scorecardresearch
Friday, 19 April, 2024
होममत-विमतब्लॉगअगर रविंद्र जडेजा का बल्ला राजपूताना है तो क्या पाकिस्तानी खिलाड़ियों के बैट तैमूरी हैं

अगर रविंद्र जडेजा का बल्ला राजपूताना है तो क्या पाकिस्तानी खिलाड़ियों के बैट तैमूरी हैं

आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर जडेजा की क्लिप को एक लाख से अधिक लोगों द्वारा देखा जाना इस बात को दर्शाता है कि हम आंबेडकर के जातिविहीन समाज के सपने से बहुत दूर खड़े हैं.

Text Size:

सोचिए अगर भारत के साथ किसी मैच में पाकिस्तानी टीम जीत जाए और उनके खिलाड़ी हवा में बैट को ऐसे लहराएं जैसे कि वो गजनी या बाबर की तलवारें हों. या फिर अंग्रेज खिलाड़ी जीतने के बाद खुद को डलहौजी बॉयज के तौर पर पेश करें या फिर श्रीलंका की टीम मैदान में उतरते वक्त खुद को रावण के दस सिर के रूप में उतारे? तो हम भारतीयों की प्रतिक्रिया कैसी रहेगी? वो लिखेंगे कि इससे हमारी भावनाएं आहत हुई हैं. इन बातों के लिए अंत-अंत तक नाराजगी रहेगी.

और ये नाराजगी जायज भी है.

इस तरह की हरकतें आपत्तिजनक हैं. ये जनता की भावनाएं आहत करती हैं. और ये बात रविंद्र जडेजा को मालूम होनी चाहिए. जडेजा, जो क्रिकेट के मैदान में अपनी फील्डिंग के लिए मशहूर होने के अलावा अर्धशतक या शतक मारने के बाद बल्ले को तलवार की तरह भांजने के लिए भी जाने जाते हैं. और ये बात उनकी पहचान को लेकर बहुत कम जगह छोड़ती है कि वो एक भारतीय नहीं, एक क्रिकेटर नहीं, एक समझदार व्यक्ति नहीं बल्कि उनकी जाति सबसे बड़ी पहचान है.


यह भी पढ़ेंः भारत में कोरोनावायरस के युग में दबंग पुलिस कैसे हर दिल अज़ीज़ बन गई


अगर आपने जडेजा को क्रिकेट के मैदान के अलावा सोशल मीडिया या इंटरव्यूज में देखा है तो आप उनकी इस पहचान से वाकिफ होंगे कि वो एक राजपूत हैं. जो लोग नहीं जानते हैं उनके लिए जडेजा ने हाल ही में ट्विटर पर एक 17 सेकेंड का वीडियो अपलोड किया है जिसमें वो बाहुबली फिल्म के एक गाने पर तलवार चलाते हुए नजर आ रहे हैं. इस वीडियो के साथ उन्होंने अपने एंग्री एक्सप्रेशन के लिए कैप्शन लिखा है, ‘एक तलवार अपनी चमक खो सकती है लेकिन वो कभी भी अपने मालिक के आदेश की अवहेलना नहीं करेगी. हैशटैग राजपूत बॉय.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

रविंद्र जडेजा का हैशटैग राजपूत बॉय आपत्तिजनक है. ये न्यू इंडिया के उन लोगों की भावना आहत करता है जो बिना किसी जातिगत भेदभाव के अपने जीवन बेहतर बनाना चाहते हैं और जाति श्रेष्ठता की संस्कृति को खत्म करना चाहते हैं.

जडेजा की ये हरकत खेल की संस्कृति को भी नीचा दिखाती है जिसके वो अंबेस्डर हैं. खेलों में व्यक्तियों को उनके कौशल और संघर्ष के लिए सम्मानित किया जाता है ना कि उनकी जाति की श्रेष्ठता के लिए. क्या ब्राह्मण सचिन तेंदुलकर को भी भगवान विष्णु का अवतार माने जाने वाले परशुराम के क्रोध को दिखाने के लिए अपना बल्ला लहराना चाहिए, माना जाता है कि परशुराम ने पृथ्वी से 21 बार क्षत्रियों का सफाया कर दिया था. हमारे जातिवादी समाज में इस तरह की बातें बदसूरती को ओर ले जाती हैं. जातीय वीरता की ये भावनाएं आपसी जातिगत प्रतिस्पर्धा को ट्रिगर करती हैं. यही वजह है कि बड़ी शख्सियत पब्लिक प्लेटफॉर्म्स पर अपने अनुयायियों को जातीय श्रेष्ठता के मसलों पर एंटरटेन नहीं करती.

किस बात की बहादुरी?

जिस राजपूताना शौर्य के नाम पर रोमांचित रहने वाले जडेजा ये बात भूल जाते हैं कि ये राजाओं और सैनिकों की उपलब्धियां, व्यक्तिगत ज्यादा थीं. महाराणा प्रताप की वीरता उनकी जाति के कारण नहीं थी. न ही जाति के कारण लोरिक, लच्छित बोड़फुकन, तान्हाजी की किंवदंतियां गाई जाती हैं. न ही भगवान हनुमान इसलिए बहादुर थे कि वो एक बंदर थे. इसी तरह भारत के स्वतंत्रता सेनानी जैसे महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, जवाहरलाल नेहरू या ब आर आंबेडकर ने सफलता अपनी जातियों के कारण हासिल नहीं की थी. ये उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियां थीं, जो मानवता के लिए असल मायने रखती थीं.

तलवार चलाने वाला खेल का एक रूप हो सकता है, जैसे कि बाड़ लगाना, और किसी भी जाति के लोग कौशल सीख सकते हैं. लेकिन जडेजा तलवारबाजी को बढ़ावा देने के लिए तलवार नहीं चला रहे हैं. उनकी तलवार राजपूताना राजाओं की वीरता का एक आह्वान है, और जडेजा केवल उन लोगों के बीच खुद को लुटा रहे हैं, जैसे कुछ भी नहीं करने वाले लोगों के लिए जो किसी और की उपलब्धि को अपनी जाति के रूप में इंगित करते हैं. रविन्द्र जडेजा का राजपूताना शौर्य में योगदान करने के अलावा एक तलवार को फहराने जैसा है जैसे कि वह अपने क्रिकेट बैट या घोड़े की सवारी करते हैं?

तलवार चलाना खेल का एक रूप हो सकता है, जैसे कि फेंसिंग. फेंसिंग को किसी भी जाति वाला व्यक्ति सीख सकता है. लेकिन जडेजा फेंसिंग खेल को प्रोमोट करने के लिए तलवार नहीं चला रहे हैं. उनकी तलवार सिर्फ राजपूत राजाओं की वीरता को ग्लोरिफाई करती है. जडेजा यहां उन लोगों की तरह व्यवहार कर रहे हैं जो कुछ भी न करने वाले लोग अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि किसी जाति में पैदा होने को मानते हैं. और जडेजा का राजपूताना शौर्य में अपने बल्ले को तलवार की तरह लहराने के सिवा क्या योगदान है?

