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Wednesday, 24 April, 2024
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अगर कनाडा के नागरिक अक्षय कुमार भारतीय हैं तो सोनिया गांधी क्यों नहीं

जो लोग सोनिया गांधी पर निजी हमले उनके विदेश में पैदा होने की वजह से करते हैं. वही लोग अक्सर सिर्फ विदेशों की नागरिकता हासिल किए भारतीयों की उपलब्धियों पर गर्व महसूस करते हैं.

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हम लोग क्यों कल्पना चावला, सुनिता विलियम्स, प्रीति पटेल या फिर अक्षय कुमार को अभी भी भारतीय समझते हैं. लेकिन सोनिया गांधी को अब तक उनके इटालियन नाम से पुकारते हैं? इस हफ्ते एक बार फिर ‘एंटोनियो माइयो’ नाम का खबरों में कमबैक हुआ. रिपब्लिक चैनल के एंकर अर्णब गोस्वामी ने बिना किसी लिहाज के कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी पर महाराष्ट्र में हुई मॉब लिंचिंग के लिए निजी हमला बोला.

भाजपा के नेता और समर्थक सोनिया गांधी को विदेशी कहने में एक आनंद सा महसूस करते हैं. सत्ताधारी पार्टी के समर्थन में ख़बरें दिखाए वाले कुछ एंकर भी सोनिया गांधी को विदेशी नाम से घेरते हैं और बार -बार उनके इटालियन कनेक्शन की बात करते हैं. ताकि उनकी पार्टी और समर्थक देश के हितों के खिलाफ काम करने वालों के रूप में नजर आएं. अब इस हित का क्या अर्थ है, यही लोग जानते हैं और अर्णब गोस्वामी इस झुंड के अघोषित नेता की तरह नजर आ रहे हैं. ये एक बात कहना शुरू करते हैं और उनके फॉलोअर्स कर्तव्य निष्ठा से उसका पालन करते हैं. भले ही इस वक्त देश नेशनल हेल्थ क्राइसिस से जूझ रहा हो और यहां के बच्चे भूख से मर रहे हों.

हालांकि, अर्णब कभी भी जवाब नहीं देते हैं और ना ही उनके फॉलोअर्स उनसे कभी पूछते हैं कि क्यों सोनिया गांधी जो एक पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी हैं और देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी की अध्यक्ष उनको एक विदेशी नजर आती हैं? अपना आधे से ज्यादा जीवन भारत में गुज़ारने के बाद भी वो कुछ लोगों की नजरों में भारतीय क्यों नहीं हैं? लेकिन कनाडा के नागरिक अक्षय कुमार भारतीय हैं? क्योंकि जब वो कमर्शियल फिल्मों में काम नहीं कर रहे होते तो वो लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री का इंटरव्यू ले रहे होते हैं? उनसे आम कैसे खाते हैं का सवाल पूछ रहे होते हैं?


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विदेशी शब्द से जुड़ा ऑब्सेशन

जो लोग सोनिया गांधी पर निजी हमले उनके विदेश में पैदा होने की वजह से करते हैं. वही लोग अक्सर सिर्फ विदेशों की नागरिकता हासिल किए भारतीयों की उपलब्धियों पर गर्व महसूस करते हैं. फिर चाहे बात कल्पना चावला की हो या फिर सुनीता विलियम्स की हो या फिर प्रीति पटेल और तुलसी गबार्ड, वीएस नायपॉल और झुम्पा लहरी को हो. हम इन सब की उपलब्धियों पर ऐसे  जश्न मनाते हैं जैसे वो भारतीय नागरिक हों.

लेकिन, एक बात ये भी है कि हमारे देश में कुछ लोग अपने ही बीच के लोगों को विदेशी साबित करने के लिए भी आतुर रहते हैं. जैसे कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स. ऐसे में सोनिया गांधी के इटली में पैदा होने बात पर निजी हमला करना कांग्रेस पार्टी पर अटैक करने का एक आसान रास्ता ही है. इस तुलना से भाजपा और नरेंद्र मोदी कांग्रेस की तुलना में अच्छे भी नजर आते हैं.

