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Sunday, 3 November, 2024
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भारत की कोविड त्रासदी को दुष्प्रचार का जरिया बना रहा है चीन, मरे हुए लोगों को भी नहीं बख्शा जा रहा

चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स साइनो वीबो और बायडू पर आधिकारिक अकाउंट्स के जरिए भारत में श्मशान घाटों और चिताओं की फोटो को शेयर करके मज़ाक बनाया जा रहा है.

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चीन ने सोशल मीडिया मंचों पर, भारत के बिगड़ते कोविड संकट के खिलाफ, एक ज़बर्दस्त प्रचार अभियान छेड़ दिया है, जहां दूसरी लहर से भारत की लड़ाई, बहस का एक गर्मा-गरम मुद्दा है.

दुनिया भर में, नेताओं और नागरिकों ने अपनी हमदर्दियां ज़ाहिर की हैं, और भारत को मदद की पेशकश की है. लेकिन चीन का सरकारी मीडिया और प्रचार तंत्र, इस अवसर का फायदा उठाकर, भारत को कमज़ोर करने की कोशिश कर रहा है.

ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म साइना वीबो पर, पिछले सात दिन में सर्च ट्रेण्ड ‘इंडिया’ 13.9 करोड़ से ज़्यादा बार दिखा. ‘भारतीय महामारी’ अप्रैल में ट्रेंड होनी शुरू हुई और इसे 1.86 अरब से ज़्यादा बार, वीबो पर देखा जा चुका है.


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मृतकों और पीड़ितों के लिए कोई मलाल नहीं

कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के केंद्रीय राजनीतिक और कानूनी मामलों के आयोग ने, 1 मई को एक पोस्ट साझा किया, जिसमें तुलना की गई थी कि कोविड-19 महामारी के दौरान, चीन और भारत ने कैसा काम किया है. पोस्ट का शीर्षक था ‘चीन कैसे आग लगाता है, और भारत कैसे आग लगाता है’.

पोस्ट में हाल ही में चीन के तायन्हे कोर मॉड्यूल के, नए स्पेस स्टेशन में लॉन्च किए जाने की तुलना, भारत के श्मशानों में जल रही चिताओं से की गई है, जो दूसरी लहर के दौरान बढ़ती मौतों का नतीजा हैं. सोशल मीडिया पर चीनी नागरिकों की तीखी प्रतिक्रिया के बाद, पोस्ट को हटा दिया गया. आयोग के प्रमुख गुओ शेंगकुन हैं, जो सीपीसी के एक उच्च अधिकारी भी हैं.

30 अप्रैल को, लोक सुरक्षा मंत्रालय के आधीन, लोक सुरक्षा प्रशासन ब्यूरो के आधिकारिक वीबो अकाउंट से, एक पोस्ट शेयर की गई जिसमें कोविड-19 संकट के चरम पर, चीन के वुहान में अस्पतालों के निर्माण की तुलना, भारत की जलती हुई चिताओं से की गई थी. इस पोस्ट को भी बाद में हटा दिया गया.

वीबो पर एक यूज़र ने टिप्पणी की, ‘भारतीय लोगों ने हमारे साथ कभी हमदर्दी नहीं की, और भारत की चीन-विरोधी भावनाएं, अमेरिका की भावनाओं से कम नहीं हैं. इसलिए चीनी राष्ट्र के दयालुता और मित्रता के गुण, भारत पर लागू नहीं होते!’

कुछ टीकाकारों ने अधिकारिक वीबो अकाउंट्स पर साझा की गईं पोस्ट्स की आलोचना की है.

‘महामारी से चीन ने जिस तरह से निपटा, हमें उस पर गर्व होना चाहिए; भारत और दूसरे देश बहुत ग़रीब हैं. हम भारत के शासकों और प्रबंधन की बुराई कर सकते हैं; लेकिन हमें मृत भारतीयों को देखकर ख़ुश नहीं होना चाहिए. हमें नफरत फैलाने की पहल नहीं करनी चाहिए,’ ये कहना था एक प्रमुख वीबो यूज़र डू जियानगुओ का, जिनके दस लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं.

एक अन्य प्रमुख अकाउंट में, चार चीनी सैनिकों की तस्वीरें साझा की गईं हैं, जो जून 2020 में पूर्वी लद्दाख़ की, गलवान घाटी में हुए संघर्ष में मारे गए बताए जाते हैं. इसमें कहा गया, ‘भारत के साथ हमदर्दी? मैं तो नहीं कर सकता’.