एक आदतन ऑफेंडर

‘राजपूत बॉय’ से अपनी पहचान जोड़कर जडेजा अपनी क्रिकेट बिरादरी का भी अपमान कर रहे हैं जो अभी तक नस्लीय भेद को दूर करने के लिए जूझ रही है. खुलकर अपने जातीय घमंड को लगातार दिखाने वाले जडेजा क्रिकेट बिरादरी के इस संघर्ष में कोई योगदान नहीं कर रहे हैं क्योंकि जातीय गर्व, नस्लीय गर्व से बहुत अलग नहीं है. पहले भी वो अपने जूतों पर राजपूत लिखकर आए थे.

क्रिकेटर्स केएल राहुल और हार्दिक पांड्या द्वारा करण जौहर के शो कॉफी विद करण में महिलाओं को लेकर की गई लूज टॉक को लेकर विवाद हुआ और उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हुई. मुझे कोई कारण नजर नहीं आता कि रविंद्र जडेजा के जातीय श्रेष्ठता को शह दी जाए. वो कोई लोकल गुंडे नहीं हैं कि अपनी कार या बाइक पर जाट ब्वॉय, राजपूत ब्वॉय या फिर यादव का छोरा लिखवाकर घूमेंगे.


यह भी पढ़ें: असमानता दूर करने के लिए भीमराव आंबेडकर ने क्या उपाय दिए थे


कपिल शर्मा के शो में विराट कोहली ने जडेजा कि विलक्षणताओं का जिक्र करते हुए कहा था टीम में सबसे ज्यादा फेंकने वाले जडेजा ही हैं. जडेजा को यकीन है कि उनके होमटाउन जामनगर में जब दो बिल्डिंगें आपस में मिल जाएंगी तब धरती खत्म हो जाएगी. इतना ही नहीं वो ये भी मानते हैं कि उनके शहर में एक राजा की मूर्ति का घोड़ा हर साल अपने पैर की पॉजिशन बदलता है.

अपनी जातीय श्रेष्ठता पर घमंड करने वाले हर भारतीय शख्सियत के बारे जोर-शोर से लिखा जाना चाहिए. क्योंकि रोजमर्रा के जातिगत अत्याचारों जिसमें हत्याएं भी शामिल हैं, को अभी तक भी सामाजिक बहसों में जगह नहीं मिल पाती है. आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर जडेजा की क्लिप को एक लाख से अधिक लोगों द्वारा देखा जाना इस बात को दर्शाता है कि हम आंबेडकर के जातिविहीन समाज के सपने को पूरा करने से बहुत दूर खड़े हैं.

share & View comments

118 टिप्पणी

    • Fir to apko bhi apna surname hata dena chahiye…..ye doglapan kisliye…..pahle apne gireban me jhakna chahiye….dusro ki alochna krna aasan h pr khud ko badalna mushkil….

    • You have a blog doesn’t mean you have to write whatever you want.
      There are so many people who wrote there caste on there vehicle.
      You are a yadav, right??
      Then why you don’t use your exact surname insteed of using Yadav.?
      This type of post spread discrimination in public.
      You look like an educated person so kindly do behave like that.
      Further, if a celebrity uses “Gujjar Boy” “Rajput Boy” or any other thing then why are you so jealous.

    • be careful brother, next target could be your title these people are pseudo and they will never question to other religion except hinduism

    • लोग मुकुट की तरह अपनी जाति नाम को अपने नाम में जोड़ लेते हैं, वो गलत नहीं है लेकिन एक व्यक्ति अपनी जाति पर अभिमान करे तो गलत है। इस देश में तो नेता भी अपने वर्ग से जाने जाते हैं, और वो सम्मान से इसको बताते हैं।
      इस लेख को लिखने वाले के नाम को है देख लो तो इनका दोगलापन दिख जाएगा।

  1. बहुत बढ़िया लगा पोस्ट को पढ़कर नये भारत में इन सब जातिवादी करतूतों के लिए अब कोई जगह नहीं होनी चाहिए

    • अगर जातिवाद खत्म करना चाह रहे है तो सबसे पहले आरक्षण बंद करवाईए अथवा आरक्षण के बजाय मेहनत से नोकरी पाइए… ईर्ष्या की भी हद होती हैं, लोग जय भीम जयभीम कर रहे हैं, हमें कोई दिखत नहीं… आप भी कुछ करें देश और अपना नाम रौशन करे, इन बातों में कुछ नहीं रखा..? जय हिन्द

  2. My Views on This hateful article:
    1. By mentioning of Virat Kohli incident she want to attack Jadeja Personally.
    2. Why we have to remove caste. First she should remove Yadav (Hindu upper caste)from her name
    3. If any one show his talent and mention his caste how It has attacked any other individual or his caste.
    4. I am a Jain and I am proud of my Caste, and every citizen of this country should be proud of His/Her caste whether he is from Minority or Majority
    5. He have’nt used cricket, Just shown his talent with Sword.
    Mam Please remove your caste from your Name in the name of Protest.

    • बहुत सारे लोग जो अन्य जातियों में होकर बाहर आकर राजपूत बनिया होने का दावा करते है, क्योंकि नकली ब्राह्मण बनने में काफ़ी झंझट होता है।
      मैंने कइयों को राजपूत और बनिया बनके सब्ज़ी मंडी तथा चाट पानी पूरी और पकौड़ा बेच रहे सुनता हूँ.
      लिखने से ही जाति का पता नहीं चलता. अब तो लोगों शादी ब्याह के लिए जाति पता करने में बड़ी मशक़्क़त करनी पड़ती है.
      जय हिंद

    • I don’t think he made any mistake. Being proud on your very own identity is never inappropriate. People who feel a surge of anger, jealousy or any other rude feeling should be shamed on themselves. Feeling any ill emotions after watching someone’s pride in his identity is itself a sign of narrow and unhealthy mindset. Not only he, but many Muslims, Sikhs and many other are proud of their religion, their culture or in short their identity; if no one calls that wrong, how can someone call his actions incorrect. I don’t oppose any religion or caste, but I believe everyone has the right to be proud on his identity, and if someone has problem watching it, he/she should either not look at it or should try to change their negative mindset, it would be good if that person try to do the work of the latter option. Even Lord Ram was proud to be a Raghuvanshi, will you dare to call him wrong.
      Coming to caste system, in their origin , castes were made as per the work or occupation of a person, I could also tell you why Brahmins were regarded as the topmost caste or why Shudras were regarded as low caste , but that’s not our matter of concern for now. Shudras were the lowest caste but not untouchables or someone to be hated. This classification on the basis of occupation is appropriate and just, and even if someone call it wrong, he/she should definitely be a stupid. But later there was a very unwanted and unhealthy change in it, people were classified by their birth. Even if they belong to a Brahmin caste but have no knowledge of Vedas or Ethics, he would be regarded as a Brahmin. Or even if a person born in family of Shudra caste knows how to use weapons accurately would still be regarded as a Shudra. This is completely inappropriate and I wholly oppose it. Dr. B.R. Ambedkar , whom I respect a lot, opposed this erroneous thinking, untouchability or any other ill practices which were practised against those low caste people which I also oppose and everyone should, but he was not against being proud on our identity.

