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Saturday, 18 May, 2024
होममत-विमतभारत में स्ट्रेस के विषय पर बात करने का समय आ गया है क्योंकि अब गुरु भी आ रहे हैं इसकी चपेट में

भारत में स्ट्रेस के विषय पर बात करने का समय आ गया है क्योंकि अब गुरु भी आ रहे हैं इसकी चपेट में

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अपने योग और आयुर्वेद के बावजूद अधिकांश शीर्ष-स्तरीय आध्यात्मिक पुरुष भारत में अविश्वसनीय रूप से उन्मादपूर्ण जीवन जीते हैं।

नेटफ्लिक्स ने ओशो पर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म वाइल्ड वाइल्ड कंट्री बनाई है। यह भारतीय गुरु ज्यादा काम नहीं करते हैं। उनका आश्रम और जीवन उनकी सचिव माँ आनंद शीला द्वारा प्रबंधित किया जाता है जबकि ‘गुरुदेव’ शांतिपूर्वक चारों ओर घूमते हैं, अक्सर ड्रग के आनंद में।

लेकिन भैय्यूजी महाराज की आत्महत्या यह दर्शाती है कि ‘गुरुओं’ की जिंदगी कुछ भी हो सकती है लेकिन आनंददायक नहीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंदौर के इस गुरु ने मंगलवार को खुद को ख़त्म कर लिया और एक सुसाइड नोट छोड़ दिया। उनके बारे में कहा गया कि उन्होंने अपने नोट में लिखा है कि “किसी को परिवार के दायित्वों को सँभालने के लिए वहां होना चाहिए। मैं अत्यंत तनावग्रस्त होकर जा रहा हूँ, तंग आ गया हूँ।

अपने योग और आयुर्वेद के बावजूद अधिकांश शीर्ष-स्तरीय आध्यात्मिक पुरुष भारत में अविश्वसनीय रूप से उन्मादपूर्ण जीवन जीते हैं। जीवन के जरिये तनाव रहित रूप से चलते हुए उन्हें रचनात्मकता और चातुर्यपूर्ण कौशल के सुपरह्यूमन स्तरों की आवश्यकता है ताकि करोड़ों डॉलर के साम्राज्य, सामाजिक गतिविधियों और लाखों अनुयायियों की आध्यात्मिक जरूरतों को सफलतापूर्वक एक साथ संभाला जा सके। और उन्हें ये सब अपने पवित्र माथे पर एक भी शिकन की रेखा दिखाए बिना करना है।

2018 में बाबा होना विशेष रूप मुश्किल हो गया है क्योंकि उनमें से कई को भ्रष्टाचार से लेकर बलात्कार तक सभी तरह की घृणास्पद गतिविधियों का दोषी पाया गया है। प्रबल मीडिया और कानूनी छान-बीन के साथ उनके लिए एक बिल्कुल स्वच्छ और अलौकिक छवि बनाये रखना कठिन हो रहा है।

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एक गुरु, एक पिता

सामान्य प्रोफाइल वाले 50 वर्षीय भैय्यूजी एक शक्तिशाली आध्यात्मिक नेता थे, खासकर पश्चिमी और मध्य भारत में। उनके पास उनके अनुयायियों की लम्बी फेहरिस्त में फिल्म सितारे और अलग अलग दलों के राजनेता शामिल थे और उन्हें 2014 में नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी आमंत्रित किया गया था।

उनके प्रभाव को देखते हुए उन्हें अक्सर शीर्ष राजनेताओं के बीच विवादों में एक शांति निर्माता के रूप में कार्य करने के लिए कहा जाता था, इन विवादों में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार-विरोधी उपवास के दौरान 2011 में उनके और यूपीए सरकार के बीच का विवाद भी शामिल था।

उनकी मृत्यु के बाद, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मध्य प्रदेश सरकार के लिए काम करने के लिए ‘गुरु जी’ “बहुत ज्यादा मानसिक दबाव” में थे।

भैय्यूजी, जो कि एक आध्यात्मिक पुरुष बनने से पहले एक मॉडल थे, ने किसानों की आत्महत्या से लेकर वनरोपण तक कई सामाजिक मुद्दों पर भी काम किया था। एक आध्यात्मिक व्यक्ति और राजनीतिक मध्यस्थ होने के अलावा वह एक पति और पिता भी थे।

पत्रकार भवदीप कांग अपनी किताब ‘गुरुज़: स्टोरीज़ ऑफ़ इंडियाज़ लीडिंग बाबाज़’ में कहती हैं कि गुरु जी का मानना था कि वह दिन में दो घंटे सोकर अपने व्यस्त जीवन को चला सकते थे। उन्होंने लिखा था कि “वह दिन की शुरुआत प्रार्थना, ध्यान और कसरत के साथ सुबह चार बजे करते हैं। उनकी कसरत में तलवारबाजी और कुश्ती शामिल है। सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर वह एक यज्ञ करते हैं। फिर वह पूरे दिन बैठकों में शामिल रहते हैं।

कुचल देने वाली उम्मीदें

गुरुओं पर उम्मीदों के इस कुचल देने वाले बोझ को 1965 की एक उत्कृष्ट बॉलीवुड फिल्म गाइड में खूबसूरती से कैद किया गया है। इस फिल्म में देव आनंद का किरदार एक टूर गाइड होने से शुरू होकर एक आध्यात्मिक गुरु के किरदार तक जाता है। उनके अनुयायियों द्वारा गाँव में सूखे को ख़त्म करने के लिए उनसे (देव आनंद) उपवास रखने के लिए कहा जाता है। अपने मिथ्याधर्मी विश्वासों को छुपाने में असमर्थ वह उपवास रखते हैं और मर जाते हैं। उनकी मृत्यु से ठीक पहले उनके शरीर और आत्मा के बीच लड़ाई होती है। जबकि उनकी लौकिक चेतना अपनी पूर्व प्रेमिका और माँ के पास लौटने की इच्छा रखती है वहीं उनकी आत्मा ग्रामीणों को चोट पहुँचाने और उनका विश्वास तोड़ने के बारे में चिंतित होती है।

आत्मा कहती है, “मुझे क्या समझेंगे? ढोंगी, धोखेबाज। शरीर उत्तर देता है: “तुम्हें यह यकीन है कि पानी बरसेगा? तू भी इन जाहिलों की तरह अन्धविश्वासी होने लगा? राजू तू, पढ़ा लिखा, तू यह तो नहीं सोचने लगा कि एक आदमी की भूख का इन बादलों से कोई रिश्ता हो सकता है?” फिर आत्मा एक दार्शनिक बम गिराती है: “सवाल अब यह नहीं कि पानी बरसेगा या नहीं; सवाल यह नहीं कि मैं जियूँगा या मरूंगा। सवाल यह है कि इस दुनिया को बनाने वाला, चलाने वाला कोई है या नहीं। अगर नहीं है तो परवाह नहीं जिंदगी रहे या मौत आये। एक अंधी दुनिया में एक अंधे की तरह जीने में कोई मजा नहीं। और अगर है तो देखना यह है कि वो अपने मजबूर बन्दों की सुनता है या नहीं।”

आध्यात्मिक और सामान्य दोनों ही तरह के भारतीय कार्य और जीवन के पूर्णतया असंतुलन के साथ धरती पर सबसे अधिक तनावग्रस्त लोगों में से हैं। अगर ध्यान न दिया गया तो शायद ईश्वर भी हमारे राष्ट्र की सहायता करने में सक्षम नहीं होगा।

Read in English:  India needs to talk about stress because now even gurus are killing themselves

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