नई दिल्ली: क्रिकेट विश्वकप 2023 के फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया ने बुरी तरह रौंद दिया. क्या फिल्डिंग, क्या बैटिंग और क्या ही बॉलिंग, पूरे मैच के दौरान भारतीय टीम कंगारुओं के आगे बेबस नजर आ रही थी. फाइनल मैच में भारतीय टीम को भाग्य का साथ भी नहीं मिल रहा था. सबसे पहले टॉस भारतीय टीम के पक्ष में नहीं रहा. काली मिट्टी से बनी पिच थोड़ी धीमी थी, जिसमें भारतीय बल्लेबाजों को शुरुआत से ही रन बनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. एक एक रन के लिए बैट्समैन स्ट्रगल करते हुए नजर आए. रोहित शर्मा और विराट कोहली को छोड़ दें तो कोई भी भारतीय बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियाई अटैक के सामने सहज नहीं खेल सका.
अगर बात भारतीय टीम की गेंदबाजी की करें तो कुछ शुरुआती झटके के बाद दो ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ट्रैविस हेड और मार्नस लाबुशेन ने मैदान में ऐसा पांव जमाया कि सारे के सारे भारतीय गेंदबाज पूरे मैच के दौरान हांफते दिखे. क्या शमी, क्या बुमराह, क्या कुलदीप – सबको समान रूप से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के सामने बेबस होना पड़ा.
इसके अलावा भारतीय टीम की मैदान पर फील्डिंग भी ऑस्ट्रेलिया के सामने कमतर दिखी. ऑस्ट्रेलिया टीम ने कम से कम 35 रन अपनी फील्डिंग से बचाए होंगे. साथ ही सिंगल-डबल लेने के लिए भी भारतीय बल्लेबाजों पर लगाम लगाए रखा. भारतीय बल्लेबाज जहां प्रहार कर रहे थे, वहीं ऑस्ट्रेलियाई फिल्डर मौजूद होते थे. लेकिन अगर भारत की फील्डिंग की बात करें तो भारत ने विकेट के पीछे कई चौके दिए. इसके अलावा भारतीय खिलाड़ी ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को सिंगल-डबल लेने से रोकने में भी नाकाम रहे.
ये तमाम कारण रहे जिसके चलते भारतीय हाथ 12 साल बाद भी विश्वकप के लिए खाली रहा और भारतीय क्रिकेट फैंस का इंतजार और लंबा हो गया.
भारत में क्रिकेट ‘टू मच ग्लोरिफाई’
महान साहित्यकार और नोबेल पुरस्कार विजेता जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने एक बार कहा था कि क्रिकेट एक ऐसा खेल है जो 11 मूर्खों द्वारा खेला जाता है और 11000 मूर्खों द्वारा देखा जाता है. लेकिन एक क्रिकेट प्रशंसक के रूप में मैं उनके कथन को सही तो नहीं ठहरा सकता लेकिन उनकी बात से इत्तेफाक जरूर रखता हूं. बाकी दुनिया का तो पता नहीं, लेकिन भारत में क्रिकेट को लोग जरूरत से ज्यादा सिर लगाए हुए हैं. लोग क्रिकेट मैच को एक बड़े त्योहार की तरह मनाते हैं. आप वर्ल्ड कप फाइनल मैच को देख लें. एक समय फाइनल मैच को ओटीटी पर 5.9 करोड़ लोग देख रहे थे जबकि स्टेडियम में 1.3 लाख दर्शक मौजूद थे. इसके अलावा टीवी पर देखने वाले दर्शक अलग से. यह संख्या स्पेन, यूक्रेन, पोलैंड और रोमानिया जैसे यूरोपियन देशों की जनसंख्या से भी बहुत अधिक है. यहां तक की जिस देश ने भारत को फाइनल में हराया उसकी कुल आबादी भी वर्ल्ड कप फाइनल मैच दे रहे लोगों से लगभग आधी है.
