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Thursday, 21 November, 2024
होममत-विमतकोविड-19 संकट के बीच डीए भत्ते पर रोक सही कदम, विशेषाधिकार प्राप्त भारत की शिकायत वाजिब नहीं

कोविड-19 संकट के बीच डीए भत्ते पर रोक सही कदम, विशेषाधिकार प्राप्त भारत की शिकायत वाजिब नहीं

इस अप्रत्याशित समय में सवाल ये नहीं है कि सुविधा-संपन्न तबका अपनी सुविधाएं बाकी लोगों में क्यों बांटे बल्कि सवाल ये है कि आखिर वो ऐसा क्यों नहीं करे भला !

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केंद्र सरकार के कर्मचारियों के महंगाई भत्ता (डीए) के स्थगन के सवाल पर उठ खड़ी हुई बहस दरअसल एक नूराकुश्ती है. ये नूराकुश्ती कहीं ज्यादा बड़े सवाल पर हो रही है और ये सवाल जल्दी ही हमें सताने वाला है. सवाल ये है कि क्या भारत का सुविधा-संपन्न तबका इस अप्रत्याशित आर्थिक संकट के वक्त में अपनी नियमित आमदनी का कुछ हिस्सा देशहित में छोड़ने और बांटने के लिए तैयार है? छोटे से जान पड़ते इस मसले को हम जिस तरीके से सुलझायेंगे उस तरीके से ही तय होगा कि धन के वितरण के कुछ बड़े मसलों को आने वाले हफ्तों और महीनों में किस तरह सुलझाया जायेगा.

इस मसले से जुड़े तथ्य बड़े सरल हैं और उन पर कोई विवाद नहीं. केंद्र सरकार ने एक असहज फैसला किया है कि उसके कर्मचारियों और पेंशनधारकों को मौजूदा तथा अगले चरण के महंगाई भत्ते की दो किश्त नहीं दी जायेगी. मतलब, साल 2021 की जुलाई तक महंगाई भत्ता 17 प्रतिशत पर ही ठहरा रहेगा. सरकार घोषणा कर चुकी थी कि उसके कर्मचारियों को साल 2020 की पहली जनवरी से 4 प्रतिशत का बढ़ा हुआ डीए दिया जायेगा लेकिन अब कर्मचारियों और पेंशनधारकों को यह घोषित डीए भी नहीं मिलेगा. साथ ही, इस साल की पहली जुलाई तथा अगले साल की पहली जनवरी से दिया जाने वाला डीए भी नहीं मिलेगा. इसका मतलब हुआ कि केंद्र सरकार के 48 लाख कर्मचारी तथा 65 लाख पेंशनधारकों को डेढ़ साल में अपने वेतन का लगभग छह प्रतिशत हिस्सा गंवाना होगा.

इससे सरकार को एक मोटी बचत होगी- इस बात में कोई शक नहीं. केंद्र सरकार का आकलन है कि इससे 37,530 करोड़ रुपये की बचत होगी. अगर राज्य सरकारें भी डीए के मामले में केंद्र सरकार की ही लीक पर चलती हैं तो फिर राज्यों की कुल बचत 82,566 करोड़ रुपये की होगी. दोनों को साथ मिला दें तो कुल रकम 1.2 लाख करोड़ रुपये की बैठती है. अगर बचत की ये रकम राज्य सरकारें और केंद्र की सरकार स्वास्थ्य-सेवा के मद पर खर्च करती हैं तो फिर स्वास्थ्य-सेवा पर हो रहे सरकारी खर्चे में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि होगी!

विपक्ष ने गलत मुद्दा चुना

तो फिर इसमें विवाद की क्या बात है? ये सवाल कांग्रेस पार्टी से पूछिए जिसने वही किया जिसका अंदेशा था यानि एक गलत मुद्दा चुना, डीए की बढ़ोत्तरी पर लगी रोक का विरोध करने में अपनी सारी शक्ति झोंक दी. मसले राहुल गांधी ने ट्वीट किया और मनमोहन सिंह, प्रियंका गांधी, पी चिंदंबरम ने भी सरकार के कदम का विरोध किया वहीं सोनिया गांधी ने एमएसएमई से जुड़े लोगों को कोरोनावायरस से हो रही परेशानी को लेकर प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी. यों अगर कांग्रेस ने विरोध किया है तो उसके पास विरोध का एक मजबूत कारण मौजूद है. ये बात खुद में बड़ी बेढ़ंगी लगती है कि सेंट्रल विस्टा और बुलेट ट्रेन जैसी तुगलकी परियोजनाओं पर सरकार ने रोक नहीं लगायी और सरकारी खजाने में रकम जुटाने के अपने कदमों की शुरुआत कर्मचारियों के भत्ते में सेंधमारी से कर दी.

लेकिन बात इतने तक सीमित नहीं, आप जरा उन तर्कों को देखें जो कांग्रेस ने डीए की बढ़ोत्तरी पर लगी रोक के खिलाफ पेश किये हैं- नैतिकता के कोण से तर्क दिया कि कम वेतन वाले कर्मचारियों को कठिनाई होगी, भावनात्मक कोण से तर्क दिया गया कि अभी जो कर्मचारी कोरोना से युद्ध में अगली पांत में खड़े होकर जूझ रहे हैं उनका दिल डीए की बढ़ोत्तरी पर लगी रोक से दुखेगा और आर्थिक कोण से तर्क दिया गया कि लॉकडाउन की मार से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिहाज से भी डीए की बढ़ोत्तरी पर लगी रोक अच्छी नहीं. अफसोस की बात ये कि यों डॉ. मनमोहन सिंह ऐसे मामलों में सतर्कता बरतते हैं और कुछ बोलने से परहेज करते हैं लेकिन इस बार उन्होंने भी कांग्रेस के इस कदम को अपनी सहमति दे दी.


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भावनात्मक कोण से दिया गया तर्क तो समझिए कि एक तरह से सीधे-सीधे आंखों में धूल झोंकने का मामला है. इसमें कोई शक नहीं कि सरकारी स्वास्थ्य सेवा के कर्मचारियों और पुलिसकर्मियों को अभी देश का समर्थन चाहिए, वे इसके हकदार भी हैं. लेकिन, डीए की किसी अतिरिक्त किश्त के मिलने या ना मिलने से उनपर कोई खास फर्क नहीं पड़ता. अगर दिल में ये आता है कि कोरोना से लड़ाई में अग्रिम पांत के योद्धा जी जान से लड़ रहे हैं और इस नाते उन्हें बढ़ावा देना चाहिए तो फिर अच्छा होता कि स्वास्थ्य-सेवा और साफ-सफाई के काम में लगे कर्मचारियों के लिए स्पेशल बोनस का ऐलान किया जाता. हरियाणा की सरकार ने ऐसा किया भी है. किरानी और शिक्षक इस बहाने की ओट नहीं ले सकते.

