इस हफ्ते चाइनास्कोप में गलवन घाटी में झंडा फहराती पीपुल्स लिबरेशन आर्मीं, अरुणाचल प्रदेश में चीन का 15 स्थानों पर दावा, शियान प्रांत में कोविड-19 लॉकडाउन, ट्विटर पर चीन की बढ़ती निगरानी, और चीन तथा दुनिया की दूसरी खास खबरें
चीन इस हफ्ते
चाइनास्कोप दिलचस्प घटनाओं की खबरों से भरे स्तंभ से नए साल की शुरुआत कर रहा है.
गलवन घाटी में चीनी झंडा फहराने के बाद बीजिंग का नई दिल्ली से तनाव नए साल में भी जारी है. यह खबर चीन में सोशल मीडिया के बड़े ट्रेंड के साथ आई. झंडा फहराने के इस आयोजन का वक्त इसलिए खास है क्योंकि 1 जनवरी को चीन का नया भूमि सीमा कानून अमल में आया. नया कानून चीन की प्रभुसत्ता पर जोर देगा और सीमाई इलाकों में अधिक गांव बसाए जाएंगे.
गलवन घाटी में चीन के झंडा फहराने और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का भारत को नए साल का संदेश शुरू में ग्लोबल टाइम्स के चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर दिन में 11.35 बजे (चीनी समय) साझा किया गया. सरकारी मीडिया के एक पत्रकार शेन शिवी ने ट्विट किया कि गलवन में झंडा फहराना ‘खास’ था क्योंकि वह बीजिंग के थ्यान अन मन चौक से ऊंचा लहरा रहा था.
सर्च ट्रेंड ‘हीरोज ऑफ गलवन वैली सेंड न्यू ईयर्स ग्रीटिंग्स’ सर्च इंजन बैदू पर दूसरा टॉप ट्रेंड था. जब वीडियो साझा किया गया तो वीबो पर हैशटैग ‘गलवन वैली हीरोज सेंड कंग्रेचुलेशंस ऑन न्यू ईयर’ ट्रेंड करने लगा. उसे 22.4 लाख बार देखा गया और संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
उसके बाद इस वीडियो को चीन की सरकारी शिन्हुआ न्यूज एजेंसी सहित सरकारी मीडिया पर भी साझा किया गया. वीडियो में सैनिकों को झंडा फहराते और नया साल मुबारक जैसा नारा लगाते दिखे. पीएलए के सैनिकों ने अपने मैसेज में यह भी जोड़ा कि ‘हम मातृभूमि की शपथ लेते हैं कि हम सीमा की रक्षा करेंगे.’
वीडियो के इस मैसेज से पता चलता है कि इरादा अपने देश के लोगों को संदेश देना है. बीजिंग नई दिल्ली को यह संदेश भी देना चाहता था कि सीमा विवाद अभी खत्म नहीं हुआ. पीएलए ने इसके पहले भी ऐसे ही सांकेतिक आयोजन के लिए ठीक उसी जगह को चुना था.
उस क्लीप में जून 2020 में गलवन में हुई झड़प की पुरानी फुटेज भी थी जिसे सरकारी मीडिया ने पहले इस्तेमाल किया था.
उसी दिन भारतीय सेना और पीएलए ने पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रींग और देमचोक, उत्तरी सिक्किम के नाथुला और कोंग्रा ला में मिठाइयों और दूसरे तोहफों का आदान-प्रदान किया था. रविवार को बैदू पर मीठाइयों के आदान-प्रदान की रिपोर्ट ट्रेंड करने लगी. उस प्लेटफॉर्म पर हैशटैग ‘सीमा पर चीनी और भारतीय सैनिकों ने मिठाइयां बांटी’ पांचवा टॉप ट्रेंड था और 45 लाख बार देखा गया.
इस बीच भारत के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि पीएलए के इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण गतिविधि के जवाब में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी)पर भारतीया सेना की तैनाती में फेरबदल किया गया है.
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘जिन इलाकों में अभी तनाव नहीं कम हो पाया है वहां फोर्स की तैनाती बढ़ाई गई है. अपने इलाके की रक्षा और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक ढांचे के मद्देनजर जोखिम के आकलन और आंतरिक विचार-विमर्श के बाद बलों की तैनाती में बदलाव किया गया.’