यह OTT पर देखे गए किसी भी मैच में लोगों की अधिकतम संख्या है.
इससे पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ जब भारतीय टीम खेल रही थी तो एक वक्त में 5.3 करोड़ दर्शक मैच लाइव देख रहे थे. इससे पता चलता है कि भारतीय फैंस क्रिकेट को लेकर कितने ‘जुनूनी’ हैं और क्रिकेट उनके जीवन में कितना महत्व रखता है. भारतीय फैंस क्रिकेट देखने के लिए इंडिया की जर्सी तक अलग से खरीदते हैं जिसकी कीमत 200 से 5000 तक होती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ विश्वकप आयोजन से भारत को 13500 करोड़ रुपए का आय प्राप्त हो सकता है. इससे पता चलता है कि क्रिकेट से भारत में कारोबार कितना बड़ा है.
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ICC टूर्नामेंट में भारत का खराब प्रदर्शन
बीते दस सालों में भारतीय क्रिकेट टीम ने एक भी आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीती है. साल 2013 में भारत ने बर्मिंघम में चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी. इससे पहले भारतीय टीम ने साल 2011 में वनडे वर्ल्ड कप अपने नाम किया था. लेकिन, उसके बाद से भारतीय टीम बड़े आईसीसी टूर्नामेंट में हमेशा फाइनल-सेमीफाइनल में हारकर बाहर होती रही.
चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के तुरंत बाद भारतीय क्रिकेट टीम 2014 में टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में हारी. 2015 वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल, 2016 टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल, 2017 चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल, 2019 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल, 2021 वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल, 2022 टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल, 2023 वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल और 2023 वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में भारतीय क्रिकेट टीम हार चुकी है.
वहीं जहां भारतीय क्रिकेट टीम बड़े टूर्नामेंट में खराब प्रदर्शन करती रही हैं, भारत दूसरे खेलों में अपना प्रदर्शन लगातार सुधार रहा है. हाल ही में खत्म हुए एशियन गेम्स में भारत ने 28 गोल्ड सहित 107 पदक जीते जो अब तक सबसे अधिक है. वहीं साल 2022 में राष्ट्रमंडल खेल में भारत ने 61 पदक अपने नाम किए, जिसमें 22 गोल्ड मेडल थे. हालांकि, 2022 के राष्ट्रमंडल खेल में भारत का प्रदर्शन पिछले तीन राष्ट्रमंडल खेल के मुकाबले थोड़ा खराब रहा, लेकिन फिर भी कुछ खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया.
टोक्यो ओलंपिक 2020 में भी भारत ने अपने इतिहास का सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन करते हुए कुल 7 मेडल अपने नाम किए जिसमें नीरज चोपड़ा द्वारा बेहतरीन तरीके से जीता गया गोल्ड मेडल भी शामिल है.
इससे पता चलता है कि दूसरे खेल में भी भारत के प्रदर्शन में काफी सुधार हो रहा है लेकिन उनको उस तरह को समर्थन नहीं मिल पा रहा है जैसा कि अमूमन क्रिकेट खिलाड़ियों को मिलता है. उन्हें लोगों का जनसमर्थन भी एक क्रिकेट खिलाड़ियों के मुकाबले न्यूनतम मिलता है. साथ एक क्रिकेटर में मुकाबले उन्हें उस तरह से आर्थिक लाभ भी नहीं मिल पाता है.
इसलिए अब वक्त आ गया है कि भारतीयों को क्रिकेट से परे भी सोचना चाहिए. दूसरे खेल में भी भारत और भारतीय खिलाड़ी काफी अच्छा कर रहे हैं. हमें उन्हें भी उसी उत्साह के साथ देखना होगा जैसे कि हम क्रिकेट को देखते हैं. उनकी जीत पर भी उसी तरह से ‘वाह-वाह’ करना होगा, जैसे अमूमन क्रिकेट टीम की जीत पर करते हैं.
(व्यक्त विचार निजी हैं)
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