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नागरिकता के संबंध में कुछ लोग तर्क दे सकते हैं कि कागज के टुकड़ों से ज्यादा जन्मभूमि आपको हिंदुस्तानी बनाती है. इस बात पर ज्यादातर लोग भावुक भी रहते हैं लेकिन ये भावुकता नॉर्थ ईस्ट के लोगों को लेकर गायब हो जाती है. अगर जन्मभूमि की बात को तवज्जों दी जाती है तो नॉर्थ ईस्ट के लोगों को ‘चाइनीज’, ‘जापानी’ या फिर ‘कोरियन’ कहकर उन पर तंज क्यों कसे जाते? कोरोना महामारी के प्रकोप के दौरान भी ऐसे कई मामले सामने आए जब नॉर्थ ईस्ट के लोगों को कोरोना कहकर पुकारा गया या उनपर थूका गया. क्योंकि कोरोना वायरस का भौगोलिक मूल चीन के वुहान शहर में है. नॉर्थ ईस्ट के लोगों के साथ भेदभाव के ये पहले मामले नहीं थे. इतना ही नहीं दक्षिण भारत के लोग भी उत्तर भारत में हंसी का पात्र बना दिए जाते हैं. भारत की एक बड़ी आबादी के लिए अभी भी दक्षिण भारत के लोग मद्रासी ही हैं.

ऐसा लगता है कि देश के अन्य राज्यों के लोगों को ‘नॉट वन ऑफ आवर ऑन’ मानने का जुनून हिंदी हार्टलैंड में सिर चढ़कर बोलता है. इस तरह के भेदभाव भारतीय समाज का हिस्सा रहे हैं और अभी भी नस्लीय भेद जारी है. इसलिए अगर आप उत्तर भारत के हैं या आप उत्तर भारत के लोगों की तरह दिखते हैं तो आप बाय डिफॉल्ट भारतीय हैं. बाकी लोगों को अपने जन्म प्रमाण पत्र देने होंगे, भारत माता की जय कहकर दिखाना होगा या फिर पीएम मोदी और भारतीय जनता पार्टी के गुण गाने होंगे. लेकिन सोनिया गांधी ये सब करने के बाद भी इटालियन ही रहेंगी.

ब्रिटिश अतीत के कारण पैदा हुई असुरक्षाएं

एक ‘भारतीय’ सुंदर पिचाई अमेरिकन कंपनी गूगल के हेड हैं. एक और ‘भारतीय’ सत्य नडेला माइक्रोसॉफ्ट में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर हैं.  शांतनु नारायण अडोब को लीड कर रहे हैं. अजय पाल सिंह बंगा मास्टर कार्ड के सीईओ हैं. लेकिन क्या भारत में हम ऐसी स्थिति सोच सकते हैं कि एक भारतीय कंपनी को कोई विदेशी लीड करे? हम भारतीय उसे कैसे देखेंगे?


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उनके विदेशी कनेक्शन की भनक लगते ही हम उन्हें जासूस, गद्दार या फिर जयचंद के नामों की उपाधि से नवाज देंगे. बहुत हद तक भारतीय विदेशियों के साथ सहज नहीं रहे हैं भले ही उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित के लिए किसी भारतीय या हिंदी रीति रिवाज के हिसाब से उसकी तारीफों के कसीदे गढ़ रहे हों.

लगता है कि हमारी इन असुरक्षाओं के जड़ें ब्रिटिश अतीत में हैं और वो शायद अभी भी जिंदा हैं. हमपर विदेशियों ने कई सौ सालों तक शासन किया है, इतिसाह की इस बात को खारिज करने के लिए हर उस बात को नापसंद करने लगते हैं जो हमें ‘भारतीय’ नहीं लगती. लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि हमारी स्वतंत्रता की लड़ाई में कई ऐसे भी विदेशी थे, जिन्होंने भारतीयों नेताओं और जनता का साथ दिया था. अभी तो हम भूतकाल में भी नहीं रह रहे. अब तो हमारे जन्म, रेस या धर्म से जुड़ी असुरक्षाओं की वर्तमान में कोई जगह नहीं रहनी चाहिए.