    • I don’t think he made any mistake. Being proud on your very own identity is never inappropriate. People who feel a surge of anger, jealousy or any other rude feeling should be shamed on themselves. Feeling any ill emotions after watching someone’s pride in his identity is itself a sign of narrow and unhealthy mindset. Not only he, but many Muslims, Sikhs and many other are proud of their religion, their culture or in short their identity; if no one calls that wrong, how can someone call his actions incorrect. I don’t oppose any religion or caste, but I believe everyone has the right to be proud on his identity, and if someone has problem watching it, he/she should either not look at it or should try to change their negative mindset, it would be good if that person try to do the work of the latter option. Even Lord Ram was proud to be a Raghuvanshi, will you dare to call him wrong.
      Coming to caste system, in their origin , castes were made as per the work or occupation of a person, I could also tell you why Brahmins were regarded as the topmost caste or why Shudras were regarded as low caste , but that’s not our matter of concern for now. Shudras were the lowest caste but not untouchables or someone to be hated. This classification on the basis of occupation is appropriate and just, and even if someone call it wrong, he/she should definitely be a stupid. But later there was a very unwanted and unhealthy change in it, people were classified by their birth. Even if they belong to a Brahmin caste but have no knowledge of Vedas or Ethics, he would be regarded as a Brahmin. Or even if a person born in family of Shudra caste knows how to use weapons accurately would still be regarded as a Shudra. This is completely inappropriate and I wholly oppose it. Dr. B.R. Ambedkar , whom I respect a lot, opposed this erroneous thinking, untouchability or any other ill practices which were practised against those low caste people which I also oppose and everyone should, but he was not against being proud on our identity.

    • क्या अपना कौशल सिर्फ उन्हें क्रिकेट में ही दिखाना चाहिए, फिर तो कपिल देव सर को भी अभी तक सिर्फ क्रिकेट ही खेलना चाहिए गोल्फ नहीं, जबकि वो तो अभी तक क्रिकेट से भी जुड़े हैं, और रही बात कोहली कि तो उसने तो इटली में जाकर शादी की क्या यहां बारातघर कम थे, अब आप बोलोगे की ये कोहली का पर्सनल मामला था तो बहनजी क्या जडेजा ने ड्रेसिंग रूम में तलवार घुमा दी,अब रही बात जाती की तो फिर आप क्यों लिखती हैं ज्योति यादव, आप ही शुरआत करें अपने अगले लेख से, यादव हटा कर तब शायद और लोगों को भी प्रेरणा मिले, आप असल में इर्ष्या कर रही हैं रविंद्र जडेजा से कि उनके पास क्रिकेट के अलावा दूसरा टैलेंट भी है और आपके पास सिर्फ पत्रकारिता,

    • First of all you are jain and jainism is a religion not a caste. Second, there is no base for casteism in hindu religious texts. Third, casteism was the reason of the rise of jainism. There were many other but , caste was main reason. Casre only make divide. I think you JATIWADI understand this

    • Is पूरी प्रिंट वायर एनडीटीवी सत्य आदि कब्बाल गैंग की ये बुद्धिजीवी पराकाष्ठा हिंदू धर्म को divide krne ka koi bhi angle ढूंढ़ लेती है।
      अबे कभी तब्लीगी जमात,शिया सुन्नी,पसमांदा,अशरफ पर भी ज्ञान दे दिया करो।
      कभी ये भी discuss kr ki
      Gulam Navi Azad k son ka naam Saddam क्यों है? ये किस विचारधारा की ओर झुकाव का प्रतीक है,क्या किसी हिन्दू को अपने बच्चे का नाम रावण,कंस,सूर्पनखा,दुर्योधन रखते देखा है?
      एक सेलेब्रिटी जिसके advertiseme nt से कोई snacks company ye उम्मीद करती है कि लोग उसके उत्पाद को पर ज़्यादा पसंद करेंगे,वो अपने बच्चे का नाम उस हिन्दुओं के नरसंहार और लंगड़े तैमूर पर रखता है।इससे किस विचार की ओर झुकाव समझ आता है?
      कभी ये सब भी discuss kro।
      Arfa khanum sherwani AMU mein Jo speech ideology ki baat krti hai,vo journalist k kis झुकाव को दर्शाता है?
      तबल गियों का पुलिस और डॉक्टर्स पर हमले और बदतमीजी किस झुकाव की ओर दर्शाता है?
      कभी ये भी discuss kro?
      Ye Hindu surname vale jis तरह से अल्टकिया जिहाद के हाथो इस्तेमाल हो रहे है,ये खुद में शुतुरमुर्ग वाली पहचान है।

    • Tum se toh zyada hi hain 5 param vir chakra hain rajput community se out of 21 , despite being less in population

    • देश बहुत सालों तक ग़ुलाम रहा । आक्रमण झेले । अन्य जातियों का कोई विकास नहीं हो पाया । बहुत से अच्छे लोग अपनी ही जातियों में जगह नहीं बना पाए और अन्य तथाकथित नीच जाति बन गए और सदियों से शोषण का शिकार हुए।
      आज का समाज अतीत के समाज जैसा ही था।
      रही बात जडेजा जी का वह जब खेलते हैं तो लोग उन्हें एक अच्छे खेल के कारण प्यार देते हैं न कि उनके राजपूत होने के करण। कुछ जी लोग उन्हें राजपूत होने के करण उन्हें प्यार करते होंगे।
      ऐसा नहीं है की युद्ध केवल राजपूत ही लड़े थे उन्हें यह सोचना चाहिए कि युद्ध में सारी प्रजा लड़ती थी यहाँ तक की स्त्रियाँ भी। यह तो वही बात हुई की टीम लीडर सारी उपलब्धोयों को अपने ही नाम कर ले।
      रही बात यादव सर्नेम हटाने की, बहुत से लोग हटाते भी हैं और लगते भी हैं. मैंने तो कई छात्रों को जैन लिखे रहते है और SC कैटेगॉरी में आने का दावा करते है.
      जाति का नाम के साथ लगाना भी एक बहुत बड़ा झोल है।

    • सबसे बड़ा योगदान था भारत को गुलाम बनाने में

    • मै जाति से ब्राह्मण हूँ,मेरा नाम पं.सौरभ तिवारी है और कानपुर का रहने वाला हूं। लेकिन आज एक #ठाकुरवादी (राजपूती) पोस्ट लिख रहा हूं।
      राजपूतो के बारे में कहा जाता है..
      #बारह_बरस_ले_कुकुर_जीये_औ_सोलह_ले_जिये_सियार।
      #बरस_अट्ठारह_क्षत्रिय_जिये_त_ओकरे_जीये_पे_धिक्कार।।
      अजी साहब बहुत भेदभाव हुआ दलितों के साथ।उनसे खेतों में काम कराया गया।गोबर उठवाया गया।उन्हें शिक्षा से वंचित रखा गया।
      साब बहुत जुल्म हुआ दलितों पे ..!