आर्थिक कोण से दिया गया तर्क तथ्य-रुप में गलत है. ये तर्क इस मान्यता पर आधारित है कि मध्यवर्ग की जेब में पैसा जायेगा तो ही अर्थव्यवस्था के इंजन को फिर से चालू किया जा सकेगा क्योंकि मध्यवर्ग के जेब में पैसा जाने का मतलब है मांग में बढ़ोत्तरी होना. अगर किसी बड़े व्यापारी से तुलना करें तो बेशक, मध्यवर्ग अपनी आमदनी का बड़ा हिस्सा खर्च कर डालता है. लेकिन ध्यान रहे कि ग्रामीण इलाके के गरीब पैसा होने की सूरत में अपने उपभोग के मद में सबसे ज्यादा खर्च करते हैं. सो, मांग बढ़ाने का ठोका-बजाया और आजमाया हुआ नुस्खा है कि देश के ग्रामीण इलाके के गरीब परिवारों के हाथ में भरपूर रकम पहुंचायी जाये.

आर्थिक कड़ाई?

जहां तक सरकारी कर्मचारियों के आगे पेश आने वाली कठिनाइयों का मामला है, हमें इस तर्क की परीक्षा देश की जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए करनी चाहिए. ये बात सच है कि वेतन में कमी हो तो किसी को अच्छा नहीं लगता. (यहां अपने बारे में एक खुलासा: मेरे परिवार पर भी वेतन में हुई इस कमी का बुरा असर पड़ेगा). एकबारगी महंगाई भत्ते की बढ़ोत्तरी पर लगी रोक का एक असर ये होगा कि आपने अगर वेतन बढ़ोत्तरी को ध्यान में रखते हुए किसी खास मद में खर्च करने की योजना बना रखी है तो वो योजना कुछ समय के लिए स्थगति करनी होगी या फिर उस योजना को भुला देना होगा. लेकिन सवाल ये है कि क्या इसे कठिनाई का नाम दिया जा सकता है?

इस बात की परीक्षा के लिए आईए हम सोच-विचार की शुरुआत एक ऐसे केंद्रीय कर्मचारी से करें जिसे सबसे कम वेतन मिलता है. उदाहरण के तौर पर यहां हम दिल्ली में चपरासी के पद पर काम करने वाले एक व्यक्ति की आमदनी पर विचार करते हैं. मानकर चलिए कि इस व्यक्ति ने अभी अपनी नौकरी की शुरुआत ही की है और उसे शुरुआती वेतन ही मिल रहा है. साथ ही, ये भी मान लें कि पांच जन के पूरे परिवार का खर्चा चलाने का जिम्मा उसी के कंधे पर है. चपरासी के पद पर काम करने वाले इस व्यक्ति का मूल वेतन होगा 18 हजार रुपये. इस व्यक्ति को मौजूदा डीए (इसे अछूता रखा गया है), आवास-भत्ता, दफ्तर आने-जाने का भत्ता तथा अन्य लाभों को जोड़कर महीने के 30 हजार रुपये वेतन के रुप में घर ले जाने को मिलेंगे. हम ऐसे व्यक्ति को निचले तबके का नहीं तो भी निम्न-मध्यवर्ग का व्यक्ति मानकर चल सकते हैं क्योंकि अक्सर होता ये है कि हमें अपने देश की आर्थिक सच्चाइयों का ठीक-ठीक पता नहीं होता. महीने के 30 हजार रुपये घर ले जाने वाले इस व्यक्ति को अगर हम शहरी आबादी के बीच आमदनी के लिहाज से श्रेणीक्रम में रखें तो वो 85 प्रतिशतांक आबादी के ऊपर बैठेगा ! (यहां मैंने एनएसओ के 2017-18 के 75वें दौर की मासिक खर्चे से संबंधित गणना को आधार बनाया है और गणना में मार्च 2020 तक की मुद्रास्फीति को जोड़कर उसे संतुलित बनाने की कोशिश की है, लेकिन आप कोई और भी सर्वेक्षण को आधार के रुप में लेते हैं तो तस्वीर में खास बदलाव नहीं होने वाला).


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तो हमें सरकारी कर्मचारियों को पेश आने वाली मुश्किल की बात कहने से पहले अपने देश की आर्थिक सच्चाइयों का ख्याल रखना होगा और ऐसी सच्चाइयों में एक ये है कि सरकार का कोई नियमित वेतनभोगी कर्मचारी इस देश के 85 प्रतिशत लोगों से कहीं ज्यादा आमदनी घर ले जाता है. सोचकर देखें कि 30 हजार रुपये प्रतिमाह घर ले जाने वाला ये कर्मचारी दिल्ली सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी (जिसका पालन तत्परता से नहीं होता) के हिसाब से पारिश्रमिक पाने वाले व्यक्ति की तुलना में कहां है? दिल्ली में लागू न्यूनतम मजदूरी के हिसाब से पारिश्रमिक पाने वाला अकुशल श्रमिक महीने के मात्र 14,842 रुपये घर ले जाता है. सरकारी कर्मचारी के लिए होगा बस इतना कि उसे अपने महीने के वेतन में जुड़ने वाली लगभग 1500 रुपये की राशि औसतन गंवानी होगी. अब इसे कठिनाई का दर्जा तो नहीं ही दिया जा सकता ना, खासकर ये देखते हुए कि हमारी आबादी का अधिकतर हिस्सा अभी नाम-मात्र की आमदनी को तरस रहा है.