मानो चीनी फौजियों का झंडा फहराना ही काफी नहीं था, चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश में 15 जगहों के ‘सही’ नाम रख दिए.
अरुणाचल प्रदेश की इन 15 जगहों में आठ रिहाइशी इलाके, चार पहाड़, दो नदियां और बहुचर्चित सेला पर्वत दर्रा है. चीन अरुणाचल प्रदेश को ‘दक्षिणी तिब्बत’ कहता है.
मंत्रालय के नोटिफिकेशन में कहा गया है, ‘भौगोलिक नामों के प्रबंधन पर स्अेट काउंसिल के मौजू कायदों के मुताबिक हमारे मंत्रालय और संबंधित विभागों ने दक्षिणी तिब्बत के कुछ भौगोलिक नामों का मानकीकरण किया गया है. दक्षिणी तिब्बत की सार्वजनिक नामों (कुल 15) को बग औपचारिक ऐलान किया जा रहा है.’
जाहिर है, अरुणाचल प्रदेश के इलाकों के इस नामकरण से नरेंद्र मोदी की सरकार खुश नहीं थी. विदेश मंत्रालय ने फौरन जवाब दिया, ‘अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और हमेशा रहेगा. अरुणाचल प्रदेश की जगहों को मनगढंत नया नाम लिख देने से हकीकत नहीं बदलेगी.’
दोनों देशों में कोविड-19 के मामलों में उछाल आ रहा है.
चीन की ‘जीरो कोविड’ नीति सांशी प्रांत के शियान शहर में पूरे जोर-शोर से लागू है. शियान में कुछ मामले मिलने के बाद वहां के 1.3 कारोड़ बाशिंदों को सख्त लॉकडाउन से गुजरना पड़ रहा है ताकि कोविड-19 के वैरिएंट को फैलने से रोका जा सके. 9 दिसंबर को संक्रमण की नई लहर शुरू होने के बाद शहर में 1,451 मामले दर्ज हुए हैं.
चीन की सोशन मीडिया पर शियान में कोविड-19 की पाबंदियों का उल्लंघन करने वाले लोगों को सार्वजनिक शर्मिंदगी झेलते दिखाने वाली अजीब तस्वीरें साझा की गई हैं. चीनी अधिकारियों ने माना है कि श्यिान में लोगों को भोजन मुहैया कराने में दिक्कतें आ रही हैं. वहां सभी लोगों को बताया गया है कि उन्हें भोजन मुहैया कराया जाएगा. लोगों ने कीमतों में उछाल की शिकायत की तो अधिकारियों ने जेडी डॉटकॉम और मीतुयन जैसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों को कीमतों को स्थिर करने की हिदायत दी है.
सख्त पांबंदियों के मद्देनजर चीन उन दूसरे न्यूज संगठनों पर सफलतपूर्वक रोक नहीं लगा पाया है जो उसकी मर्जी के खिलाफ चलते हैं.
हाल तक हांगकांग में मीडिया की आजादी को पूर्वी एशिया में सबसे खास माना जाता था. बीजिंग ने हर जरह की आलोचना को बंद करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का इस्तेमाल किया.
पिछले हफ्ते हांगकांग की राष्ट्रीय सुरक्षा पुलिस ने स्वंतत्र न्यूज संगठन स्टैंड न्यूज के दफ्तरों में छापा मारा.हांगकांग के अधिाकरियों ने उसकी 7.8 करोड़ डॉलर की संपत्ति जब्त कर ली तो उसने कामकाज बंद कर दिया. स्टैंड न्यूज 2019 में हांगकांग विरोध प्रदर्शनों को कवर करने वाला प्रमुख न्यूज संगठन था. स्टैंड न्यूज के पूर्व संपादकों को पुराने औपनिवेशिक दौर के राजद्रोह कानून के तहत बंद कर दिया गया और जमानत देने से इनकार कर दिया गया. स्टैंड न्यूज ने अपना सारा कामकाज बंद कर दिया है.
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दुनिया की खबरों में चीन
ताइवान सिर्फ बीजिंग और वाशिंगटन डीसी के बीच ही तनाव का मसला नहीं है, टोक्यो से भी तनाव का मुद्दा है.