      यह बात बहुत जोरों से सोशल मीडिया,मास मीडिया के माध्मय से में लोगो को बताई जा रही है।
      मगर 1400 साल पहले जब मक्का से इंसानी खून की प्यासी इस्लाम की तलवार लपलपाते हुए निकली तो …
      एक झटके में ही…ईरान,इराक,सीरिया,मिश्र,दमिश्,अफगानिस्तान, कतर, बलूचिस्तान से ले के मंगोलिया और रूस तक ध्वस्त होते चले गए।
      स्थानीय धर्मों परम्पराओं का तलवार के बल पर लोप कर दिया गया और सर्वत्र इस्लाम ही इस्लाम हो गया।
      शान से इस्लाम का झंडा आसमान चूमता हुआ अफगानिस्तान होते हुए सिंध के रास्ते हिंदुस्तान पहुंचा।
      पर यहां पहुंचते ही इस्लाम की लगाम आगे बढ़ के क्षत्रियों ने थाम ली जिसके कारण भीषण रक्तपात हुआ।
      आठ सौ साल तक क्षत्रिय राजवंशों से ले के आम क्षत्रियों ने इस्लाम की नकेल ढीली न पड़ने दी।इनका साथ भी दिया जाटों ने,गुज्जरों ने, यादवों ने, ब्राह्मणों ने वैश्यों ने ..और दलित भाईयो ने भी
      पर ये लोग फ्रंट लाइनर नही रहे कभी।सिर्फ आत्मरक्षार्थ डटे रहते थे ..!
      असली लड़ाई राजपूतो (ठाकुरों) ने ही लड़ी ..!
      एक समय ऐसा आया जब 18 साल से ऊपर के लड़के ही न रहे क्षत्रियों में।विधवाओं का अंबार लग गया। इसी वजह से सती प्रथा जौहर जैसी व्यवस्थाएं आकार लेने लगी।
      राजपूतानिया खुद आगे बढ़कर अपने पति,बेटो को युद्ध मे तिलक लगाकर भेजती थी और खुद जोहर करती थी।ताकि कोई गैर उनके शरीर को हाथ भी न लगा सके।
      परिणामतः UP जैसे बड़े राज्य में ये राजपूत घट के 1 % से भी नीचे आ गए। जनसँख्या बढ़ने के बाद अब लगभग 8% तक पहुंचे हैं। किसी-किसी राज्य में तो इनकी जड़ ही गायब हो गई।
      जबकि तथा कथित शोषित वर्ग खुद को 54% बतलाता है ..!
      जिसका नतीजा यह हुआ के इस्लाम यहीं फंस के रह गया और आगे नही बढ़ पाया।
      परिणामतः– चाइना, कोरिया,जापान, नेपाल जैसे भारत के पूर्वी राज्य इस्लाम के हमले से बच गए।
      इतना सब कुछ झेलने के बाद भी कहीं किसी इतिहास में ये नही मिलेगा, की इस्लाम के खिलाफ लड़ाई में क्षत्रियों ने खुद न जा के किसी और जाति को मरने के लिए आगे कर दिया।
      बांकी जातियों में जो लड़े वो आत्म रक्षार्थ ही लड़े।
      राजपूत अपने नाबालिग बेटे कुर्बान करते रहे पर कभी अपने कर्म से विमुख न हुए। सामाजिक जातीय वर्ण व्यवस्था का पूरा ख्याल रखा।जिसके वजह से आज की हिन्दू पीढ़ी मुसलमान होने से बची रह गई।
      राजपूतो में आपसी मतभेद होने के वजह से मुसलमानों का भारत पे अधिकार तो हो गया लेकिन 800 सालों में भी भारत को इस्लामिक देश नही बना पाया।
      बाकी तो हर जगह राजपूतों को अत्याचारी ही बताया गया है रही सही कसर बॉलीवुड ने पूरी कर दी हर फिल्मों में इन्हें अत्याचारी ठाकुर दिखा दिखा के लोगो के दिमाग मे इनकी गलत छवि पेश की गई।
      लेकिन ये नही दिखाया कि जब मुस्लिम तलवारे रक्त मांगती थी तब पहला सिर इन राजपूतानी माँओ ने अपने पति और बेटों के दिया है। कद्र करो इनकी सभी लोग और अहसान मानो ये न होते तो आज किसी मस्जिद में नमाज पढ़ रहे होते।
      जिनके दादा परदादा राजपूती तलवार के छत्रछाया में न केवल जिंदा रहे बल्कि अपने धर्म को बचाये रखने में कामयाब रहे आज वही लोग राजपूतों पर जातिवाद का आरोप लगाते है। इतिहास पता करो राजपूतों को गाली देने से पहले। हिंदुत्व की रक्षा में इस कौम ने अपनी संतानों की बलि चढ़ा दी धन्य है वो राजपूती नारियां।
      और आदमी तो आदमी एक घोड़े ने
      जान दे दी वतन पर।
      धन्य है ऐसे राजपुताना वीरों को जिनके शब्दकोह में #डर शब्द नही था।
      मेरा हमेशा नमन रहेगा राजपुतो आपको और आपके वंश को
      राजपूतों ,ब्राह्मणों , जाट , गुज्जर भाइयो बहनों से निवेदन है कि इस पोस्ट को शेयर/कॉपी/पेस्ट करके ज्यादा से ज्यादा लोगो तक भेजिये ताकि लोगो को राजपूतों के बलिदान और वीरता से अवगत कराया जा सके और जो लोग कहते है राजपूतों ने शोषण किया है उनके मुँह पर तमाचा मारा जा सके।।
      और मैं अपने हर जाति के भाईयो से कहना चाहता हूं कि राजपूतो से कभी बैर मत रखो और इनका हमेशा साथ देना क्यूंकि इन्होने हमारे लिए बहुत बलिदान दिए है।
      जय भवानी
      जय मां करणी
      जय राजपुताना

      • Rajput raja itne hi yodha the to mughlo ko apna rishtedaar kyo banaya apni behno ,betiyo ko kyo mughlo ko de diya, only ek hi rajpoot raja hue maharana pratap jo mahan the unke siwa rajpooton ka itihas sirf mughlo se samjhota that apni jaan bachane ke liye, jai maharana pratap history theek se padho behas karne se koi fayda nahi hai

        • शिवाजी महाराज भी सिसोदिया राजपूत थे, और भी मराठा सरदार मूलतः राजपूत थे। इन सभी ने मुगलों से लोहा लिया, कभी हार नहीं मानी।

