रीमिक्सिंग, रीमेकिंग और लिरिक्स से छेड़छाड़ करना बॉलीवुड के लिए कोई नई बात नहीं है. इसके बारे में बहुत कुछ कहा जा चुका है — लेकिन इसका फायदा नहीं हुआ, मगर अली सेठी के पसूरी गीत को अरिजीत सिंह की आवाज़ में सुनने के बाद, मुझे यकीन हो गया है कि बॉलीवुड सिंगर और उनके जैसे अन्य लोगों को क्षेत्रीय, विशेष रूप से पंजाबी गीतों को चुराना और ‘‘इसे अपना बनाना’’ बंद कर देना चाहिए.
मूल रूप से कोक स्टूडियो पाकिस्तान प्रोडक्शन के गीत पसूरी ने अली सेठी और सह-गायक शाइ गिल को वैश्विक प्रसिद्धि दिलाई. इसने सेठी को द न्यू यॉर्कर में जगह और अप्रैल 2023 में कोचेला संगीत समारोह में प्लेटफॉर्म भी दिलवाया. इस गीत ने इस रूढ़िवादिता को भी चुनौती दी कि पंजाबी संगीत या तो अश्लील है या हिंसक है.
मुझे यकीन नहीं है कि ‘‘अरिजीत सिंह का गीत पसूरी नू’’ ऐसा कोई मील का पत्थर हासिल कर भी पाएगा.
कार्तिक आर्यन और कियारा आडवाणी अभिनीत फिल्म ‘‘सत्यप्रेम की कथा’’ के लिए बनाए गए गीत ‘‘पसूरी नू’’ के खिलाफ नाराज़गी इस बात से है कि तक सेठी के सामने उनका काम कितना घटिया दिख रहा है, लिरिक्स के साथ कैसे फेरबदल किया गया और बीट्स तक सही नहीं बैठ रही, लेकिन बड़ा मुद्दा यह है कि इन गीतों का रीमेक बनाना सिंह और क्षेत्रीय संगीत उद्योग दोनों के लिए घाटे का सौदा है.
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सिंह का प्रसिद्धि का दावा
सबसे पहले बात करते हैं बॉलीवुड के सिंगर अरिजीत सिंह की. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 2005 में फेम गुरुकुल नामक एक रियलिटी सिंगिंग शो के जरिए की. उनकी प्रसिद्धि का दावा ‘‘आशिकी-2’’ के ब्लॉकबस्टर रोमांटिक गीत — ‘‘तुम ही हो’’, ‘‘चाहूं मैं या ना’’ थे, जिसने उन्हें एक सैड और रोमांटिक सिंगर की उपाधि दिलाई. 2013 की फिल्म ‘‘ये जवानी है दीवानी’’ से ‘‘कबीरा’’, 2015 की फिल्म ‘‘दिलवाले’’ से ‘‘गेरुआ’’ और ‘‘ऐ दिल है मुश्किल’’ (2016) के टाइटल ट्रैक ने उनकी इस इमेज को और मजबूत किया.
सिंह बेहद प्रतिभाशाली हैं और विश्व स्तर पर प्रसिद्ध भी हैं — वे ईडी शीरन, एरियाना ग्रांडे और बिली इलिश के बाद स्पॉटीफाई पर चौथे सबसे अधिक फॉलो किए जाने वाले कलाकार हैं — जब वे इतने प्रसिद्ध हैं, तो फिर रीमेक गाने क्यों?
यह पहली बार नहीं है जब सिंह पर अपने गानों में पंजाबी संगीत का इस्तेमाल करने का आरोप लगा है. उन पर लखविंदर और पूरन वडाली द्वारा ‘‘चरखा’’ के उनके सुपरहिट गीत ‘‘केसरिया’’ को चुराने का आरोप भी लगा था. 2016 में उन्होंने अक्षय कुमार की फिल्म ‘‘एयरलिफ्ट’’ के लिए पंजाबी गीत ‘‘सोच’’ के हिंदी संस्करण को अपनी आवाज़ दी. मूल गायक, हार्डी संधू, इस बात से ‘‘परेशान’’ थे कि अरिजीत सिंह ने उनसे एक बॉलीवुड फिल्म के लिए गाने का अवसर छीन लिया.
छोटे गायकों का अपमान
अब आइए देखें कि सिंह के पंजाबी गानों के रीमेक क्षेत्रीय संगीत उद्योग के लिए अच्छे क्यों नहीं हैं.
पंजाबी संगीत (और फिल्म) उद्योग पर बंदूक हिंसा का महिमामंडन करने और अर्थहीन गीत बनाने के आरोप लगते रहे हैं. संगीत के नाम पर वे जो घटियापन परोसते हैं, उसके लिए उनकी आलोचना की गई है, लेकिन जब कोई, चाहे वो सेठी हो या संधू, सिंह जैसे बