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Friday, 3 May, 2024
होमडिफेंसरक्षा निर्यात 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंचा, अब तक अपने उच्चतम स्तर पर, मेड-इन-इंडिया ATAGS भी शामिल

रक्षा निर्यात 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंचा, अब तक अपने उच्चतम स्तर पर, मेड-इन-इंडिया ATAGS भी शामिल

किस देश ने स्वदेशी एडवांस्ड टोएड आर्टिलरी गन सिस्टम की खरीदारी की इसपर रक्षा मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं दिया. इसे अभी भारतीय सेना में शामिल नहीं किया गया है.

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नई दिल्ली: भारत का रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2022-23 में 15,920 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है. इसमें स्वदेशी उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की बिक्री भी शामिल है. इसकी घोषणा बीते शनिवार को रक्षा मंत्रालय ने की.

लगभग 16,000 करोड़ रुपये का निर्यात पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में लगभग 3,000 करोड़ रुपये अधिक है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 2016-17 के बाद से यह 10 गुने से भी अधिक बढ़ गया है.

इस उपलब्धि को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की प्रतिभा की स्पष्ट अभिव्यक्ति के रूप में वर्णित करते हुए कहा, ‘यह दर्शाता है कि पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में सुधार से अच्छे परिणाम दिख रहे हैं. हमारी सरकार भारत को एक रक्षा उत्पादन केंद्र बनाने के प्रयासों का समर्थन करती रहेगी.’

इसे देश के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि बताते हुए, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक ट्वीट में कहा, ‘हमारा रक्षा निर्यात तेजी से आगे बढ़ता रहेगा.’

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यह बताया गया था कि इस वित्तीय वर्ष में निर्यात सर्वकालिक उच्च स्तर पर होगा. एटीएजीएस की बिक्री, जिसे अभी तक भारतीय सेना में शामिल नहीं किया गया है, उसे किस देश ने खरीदा यह एक रहस्य का विषय है.

रक्षा मंत्रालय ने इस बात की जानकारी नहीं दी कि किस देश ने 155 मिमी एटीएजीएस बंदूक प्रणाली खरीदी है. इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, कल्याणी समूह और टाटा के सहयोग से विकसित किया गया है. हालांकि सूत्रों के मुताबिक शायद यह प्रणाली खरीदने वाला देश आर्मेनिया हो सकता है.

इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि आर्मेनिया ने कल्याणी ग्रुप से अपने लिए माउंटेड गन सिस्टम खरीदा है.

हालांकि, शनिवार को रक्षा मंत्रालय के बयान में माउंटेड गन सिस्टम का जिक्र भी नहीं था.

रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘भारत, जिसे लगभग आठ साल पहले एक आयातक देश के रूप में जाना जाता था, वह आज डॉर्नियर -228, 155 मिमी एडवांस्ड टोएड आर्टिलरी गन्स (एटीएजी), ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम, रडार, सिमुलेटर, माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल, आर्मर्ड व्हीकल, पिनाका रॉकेट्स एंड लॉन्चर्स, गोला-बारूद, थर्मल इमेजर्स, बॉडी आर्मर्स जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म का निर्यात करता है.’

संयोग से, दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में, कल्याणी समूह के वंशज और कल्याणी समूह के हिस्से भारत फोर्ज के उप प्रबंध निदेशक, अमित कल्याणी ने कहा था कि भारत तोपों के निर्माण और निर्यात का एक वैश्विक केंद्र बन जाएगा.

अभी पिछले महीने ही रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए 307 एटीएजीएस की खरीद की प्रक्रिया को मंजूरी दी थी.

भारत अब 85 से अधिक देशों को निर्यात कर रहा है. भारतीय उद्योग ने वर्तमान में रक्षा उत्पादों का निर्यात करने वाली 100 फर्मों के साथ डिजाइन और विकास की अपनी क्षमता दुनिया को दिखाई है.

रक्षा मंत्रालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि निर्यात प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है और एंड-टू-एंड ऑनलाइन निर्यात प्राधिकरण के साथ देरी को कम करने और व्यापार करने में आसानी लाने के साथ उद्योग के अनुकूल बनाया गया है.

सरकार ने पार्ट-पुर्जों, सामान और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए तीन ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंस (OGEL) के लिए नोटिस जारी किया है.

OGEL निर्यात के लिए एक लाइसेंस है जो निर्यात प्राधिकरण की मांग किए बिना निर्यात की अनुमति देता है.

मोदी सरकार ने 2020 में अगले पांच वर्षों के लिए एयरोस्पेस, और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 35,000 करोड़ रुपये (5 बिलियन डॉलर) के निर्यात का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया था. यह रक्षा निर्माण में 1.75 लाख करोड़ रुपये (25 बिलियन डॉलर) के टर्नओवर का हिस्सा था जिसे सरकार 2025 तक हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही है.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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