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Saturday, 20 April, 2024
होममत-विमतसुषमा स्वराज तो ट्रोल हुई हीं, पर आईआईटी की छवि को भी पंहुचा है नुकसान

सुषमा स्वराज तो ट्रोल हुई हीं, पर आईआईटी की छवि को भी पंहुचा है नुकसान

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यह जरूर कहा जाना चाहिए कि आईआईटी वैल्यू सिस्टम का इस प्रकार के व्यवहार के साथ कोई लेना-देना नहीं है, चाहे यह किसी भी माध्यम पर हो।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की हालिया ट्रोलिंग सोशल मीडिया पर निम्नस्तरीय चर्चाओं की एक दुःखद अभिव्यक्ति है। ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि इस तरह की तीखी ट्रोलिंग को अभिव्यक्ति की आज़ादी के रूप में न्यायसंगत कैसे ठहराया जाता है।

इस मामले में ट्रोल एक मुकेश गुप्ता हैं जिनके ट्विटर हैंडल का दावा है कि वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली से बी.टेक हैं। यदि हैंडल पर दिया गया विवरण वास्तव में सही है तो यह आईआईटी के सभी गरिमामय मूल्यों के चेहरे पर एक थप्पड़ है।

मुकेश गुप्ता का ट्वीट

अब तक आईआईटीज़ ने प्रचंडतापूर्वक प्रतिस्पर्धी और अकादमिक इकोसिस्टम का प्रतिनिधित्व किया है और अपने लिए एक जगह बनाई है।

विभिन्न आर्थिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के छात्र आईआईटी में आते हैं, जिनमें से कुछ बाद में अपने डॉक्टोरल या पोस्ट-डॉक्टोरल शोध के लिए मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) जैसे संस्थानों में जाते हैं।

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असाधारण रूप से मेधावी ये छात्र सिर्फ और सिर्फ कड़ी मेहनत के माध्यम से आईआईटी को एक ब्रांड नाम बनाने में सफल रहे हैं। और यही कारण है कि वैश्विक बुद्धिजीवियों के शीर्ष नामों में आईआईटीयन्स की गणना की जाती है।

मुकेश गुप्ता का एक ट्वीट आईआईटी के ब्रांड की छवि, जिसे खड़ा करने में वर्षों का समय लगा है, को धूमिल करने के लिए एक खतरा है।

यह जरूर कहा जाना चाहिए कि आईआईटी वैल्यू सिस्टम का इस प्रकार के व्यवहार के साथ कोई लेना-देना नहीं है, चाहे यह किसी भी माध्यम पर हो। आईआईटी एक समावेशी स्थान का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें अनेकों अलग-अलग विचार और दृष्टिकोण शांतिपूर्वक एक साथ रह सकते हैं।

आईआईटी बॉम्बे के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग के एक शोधकर्ता सदस्य के रूप में और एक वैचारिक विश्वास, जो कि यहाँ अल्पमत है, रखते हुए मैं आपको बता सकता हूँ कि मैंने कभी भी एक पल के लिए भी असहज महसूस नहीं किया है। इस संस्थान में समावेश की प्रकृति ही ऐसी है।

एक आईआईटी में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) या वामपंथी दल या आम आदमी पार्टी (एएपी) का समर्थन करने वाले लोग मिल सकते हैं। यहाँ जो आपको नहीं मिलेगा वह है अपनी बात को सिद्ध करने के लिए छात्रों के बीच कड़वी और भद्दी चर्चाएँ। यहाँ चर्चा की गुणवत्ता अकादमिक और तथ्य-संचालित है।

एक आईआईटी का वातावरण सिर्फ ज्ञान प्राप्त करने का स्थान ही नहीं है बल्कि यह किसी अगले व्यक्ति को वही ज्ञान बांटने के शिष्टाचार और नैतिकता को सीखने के लिए एक उत्तम स्थान भी है।

उदाहरण के लिए, स्वराज के मामले में यह निश्चित रूप से एक मंत्री के कार्यो पर सवाल उठाने के नागरिक अधिकारों के दायरे में है। हालाँकि गुप्ता ने स्वराज से इस ढंग से सवाल किया, जो कि एक शिक्षित व्यक्ति का परावर्तक नहीं है और एक आईआईटीयन से बहुत कमतर है।

मैं ईमानदारी से उम्मीद करता हूँ कि गुप्ता सिर्फ उल्लू बना रहे हैं कि वह एक आईआईटीयन हैं। लेकिन यदि ऐसा नहीं है तो यह आईआईटी समुदाय के लिए सामूहिक शर्म की बात है और गंभीर आत्मनिरीक्षण की मांग करता है।

राघव पांडे मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग, आईआईटी बॉम्बे, मुंबई में एक शोधकर्ता सदस्य हैं। उनका ईमेल पता है raghav10089@gmail.com; और ट्विटर हैंडल है @raghavwrong

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