सच्चाई ये है कि सरकारी कर्मचारियों का वेतन बाजार में प्रचलित मजदूरी-दर से एकदम ही बेमेल है. सो, अगर आर्थिक स्थिति का तकाजा ये हो कि डीए की बढ़ोत्तरी पर लगी रोक से भी ज्यादा कठोर उपाय करने पड़ें तो फिर ज्यादा मासिक वेतन वाले (जिनकी आमदनी 1 लाख रुपये महीने से अधिक है) कर्मचारियों को उनके वेतन का कुछ हिस्सा सरकारी बांड के रुप में दिया जाय. एक ऐसे देश में जहां अधिसंख्य परिवार 10 हजार रुपये मासिक से कम की रकम में गुजारा करते हों और अभी जिनकी आमदनी एकदम शून्य हो चली है, ये शिकायत नहीं की जा सकती कि लाख रुपये की मासिक आमदनी वाले लोगों के वेतन का कुछ हिस्सा कट गया.

सरकारी नौकरी में लगे लोगों के वेतन में कमी संसाधन जुटाने का एकमात्र तरीका नहीं. ये बात निजी क्षेत्र में भी लागू होनी चाहिए, जिसमें कंपनियों के सीईओ को मिलने वाला वेतन भी शामिल है. ये ही वो समय है जब उत्तराधिकार- कर, संपदा कर, शहरी खाली जमीन से संबंधित कर और कैपिटल गेन टैक्स के बारे में भली-भांति सोचा जाना चाहिए. संपत्तिशाली लोगों को दी जाने वाली कर्जमाफी और कार्बन-पगचिह्न के आधार पर आयद लेवी कॉस्ट के बारे में अभी सोचने का वक्त है क्योंकि ये सब सरकार की तरफ से दिये जाने वाले अनुत्पादक अनुदान हैं. संकट के इस वक्त में हमें अपने रक्षा-बजट में कटौती के बारे में भी सोचना चाहिए. अभी के समय में अगर कोई सोच रहा है कि हम गये-बीते समाजवाद, गांधीवाद और पर्यावरणवादी के दौर में लौटने वाले हैं तो समझिए ऐसा व्यक्ति इस कोरोना-काल में मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था से आगाह नहीं है.

लॉकडाउन की आंशिक समाप्ति के साथ जैसे ही हम आर्थिक सच्चाइयों के नये जगत में प्रवेश करेंगे हमारे कदम एक रणक्षेत्र में होंगे— एक ऐसा अदृश्य रणक्षेत्र जिसमें धनी और अमीर के बीच संघर्ष की रेखाएं पहले से कहीं ज्यादा गहराई से खींची मिलेंगी. आप चाहें तो इसे अदृश्य वर्गयुद्ध का भी नाम दे सकते हैं. जो लोग बेहतर स्थिति में हैं वे अभाव की सूरत को भांपकर स्वभावतया पहली कोशिश अपने मुनाफे और सुविधाओं को बचाने की करेंगे. ऐसा करने से अगर किसी की जीविका जाती है, जीवन संकट में पड़ता है तो इस बात की सुविधा-सम्पन्नों को फिक्र ना होगी. सुविधा-संपन्न तबका अगर ऐसे कदम उठाता है तो फिर ये हमारी अर्थव्यवस्था और अधिकतर भारतीयों के लिए मारक साबित होगा और आखिर को अभिजन तबका भी इसकी लपेट में आयेगा.


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इस अप्रत्याशित समय में सवाल ये नहीं है कि सुविधा-संपन्न तबका अपनी सुविधाएं बाकी लोगों में क्यों बांटे बल्कि सवाल ये है कि आखिर वो ऐसा क्यों नहीं करे भला !

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(योगेंद्र यादव राजनीतिक दल, स्वराज इंडिया के अध्यक्ष हैं. यह लेख उनका निजी विचार है)

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82 टिप्पणी

  1. साहब आपसे बड़ा बेवकुफी भरा बिचार शायद सरकार के दिमाग मे भी ना आये अगर किसी क्रमचारी के बेतन मे किसी प्रकार के बढोतरी कि जाती है तो अपने बढे वेतन के अनुसार खर्च को आगे बढा देता है कोई अपनी सुविधा अनुसार बैंक से लोन लेता है और एक दिन उसको अचानक पता चलता है कि उसके वेतन का महत्वपूर्ण हिस्सा काट लिया गया है तो उसके बाद उस कर्मचारी को अपना घर या जमीन बेच कर लोन चुकाने का दुसरा रास्ता शायद नही है क्योकि बैंक के सामने अपना DA कटने का रोना रो नही सकता।

    • नेताओं को कई तरह की पेंशन मिलती है वो सब बंद होनी चाहिए सिर्फ एक ही पेंशन मिलनी चाहिए आखिर क्या कारण है कि एक ही व्यक्ति (नेता )को तीन तरह की पेंशन मिलती है।

    • Yogender ji ye sirf tarif pane ka apka stunt hai.
      Aap is mudde par politics na karen. Har Govt. Employee ka salary ka aadhe se jyada part children ki education par kharch ho jata hai

  2. माना कि महंगाई भत्ता सरकार का विशेष अधिकार के तहत नहीं दिया जा रहा लेकिन सरकार स्वास्थ्य सेवा पर खर्च भी कहीं नहीं दिखाई दे रहा। लगता है कि राज्य सरकार का खर्च बढ़ रहा है और वो लगभग दीवालिए हो गई है। टीवी पर प्रसारित होने वाली बहस बता रह है केंद्र सरकार जीएसटी को राज्यो में बांट नहीं पा रही है।

  3. योगेन्द्र यादव जी के विचार सही नहीं हैं । मैं यह जानना चाहता हूं कि इंडिया के सांसद और एमएलए तो जनसेवा करने आते हैं फिर इन्हें salary और पेंशन क्यों मिलती हैं। कर्मचारी को 20 साल की सेवा के बाद पेंशन मिलती है और वो भी खुद के कंट्रीब्यूशन के बाद । और इनको नेता banta ही , और वो भी बिना किसी कंट्रीब्यूशन के । क्यों , ? ये नेता सैलरी , पेंशन भी पाता है और खुद का धंदा भी चलाता है जबकि कर्मचारी ऐसा नहीं कर सकता । इसलिए इनकी सैलरी और पेंशन स्टॉप करनी चाहिए ।

  4. जिस तरह देश में लगातार पनप रही गरीबी और बेकारी को सरकारी कर्मियोंको नहीं भूलना चाहिए उसी तरह सरकार का भी यह दायित्व बनता हैं कि बुलेट ट्रेन और विस्टा प्रोजेक्ट जैसे बेमाने खर्चों पर रोक लगाई जाए