        • Itihas ko thora aur padhein kitne rajputon ne apni beti aur bahan muglon ko diya, thora apne jati ke yogadan bhi jikra kar dete to gyanvardhan hota, jinda isiliye ho ki apke purkhon ne kabhi kisi yudha mein bhg nahi liya, isi liye itra rahe ho, gali dene se rajputon ke shourya ko kuchh nahi hone vala.
          Jai Bhawan
          Jai Rajputana
          Jai Maharana

    • भारत ही राजपूताना से आज जो भारत है वो सिर्फ राजपूतो की वजह से और यही योगदान है राजपूतो का

  3. Vo koi jati ka Nam nhi le rhe vo apni kala ka pradsan kr rhe ha. Iame kuch bhi halat nhi ha sab ko apna adhikar ha

  4. ये अभिव्यक्ति की आजादी है.. आप ज्यादा ज्ञान ना बांटे ?जडेजा जी आप लोगों की तरह अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कचरा तो नहीं फैला रहे ?

    • लेखक की जडेजा से शायद कोई व्यतिगत दुश्मनी है…. और देश में जातिवाद को भी भड़काने की मंशा प्रतीत होती है

  5. Ap kuchh jyada hi likh chuke ho jitna soch kr comments Kiya Apne ho skta h Jadeja utna na socha ho ho skta h only entertainment k liye kr rhe ho talwarbaji ….. Kisi k bare me kuchh likhne se phle socha karo kisi ki chhabi Ni bagadi jati aise bol kr …apki bato se lag rha h h apko jalan h

  6. This writer Jyoti Yadav is herself a casteist who promote Yadav/ahirwaad etc etc. And she is calling others. Shameful lady. Telly your laloo and akhilesh to not promote casteism

  7. You are the one who is spreading the hatred.
    You are the one who is creating a issue out of nothing.
    Is it wrong if someone is being proud of who he is, what his caste is?
    Its your own insecurities that is reflecting in the article. You should understand your responsibility as a news person.
    And GO GET A LIFE!!

  8. . I see nothing wrong in having a skill. Can you wield sword like him? How many people from your family are in defence? Is being born a rajpoot a crime now? Why did ambedkar take a brahmin name if he was such an equaliser? This is plain demeaning and shows inferiority complex. What abysmal non sense? What should he do? Why are you using surname if you are against caste? What left liberal lofty monologue of horse shit

  9. आपकी पोस्ट को पढ़कर ऐसा लगा कि आप जल रहे हैं राजपूतों सेऔर जल क्यों रहे हो यह तो मुझे पता नहीं लेकिन हमारे देश में जातिवाद तब तक खत्म नहीं होगा जब तक हमारे देश में जाति प्रमाण पत्र बनाना बंद नहीं हो जाता और जाति प्रमाण पत्र बनना तब तक बंद नहीं होगा जब तक कि आरक्षण खत्म नहीं हो जाता सौ टके की एक बात यही है कि हमारे देश में जब तक आरक्षण खत्म नहीं होगा तब तक जातिवाद खत्म नहीं होगा अगर जातिवाद को जो भी है वह खत्म होना चाहते हैं तो सबसे पहले भाइयों आरक्षण को खत्म करो आरक्षण जब खत्म हो जाएगा तो जातिवाद अपने आप ही खत्म हो जाएगा जय हिंद जय भारत और हां जय और हां एक बात तो भूल गया मैं राजपूताना हा हा हा ??

    • अगर जातिवाद खत्म करना चाह रहे है तो सबसे पहले आरक्षण बंद करवाईए अथवा आरक्षण के बजाय मेहनत से नोकरी पाइए… ईर्ष्या की भी हद होती हैं, लोग जय भीम जयभीम कर रहे हैं, हमें कोई दिखत नहीं… आप भी कुछ करें देश और अपना नाम रौशन करे, इन बातों में कुछ नहीं रखा..? जय हिन्द

  10. अगर राजपूती शान को समझ सकते है तो तैमूरी शान को भी समझिए ।
    लोग अपनी शाम अपने समुदाय तक ही रखे तो अच्छा होगा।
    राजपूत कोई विश्व विजयी क़ौम नहीं है। एक पराजित क़ौम भी है। इतिहास देखिए समझिए उसे तोड़िए मरोड़िए मत। ग़रीबों पर तो कोई भी अपनी तलवार की धौंस दिखा सकता है।

  11. यह कोई जातिवाद नहीं है वह अपना परदेसन दिखा रहे हैं आप लोग किसी भी बात को इतना बड़ा चढ़ा करना दिखाएं और लोगों में कोई फूट डालने की कोशिश ना करें

  12. जडेजा की तलवारबाजी से किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए, उनको तलवार चलाते हुए देखकर बहुत अच्छा लगा,, बाकी हमारा ध्यान किसी और चीज पर नहीं गया और जाए भी क्यों….? कहाँ टाइम है इस तरह की बातों को सोचने के लिए, बस एन्जॉय किया और आगे बढ गये । …पर लगता है कि आप मोहतरमा के पास इन्हीं बातों के लिए टाइम है या फिर आपकी जडेजा से व्यक्तिगत रंजिश है या फिर आप और आपके ये मीडिया हाउस प्रिंट को इस देश से विशेष लगाव है जोकि एक सामान्य सी बात को जबर्दस्ती विवादित बनाकर देश के लोगों के बीच वैमनस्य पैदा करना चाहती हो……….धन्य है आप और आपकी सोच जिसने एक हल्की फुल्की मस्ती में कितना सारा जहर खोज लिया

  13. लेखक की जडेजा से शायद कोई व्यतिगत दुश्मनी है…. और देश में जातिवाद को भी भड़काने की मंशा प्रतीत होती है

  14. बिहार में जब लालू यादव द्वारा नारा लगाया गया था ” भूरा बाल साफ करो” यानी कि भूमिहार ,राजपूत, ब्राम्हण, लाला को साफ करो क्या उस वक्त अम्बेडकर की जातिविहीन समाज की चेष्ठा नही थी किसी में…?

    उत्तरप्रदेश में मुलायम और अखिलेश यादव की परिवारवाद राजनीति के समक्ष अम्बेडकर की जातिविहीन समाज की चेष्ठा नही थी किसी में….?