सोनिया गांधी ने अपनी इटालियन नागरिकता छोड़ी, हिंदी सीखी, ताउम्र साड़ियां पहनती रहीं और देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी को चलाया, लेकिन फिर भी वो विदेशी हैं? ये सवाल तो अब पूछना ही पड़ेगा कि वो आखिर ऐसा क्या करें कि कनाडा के नागरिक अक्षय कुमार की तरह वो भी भारतीय समझी जाने लगें.

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9 टिप्पणी

  1. कांग्रेस का आईटी सेल बिल्कुल नकारा है।
    जरा कल्पना कीजिए कि अगर यही सोनिया गांधी बीजेपी में होती तो बीजेपी वाले उसे इक शहीद की विधवा, पीएम की कुर्सी को ठुकराने वाली बलिदान की देवी साबित कर चुके होते के कैसे उन्होंने इक विदेशी महिला हो कर भी भारत की संस्कृति को अपनाया। टीवी वाले भी हमेशा उनकी शान में कसीदे पढ़ रहे होते।

  2. That’s because Akhsay kumar is not the party president of the Grand Old party of India is their a dearth of talented individuals within the Congress party?? But what can one expect from biased people like you .

  3. फिर तो आप किसी को मौत का सोदागर भी नहीं बोल सकते।।पार्टी जुड़ी हुई हैं। वो पार्टी किसी की नीची जिंदगी पर सवाल उठाने में सबसे आगे रहती हैं। तो सवाल उठेगा ही।???? जय हिंद जय भारत ????

  4. अक्षय कुमार सर भारत के नागरिक है, क्योंकि सिर्फ उनका जन्म कनाडा में हुआ था और उनके माता पिता ही भारत के थे
    और सोनिया गांधी (एंटोनियो माइयो) जी को भारत के नागरिक (राजीव गांधी जी) के साथ विवाह करने पर भारत की नागरिकता प्राप्त हुआ है

  5. अभिभी उनके पास इटलियन पासपोर्ट होनेकी बात सुन्नेमे आए है और अरबौकी सम्पती स्विस बैंकमे होनेकी दावा हैं। फोर्ब्सकि माने तो वो बिश्वकी चौथी सर्बाधिक धनाड्य राजनितिक औरत हैं।

  6. समस्या यह नहीं समस्या यह है कि नरेंद्र मोदी जी को इस बात से कोई परेशानी नहीं है कि वह चाय वाले थे या वह गरीब घर से थे परंतु सोनिया गांधी को अपने अतीत से परेशानी क्यों है? अपना नाम भी नहीं बताना चाहती और क्या करती थी यह तो सपने में भी नहीं बताना चाहती अगर कोई उन्हें ऐसा कहता है तो सिर्फ इसीलिए क्योंकि वह हर चीज छुपाना चाहती है।

  7. सोनिया आंटी का इतिहास शायद बहुत भयावह रहा है ।
    यही कारण है कि वह अपने अतीत को सुनना पसंद नहीं करती।
    मोदी जी छाती ठोक कर बोलते हैँ की वह एक मध्यम वर्गीय परिवार से हैं और चाय बेचा करते थे।
    ये कांग्रेसी भड़वे उनको कभी
    नीच
    चायवाला
    मौत का सौदागर
    औऱ भी बहुत कुछ
    कह देते हैं
    थू है इन कांग्रेसियो के मुँह पर

  8. आप सोनिया जी को भारतीय बता रही हैं तो क्या कारण है कि भारत में जबसे नरेन्द्र मोदी की सरकार आई है सुनने में आया है तब से इटली में भारतीय प्रवासियों के साथ इटलीवासियों का व्यवहार अपमानजनक है।

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