जापानी अधिकारियों के मुताबिक, चीन और जापान के मीलिट्री हॉटलाइन स्थापित की जाएगी ताकि ‘विवादित द्वीपों और ताइवान खाड़ी पर संभावित खतरे को टाला जा सके.’
हॉटलाइन स्थापित करने का समझौता जपानी रक्षा मंत्री नोबुओ किशि और चीन के रक्षा मंत्री वी फेंगे के बीच फोन पर दो घंटे की बातचीत के बाद हुआ.
वर्चुअल मोर्चे पर, पिछले दो साल से वीपीएन पर चीन के लोगों द्वारा ट्विटर के बढ़ते इस्तेमाल से वजिंग के माथे पर शिकन है. अब हम पा रहे हैं कि ट्विटर और फेसबुक पर सीसीपी विरोधी कंटेंट की निगरानी के लिए बीजिंग मिशन चलाने जा रहा है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने खुलासा किया कि ऑस्ट्रेलिया में चीनी छात्रों के कमेंट को ट्रैक करने के लिए बीजिंग किसी अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहा है. चीन की पुलिस ने छात्र के पिता को बुलाया, उसका वीडियो बनाया और न्यूयॉर्क टाइम्स को भेज दिया. अगर कोई चीनी नागरिक महज यह मैसेज पोस्ट कर दे कि ‘मैं हांगकांग के साथ खड़ा हूं’ तो संकट में पड़ जाएगा.
वाशिंगटन पोस्ट की पड़ताल से भी ऐसे सॉफ्टवेयर के होने की बात पुष्टी हुई, जिससे घरेलू और ‘फेसबुक, ट्विटर और दूसरे पश्चिमी सोशल मीडिया पर विदेशी’ निशानों का डेटा जुटाया जाता है. वाशिंगटन पोस्ट ने टेंडरों का विश्लेषण किया, जिससे पता चलता है कि चीन के लिए सरकारी मीडिया के खातिर नजरिया निगरानी के लिए कोई नेटवर्क विकसित करना है.
चीन के सरकारी ग्लोबल टाइम्स ऑनलाइन को ‘चीन से संबंधित विदेशी मीडिया और पत्रकारों के नजरिए का निगरानी तंत्र’ मुहैया कराने के लिए 5,31,000 डॉलर का तीन साल का ठेका मिला है. वॉशिंगटन पोस्ट को बीजिंग स्थित नजरिया निगरानी तंत्र में काम करने वाले एक एनालिस्ट ने बताया, ‘अब हम चीन विरोधी लोगों के भूमिगत नेटवर्क को बेहतर समझ सकते हैं.’
ट्विटर, फेसबुक या किसी दूसरे प्लेटफॉर्म पर सक्रिय लोगों को एहसास होना चाहिए कि बिग ब्रदर नजर रख रहा है.
इस बीच हाल में एलॉन मस्क के साथ बीजिंग का ‘ब्रदरली’ भी खबरों में है. मस्क ने यहां तक कहा कि ‘शायद मैं आधा चीनी हूं.’
पिछले हफ्ते बीजिंग ने संयुक्त राष्ट्र अंतरिक्ष एजेंसी से शिकायत की कि एलॉन मस्क के स्टारलिंक सैलाइट चीन के अंतरिक्ष स्टेशन से टकराने वाले हैं.
इस हफ्ते क्या पढ़ें
ऐंड देन देयर वेयर फाइव- डेविड बंदुरस्की
चाइनाज रिफॉर्म जेनेरेशन एडाप्ट्स टु लाइफ इन दि मिडल क्लास- पीटर हेसलर
पॉडवर्ल्ड
इस हफ्ते चाइनास्कोप, मार्को पोलो के डैमीन मा के साथ पॉडकास्ट एपिसोड सुनने की सिफारिश करता है जिसमें चीन में प्रॉपर्टी मार्केट पर भविष्यवाणी और इस साल होने वाले 20वें नेशनल पार्टी कांग्रेस के बारे में जानकारियां हैं, जिसे आप सुन सकते हैं.
लेखक एक कॉलम्निस्ट और एक स्वतंत्र पत्रकार हैं जो फिलहाल स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (SOAS) से चीन पर ध्यान केंद्रित करते हुए इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में एमएससी कर रहे हैं. विचार निजी हैं.
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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