    • यादव जी
      सांसदों को संसदीय क्षेत्र में घूमने के लिए जो ₹49000 भत्ता मिलता है मुझे लगता है इस समय कोई भी सांसद अपने क्षेत्र में नहीं घूम रहा है तो क्या यह भत्ता देना उचित है यह भत्ता इस समय सरकार को काट लेना चाहिए फिजूलखर्ची तो यहां हो रही है

      • ये बेवकूफ है जबाव नहीं देंगे क्यो की कर्मचारियों का DA इनको दिख रहा और नेता और बड़े ऑफिसरों का बे तन नहीं दिख रहा ये बेवकूफ यह कहता कि 1 लाख से ऊपर वाले किसी भी व्यक्ति चाहे वह कर्मचारी हो या नेता सब में कटौती तो सयाद कुछ ठीक भी लगता सरकार के फालतू के खर्चे कम करने के लिए बोलता तो भी ठीक था

  5. माननीय यादव जी डी ए की बात राजनीतिक पेंशन भोगियों और तनखाह धारकों पर क्यों लागू नहीं होता जिसमें बहुत सारे कई प्रकार के पेंशन, पेमेंट ले रहे हैं। क्या सबका एक ही पेंशन, पेमेंट नहीं हो सकता? और इनकी अतुलनीय ढंग से बढ़ता तनखाह और पैसा जनता का ही है न?जिसपर कोई नेता नहीं बोलता, क्यों न इनके डी ए पर रोक लगाते हुए तनख़ाह का ५०% आर्थिक स्थिति सुधरने तक देश के हित में लगाया जाय।

  6. Pahle Neta logon ka DA band krao kyo ki sabse jyada payment to unko hi milta he. Sarkari karmchari to mehnat Ka khate he.

  7. कब तक कांग्रेस को ही दोष देते रहोगे नमस्ते ट्रम्प के वक्त पैसा किधर से आता है पड़ोसी मुल्कों पे धन लुटाये थे जगह जगह घूम भी आये पर बहानेबाजी की दोगली जमात अब भी सोनिया राहुल को गरियाती मिलेगी
    जब सभी कर्मचारियों ने खुशी खुशी एक दिन कुछ ने इससे ज्यादा दिनों का वेतनpm केयर्स में दान किया तब भी उनका DA काटना , और चमचो दोगलो और भक्तो का अनोखा तर्क की सोनिया राहुल कांग्रेस की गलती….. बेवकूफी भरी सनक के सिवा कुछ नही हो तुम

  8. Bullet train ,New parliament house,bank defalters, sardar patel satue ,corporate tax cut. can you give some adv on this also.

  9. माननीय यादव जी डी ए की बात राजनीतिक पेंशन भोगियों और तनखाह धारकों पर क्यों लागू नहीं होता जिसमें बहुत सारे कई प्रकार के पेंशन, पेमेंट ले रहे हैं। क्या सबका एक ही पेंशन, पेमेंट नहीं हो सकता? और इनकी अतुलनीय ढंग से बढ़ता तनखाह और पैसा जनता का ही है न?जिसपर कोई नेता नहीं बोलता, क्यों न इनके डी ए पर रोक लगाते हुए तनख़ाह का ५०% आर्थिक स्थिति सुधरने तक देश के हित में लगाया जाय।

  10. श्रीमान जी क्या देश के लिए इन राजनीतिक लोगो की कोई जिम्मेदारी नही है क्यो नही mp और mla की पेंशन रोकी जाती

  11. श्रीमान जी क्या देश के लिए इन राजनीतिक लोगो की कोई जिम्मेदारी नही है क्यो नही mp और mla की पेंशन रोकी जाती

  12. Yadav ji… It is double standard of govt for poor employees who are serving the people in this critical time of corona & on the other way Rich MP s DA have been increased through Gajjett notification on dated 7.4.2020.which shows double standard of this govt…. VERY MUCH SHAMELESS ACTION?????????????

  13. 18 मास का DA ना मिलने पर दु:ख नहीं होगा, पर वो रकम कोरोना के बजाय आर्मी मे उपयोग करना चाहिये l क्योंकि देश के नियमो का उल्लंघन करने वालो पे किसी भी तरह की रकम उपयोग गलत व्यवस्था मानी जायेगी l पुरे देश को आज ऐसे लोगो की निकम्मी हरकतो की कीमत चुकानी पड़ रही है l जॊ सही नही होगा l किसी के भी पास से, किसी भी तरह जुटाई गई रकम का सही उपयोग करना प्रशासन की सबसे बडी जिम्मेदारी है l ताकि सबका विश्वास बना रहे l

  14. 18 मास का DA ना मिलने पर दु:ख नहीं होगा, पर वो रकम कोरोना के बजाय आर्मी मे उपयोग करना चाहिये l क्योंकि देश के नियमो का उल्लंघन करने वालो पे किसी भी तरह की रकम उपयोग गलत व्यवस्था मानी जायेगी l पुरे देश को आज ऐसे लोगो की निकम्मी हरकतो की कीमत चुकानी पड़ रही है l जॊ सही नही होगा l किसी के भी पास से, किसी भी तरह जुटाई गई रकम का सही उपयोग करना प्रशासन की सबसे बडी जिम्मेदारी है l ताकि सबका विश्वास बना रहे l

  15. मेरे अपने निजी विचार से महंगाई भत्ता की रोक एक वित्त वर्ष से अधिक नही होनी चाहिए क्योंकि माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने 27अप्रैल2020 को सभी मुख्यमंत्री के साथ वार्ता में कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था चिंता करने वाली नही है।

    • Srimaanji PM ne CMs ki meeting mei kha ki economic condition chinta karne wali nhi hai tou mahodya PM tou 2014 se hee bahut kuchh kehte aa rahe hain, kuchh hua kiya, aap ko nazar aya kuchh? Jb economy chintajanak hai hee nhi tou DA, salary va pension pe daka kion?

  16. Bhai sarkari emp ka Paisa khairat ki category ata he Kya Jo hamesha uspe hi pblm dikh jati he sabko….salary

    • Where is several Lacs crore of koyla mines avantan ,spectrum avantan ,gst enhancement ,income tax ,property tax,why not realising that govt employees are devoting by their service during Corona crisis.

