28 जुलाई को, संयुक्त राज्य अमेरिका ने ताइवान को 345 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता की घोषणा की. चीन के शीर्ष राजनीतिक सलाहकार और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नंबर दो वांग हुनिंग ने पिछले हफ्ते तिब्बत का दौरा किया. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने बताया कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी के रॉकेट फोर्स कमांडर ली युचाओ पर भ्रष्टाचार विरोधी बलों द्वारा जांच की जा रही है. इस सप्ताह का चाइनास्कोप बीजिंग की बातचीत की रणनीति और उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर वर्चस्व के लिए सौदेबाजी की जांच करता है.
सप्ताह भर में चीन
PLARF के शीर्ष पर भ्रष्ट अधिकारियों की जांच के बारे में अफवाहें हाल ही में सामने आई हैं. एससीएमपी से बात करने वाले अज्ञात सूत्रों के अनुसार, हमें पता चला है कि भ्रष्टाचार के आरोपों पर ली की जांच की जा रही है.
उनके वर्तमान डिप्टी लियू गुआंगबिन की भी जांच की जा रही है, साथ ही उनके पूर्व सहयोगी झांग झेंझोंग की भी जांच की जा रही है, जो भ्रष्टाचार के आरोप में जांच के दायरे में हैं. उन्हीं सूत्रों के मुताबिक, जांच कथित तौर पर चीन के पूर्व रक्षा मंत्री वेई फ़ेंघे के मार्च 2023 में सेवानिवृत्त होने के बाद शुरू हुई.
चीन के रक्षा मंत्रालय ने अभी तक इस खबर की पुष्टि नहीं की है. PLARF के भीतर संकट का चीन के परमाणु हथियारों के आधुनिकीकरण के प्रयासों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, जिसने इंडो-पैसिफिक में कई लोगों को चिंतित किया है.
इस बीच, शी ने 1 अगस्त को पड़ने वाले चीन के सेना दिवस से पहले 26 जुलाई को वेस्टर्न थिएटर कमांड वायु सेना का निरीक्षण किया.
चेंग्दू में वेस्टर्न थिएटर कमांड एयर फोर्स बेस पर राष्ट्रपति ने कहा, “युद्ध प्रभावशीलता के निर्माण में तेजी लाने और उन्हें युद्ध प्रणाली में व्यवस्थित रूप से एकीकृत करने के लिए नए उपकरणों और बलों को बढ़ावा देना आवश्यक है.”
जहां कि भ्रष्टाचार का मामला पीएलए के सिर पर लटका हुआ है, शी सेना पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की सर्वोच्चता पर जोर देने में महत्वपूर्ण समय बिता रहे हैं. शी के लिए आइडियोलॉजिकल टीचिंग महत्वपूर्ण है, जो हर बार निरीक्षण दौरे पर जाने पर स्पष्ट होता है.
हम हर दिन शी के वैचारिक आदर्श वांग हुनिंग को निरीक्षण यात्रा पर तिब्बत जाते नहीं देखते हैं. पिछले सप्ताह यही हुआ.
वांग ने मंगलवार से गुरुवार तक निंगची और राजधानी ल्हासा सहित सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा किया. पोलित ब्यूरो स्थायी समिति में उनकी वरिष्ठता और शी के साथ उनका जुड़ाव उन्हें 2022 में शी की ल्हासा यात्रा के बाद से तिब्बत के सबसे महत्वपूर्ण विज़िटर्स में से एक बनाता है.
भारत के अरुणाचल प्रदेश के ठीक सामने निंगची में, राजनीतिक सलाहकार ने मिलिन शहर के ज़िगामेंबा गांव, यानी नेशनल वेटलैंड पार्क और बेई जिले के गाला गांव का दौरा किया.
वांग ने गरीबी उन्मूलन अभियान और चीन द्वारा भारत के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में बनाए जा रहे ज़ियाओकांग गांवों की ओर इशारा करते हुए कहा कि “सीमावर्ती क्षेत्रों की विकास क्षमताओं को बढ़ाने” की आवश्यकता है.
वांग ने कहा, “हमें मातृभूमि के फिर से एकीकरण की सुरक्षा और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए तिब्बत के काम को फोकस के रूप में लेना चाहिए, जातीय और धार्मिक कार्यों में ठोस काम करना चाहिए और जातीय आदान-प्रदान को मजबूत करना चाहिए.”