    इस वेबपोर्टल के माध्यम से इन चंद शब्दो द्वारा किसी व्यक्ति के निजी जीवन में घुस के उसको अपमानित करना
    और चंद रुपये के लिए कुछ भी लिख देना इसे ही पित पत्रकारिता(yellow journalism) कहते है ।

    हर प्लेयर का अपना swag होता है कोई एक हाथ मे हेलमेट और दूसरे में बैट लेके swag दिखता है तो कोई bat को घुमाकर , सभी का अलग-अलग तरीका है।

    गांगुली के इंग्लैंड में अपनी टीशर्ट घूमा के फेकने को क्या कहेंगे आप की एक बंगाली अपना …… दिख रहा है।☺️

    घिन आती है मुझे ऐसी पत्रकारिता पे , ऐसे पत्रकार पे जो चंद रुपये के लिए बिक जाते है

    ऊपर के दोनों सवालो का जवाब जरूर देना ज्योति यादव

  15. बहुत अक्ल मंद है आप
    Ms Jyoti

    थोड़ी इस अक्ल को अपने पर भी इस्तेमाल करो

  16. भाई आप हैं कौन जो ये फालतू की बात को ज्यादा हवा दे रहे हो आपको इतनी परेशानी क्यो हो रही है ये फालतू की बात कर के जनता को बहकाव मत इस देश को दलित को भी सम्मान दिया जाता है

  17. श्रीमान हम लोग भारतीय और राजपूत भी है और इस बात के लिए गर्व भी करते हैं, कृपया पहले आरक्षण, SC ST ACT पार्टियो के वोटिंग ध्रुवीय करण को देखीये फिर नसीहत देना

  18. I c nthng wrng in it, by showing wht he’s, he doesn’t mean to insult any , neithr he did.cst systm is a truth coming from ages, ambedkr disown bt plenty supports for ex.mahavir swami; Gandhi etc.
    Simple thing , like ravindra jadeja being proud to a rajput , similarly any community blong to any cast should proud wht thy r
    & the print don’t lecture us, v vry awre the fct tht how transparent u r & about ur propaganda. U r selective, biased & work on a ur own agenda.

  19. इतिहास गवाह है यादव हमेशा राजपूतो से जलते है।
    ???
    जडेजा प्राउड ऑफ यु?

  20. यादव इतना जातिबाद कास्ट दुनिया में नही है कोई और ज्ञान दूसरे को बाटेंगे।जडेजा ने किसी कास्ट को गाली तो नही दी ,मगर लालू यादव,मुलायम और न जाने कितने खुलेआम दूसरे जाती को गाली देते है वो भी रैली में।

  21. तुम जैसी गंदी मानसिकता की पत्तलकार
    खुद तो अपने नाम में जाति लगाती हो और दूसरो को ज्ञान बांटती हो

    तुम जैसी नीच पत्तलकारो से समाज और खराब हो रहा है

  22. बहुत सही मैडम जी , हिन्दू अब एकमत हो रहे है , इसीलिए हमारी एकता तोड़ने के लिए जातिवाद फैला दो ।
    बहुत ख़ूब । आप जैसे घटिया लोग ये ही कर सकते है बस ।
    आप अपने ट्वीट में अपनी जाति के बारे में लिख सकती है पर हम राजपूत अपनी जाति का वर्णन नहीं कर सकते ?
    वाह २ कोड़ी की पत्करिता है आपकी ।
    शेम ओं यू ।

  23. ये जिसका उसका पर्सनल मामला है,
    आप अपने काम से काम रखे .

  24. Mujhe Ye koi jatiwadi clip nhi lagati.Bharat me jitna jatiwad yadav ne failaya h utana sayad kisi ne nhi failaya. 80 0/0 Ahir Yadav bne fir rhe hai .

  25. आप भी अपना यादव टाइटल हटा दे तो ज्यादा बेहतर होगा !

  26. Wastage of time, who wants to read all these stuffs. There are so many things happening in our country which need attention.

  27. जातिविहीन क्यों धर्मविहीन समाज भी हो जाए तो अच्छा हो। जाति से ज्यादा समस्या तो धर्म पैदा करता है। लोग आरक्षण भी चाहते हैं और जातिविहीन समाज भी चाहते हैं। बड़ा मुश्किल है।

  28. Preeti ji,
    Lgta hai aap din par din purabiya/Bihariwaad me fas ti jaa rhi hai…….har chheez ko caste se jodna thik nhi hai….aur jo log sach casteism chhod chuke hai……unki bhawna kyu aahat ho rhi hai…. pehle unse jaa kar puchhen….???

  29. अरे भाई उन्हें अपनी बात कही है इसमें तुम लोगों को इतनी मिर्ची क्यों लग रही है? राजपूताना कहा तो क्या हो गया जो सच है वही बताया हमको लगता है वह राजपूताना बैठ है तो फिर उसमें गलत क्या है? तुम कोई भी चीज को दलित या मुस्लिम से जोड़ लेते हो तुम एकदम बकवास न्यूज़ पेपर।द प्रिंट तुम किसके लिए काम करते हो देश के लिए यह एक विशिष्ट से सामान्य विशिष्ट लोगों के लिए तुम काम करते हो जिससे देश में झगड़े लड़ाई होते चलते रहे विवाद में

  30. अरे भाई उन्हें अपनी बात कही है इसमें तुम लोगों को इतनी मिर्ची क्यों लग रही है? राजपूताना कहा तो क्या हो गया जो सच है वही बताया हमको लगता है वह राजपूताना बैठ है तो फिर उसमें गलत क्या है? तुम कोई भी चीज को दलित या मुस्लिम से जोड़ लेते हो तुम एकदम बकवास न्यूज़ पेपर।द प्रिंट तुम किसके लिए काम करते हो देश के लिए यह एक विशिष्ट से सामान्य विशिष्ट लोगों के लिए तुम काम करते हो जिससे देश में झगड़े लड़ाई होते चलते रहे विवाद में

  31. Ravindra sinhji jadeja kisi bhi jati ko nicha dikhane ki koshish nhi kar rahe hai Voto Rajputo Ki Parmpra ko nibha rahe Hai…And Its True Ki Ham Rajput bhaio ka Yogdan Hai Aajadi Ke Lie… or Aap Log Hi Asi Baate Media Me Faila Kar Jati vaad Ka mudda Utha Rahe Hai.. Ye Sach Dr Bhimrav Ambedakar Ne Bhi Aazadi Ke Lie Sab kuch Kia Hai…Is Lie Aap Jaati Vaad Ka Mudda Mat Uthai A

  32. Abe print waale bhaiya gaznavi Gori ye sab bahar ke the in me see koi bhi Pakistani nahi hai ye to bs ?????

    • To aapko shayad malum nhi hai pakistan me missiles ko invaders k naam diye gye hain ghaznavi, ghori, babar. Aap bhi apna surname hatao aur soch unhi kro. Inferiority complex se bahar aao. Har jaati/samuday ko khud pe garv hona chahiye. Jadeja k itna talent le aao phir mai tumhari koi baat sunu. Wo to apne kshetra me aap se khi behtar hai. Aur aap apne kshetra me bhi popular nhi.

  33. Aapko 2 paise ki sharam nahi aati jadeja ki kami batane me. Tum bolti ho ki jadeja aisi baat kar raha jaise koi bina kaam karne wala aadmi ho. Aur tum khud kya kar rahi ho. Rajput hona Shaan ki baat hai. Tum apne maa baap ki sampatti me adhikaar nahi logi kya. Rajputi Shaan vo sampatti hai ko humare purvaj hume de ke gaye hain

  34. तेरे साथ राजपूतों ने क्या बुरा किया है, बकवास आर्टिकल, पूर्वाग्रह से ग्रस्त

  35. अमबेडकर को सपने को पूरा करने के लिए ही लेखिका ने अपने नाम में ‘यादव’ लगा रखा है.