  17. Sir, kewal karamchariyon ki hee gardan marorne par sab tayyar rehte hain? Karamchari va pensioners hee sab ki nazar mei khatkte hain. Karamchari ki salary bhi zabardasti katne ka pharman, pension bhi zabardasti katne ka pharman, oopar se DA va other allwoances par bhi kenchi chalane ka pharman alag se, bavjood iske aap jaise unwanted intelectual advisor jo confused mathematics ke adhaar par desh ki janta ko gumrah kar rahe hain. Bade-bade absconded loanees jo arbon-kharbon rupees loot kar abroad mein aish kar rahe hain, voh paisa vasool ho jaye tou desh ka har vyakti kam se kam normal jeevan to ji hee sakta hai. Yeh loote huay arbon-kharbon rupees janta ke nhi hain kiya? Iss par bhi koi commentary karte.

  18. गलत है इससे बूरे दिन देखने को नहीं मिलेगा मोदी जी गलत कर रहे हो इसका जवाब मिलेगा आपको।

  19. योगेन्द्र यादव जी ,सिर्फ एक नौकरी -पेशा वर्ग के लोग ही भरपाई करे।आप बताए कि जनता की एक बङी राशि उनलोगों के ऐशो-आराम मे खर्च हो रहा है जो जन प्रतिनिधि है ,जिनका काम ही है जनसेवा । कर्मचारी वर्ग तो मानवता के नाते एक दिन का वेतन दान कर दिया ,तो इसका सिला डीए को फ्रीज करके दिया गया।

  20. मुझे लगता है जो लोग आवश्यक सेवाओं से जुड़े हुए हैं जैसे पुलिस, मेडिकल स्टाफ, और नगर निगम के वे सफाई कर्मी जो दिन रात ड्यूटी कर रहे हैं, उनके डी ए में किसी प्रकार की कोई कटौती नहीं करनी चाहिए थी।

  21. Ek dum glt ray h , ab aap udhyog pati ke krodo rs. Maaf kr diye is se snkt ubrega ya in bde udyog ptiyo ko ghotale krne mein or brdhi hogi ? . Bhut glt h sir bhut glt.

  22. Tum pagal ho, tum logo ko sirf karmchari hi dikhte hai or koi nhi dikhta……tum logo ka bus Chile to pure desh ko loot lo or uska badla nimn warg ka khun chus me lo……….

  23. hm shmat h is vichar se ki aese sankat kaal me in netaaon ka bhatta kyo badhaya gya kya inko aam janta se jyada jaroorat h, kya ye aam janta ki tarah hi karz se dabe h? ye ghor anyay h lekin nirasha janak ye h ki iske baare me koi nhi bol rha sab ke sab ektarfa baten kr rhe h…

  24. अच्छा मौका है नेताओं के लिए, लुटो और तिज़ोरी भर लों,

  25. क्या सिर्फ सरकारी कर्मचारियों का पैसा ही है जो देश हित में चाहिए l क्या सरकार अपने और खर्चे कम नहीं कर सकती जो जरूरी नहीं है l और योगदान की ही बात है तो सबसे लो l कोरोना के लिए अलग से टैक्स लो सेस लो l सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में से तो पहले ही 2-5 दिन की कटोती की जा चुकी है l बड़ी बड़ी कंपनियों के 20000 से ज्यादा सैलरी पाने वाले कर्मचारियों ओर अधिकारियों मैं से भी तो कटोती करो l इस देश में कई सारी बड़ी कंपनीया और संस्थान है सबने थोड़ी ना PM care fund में स्वेच्छा से दान दिया होगा, सबसे अनिवार्य रूप से योगदान लिया जाए l सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को ही हर आपदा मैं बलि का बकरा बनाना कहा तक सही है l

  26. अगर हमारे महीने भर का वेतन भी काट लिया जाता तो हमें उतना नुकसान नहीं होता जितना तीन बार केडीए काटने से हुआ है. 17 परसेंट डीए बढ़कर जब 50 परसेंट हो जाता है तब उसका 50% मेन बेसिक में इंक लोड होता है और उस पर लाइफ टाइम इंक्रीमेंट लगते रहता है और वह टेंशन को भी अफेक्टेड करता है इस तरह एक बी और सी ग्रेड इन प्लाई को 15 से ₹3000000 तक का अपनी पूर्वी सर्विस के दौरान नुकसान है

  27. Da katna kisi samsya ka samadhan nahi hai jab sab theek tha to kya sarkar ne kisi ko jyada paise diye the ya aage denge da katna sahi nahi hai.

  28. श्याम किशोर शुक्ल, 153 सिविल लाइन्स, उन्नाव उ. प्र.

    देश के नेतृत्व अर्थात माननीय प्रधानमंत्री जी, मुख्य मंत्री गण, मंत्री समुदाय एवं सभी एम पी एम. एल. ए. आदि माननीयों को एक आदर्श स्थापित करते हुए करोना काल की इस संकट की घड़ी में सरकारी वेतन भत्तों को देश हित में तुरंत छोड़ना चाहिए. प्रधानमंत्री श्री मोदी जी को आगे आने का साहस दिखाना चाहिए. खाली कर्मचारियों और पेंशन धारकों के भत्तों पर रोक लगाना और राष्ट्र भक्ति का पाठ पढ़ाना मुख में राम बगल में छूरी के अतिरिक्त और कुछ नहीं है. यह छद्म प्रवंचना और बहुत दिन नहीं चलेगी.

  29. Bhai ek bate batawo.jo government sata may hay vo.is pasey ko apney aney waley chunave mayn hi khreche gi.wo pasey kaa koi hisabe ho gaa.aor kay doctor ,miltrey,ya safaye karmachari ko paisa dayne say .unkaa motivation bedgaa n hi

  30. देश के नवोदय विद्यालयों के शिक्षकों को 30-35 वर्ष की सेवा के बधाई पेंशन नहीं और समाज सेवा के नाम पर एम. पी., एम. एल. ए. को पेंशन. करोना संकट से निपटने के लिए वेतन भोगिओं और पेंशन धारकों के डी. ए. -डी. आर. में कटौती राष्ट्र हित के नाम पर और नेताओं का कोई फ़र्ज़ नहीं. बड़ी ही शर्मनाक स्थिति है. बहुत हो चला. समय आ गया है, देश भक्ति को भुनाने वालों कुछ त्याग खुद भी करो.

