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Sunday, 22 December, 2024
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चीन ने पाकिस्तान में विरोध-प्रदर्शन पर अपने नागिरकों की चर्चा सेंसर की, सोशल मीडिया से हैशटैग हटवाए

इमरान खान की गिरफ्तारी पर पाकिस्तान की राजनीतिक उथल-पुथल ने चीनी नागरिकों को सुरक्षित नहीं छोड़ा है. कराची में चीनी श्रमिकों पर हमले को रोकने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप तक करना पड़ा.

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पाकिस्‍तान में जारी राजनीतिक उठापठक को लेकर चीन खामोश है. चीनी मंत्रालय ने भारतीयों का मज़ाक उड़ाने वाला एक ‘नस्लवादी’ वीडियो हटा दिया है. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और चीन के विदेश मामलों के निदेशक वांग यी ने वियना में बैठक की. चाइनोस्कोप में आज पाकिस्तान में हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर चीन की प्रतिक्रिया को लेकर पड़ताल.

सप्ताह भर में चीन

जबकि पाकिस्तान में चल रही राजनीतिक अशांति भारत में एक प्रमुख सुर्खी बनी रही, लेकिन चीनी स्टेट कंट्रोल्ड मीडिया और Weibo जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया. चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्परेरी इंटरनेशनल रिलेशंस के दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक हू शिशेंग के अनुसार, पाकिस्तान में मौजूदा शासन ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की अपनी क्षमता खो दी है, जिसके कारण पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों ने उनकी रिहाई की मांग का विरोध किया.

हालांकि, चीनी स्टेट मीडिया ने तथ्यात्मक रूप से भ्रष्टाचार के आरोपों पर इमरान खान की हिरासत की सूचना दी लेकिन उनकी गिरफ्तारी के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों की कवरेज काफी सीमित थी. चाइना सेंट्रल टेलीविजन ने बताया कि प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पों में दस लोगों की मौत हो गई और 1,750 लोग घायल हो गए.

Weibo पर चीनी सेंसर द्वारा पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन से संबंधित हैशटैग को ट्रेंड करने से रोक दिया गया था. कुछ हैशटैग द्वारा ध्यान आकर्षित करने के बावजूद, हिंसक प्रदर्शन के बारे में खबरों को लेकर चीनी सोशल मीडिया पर कुछ विशेष चर्चा नहीं देखने को मिली. हैशटैग ‘पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान गिरफ्तार’ को Weibo पर एक मिलियन से अधिक बार देखा गया था, और हैशटैग ‘पूर्व पाकिस्तानी पीएम इमरान खान की गिरफ्तारी के कारण हिंसक विरोध’ चीनी सेंसर द्वारा नियंत्रित किए जाने के कारण अधिक नहीं चली. 

पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल ने चीनी नागरिक को भी सही सलामत नहीं छोड़ा है. पाकिस्तान पुलिस ने कराची में एक चीनी कंपनी के स्वामित्व वाले बोटयार्ड में चीनी श्रमिकों पर होने वाले हमले को रोका.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने बताया, ‘हमले के समय साइट पर लगभग 31 चीनी कर्मचारी मौजूद थे.’

लाहौर में चीनी दूतावास ने पाकिस्तान में अपने नागरिकों को सतर्कता बनाए रखने की चेतावनी दी. चीनी महावाणिज्य दूतावास ने अपने WeChat पेज लिखा, ‘जब तक आवश्यक न हो, अकेले बाहर न निकलें. ऐसे स्थानों पर न जाएं जहां लोग इकट्ठा हों. सोशल मीडिया और सार्वजनिक स्थानों पर राजनीतिक भाषण न दें और व्यक्तिगत और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निवारक उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करें.’ 

चीन में राजनीतिक विरोध बेहद संवेदनशील विषय है, इसलिए सोशल मीडिया पर इस खबर के दमन की उम्मीद की जा रही थी. लेकिन चीन आगे जाकर कैसे प्रतिक्रिया देगा?

