प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अगली पीढ़ी के लायक एक युवा नेता की तलाश है, जिसे वह भविष्य की बड़ी भूमिका के लिए तैयार कर सकें. ऐसा लगता है कि पार्टी दक्षिण बेंगलुरू से अपने सांसद तेजस्वी सूर्य को इस भूमिका के लिए उपयुक्त पा रही है.
पिछले कुछ महीनों से तेजस्वी हर जगह नज़र आ रहे हैं. अभी वे 30 की उम्र भी नहीं छू पाए हैं और भारतीय राजनीति के पैमाने से उनके दूध के दांत अभी टूटे भी नहीं हैं लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें एक महत्वपूर्ण सीट से खड़ा किया गया, भाजपा की युवा शाखा का अध्यक्ष बनाया गया, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की स्थायी संसदीय समिति का सदस्य बनाया गया, और जिन राज्यों—बिहार और पश्चिम बंगाल—से उनका कोई संबंध नहीं रहा है वहां उनसे खूब चुनाव प्रचार कराया जा रहा है.
आखिर तेजस्वी में क्या खासियत है जो उन्हें मोदी-शाह की भविष्य-दृष्टि के लिए फिट बनाती है? वे साहसी हैं, शिक्षित हैं, सोशल मीडिया के चहेते हैं, और सबसे अहम यह कि मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं का ध्रुवीकरण करने के लिए वे हमेशा तत्पर रहते हैं. बड़ा मुद्दा यह है कि भाजपा की छवि जरूरत से कम युवा पार्टी की बनती जा रही है, हालांकि इसके सबसे पुराने नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को कुछ साल पहले ही ‘मार्गदर्शक मण्डल’ में स्थापित कर दिया गया था. भाजपा के लिए आज एक शक्तिशाली, स्मार्ट और भरोसेमंद युवा नेता की पहचान कर लेना बहुत जरूरी हो गया है, ताकि वह खुद को भविष्य की पार्टी के रूप में प्रस्तुत कर सके, ऐसी पार्टी के रूप में नहीं जो मौजूदा सफल दौर से संतुष्ट है. उसे यह भी दिखाना है कि मोदी-शाह सबसे युवा जमात को तैयार करने में जुटे हैं.
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युवा चेहरे की जरूरत
भाजपा के लिए चिंता का सबसे बड़ा कारण भविष्य में पार्टी की बागडोर थामने वालों को लेकर है, जो कमजोर और निरुत्साही नज़र आते हैं और पार्टी का सारा बोझ मोदी और शाह पर आ पड़ा है, हालांकि इसके क्षत्रप मजबूत हैं.
उदाहरण के लिए मोदी के कैबिनेट को देख लीजिए. उसमें प्रतिभा की भारी कमी है और यह ज़्यादातर निराश ही करता है. विदेश मंत्री जैसे अहम पद के लिए मोदी को बाहर की प्रतिभा, पूर्व राजनयिक एस. जयशंकर पर निर्भर करना पड़ा. और भारतीय अर्थव्यवस्था का जो हाल है उसके मद्देनजर उसे संभालने के लिए अगर कोई सक्षम हाथ नहीं है तो बाहर से किसी को दाखिला दिया जा सकता है, जैसा कि मैं पहले भी लिख चुकी हूं.
सियासी मामलों में तो भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर मोदी की लोकप्रियता और शाह की चुनाव प्रबंधन कौशल पर ही निर्भर है. कई राज्यों में इसके नेता शक्तिशाली मौजूद हैं, मसलन मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, कर्नाटक में बी.एस. येदियुरप्पा, महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस, छत्तीसगढ़ में कुछ हद तक रमन सिंह, और राजस्थान में वसुंधरा राजे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर अभी फैसला बाकी है, हालांकि उन्हें केरल, आंध्र प्रदेश, और तेलंगाना में चुनाव प्रचार की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी. अब 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव ही बताएगा कि चुनावी राजनीति में योगी जी कितनी गहरी पैठ बना सके हैं. असम में भाजपा को हिमंत बिस्वास सरमा के रूप में मजबूत नेता तो मिला है मगर उनकी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि वे कांग्रेस से आयातित हैं, आरएसएस से नहीं हैं.
लेकिन ये उसके कुछ गिने-चुने प्रमुख सफल नेता हैं, जो अपने-अपने राज्य में ही सिमटे हैं. भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर एक युवा, समझदार चेहरे की जरूरत है, जो मशाल थाम सके और पार्टी की युवा छवि प्रस्तुत करे. स्मृति ईरानी युवा हैं मगर उनकी राजनीतिक यात्रा उतार-चढ़ाव भरी रही है. 51 वर्षीय धर्मेंद्र प्रधान तेज, साहसी हैं और अच्छे मंत्रियों में गिने जाते हैं लेकिन उन्हें पार्टी के राजनीतिक चेहरे के तौर पर बहुत बढ़-चढ़कर नहीं पेश किया जाता. अनुराग ठाकुर, नूपुर शर्मा, गुरु प्रकाश जैसे कुछ नामों को भविष्य की पीढ़ी के व्यवहार कुशल, ऊर्जावान, और हिंदुत्ववादी नेताओं के रूप में जरूर जाना जाता है, लेकिन फिलहाल तेजस्वी का तेज ही प्रबल दिख रहा है.