  31. Kya guarantee hai ki sarkar jo Paisa le rahe hai uska use medical health treatment Mai Kar rahe hai aur sawal yeh bhi hai ki RBI ne diamond business man Jo the unka loan kyu maaf Kar Diya gya Central government employee ko lutna unka Paisa deduct karna yeh thik baat nahi hai Mai eska Kara virodh karta hu

  32. Pe nsioners k betey ko pay pvt. Co. Nahi de rahi h. Arey ye to count kro ki one&half yr me jo employees retire hongey uneh pension, ggratuity.leave me lakho rs ka nuksaan ho raha hd a na milney se

  33. Me to bolta hu 1 saal nhi 2 saal tak ka DA mt do .I’m also a public servant but i want to contribute in nation development

  34. सरकारी कर्मचारियों का डीए रोककर और उसे देश के दुश्मन जमाती, जिन्होंने कोरोना फैलाया , उन पर खर्च करना यह सही फैसला नहीं। देश में एक कड़ा कानून बनना चाहिए जिसके अंदर प्रधान हो कि देश की आर्थिक दशा को खराब करने देश के खिलाफ चलाएं देश के विरुद्ध बोलने और देशद्रोह फैलाने वालों को सिर्फ गोली मार देनी चाहिए। जो हमारे स्वास्थ्य कर्मी स्वास्थ्य कर्मियों पर पत्थर फेंक रहे डंडे बरसा रहे हैं गोलियां चला रहे हैं उन पर भी सरकार का सीधा रूख होना चाहिए और उनको भी गोली चलाने का आर्डर मिलना चाहिए। जहां 10 या 20 लोगों को गोली लगेगी तो इसका असर ये होगा कि आगे से कोई भी ना तो पत्थर बरसाएगा और ना ही डंडे या गोली चलाएगा। जय हिन्द।

  35. आदरणीय योगेंद्र यादव जी सरकारी कर्मचारी इस महामारी के समय में अपने जीवन को दांव पर लगाकर कार्य कर रहे हैं और आप यह कह रहे हैं की सरकार ने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोककर कोई गलत काम नहीं किया यादव जी कभी आपने हमारे संसद सदस्य विधायक को मिलने वाले भक्तों और तनख्वाह एवं अन्य सुविधाओं के बारे में बोला है भारत में यदि कोई व्यक्ति केवल 1 दिन के लिए संसद सदस्य एवं विधायक बन जाता है तब भी वह पेंशन का हकदार हो जाता है जबकि जनवरी 2004 से सरकारी कर्मचारी पेंशन से वंचित हैं क्या यह सही है

  36. Is mahamari ke samay hum ishwar ki taraf bhi dekhte hain.magar unka dwar band hai.Abhi vartman me tata birla se bhi kahin jada dhanwan humare bhagwan hain.Aur is aapda k samay agar unke pass se dhan ki apeksha karna koi galat nahi.yahan janta me trahimam hai aur mandiron me fd ke uper fd banayi ja rahi hai,sone se bhare pade hain kamre. Sarkar ko koi niti banani chahiye aur jaldi se koi niyam banana hoga.jai hind

  37. This editorial piece shows that the writer has no economic idea but also has bias towards certain political party. Instead of giving money for free by certain policies which is used to gain certain vote bank, the best way is to give DA to those who are working for the nation. This money will be infused in the economy and will reach the bottom end in a proper way (those who deserve it).

  38. यादव जी मैन अपने लड़के को कोचिंग में डाल था और उसके लिए PDC चेक भी दे दिए थे जो कि हर तीसरे महीने अगले 3 साल तक पैसे काटेंगे मेरे एकाउंट से। ये फैसला मैन मेरे द और वर्षी increment जो कि करीब 7500 हर साल बाद जाता है के हिसाब से लिया था और साथ ही एक गजर भी EMI पे खरीद था जिसकी किश्त 2000 प्रति माह जाती है ये सब मैन ये बढ़ोत्तरी सोच के ही कि थी। अब मैं अपना घर का खर्च कैसे चलाऊंगा क्योंकि घर की और बच्चे की पढ़ाई की किश्त तो रुकेगी नही लेकिन DA की बढ़ोत्तरी रुक जाती है।

  39. Yogender ji ye sirf tarif pane ka apka stunt hai.
    Aap is mudde par politics na karen. Har Govt. Employee ka salary ka aadhe se jyada part children ki education par kharch ho jata hai

  40. DA of central govt employees and pensioners freezed for 18 months due to financial crisis so far, equally Bullet Train and New Sansad Bhawan work to be cancelled for more expenditure towards COVID-19. Then it will be right judgement as good PM, otherwise it will be “Muh pe Ram Name, bagal mey churi” Jawan ka sath Leh Ladakh mey Diwali manana koi welfare nehi, yeh ek Chutiya banane ka tarika samja jayega.

  41. Agreed. But Govt also decided to deduct one day salary per month till Jul 2021 , in addition to freezing of DA. And salary is not a donation to a employee by the Govt. It is compensation which he deserves against his services for the nation for which he sacrifice everything including his family. Specially a medium family person who is only earning member having obligatory expenses of seven to eight members of a joint family. Rethink….. My question is, why only govt employee should contribute? Why don’t Govt contribute for the country?

  42. विश्वास नहीं होता यह लेख योगेंद्र यादव का है ! बहुत दुःख के साथ पहली बार आपसे न केवल असहमत हूँ बल्कि नाराज़ भी हूँ और कांग्रेस से आज तक बहुत ही कम मौकों पर सहमत रहा हूँ मगर इस मुद्दे पर पूरी तरह सहमत हूँ !

  43. Yadav zee agar sarkari karmchari or beh bhi chaprasi itna amir hey to aap apni peedhion ko avshya mazboor karenge ki beta chaprasi he banna

  44. हद करदी यादव जी कुछ नेताओं की पेंशन पर भी लिख देते

  45. Yogendra ji , aap bahut besaram hai, aise bichar h Apke , padakar malum hua, jara ye socho ki aaj kendriya kamchari aise bipada ke samay me apna yogdan dene me koi kasar nahi chhod rahe hai , balki aur bhi bad Chad Kar yogadan de rahe hai , usko protsahan dene ki jagah Sarkar Uske DA me ya allowance ,jisame ushaka Pura haq hai, katana thik nahi hai. Sarkar ke pass bahut Sare Anya taste hai jisase sarkari fund ke Kami ko dur Kiya ha sake.Aise article likhakar Aisa Jan padata h ki aap Puri Tarah se Nich mansikta se grasit hai.sharm aati hai.

