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Saturday, 21 December, 2024
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बॉलीवुड वालों सिंहासन खाली करो कि ‘बैकबेंचर्स’ आते हैं

बॉलीवुड के 'बैकबेंचर्स', जिन्हें अक्सर साइड रोल्स के लिए याद और सेलिब्रेट किया जाता है, सोशल मीडिया पर खानों की प्रसिद्धि को ध्वस्त कर रहे हैं.

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बॉलीवुड एक्टर्स जैसे सलमान खान, शाहरुख खान, आमिर खान, ऋतिक रोशन, प्रियंका चोपड़ा और फिर ए-लिस्टर्स, ना सिर्फ अपनी फिल्मों और फैन्स के लिए स्टार रहे हैं बल्कि अपने प्रमोशनल ट्विटस, विदेशी टूर और वर्कआउट की तस्वीरों से सोशल मीडिया पर छाए भी रहे हैं. कुछ ऐसा ही बॉलीवुड के सिंगर्स, डॉयरेक्टर्स और गीतकारों के साथ भी रहा है.

लेकिन अब नहीं.

बॉलीवुड के ‘बैकबेंचर्स’, जिन्हें अक्सर साइड रोल्स के लिए याद और सेलिब्रेट किया जाता है, सोशल मीडिया पर सुपरस्टारों की प्रसिद्धि को ध्वस्त कर रहे हैं. ‘बैकबेंचर्स’ उन्हें स्टारडम के नजरिए से कहा जा रहा है, निजी उपलब्धियों के लिए नहीं. और ये तख्तापलट बहुत आसानी से हो गया है. दरअसल सत्ताधारी पार्टी के चीयरलीडर्स के तौर पर वो मास लेवल की पॉपुलैरिटी का आनंद ले रहे हैं. सोशल मीडिया पर इन लोगों को उपस्थिति तब तक अदृश्य थी जब तक कि नफरत की महामारी नहीं शुरू हुई थी. उसके बाद ये फ्रंटलाइन योद्धाओं के तौर पर उभरे हैं. जैसे पायल रोहतगी, विवेक अग्निहोत्री, मनोज जोशी और भी कई सारे नाम, के सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स हैं. एक तरह से ये नए योद्धा बॉलीवुड के ए-लिस्टर्स को बता रहे हैं कि फैन्स के दिलों को जीतने के उनके तरीके आउट ऑफ फैशन हो चुके हैं.

अब आप मुस्लिमों-ईसाइयों के खिलाफ नफरत, ‘सुप्रीम लीडर’ के सामने नहीं झुकने वालों की खिलाफ अधिक से अधिक घृणा, अपने को स्टार्स (यहां अधिकतर महिला को-स्टार्स पढ़ें) को निशाना बनाकर, फिर विपक्षी नेताओं पर हमला करके, बहुत सारी फेक न्यूज शेयर करके या फिर कोई तीसरे दर्जे की संवेदनहीन- बेतुकी बॉलीवुड फिल्म बनाकर दिलों पर राज कर सकते हैं.


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न्यू लाइफ, न्यू फेम

क्या किसी ने कल्पना की थी कि बॉलीवुड में कॉमेडी रोल करने वाले एक्टर मनोज जोशी (एक बेहतरीन थिएटर एक्टर भी) को सलमान खान जैसे सुपरस्टार से ज्यादा लाइक्स और रीट्विट्स मिलेंगे? मनोज जोशी ने पिछले दो हफ्तों में ट्विट्स की झड़ी सी लगा दी है. पहली नजर में आप उनके ट्विट्स को आधार मानकर उन्हें सत्ताधारी पार्टी के स्पोक्सपर्सन के तौर पर देखने की गलती कर सकते हैं. आखिरकार वो लगातार प्रधानमंत्री मोदी की तारीफों के कसीदे गढ़ रहे हैं, विपक्ष को निशाना बना रहे हैं, खासकर कांग्रेस और राहुल गांधी, नफरत फैला रहे हैं.

कुछ ऐसा ही हाल विवेक अग्निहोत्री का है, जिन्होंने चॉकलेट, हेट स्टोरी और द ताश्कंद फाइल्स जैसी फिल्में डायरेक्ट की हैं. अब वो  फेक न्यूज फैलाने, सोशल मीडिया पर लड़ाइयां, मुस्लिमों के खिलाफ नफरत और एक टर्म ‘अर्बन नक्सल’ के धड़ल्ले से उपोयग करने के लिए जाने जाते हैं. हाल ही में उन्होंने बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा की एक तस्वीर शेयर करते हुए आरोप लगाया था कि वो लॉकडाउन का उल्लंघन कर रही हैं. इसके बाद सोनाक्षी सिन्हा ने मुंबई पुलिस से उनपर एफआईआर दर्ज करने का आग्रह किया कि अग्निहोत्री ने उनकी पुरानी तस्वीर शेयर की है.

एक और प्रोड्यूसर, ‘तेरे मेरे सपने’ और ‘फिल्मी चक्कर’ टीवी शो के डायरेक्टर अशोक पंडित ने आईटी सेल के चीफ ट्रोल बनने की जिम्मेदारी ली है. वो लिबरल और सेक्युलर वैल्यूज की बात करने वाले लोगों को टारगेट कर अपमानित करने में माहिर हो गए हैं. हाल ही में उन्होंने बॉलीवुड के अपने एक सहयोगी पर भी हमला बोला है. वो देश के लगभग सभी ज्वलंत मुद्दों पर स्क्रीन राइटर जावेद अख्तर से स्पष्टीकरण मांगते हैं. इस बात का जवाब भी अशोक पंडित ही दे सकते हैं कि वो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बात करने के लिए जावेद अख्तर को फोन क्यों नहीं कर लेते हैं? जैसा कि वो अपने एक ट्वीट में बता चुके हैं कि जावेद अख्तर उनके मित्र भी हैं.