  36. Bhut badiya jadeja sir… Proud of rajputana …ye log to jalte rhe… Ye Jisne Likha he vo ese hi rote rahege likhte rhege rajput ke bare me….. Raujput most popular person in the worldi

  37. दोयम दर्जे का न्यूज पेपर…दोयम दर्जे के पत्रकार…दोयम दर्जे की पत्रकारिता…ये उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी का जातिवादी समर्थन करेंगी…जिसने केवल यादवों के लिए ही 5 साल काम किया।
    लगता है तलवार कुछ ज्यादा ही नुकीली थी…???

  38. सर्वप्रथम तो अपने नाम के पीछे से यादव हटाये ठीक है और रही बात जडेजा की तो वो एक सफल क्रिकेटर है तो वो उनका रहना खाना पीना सारा कुछ आप जैसी घटिया मानसिकता वाली लड़की को पूछकर करेंगे? उनका जीवन है उनको जैसे जीना है वो जी सकते हैं। और बता दु उन्होंने किसी की जाती को लेकर कोई किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं की है।

  39. Tu apne Naam ke piche mein Yadav kyon Laga rakhe Ho hata do na jatia to yah nahin likha hai ki main Rajput hun isiliye Talwar le raha hun tum log ki soch itni gandi Ho gai to Kya Karen

  40. Tum jo bhi ho tumhareko mirchi kyu lagi hai kya bigada ham Jadeja ne aur rajputone tumhara faltu bakwas kiye jaa raha hai ham bhi Jadeja hai aur ham kya hai kya kar sakte iska andaza hai tumko pehle apni pehchan bana aur shanti se kha pike ghar jake so ja hamari aur hamare rajputana ki fikr karna chod de

  41. Mam Kya is lekh ka koi ocitya hai…is desh Mai lakho log kuch na kuch karte hai or bo fb PR upload karte hai unko is prkar target market aap Kya sabit karna chati hai….shame on ur standers …..kitani nafrat or zahar gholana chate hai aap log desh Mai……..the print tmko b desh Mai aag hi lagane ka Kam bacha hai…kitani nafrat karte ho is desh se….shame on u the print and Jyoti ji

  42. आपकी जलन जगजाहिर हैं, जडेजा राजपूत नही होता तो आप यह सब बकवास नही करती, कई लोग होते है, जिनको ‘राजपूत’ शब्द से ही नफरत है, यह आजाद भारत है हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आजादी हैं, आपको तलवार चलाना ओर राजपूत बॉय लिखना इतना चुभ गया, शायद आपको पुरानी जलन है, अपना मानसिक दिवालियेपन का इलाज करवाये, आप जातिवादी ज्यादा लगते हो,

  43. आर जडेजा के इस पोस्ट में कुछ भी एसा नही है जो कहीं से भी गलत दिखता हो यदि हम मानवीय मूल्यों के रूप में देखें। देश के चौक चौराहे उद्यानों और पार्क में घोड़े या हाथियों के उपर तलवार भाला ढाल और धनुष बाण से सुसज्जित पूरे भारत में इस तरह के दृश्य देख सकते हैं जिसे शौर्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है।इससे जाति वर्ग के रूप में नहीं बल्कि व्यक्ति के अपने देश के प्रति आकर्षण शक्ति की आस्था का प्रतीक है।

  44. Behuda hai midiya sala
    Kisi Ko bhi kuchh likh feda hai
    Jateja ne apnajati kya bataya
    Iska abhelna Suru kar diya
    Mai Indian hu or agar bol diya ki iam indian to kya huaa
    Yadi cast Ko lekar itna hi chinta hai to Umesh Yadav Ko Yadav kyu likhane dete ho
    Kisi bhi foram me cast kyu puchha jata hai
    Ispat Kam karo to bat karna

  45. Jyoti Yadav Ma’am why you’re spreading hate in the name of Caste and Religion
    He had worked so much hard to represent India.
    Aur Aap aise hi kisi ke baare me ulta seedha likh rhi hai
    Rajputboy likne se aapko kya pareshni hai
    Aap Apne Naam ke aage Yadav likh kar kya
    saabit karna chaahti hai
    Talwar chaalane me kya problem hai aapko kabhi kisi ke baare me kuch ulta seedha toh nhi kha na
    Aap ki tarah jaise Aap kisi ki saali ki mehnat nd dedication nhi dikha Aap Ko bs
    I don’t know why people so much hate with Rajput

  46. Prasansniye lekh….. Yaha par manawata insaniyat ki baat Karna hi gunah hai…hum padhe likhe jahil log is baat ko kyo nahi swikar karte ki ek shrestha bharat ka nirman Ho jaha jatiwihin samajh Ho… Insaniyat Ho…. Savi ko aage badhne ke mauke Ho…. Manav ko manav ke najar se dekhe… Uske sukh dukh me saath Ho….. Hum kavi Nahi badal sakte kyoki hum padhlikhkar v hamari soch gadho jaisi hai……karte raho apni jaati pe Garv aur nafrat bhari samajh aur desh ka nirman karte raho….And ant me lekhak mahoday ko salam aise lekh ke liye.

    • क्या गलत कहा है रविन्द्र जडेजा ने उसने किसी दुसरी जाति से अपनी जाति कि तुलना नहीं कि है अपनी जाति पर गर्व हर किसी को होता है उनकी एक पोस्ट पर इतना हंगामा क्यों मेरे को नहीं लगता कि ऎसी पोस्ट से किसी कि धार्मिक भावनाएं आहत हुई होगी क्या किसी को अपनी पहचान से जीने का भी अधिकार नहीं है रही बात जडेजा का राजपुताना के शोर्य इतिहास में योगदान कि तो तुम्हे ये भी मालुम होना चाहिए कि अब प्रजातंत्र है राजतंत्र नहीं मैदान चाहे युद्ध का न हो पर खेल के मैदान में उन्होने दुश्मनो के छ्क्के छूड़ा दिये सभी को मालुम है

  47. Is me mirchi lagane bali kya baat rajput hamesha desh ki shaan raha hai jinko muslamano se pyar hai vo chatukata kare apna propega da chalaye lekin unka propeganda safal nahi hoga

  48. WHAT DO YOU WANT TO PROVE BY WRITING THIS SCRAP?? DO YOU CONSIDER YOURSELF A WRITER OR REPORTER
    MATLAB KUCH BHI. I THINK YOU DONT HAVE ANY JOB SO JUST TO GET LIMELIGHT YOU ARE MAKING BAAT KA BATANGAD
    LEVEL OF TODAYS MEDIA IS GOING TO GUTTER. YOU ARE MAKING IT TOO PERSONAL BY CRITICIZING JADEJA
    ANY HOW JAKHM KA ILAAJ HO SAKTA HAI
    GHATIYA SOCH KA NAHI