वांग ने चीन के लिए सबसे अधिक प्रासंगिक चार मुद्दों को भी रेखांकित किया, जिनमें “स्थिरीकरण, विकास, पारिस्थितिकी और सीमाओं को मजबूत करना” शामिल है.
शी के शासनकाल में सीमा रक्षा अब वैचारिक विशिष्टता हासिल कर चुका है, और वांग इसके नए आदर्श हैं.
इसके अतिरिक्त, वांग ने सिचुआन-तिब्बत रेलवे के निर्माण का निरीक्षण किया. चीनी राज्य मीडिया ने दावा किया है कि रेलवे परियोजना का निर्माण पूरा होने वाला है, लेकिन स्वायत्त क्षेत्र प्राधिकरण द्वारा जारी 14वीं पंचवर्षीय योजना के अनुसार, परियोजना 2025 तक जारी रहने की संभावना है.
इस बीच, 28 जुलाई को बीजिंग ने चेंग्दू में 31वें विश्व विश्वविद्यालय खेलों का उद्घाटन समारोह आयोजित किया, जहां इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो सहित विश्व के तमाम नेता उपस्थित थे.
भारत ने अपनी पूरी वुशु (मार्शल आर्ट) टीम को खेलों में भाग लेने से वापस बुला लिया क्योंकि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तीन एथलीटों को स्टेपल वीजा जारी किया था. गुरुवार को चेंग्दू के लिए उड़ान भरने वाली टीम को इमीग्रेशन अधिकारियों और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) कर्मियों ने इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आखिरी मिनट में रोक दिया.
स्टेपल वीज़ा के मुद्दे को हल करते हुए, शिन्हुआ समाचार एजेंसी के पूर्व पत्रकार ज़िचेंग वांग – जो अब सरकारी थिंक टैंक सेंटर फ़ॉर चाइना एंड ग्लोबलाइज़ेशन से संबद्ध हैं – द्वारा संचालित अंग्रेजी भाषा के न्यूज़लेटर पेकिंगनोलॉजी ने विदेश मंत्री वांग यी की 2014 की स्टेपल वीज़ा वाली टिप्पणी का हवाला देते हुए स्टेपल्ड वीज़ा को ‘गुडविल जेस्चर’ बताया. न्यूज़लेटर संस्करण में आरोप लगाया गया कि भारत चीनी व्यवसायियों के लिए व्यावसायिक वीज़ा के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया अपनाता है. लेकिन ज़िचेन और उनके सह-लेखक भारत-चीन सीमा विवाद का उल्लेख करने में भी असफल रहे.
बीजिंग उभरती अर्थव्यवस्थाओं को चीन के खिलाफ एकजुट होने से रोकने के लिए एक नया ठोस प्रयास कर रहा है – जो उस रणनीति का एक बड़ा हिस्सा है जिसका उद्देश्य भारत के विकल्पों को सीमित करना है. 25 जुलाई 2023 को जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) की बैठक के दौरान, वांग ने “वैश्विक शासन प्रणाली के सुधारों के नए दौर” में “वैश्विक दक्षिण का प्रतिनिधित्व बढ़ाने” का आह्वान किया.
तथाकथित “ग्लोबल साउथ” के बारे में चीन की समझ संभवतः बीजिंग के नेतृत्व वाली क्षेत्रीय व्यवस्था है जिसमें नई दिल्ली एक जूनियर पार्टनर बन जाता है. व्यावसायिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने का आह्वान करते हुए सीमा विवाद को नजरअंदाज करना ताकत की स्थिति से बातचीत करने की बीजिंग की रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि यह पहले से ही पूर्वी लद्दाख में उन क्षेत्रों को सुरक्षित करने में कामयाब रहा है, जहां अतीत में पीएलए गश्ती दल की अपर्याप्त उपस्थिति थी.
जोहान्सबर्ग में भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल की वांग यी के साथ बैठक के बाद प्रकाशित चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रेस बयान में उल्लेख किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी 2022 में “बाली में चीन-भारत संबंधों को स्थिर करने पर एक महत्वपूर्ण सहमति” पर पहुंचे थे.
इस बयान को विदेश मंत्रालय के बयान के मंडारिन संस्करण में दबा दिया गया था, जिसे दि हिंदू ने उठाया था, और शिन्हुआ ने अधिकांश अंग्रेजी भाषा के लेखों से बाहर कर दिया था.
भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने अब स्वीकार किया है कि मोदी और शी ने अपनी बाली बैठक के दौरान संबंधों को स्थिर करने की आवश्यकता पर संक्षेप में चर्चा की. लेकिन वांग ने शी के साथ मोदी की संक्षिप्त बातचीत का जिक्र अब ही क्यों किया?