  46. योगेन्द्र जी का सटीक विवेचन। ऎसे कठिन समय मे एक देश के नाते हम सब का क्या कर्तव्य व योगदान है इस बात पर फोकस होना चाहिये।यह व्यर्थ की बहस और बकवास करने का समय नही है।

  47. Is India moving towards communism? For the whole life we do hard work and make many sacrifices to reach at some financial level. And now we are being equated with all the others and Govt. is targeting our incomes and salaries to be distributed among those who could not rise to the financial level we are at. Now it seems that all my hard work and efforts have gone waste. I am Govt. employee and Govt. is paying me honorarium as salary out of mercy and not due to My talent and hard work. Making us feel that we don’t deserve the salary we are getting.

  48. Yadav Ji, Chalo thik hai mante hai ki congress ne galat mudda chuna hai aur government employee ki DA na bdha kar government ne Kya sahi kiya hai aap batao , government employee ne apni 1 din ki salary pehle hi is mahamari me daan kiya hai aur pure daan ko dekh le to 1 lack crore se bhi jyada jiski puri value hai aur DA rokne se hi deshhit hoga aapki soch bilkul tucch hai, Chalo thik hai maan lete hai ki July 2020 aur January 2021 ka DA rok lete lekin jo kam se kam 4% January ka tha wo to de sakte hai kyoki March se lockdown hua hai aur na ki January se aur Corona warriar hum hai aapki tarah ghar par nahi baithe hai,hum bhi Desh Seva me jee jaan se lage hue hai tab keh raha hu reality na ki ghar par baithkar tucch sochkar likha hu

  49. Yadav ji rajniti karana asana hai kyo ki sarkar ki chaplusi karana hai to sarkar ka samarthan kariye per satya hai ki desh ki Sari sampatti sarkar ki hi hai . ap salah de de janhit me japt kare Des jald samppan hoga ap ko sasti lokpriyata mil jayegi.

    • Yadav ji ko 16000 rupees har mahina do Ghar k kharch k liye Jaise ek army person ko pension mil rahi h tab pata chalega . Bolna aasan h sahib.

  50. सबसे पहले तो पत्रकारों का काटना चाहिए उनके एम्प्लॉयर पे दवाब बना के अभी तक किसी फण्ड में पैसा देते नही सुना
    DA 1% बढ़ने से पत्रकारों के चाहती पे सांप लोटती थी लिखते थे सरकारी कर्मचारियों की बल्ले बल्ले अभी ये छोटी बात हो गयी।

    अरे सरकारी कर्मचारी हमेशा आपदा में देते आये हैं पर उन पैसो का क्या हुआ आज तक हिसाब नही मिला

    क्या ये जानना उनका हक नही की उनके द्वारा दिये पैसे का क्या हुआ

    वैसे बता दू की जिसे आप सुविधा सम्पन्न लोग कह रहे हैं कभी जमीनी हकीकत जा के देखिये ग्रुप c के लगभग 60% और D के सभी कर्मचारियों की हालत ये रहती है कि महीने के अंत होते होते बच्चो के सामने जाने से डरता है कि कहीं कुछ मांग न ले और वो दे न पाएंगे

    इन बातों को आप लोग नहीं समझ पाएंगे पत्रकार जो ठहरे

  51. Badi hi gair jimmedari se likha hua lekh hai. Majdoor se exam pass krke aane wale ki barabari kr rhe. Aapko tathyatmak jankari ka ghor abhav hai.

  52. Yadav Sir, apke lekh mei ek sudhar karna chahta hun apne kaha ki Delhi me ek 18000 basic pay wale ke salary Bina DA add kiye bhi 30000 he, kripya apna calculation thik kare,. Aur han sarkari naukari ke liye bahot mehnat karni hoti kitne din tyari karni hoti, kitna kharcha karna hota he coaching aur kitabo pe tab Jake ek naukari milti he. Kripya kuch karke dikhaye Gyan den se kuch nhi hoga.

    • सर फिर सरकार ने जो बट्टे खाते मे 68000 करोड़ डाल दिए हैं न उनको भी इधर ही समायोजित करना चाहिए था क्योंकि वह पैसा अब सरकार वसूल पाने से रही। बाकी सर, ऐसी आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए सरकारों के पास दीर्घकालीन योजनाएं होनी चाहिए। सरकारी कर्मचारी को तो हमेशा चोर व मक्कार ही बोला गया है । ऐसी विषम परिस्थितियों मे हम सब देश के साथ खड़े हैं । जब 2% या 3% डी ए मे बढोत्तरी होती थी तब यही मीडिया ढिढोरा पीटना शुरू कर देती थी और सुबह के अखबार के प्रथम प्रष्ठ पर बड़े बड़े अक्षरों मे लिखा होता था ” सरकारी कर्मचारी मालामाल” तो अब डेढ साल तक डी ए फ्रीज है तो कितना कंगाल होगा कर्मचारी मीडिया दही जमाये बैठी है मुह मे म। और सिर्फ डी ए की बात कहा है 12 महीने तक एक दिन का वेतन ,सरकार ने अपना अंशदान NPS का फिर 14% से 10% कर दिया है। मेरा सवाल है जब ऐसे ही करना है तो सरकारों की नीतियों एवं आपातकालीन/संकटकालीन योजनाओं का क्या।

  53. जब-जब बीजेपी की सरकार आती है तब तक सिर्फ केंद्रीय कर्मचारी के ही परी हुई रहती है अटल बिहारी वाजपेई की सरकार आई थी तो उन्होंने पुरानी पेंशन को बंद करवा दी और 2014 में फिर बीजेपी की सरकार आई तो उनसे केंद्रीय कर्मचारी आस लगाए हुए थे की अब बीजेपी सरकार से कर्मचारियों को अब राहत मिलेगी लेकिन उन्हें सिर्फ सांसद और विधायक की पड़ी हुई रहती है कि मेरा सांसद विधायक भूखा नहीं मरे लेकिन केंद्रीय कर्मचारी के प्रति किसी प्रकार की कोई उनके मन में विचार आता ही नहीं और बड़े बड़े पूंजीपतियों की पड़ी हुई रहती है 2017 मैं सेवंथ पे लागू किया गया था उसमें अभी तक इनका कोई फैसला ही नहीं हुआ मध्य वर्ग के कर्मचारी अभी भी उनसे आस लगाए हुए थे कि 1800 ग्रेड पे से 2600 ग्रेड पे हो जाएगा अभी तक आस लगाए हुए थे 2020 जनवरी में है जो भी डी ए 4 परसेंट की पद्धति ई होने वाली थी अब तो वह भी नहीं मिलने वाला है तो हम केंद्रीय कर्मचारी सरकार से क्या अनुमान कर सकते हैं जब सांसद विधायक को सैलरी बढ़ाना रहता है तो सांसद में जाकर एक बार टेबल को थपथपा देते हैं तो अगली दीन के पेपर में पीछे के पेज में लिखा हुआ रहता है सांसद और विधायक की सैलरी दुगुनी हो गई जब केंद्रीय कर्मचारी की बारी आती है तो सब कान में रुई डाल के पढ़े हुए रहते हैं