तेजस्वी सूर्य ही क्यों?
आग उगलने वाले तेजस्वी भाजपा नेताओं के परिवार से आते हैं और आरएसएस-एबीवीपी में तप कर निकले हैं. शिक्षित वकील तेजस्वी नीतिगत मामलों पर अच्छी पकड़ रखते हैं, जो उनकी खासियत में इजाफा करती है. वे सोशल मीडिया के भी चहेते हैं, जो कि आज के दौर की राजनीति की एक प्रमुख योग्यता मानी जाती है. उदाहरण के लिए, बताया जाता है कि फेसबुक विवाद पर आईटी कमिटी की सुनवाई के दौरान उन्होंने सटीक मुद्दे उठाकर पार्टी आलाकमान को काफी प्रभावित किया था.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे हिंदुत्व की तलवार भी खूब भांज सकते हैं और जब जरूरत हो तब पार्टी की भाषा बोल सकते हैं. जहर उगलना और उकसाऊ बयान देने से उन्हें कोई परहेज नहीं है. 2015 में अगर उन्होंने यह घृणित बयान दिया था कि ‘अरब औरतों का चरम सुख..’ ‘शाहीन बाग मुगलों’ तो 2018 में ट्वीट किया था कि ‘मुझे कट्टरपंथी कहो या संप्रादायिक उन्मादी या जो भी कहो, मैं तो यही कहूंगा कि भाजपा जयनगर में इसलिए हारी क्योंकि मुस्लिम वोट एकजुट हो गए. देखिए कि मुस्लिम इलाके गुरुप्पनपालया में वोट किस तरह पड़े. भाजपा को हिंदू पार्टी दिखना ही नहीं, सचमुच में बनना पड़ेगा.’
और इस साल के शुरू में उन्होंने पार्टी के बहुसंख्यकवादी एजेंडा को यह ट्वीट करके खुल्लमखुल्ला बढ़ावा दिया और पार्टी को गर्व का एहसास कराया कि ‘धर्म की रक्षा के लिए सत्ता पर हिंदुओं का नियंत्रण बेहद जरूरी है.’
एक ‘धर्मांध’ के रूप में वे जो मानते हैं उसे कहने में डरते नहीं, यह बात भाजपा की योजना में फिट बैठती है. भाजपा के सभी नेता बेशक पार्टी की ही भाषा बोलते हैं, लेकिन तेजस्वी जैसे कुछ नेताओं में बात को आगे बढ़ाकर बोलने की प्रतिभा है, जो उनके बोलों में ध्रुवीकरण तथा सांप्रदायिक आक्रामकता का अतिरिक्त तेवर भरती है और उन्हें एक काम के राजनीतिक हथियार के रूप में स्थापित करती है. और, योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं के आगे तो तेजस्वी भाजपा के युवा वोटरों के लिए कहीं अधिक आकर्षक, पढ़े-लिखे, सोशल मीडिया प्रवीण, और अपने जैसे लगते हैं. उनका भगवा रंग कहीं ज्यादा गहरा है, जिसके लिए उन्हें भगवा वस्त्र पहनने की जरूरत नहीं है. इसलिए, युवाओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रही हिंदुत्ववादी पार्टी के लिए वे एक आदर्श प्रतीक बन जाते हैं.
मोदी-शाह की जोड़ी उन्हें आगे बढ़ा रही है, यह तभी साफ हो गया था जब उसने उनको 2019 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण बेंगलुरू की प्रतिष्ठित सीट से अनंत कुमार की विधवा तेजस्विनी की जगह तेजस्वी को टिकट दे दिया. तब से ये 29 वर्षीय नेता लगातार सीढ़ियां चढ़ते जा रहे हैं. वे दक्षिण भारत से भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष हैं, जो कि एक दुर्लभ बात है. राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण दो राज्यों में— बिहार, जहां चुनाव चल रहा है और पश्चिम बंगाल, जहां अगले साल चुनाव होने हैं— तेजस्वी जम कर प्रचार कर रहे हैं. यह भी इस बात का प्रमाण है कि पार्टी ने उन्हें किस तरह आगे बढ़ाने का फैसला किया है.
भाजपा में राष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले एक संभावनाशील, युवा और तेज-तर्रार नेता की भारी कमी है. तेजस्वी सूर्य एक विवादास्पद नेता हैं लेकिन वे ऐसे ही विवादों को जन्म देने में माहिर हैं जो भाजपा को बहुत रास आते हैं. वे उसकी सभी कसौटियों पर खरे उतरते हैं, यहां तक कि उन्होंने अपना पहला चुनाव भारी अंतर से जीत कर दिखा दिया है.
अभी से यह अनुमान लगाना जल्दबाज़ी होगी कि तेजस्वी का राजनीतिक भविष्य क्या करवट लेगा या पार्टी उन्हें किस तरह तैयार करेगी या कितना आगे बढ़ाएगी, लेकिन फिलहाल तो ये ‘कट्टरपंथी’ युवा नेता भविष्य के नेता के तौर पर भाजपा आलाकमान की आंखों के तारे बने हुए हैं.
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