यह एक बातचीत की एक क्लासिकल रणनीति है जिसे चीन उपयोग करने के लिए जाना जाता है – बातचीत के बीच में नए विवरण जोड़ने से प्रतिद्वंद्वी असंतुलित रहता है और उनकी हताशा बढ़ जाती है. हमें आश्वस्त किया जा सकता है कि इन बैक-चैनल वार्ताओं से पूर्वी लद्दाख में निर्मित स्थायी संरचनाओं को नष्ट नहीं किया जाएगा, जिन्हें सैन्य अभ्यास के दौरान चीनी राज्य टेलीविजन पर नियमित रूप से प्रसारित किया जाता है. पीएलए कहीं नहीं जा रही है.
प्यू रिसर्च सेंटर के एक नए सर्वेक्षण से पता चलता है कि केवल इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया और केन्या जैसे “ग्लोबल साउथ” के देश ही चीन के बारे में कुछ हद तक तटस्थ विचार रखते हैं. भारत, बीजिंग के प्रति रिकॉर्ड-उच्च नकारात्मक विचारों वाले प्रमुख अवरोधकों में से एक है.
नई दिल्ली को बीजिंग के साथ बातचीत में स्पष्ट दृष्टिकोण रखना चाहिए, अन्यथा वह उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच ‘चीन के नेतृत्व वाले देशों’ के जाल में फंस जाएगा. यह भारत के दीर्घकालिक हितों के लिए हानिकारक होगा.
क्षेत्र में बीजिंग के बारे में कुछ हद तक सकारात्मक विचार बनाए रखने के लिए भारत के बातचीत विकल्पों को सीमित करना बीजिंग के लिए अगला सबसे अच्छा विकल्प है.
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विश्व समाचार में चीन
वाशिंगटन ने ताइवान को 345 मिलियन डॉलर के सैन्य सहायता पैकेज की घोषणा की है, जो अमेरिकी भंडार से हथियार प्रणालियों को ताइपे में स्थानांतरित करेगा.
यह पहल अलग है क्योंकि बिक्री अमेरिकी भंडार पर आधारित है, ठीक उसी तरह जैसे यूक्रेन को रूस के खिलाफ हथियारबंद किया गया है. ताइवान के लिए राष्ट्रपति के ड्रॉडाउन पैकेज का मतलब है कि इन हथियारों को एक नई प्रणाली के उत्पादन की प्रतीक्षा करने के बजाय तुरंत स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जबकि पहले से ही कुछ हथियार हस्तांतरण में देरी हो गई है.
पैकेज में ताइवानियों के लिए रक्षा, शिक्षा और प्रशिक्षण शामिल होगा – जो बाइडेन प्रशासन ने आधिकारिक तौर पर पैकेज का विवरण प्रकाशित नहीं किया है.
नाम न छापने की शर्त पर एसोसिएटेड प्रेस से बात करने वाले एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, लेकिन वाशिंगटन द्वारा “मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम, या MANPADS, खुफिया और निगरानी क्षमताएं और फायर आर्म्स और मिसाइलें” भेजने की संभावना है.
चीन में आलोचकों ने चिंता व्यक्त की है.
चाइना डेली ने एक ऑप-एड में कहा, “[इसका] उद्देश्य युवाओं के दिमाग में अलगाववाद का बीज बोना है ताकि उन्हें सत्ता में अलगाववादियों के तोप के लिए चारे की तरह इस्तेमाल किया जा सके.”
सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी के टॉम शुगार्ट की एक नई रिपोर्ट बताती है कि ताइवान पर आक्रमण जल्दी नहीं हो सकता है क्योंकि चीन की हवाई सुरक्षा तैयार नहीं है – जिसमें कठोर विमान आश्रय (hardened aircraft shelters,एचएएस) भी शामिल है.
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चायनाज़ वेपनाइज़िंग ऑफ गैलियम एंड जर्मेनियम – जॉन सीमैन
बीजिंग इज़ गोइंग प्लेसेज़—एंड बिल्डिंग नेवल प्लेसेज़ – अलेक्जेंडर वूली और शेंग झांग
(लेखक एक स्तंभकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं. वह पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीनी मीडिया पत्रकार थे. वह वर्तमान में ताइपे में स्थित MOFA ताइवान फेलो हैं और उनका ट्विटर हैंडल @aadilbrar है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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