  54. लोग यू ही मीडिया को अब गोदी मीडिया नहीं कहते है,आपके एक तरफा लेख से पता चल रहा है।
    अभी हाल में ही M P का भत्ता बढ़ा दिए है,इस पर नहीं बोलोगे।30% भी वेतन काटने के पहले MPs का 50%के लायक पेमेंट बढ़ा दिया गया था

    इन पर कुछ नहीं बोल सकते।
    कर्मचरियों से जलते हो, जलांखोरो।

  55. Kya koi neeta bola ki hum 2-2 month ki salary nahi lainge aap sab neeta chor ho ek army ka Jawan 16 saal service ke baad 20000 pension leta hai or saale leader 5 saal baad 50000-60000 pension kyo laite hain saalo tum log konsa kado main teer marte ho saale chooro in neetao ko jute maro saalo ko inka phone ka bhatia jo 15000 milta hai band karke jio ka sim do in chooro ko 500 rupee main unlimited 3 month saale choor

  56. ये पोस्ट बहुत ही क्षीण बुद्धि वाले ने लिखा है। ऐसा इसलिए बोल रहा हूँ क्यों कि चवन्नी इकट्ठा करने से अच्छा होता सीधे अपने उन परियोजनाओं को रोक देते जिससे खरबों का व्यय होने वाला है।

    पहले देश को बचाओ फिर देश बनाओ।

  57. यादव जी ,यह बात सिर्फ DA काटने की नही है अगर देश को जरुरत हो तो DA तो क्या हर नागरिक की जान भी हाजिर है देश के लिए लेकिन यह कंहा की शराफत है की देश का पैसा उद्योगपतियों को लुटाया जा रहा है सारा का सारा NPA माफ़ किया जा रहा है I आप DA कटोती को जायज ठहराने से पहले इन सब बिन्दुओ पर गौर करे I वैसे आपको बीजेपी ज्वाइन करना है तो बेसिक ज्वाइन कर लीजये I

  58. Jis sarkar ke pass 2mhine ka apne employees ki salary nhi h vo sarkar yudh kase ldagi yudh to 5se 6 sall chlte h rhi bat mp mla ki unhe salary pension kis liye vo jan sewa ke liye aate h bharat ek grib desh h yha ke sbhi mp mla crodpati arabpati h desh per jase hi koi prasani hoti h grib janta se dan magte h tex doguna kar dete h bus train metro ka kiraya bdhate h ata dal chini fruts rice sab mhga kar dete ho jisse grib aadmi grib hota rhe amir aadmi amir hota rhe yogender yadav ji jese muft me sab kuch mil jata h na vo grib employees ke bare m nhi sochta h kbhi ek sall mujduri karke dekhna pta chal jayaga pase kase kmaye jate h bakwas karna to aasan hota h

  59. Good. Yogender ji yo hi chalte rahe to jaladi hi BJP join kar sakte ho. Because aapke pass koi dusara vikalap kya bacha hai.

  60. Yadav ji apni 18000 basic pe wale ko 30000 kase mile sarkari quater hra milta nhi h trawling allunance jitnna milta h usse khu jyada khrach ho jata h 17 da 3060 hota total hua 21060 apni calculation clean kre ek jimmedar neta ho apni jimmedari samjhe janta ko gumrah ne kre yadav ji 9 member h hum priwar m 4 my siste h 2 mare bache h sbhi school jate h papa ji bimar rhte h akala m kmane wala hu 600000 lack ka mare uper loan h asi condition m hum garh chla rhe h ase m ydi da nhi bdhaga to priwar m bhut sari prasani samne aa jayagi hume jine do hum bhi jina chate h

  61. sabse pahle bat ye hai ki neta jan sevak hai. Jo bina salary ke karya kare.vo apna vetan bhatto ko kai guna badaker 30% ki katauti dhakate.phir government job mein aadmi apni mahnet se aata hai.her greeb aadmi ka bhi sapna hota hai government job karu. rat din mehnet kerte hai. Kuch greeb aadmi jameen gervi rakh ker loan leker baccho ko padate hai.aap bar bar government job walo ki tulna majdooro se ker rahe ho. Ki vo bhi bebas hai. Yani ki hamari padai likai sab bekar. Majdoor bhi jyadater aapni mehnet se job bhi pate hai.ki hame aisa jeevan na jeena pade.jisme dukh ho.apko hamara DA accha nahi laga .ye apka kam gyan hai.kya jinhe 20000 hazaar crore ka muavaza mila hai. Unhe keh ker dekho ki tumare pas bahut paisa hai government ko do.kio nahi kahega.na hame kahna hai.sirf sabki nazar hamare vetan per rahti hai.band karo sab government job tab.

  62. सही बात है की देश क़े संकट काल मे डिफेन्स का पैसा जोड़ा नहीं जाएगा जो की D.A क़े रूप मे दिया जाता है, और ये जो नेता लोग ठूंस ठूंस कर काला पैसा लिए बैठे हैँ, इनका क्या करोगे हद्द हो गई इस समय देश हित तो याद आ रहा है, कुछ नमूने बोल रहें है की देश संकट मे है योगदान देगी डिफेन्स भी, ठीक है मान लिया,
    जब चाइना ने जवानों को मौत क़े घाट उतारा या जब भी ऐसे युद्ध क़े हालत होते है, उस समय देश को संकट से बचाने आगे आने मे फट जाती है क्या उन लोगो की जो आज DA बंद होने पर राजनीती की पोलिश कर रहें हैँ… शर्म करो बेशर्म दलालो शर्म करो

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