देखा था.
इसके अलावा, सेना के सूत्रों का कहना है कि मामला लक्षित हत्या का लगता है जिसमें संदिग्ध ने विशेष रूप से उन्हीं चारों पर हमला किया.
इस घटना के 24 घंटे के भीतर, सैन्य शिविर में पांच सैनिकों की मौत हो गई, जिसमें एक की आत्महत्या का मामला भी शामिल है, लेकिन हत्या करने वाला संदिग्ध अब भी फरार हैं.
बठिंडा मिलिट्री स्टेशन भारतीय सेना की 10 कोर का हिस्सा है, जिसे चेतक कोर के नाम से भी जाना जाता है. यह पश्चिमी मोर्चे के लिए जिम्मेदार है.
बठिंडा मिलिट्री स्टेशन देश के सबसे पुराने और सबसे बड़े सैन्य स्टेशनों में से एक माना जाता है. साथ ही यह भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण रसद का आधार भी है.
यह लगभग 55 वर्ग किमी में फैला हुआ है और राष्ट्रीय राजमार्ग से सटा हुआ है.
(संपादन: ऋषभ राज)
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