  49. I do not agree with this.Ye talwaar ki tarah bat ko ghumana sirf apni khusi ko jaahir krne ka tarika h.Jaise aap ko right to express mila hai apne vichaaron ko duniya ke saamne writing ke through rakhne ka waise hi ye unko bhi ye right hai ki wo apne khushi ko express kar sake aur apne jaati aur sampraday par garv kar sake. Mera maanna hai ki aisi article se sirf hamaari ekta bhang hogi. Government ne right to express diya hai to kya kuch bhi likhenge

  50. This is hate..hate against ur kings that led to slavery and even now slave of Pakistan…pehle usko khara kar ke goli maro..#jaichand/vibhisan

  51. लोग मुकुट की तरह अपनी जाति नाम को अपने नाम में जोड़ लेते हैं, वो गलत नहीं है लेकिन एक व्यक्ति अपनी जाति पर अभिमान करे तो गलत है। इस देश में तो नेता भी अपने वर्ग से जाने जाते हैं, और वो सम्मान से इसको बताते हैं।
    इस लेख को लिखने वाले के नाम को है देख लो तो इनका दोगलापन दिख जाएगा।

  52. Aaj se mai google news pdhna chod rha hu kyuki tm jo v ho mujhe lgta h syd tumhari hm rajputo se personal dusmni h aur sbhi jatiyo ko bich me lakr apni bhras nikal rhe ho aur tum soch v nhi skte rajput kya kr skte h thik h so trp ke chkkar me jyada na bolo…. Aur tum kbhi rvindra jadeja nhi bn skte na hi sachin isiliye new me kaam kr rhe ho…. Is news channele ka sbhi bhai kisi dhrm ya jati ke ho sbhi log milker birodh kro

  53. आपकी सुलगी हुई के लिए, burnol की हिदायत दी जाती है

  54. I’ve been hating bjp and right wing media as long as I remember………………….. But I’ve never seen such cheap, disgusting article ,, shame on you print media

    हमेशा भाजपा विरोध मे था आज बी हुं, लेकीन आज समझ मे आया आप भी कितने घटिया तरीके के चॅनल हो, आप जेसे थर्ड क्लास पत्रकरोकी वजाह से ही उनकी दुकाने चलती हे,,,,,,,, सही मे बहुत बुरा लगा shame on your journalism

  55. क्या गलत कहा है रविन्द्र जडेजा ने उसने किसी दुसरी जाति से अपनी जाति कि तुलना नहीं कि है अपनी जाति पर गर्व हर किसी को होता है उनकी एक पोस्ट पर इतना हंगामा क्यों मेरे को नहीं लगता कि ऎसी पोस्ट से किसी कि धार्मिक भावनाएं आहत हुई होगी क्या किसी को अपनी पहचान से जीने का भी अधिकार नहीं है रही बात जडेजा का राजपुताना के शोर्य इतिहास में योगदान कि तो तुम्हे ये भी मालुम होना चाहिए कि अब प्रजातंत्र है राजतंत्र नहीं मैदान चाहे युद्ध का न हो पर खेल के मैदान में उन्होने दुश्मनो के छ्क्के छूड़ा दिये सभी को मालुम है ,,,,!

  56. क्या गलत कहा है रविन्द्र जडेजा ने उसने किसी दुसरी जाति से अपनी जाति कि तुलना नहीं कि है अपनी जाति पर गर्व हर किसी को होता है उनकी एक पोस्ट पर इतना हंगामा क्यों मेरे को नहीं लगता कि ऎसी पोस्ट से किसी कि धार्मिक भावनाएं आहत हुई होगी क्या किसी को अपनी पहचान से जीने का भी अधिकार नहीं है रही बात जडेजा का राजपुताना के शोर्य इतिहास में योगदान कि तो तुम्हे ये भी मालुम होना चाहिए कि अब प्रजातंत्र है राजतंत्र नहीं मैदान चाहे युद्ध का न हो पर खेल के मैदान में उन्होने दुश्मनो के छ्क्के छूड़ा दिये सभी को मालुम है पत्रकारिता कि भी हद होती है

  57. क्या जब आपत्तिजनक नही था जब राजपूत मुगलो से लड़कर भारत को बचाया था तब कहा थी आप सबकी भावना ।
    राजपूत है तो राजपूत ही लिखा जायेगा शेर को शेर बोलने से क्या और जानवर आहत होते है,सोच बदलो देश बदलेगा जब जाती मत भेद भाव नही रखता तो क्यों पीड़ा हुई तुम्हे,आरक्षण क्यों जाती के नाम पर दिया जाता है इसका भी तो जवाब दीजिये

  58. क्या जब आपत्तिजनक नही था जब राजपूत मुगलो से लड़कर भारत को बचाया था तब कहा थी आप सबकी भावना ।
    राजपूत है तो राजपूत ही लिखा जायेगा शेर को शेर बोलने से क्या और जानवर आहत होते है,सोच बदलो देश बदलेगा जब जाती मत भेद भाव नही रखता तो क्यों पीड़ा हुई तुम्हे,आरक्षण क्यों जाती के नाम पर दिया जाता है इसका भी तो जवाब दीजिये

  59. जडेजा ने क्या गलत कहा उसने किसी दुसरी जाति से अपनी जाति कि तुलना नहीं कि है अपनी जाति पर गर्व हर किसी को होता है उनकी एक पोस्ट पर इतना हंगामा क्यों मेरे को नहीं लगता कि ऎसी पोस्ट से किसी कि धार्मिक भावनाएं आहत हुई होगी क्या किसी को अपनी पहचान से जीने का भी अधिकार नहीं है रही बात जडेजा का राजपुताना के शोर्य इतिहास में योगदान कि तो तुम्हे ये भी मालुम होना चाहिए कि अब प्रजातंत्र है राजतंत्र नहीं मैदान चाहे युद्ध का न हो पर खेल के मैदान में उन्होने दुश्मनो के छ्क्के छूड़ा दिये सभी को मालुम है

  60. गर्व वही करेगा जिसका इतिहास है….!! जिन अहीरों ने खुद को यदुवंशी कहना शुरू किया उनको ही गर्व नही होता है ,जडेजा यदुवंशी राजपूत हैं गर्व करने की वजह है तो करेंगे ही जडेजा जी

  61. Teri ku jal ri h burnol de kya? Agr esaa hi bol raa h to arakshan pr post kr ku jaati jaati krte ho . Tere naam se tera surname hata le . Garv se bolta hu rajput hu jaaaa kr le jo krnaa h

  62. Takleef kya tujhye
    Ager wo bat talwar ki trh lehrata hai to
    O doglo kutto itna mat giro ki uth na pao

Comments are closed.