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अशोक पंडित और विवेक अग्निहोत्री, दोनों ही स्वरा भास्कर, ऋचा चड्ढा और सोनाक्षी सिन्हा को लगातार टारगेट करते हैं.

पुराने लोगों से मिल रही है प्रेरणा 

मुझे लगता है कि ये सभी लोग अपने नए अर्जित फेम की प्रेरणा पुराने और स्थापित एक्टर्स जैसे परेश रावल और अनुपम खेर से भी ले रहे हैं. दोनों ही युग पुरुष बॉलीवुड के हालिया पुनर्जागरण के लिए भी जिम्मेदार हैं. दोनों ने ही फिल्मों में साइड रोल्स किए हैं और अपनी शानदार एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं. मगर पिछले कुछ सालों से भाजपा की आलोचना करने वालों को लेकर आक्रामक भी हो रहे हैं. दोनों अनौपचारिक रूप से दक्षिणपंथी समूह के सोशल मीडिया इन्सपेक्टर की भांति व्यवहार करते हैं.  कांग्रेस और अन्य राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ सेक्युलर और प्रोग्रेसिव सोच वाले रखने वालों पर भी धावा बोलते हैं. यहां विडंबना ये है कि दोनों ही अभिनेताओं ने सामाजिक रूप से प्रगतिशील और उदारवादी फिल्मों में काम करने के लिए ही सबसे ज्यादा प्रशंसा और सम्मान हासिल किया है.

इससे पहले, इस सोशल मीडिया पर ज़्यादातर मजाक और बदनामी केआरके यानि कि कमल रशीद खान तक सीमित थी. एक अभिनेता और निर्माता, केआरके ने ‘देशद्रोही’ फिल्म मे मुख्य भूमिका निभाने के बाद, अपनी फिल्म समीक्षाओं से लोगों को टोर्चर करना शुरू किया. हालांकि जनता ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया.

लेकिन बॉलीवुड के हालिया राजनीतिक और सांप्रदायिक समुराइयों की बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग है. उनके विचारों को सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा मिनटों के भीतर ही हजारों लाइक्स और शेयर मिलते हैं. इन लोगों के समर्पित फैन इन्हें हर जगह टैग करके लड़ाइयों और कड़ा जवाब देने के लिए भी उकसाते हैं. जिससे प्रेरित होकर ये लोग महिला अभिनेताओं और पत्रकारों से लड़ाई करते भी हैं.

सोशल मीडिया पर बनी इन छवियों ने इन लोगों के जीवन और अन्य कामों को ओवर पावर कर लिया है. बहुत थोड़े ही समय में अपनी पहुंच और प्रभाव से ये इतने शक्तिशाली हो गए हैं कि किसी भी हद तक जा सकते हैं. बॉलीवुड के खानों और कुमारों से लेकर पुरानी पीढ़ियों की बड़ी हस्तियों तक के पीछे पड़ सकते हैं. जब कोई तार्किक बात कर रहा हो या प्यार और भाईचारे की बात कर रहा हो तो इनके फैन्स तो हैं ही, इनका ध्यान इस ओर लाने के लिए.

सोशल मीडिया पर इन लोगों की उपस्थिति ने कथित बड़े स्टारों को ट्विटर जैसे प्लैटफॉर्म पर एक गेस्ट अपीयरेंस देने के लिए मजबूर सा कर दिया है. इसलिए बॉलीवुड के तथा कथित बड़े स्टार बचते-बचाते और कहीं उलझने की बजाय अब अपनी उपस्थिति प्रोमोशन के वक्त ही दर्ज कराते हैं. लोकप्रिय स्टारों की पब्लिक से बातचीत भी काफी हद तक कम हो गई है. जैसा मैंने शुरू में ही कहा कि बॉलीवुड के ‘बैकबेंचर’ अपना स्पेस क्लेम कर रहे हैं और उन्हें रोकना नामुमकिन है. भले ही ये क्लेम नफरत के आधार पर हो. भविष्य में उनके जैसे बहुत से लोग आएंगे और मोदी सरकार की आलोचना करने वालों पर अटैक करेंगे.

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3 टिप्पणी

  1. When u choose only one side of bollywood to criticize..u lost ur journalism… U havent mention anythn regarding leftist gang of bollywood, their language, their followers who r equally abusive to right wing and some extent to hinduism as well. U guys are no different from trolls and ur selective journalism is main reason India polarization which will increase.

  2. Fir ek bhut hi nimnstariy or ghatiya lekh….mahamri ke is for Mai chun chun Kar aisie logo ko nisna banai Jo apke hisab se nahi bolte…phle aap ek rajputfobia se grast lekh likhati hai ab modifobia se grast hokar…..apko hindufobia ho gya hai……..babita fogat ko muslimo ki dhamki mil rahi hai lekn aap ko us se Kya aap to jhuth bolengi .,…….yah jhuth aap ko le dubega

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