मुझे एक साक्षात्कार में राजरत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के एक वरिष्ठ फेलो और लेखक ने कहा, ‘खान बाहर, खान जेल में, सैन्य तख्तापलट, शहबाज शरीफ अंदर या बाहर- चीन इन तमाम मुद्दों को लेकर काफी अज्ञेयवादी है कि क्या होता है. सच ये है कि इसमें से किसी भी कारण से चीन के लिए बहुत कुछ बदलने वाला नहीं है. इसलिए उसे किसी भी प्रकार के कदम उठाने की आवश्यकता नहीं है. अगर राज्य का पूरी तरह से पतन हो जाता या फिर उग्रवादियों का कब्जा हो जाता है तब शायद वह चिंतित होता, लेकिन मुझे लगता है कि हम उस नतीजे से बहुत दूर हैं.’


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इस बीच, चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय ने एक पैरोडी स्किट के माध्यम से भारतीय सिनेमा और संगीत का मज़ाक उड़ाने वाले काले चेहरे वाले चीनी कलाकारों का एक वीडियो Weibo से हटा दिया है.

मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा के बारे में लोगों को ‘सिखाने’ के लिए इस वीडियो का इस्तेमाल किया था.

कुछ यूजर्स ने इस वीडियो के पैरोडी प्रदर्शन का समर्थन किया और वीडियो को मनोरंजक बताया. हालांकि, कुछ लोगों ने इसे ‘नस्लवादी’ होने की ओर इशारा किया और कहा कि इसे एक आधिकारिक अकाउंट से पोस्ट करना ‘अनुचित’ था.

विश्व समाचार में चीन

चूंकि स्पाई बैलून वाली कहानी ने अमेरिका-चीन संबंधों को काफी तनावपूर्ण बना दिया था जिसके कारण दोनों पक्षों के बीच संपर्क काफी सीमित रहा था. 

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और सीसीपी केंद्रीय विदेश मामलों के कार्यालय के चीनी निदेशक वांग यी ने 10 से 11 मई तक वियना में मुलाकात की. यह बातचीत 10 घंटे तक चली थी.

बैठक के बाद एक चीनी रीडआउट मे कहा गया, ‘दोनों पक्षों ने चीन-अमेरिका संबंधों की बाधाओं को दूर करने और बिगड़ने से संबंधों को स्थिर करने के तरीकों पर स्पष्ट, गहन, ठोस और रचनात्मक चर्चा की. निदेशक वांग ने ताइवान के मुद्दों को लेकर चीन की गंभीर स्थिति पर पूरी तरह से विस्तार से बताया.’

दोनों अधिकारियों ने ‘एशिया-प्रशांत क्षेत्र, यूक्रेन और आपसी हित के अन्य अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों की स्थिति’ पर भी चर्चा की. रीडआउट के लहजे से पता चलता है कि बैठक का परिणाम सकारात्मक रहा और इससे दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में तनाव कुछ कम हो सकता है.

रॉयटर्स ने हाल ही में एक चीनी अधिकारी का हवाला देते हुए रिपोर्ट दी थी कि बीजिंग नहीं चाहता था कि संघीय जांच ब्यूरो ‘गिराए गए गुब्बारे में अपनी जांच का विवरण’ जारी करे.

हालांकि, रीडआउट में भारत-चीन सीमा विवाद का जिक्र नहीं किया गया, जबकि पहले कई बार इस तरह की चर्चाओं में सैन्य गतिरोध वाला मामला सामने आ चुका है.

(लेखक स्तंभकार और फ्रीलांस पत्रकार हैं, फिलहाल लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल ऐंड अफ्रीकन स्टडीज (एसआऐएस), से चीन पर फोकस वाली अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एमएससी कर रहे हैं. वे पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीन के मीडिया पत्रकार थे. उनका ट्विटर हैंडल @aadilbrar है. व्यक्त विचार निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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