वनडे क्रिकेट के इतिहास में पिछले करीब 9 साल में कुल आठ दोहरे शतक लगे हैं. इस कारनामे की शुरुआत 2010 में सचिन तेंदुलकर ने की थी. उन्होंने 24 फरवरी 2010 को ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विश्व क्रिकेट के इतिहास का पहला दोहरा शतक लगाया था. करीब 3 साल बाद 2003 में पहली बार ये कारनामा रोहित शर्मा ने किया था. उन्होंने 2 नवंबर 2013 को बेंगलुरू में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दोहरा शतक लगाया. तब से लेकर अब तक यानि करीब 5 साल में वो तीन दोहरे शतक लगा चुके हैं.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले दोहरे शतक के बाद उन्होंने कोलकाता में श्रीलंका के खिलाफ दूसरा और फिर 2017 में मोहाली में श्रीलंका के खिलाफ ही तीसरा दोहरा शतक जड़ दिया. रोहित शर्मा विश्व क्रिकेट के इतिहास में इकलौते खिलाड़ी हैं जिन्होंने ये कारनामा एक से ज्यादा बार किया है. कुल 8 में से 3 दोहरे शतक चूंकि उनके नाम पर हैं इसीलिए हम ये कह रहे हैं कि दोहरा शतक बनाना उनकी आदत में शुमार हो गया है. गुरुवार को वो एक और ‘खास 200’ बनाने जा रहे हैं. ये खास 200 है. वनडे करियर का उनका दो सौंवा मैच. जो वो न्यूज़ीलैंड के खिलाफ खेलेंगे. रोहित शर्मा की इस उपलब्धि पर बात आगे बढ़ाने से पहले आपको याद दिला दें कि पांच वनडे मैचों की सीरीज में टीम इंडिया पहले ही 3-0 की अजेय बढ़त हासिल कर चुकी है.
वनडे क्रिकेट में धाकड़ है रोहित का करियर
रोहित शर्मा का वनडे करियर करीब 12 साल पुराना है. इन 12 सालों को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है. दो हिस्सों में इसलिए क्योंकि रोहित शर्मा टीम में आए थे बतौर मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज लेकिन अब वो बतौर सलामी बल्लेबाज खेलते हैं. इन बदलते रोल में उनके करियर के आंकड़े देख लेते हैं.
वनडे करियर में रोहित का धमाका
मैच- 199
रन- 7799
औसत- 48.14
शतक/अर्धशतक- 22/39
सलामी बल्लेबाजी ने चमकाया करियर
मैच- 115
रन- 5832
औसत- 58.32
शतक- 20
ये दोनों आंकड़े इस तस्वीर को साफ कर देते हैं कि सलामी बल्लेबाजी संभालने के बाद रोहित शर्मा का करियर किस तरह बुलंदियों तक पहुंचा. उनके करियर औसत में दस रन से ज्यादा का इजाफा आया. 22 में से 20 शतक उन्होंने बतौर सलामी बल्लेबाज लगाए. जाहिर है तीनों के तीनों दोहरे शतक इसमें शामिल हैं.
सलामी बल्लेबाज के तौर पर क्यों मिली कामयाबी
इस सवाल का सीधा जवाब है-ज्यादा समय का मिलना. रोहित शर्मा जब बतौर सलामी बल्लेबाज मैदान में उतरे तो उन्हें अपनी पारी को संवारने के लिए ज्यादा वक्त मिलने लगा. मिडिल ऑर्डर में क्रीज पर उतरते ही बल्ला भांजने की मजबूरी से उन्हें मुक्ति मिल गई. उन्होंने अपनी बल्लेबाजी की रणनीति को बदला. उनकी शुरुआत धीमी होती हैं. वो गेंद पर निगाहें जमाने के लिए अच्छा वक्त लेते हैं. पिच और गेंदबाज के मिजाज को समझने के बाद ही वो रन बटोरना शुरू करने लगे. यही वजह है कि रोहित शर्मा के बारे में हर कोई ये कहता है कि उनके लिए चुनौती शुरुआत के 20-25 रन हैं. 20-25 का आंकड़ा पार करने के बाद उनकी बल्लेबाजी का अंदाज बदल जाता है. वो ज्यादा आक्रामक बल्लेबाज बन जाते हैं.
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रोहित की रणनीति को देखकर ये कहा जा सकता है कि शतक लगाने तक वो 90 के आस पास के स्ट्राइक रेट से रन बनाते हैं. एक बार उनका स्कोर ‘ट्रिपल फिगर’ में पहुंच गया तो वो उन्हें रोकना गेंदबाजों के लिए मुश्किल हो जाता है. उन्होंने करीब दर्जन भर पारियां सवा सौ से ऊपर के स्कोर की खेली हैं. जो इस बात की मोहर है कि शतक लगाने के बाद वो बड़ी पारियां खेलने में माहिर हैं. 2014 में श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने 264 रनों की जो पारी खेली उसके बाद तो ये चर्चा शुरू हो गई थी कि क्या रोहित शर्मा वनडे क्रिकेट में तिहरा शतक भी लगा सकते हैं.
क्या है रोहित के करियर की टीस?
इन सारी उपलब्धियों के बाद भी अगर रोहित शर्मा के दिल में कोई टीस है तो वो है उनका टेस्ट करियर. वनडे करियर के 6 साल बाद उनका टेस्ट करियर शुरू हुआ. अब तक 6 साल में उन्होंने कुल 27 टेस्ट मैच ही खेले हैं. टेस्ट रिकॉर्ड्स की किताब में भी उनका वो दबदबा नहीं जो वनडे में है. खैर, वापस लौटते हैं रोहित शर्मा की उपलब्धियों पर गुरूवार को वो न्यूज़ीलैंड के खिलाफ मैच में कप्तानी भी करेंगे. इस सीरीज में 53.33 की औसत से 160 रन बना चुके हैं. गुरूवार को अपने खास मैच में उनसे एक खास पारी की उम्मीद लगाए करोड़ों क्रिकेट फैंस की सुबह होगी.
(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं.)