#MeToo सिर्फ एक सेलिब्रिटी आंदोलन ही नहीं है, कार्रवाई के लिए पुकार करने का एक शक्तिशाली साधन है और पाकिस्तान हमें रास्ता दिखा रहा है।
पाकिस्तान की फिल्म और फैशन बिरादरी ने हाल ही में यौन उत्पीड़न के खिलाफ #MeToo आंदोलन देखा। अब कराची में स्कूली छात्रों के बीच #MeToo का एक नया रूप उभरा है।
बहरिया कॉलेज की एक स्कूली छात्रा सबा अली ने 12 वीं कक्षा की जीवविज्ञान व्यावहारिक परीक्षा के दौरान संघीय बोर्ड द्वारा नियुक्त परीक्षक सादत बशीर के हाथों यौन उत्पीड़न की एक घटना फेसबुक पर शेयर की। पाकिस्तानी सोशल मीडिया में अली की पोस्ट जंगल की आग की तरह फैल गई और उसी विद्यालय के दर्जनों किशोर छात्राओं ने इसी तरह के आरोपों की झड़ी लगा दी। उन्होंने बशीर के खिलाफ अपने स्वयं के साक्ष्य पोस्ट किए और दो दिनों के भीतर #PunishSadatBashir जैसे समर्थन समूह बन गये।
अन्य #MeToo आंदोलन, विशेष रूप से पश्चिम में, सेलिब्रिटीज के साक्ष्य के साथ शुरू हो गए और शीघ्र ही उन्होंने हजारों साधारण नागरिकों का समर्थन प्राप्त किया।
पाकिस्तान में महिरा खान और मीशा शफी जैसी सेलिब्रिटीज अब स्कूली छात्रों के लिए खुलकर अपना समर्थन प्रदर्शित कर रही हैं।
यह सब देखकर अधिक से अधिक स्कूली छात्र अपनी कहानियों के साथ बाहर निकल रहे हैं और समूहों का समर्थन करने के लिए अपने साक्ष्य पोस्ट कर रहे हैं। बशीर को दंडित करने से लेकर स्कूलों में यौन उत्पीड़न की सामान्य समस्या को हल करने तक के लिए कई ऑनलाइन समूह स्थिति से निपटने के तरीके तैयार कर रहे हैं।
#MeToo के आने के बाद से हमने देखा है कि कैसे इन मनोरंजन-प्रेरित, हैशटैग-जुनूनी ऑनलाइन दुनिया में सामाजिक आंदोलनों को केवल एक जगह ही नहीं मिली है, बल्कि उनका एक साम्राज्य भी है।
लेकिन भारत में, बॉलीवुड में #MeToo आंदोलन पर चुप्पी के बारे में जब महिला सेलिब्रिटीज से पूछताछ की जाती है, तो वे बोलने में शामिल जोखिमों का हवाला देती हैं, और यह कहती है कि इसके लिए उन्हें भी दोषी करार दिया जा सकता है और वे व्यवसाय छूटने के जोखिम से भी डरती हैं।
हाल के एक साक्षात्कार में, जब अनुभवी फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा ने # MeToo आंदोलन के लिए बॉलीवुड में समर्थन की कमी के कारण के बारे में आलिया भट्ट से पूछा तो उन्होंने कहा, “एक बहुत बड़ी गलत धारणा है कि अगर आपके साथ यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ किया गया है या किसी भी तरह से शोषण किया गया है, जिस तरह की संस्कृति से हम से आते हैं, वहां एक निश्चित भावना होती है कि यहां आपकी भी गलती होगी।”
इसी दौरान सोनम कपूर द्वारा द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक साक्षात्कार में कहा गया था, “दुर्भाग्यवश भारत में, बहुत शर्मिंदगी इससे जुड़ी हुई है। अगर आपके साथ कुछ होता है, तो आप बस मुस्कुराते हैं और गूंगा होने का नाटक करते हैं। आप इसे अनदेखा करते हैं, नाटक करते हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ क्योंकि यदि आप इसके बारे में बात करते हैं, तो आपको और अधिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा।”
लेकिन दुनिया भर में आंदोलन करने वाले सभी लोगों ने भी इन डरों का सामना किया था।
मौन रहना आमतौर पर खराब कदम नहीं माना जाता है। यह कुछ अनुचित कहने से बेहतर हो सकता है। लेकिन एक बार जब आपको बोलने के महत्व का एहसास होता है तो फिर चुप्पी पीड़ा देती है।
Read in English : Celebrities in Pakistan openly support school girls’s #MeToo. Bollywood can learn