चार चीनी सिपाहियों की तस्वीरों के सामने, भारत में कोविड-19 महामारी की तस्वीरें दिखाई गई हैं. कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है, कि गलवान घाटी संघर्ष के दौरान, मरने वाले चीनी सैनिकों की संख्या, उससे अधिक थी जितनी चीन ने सार्वजनिक की है.

अमेरिका में रह रहे एक प्रमुख चीनी कार्यकर्त्ता ने, अधिकारिक अकाउंट्स पर शेयर की गई तस्वीरों की, 2020 में भारतीय दूतावास के वीबो अकाउंट में साझा की गई तस्वीरों से तुलना की. भारतीय दूतावास के वीबो में की गई पोस्ट्स में सहानुभूति झलकती थी, जबकि चीन के अधिकारिक वेबो अकाउंट्स व्यंग से भरे हुए थे.


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चीन कहता कुछ है, करता कुछ और है

चीन के सरकारी मीडिया ने, अमेरिका से कच्चे माल की सप्लाई के कारण, भारत में वैक्सीन की क़िल्लत की ओर ध्यान आकर्षित किया है.

चीन के सरकारी मीडिया आउटलेट ग्लोबल टाइम्स ने ख़बर दी, ‘विश्लेषकों ने कहा कि महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में, लगभग शून्य योगदान देने के बाद, अमेरिका ने भारत को कोई ख़ास सहायता देने से इनकार करके, अपने स्वार्थ को पूरी तरह बेनक़ाब कर दिया है, और अब वो विकासशील तथा ज़रूरतमंद देशों को, वैक्सीन वितरण के वैश्विक प्रयासों में बाधाएं खड़ी कर रहा है’. वैक्सीन के कच्चे माल को लेकर, हाल ही में हुए आदान-प्रदान पर, चीन ने बार बार भारत और अमेरिका के बीच, झगड़ा बढ़ाने की कोशिश की है.

‘भारत का वैक्सीन निर्माता सीईओ, बचकर युनाइटेड किंग्डम पहुंच गया’ वीबो पर दूसरा सबसे बड़ा हैशटैग था. इस लेख के लिखे जाने के समय तक, इस हैशटैग को 7.3 करोड़ बार देखा जा चुका था. सोशल मीडिया ट्रेंड सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ, अदार पूनावाला के एक इंटरव्यू पर आधारित था, जो उन्होंने दि टाइम्स को दिया था. गूगल जैसे चीनी सर्च इंजन बायडू पर, ‘भारतीय वैक्सीन निर्माता सीईओ यूके भागा’ 2 मई को पांचवां सबसे बड़ा ट्रेण्ड था. पिछले एक हफ्ते में, भारत में कोविड-19 महामारी से जुड़ी ख़बरों ने, बायडू पर हर रोज़ ट्रेण्ड किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हाल ही में भेजे एक संदेश में, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, ‘मैं भारत सरकार और वहां के लोगों के प्रति, अपनी गंभीर संवेदना प्रकट करना चाहता हूं. मानवता एक ऐसा समुदाय है, जिसकी एक साझा नियति है. एकता और सहयोग के ज़रिए ही, दुनिया के देश आख़िरकार महामारी पर क़ाबू पा सकते हैं. महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई, और उसे समर्थन और सहायता देने में, चीन भारत के साथ सहयोग को मज़बूत करने का इच्छुक है’.

भारत में चीनी राजदूत सन वीडॉन्ग ने, एक ख़ास इंटरव्यू में ग्लोबल टाइम्स से कहा, ‘चीन अपनी ओर से भारतीय पक्ष की मांग के अनुसार, उसे सहायता मुहैया कराने का भरसक प्रयास करेगा, और भारत की ओर से ऑर्डर किए गए, कम से कम 40,000 ऑक्सीजन जेनरेटर्स का उत्पादन चल रहा है’.

ऑक्सीजन तथा अन्य मेडिकल उपकरणों की अधिकांश सप्लाई, जिसकी पेशकश चीन ने की है, दरअस्ल उन व्यवसायिक अनुबंधों का पालन है, जो भारत की निजी इकाइयों ने किए हैं.

वीचैट पर एक ब्लॉगर ने एक पोस्ट लिखा, जिसकी हेडलाइन थी, ‘बहुत हो गया! भारत को 25,000 ऑक्सीजन जेनरेटर्स भेजे गए, लेकिन मोदी ने पश्चिमी देशों का धन्यवाद किया’.

चीन का कहना है कि बिगड़ते कोविड संकट के बीच, वो भारत की सहायता करना चाहता है, लेकिन साथ ही साथ उसने अपने प्रचार तंत्र को, ऐसे समय भारत के पीछे लगा दिया है, जब हर रोज़ हज़ारों लोग मर रहे हैं, और लाखों लोग कष्ट झेल रहे हैं.


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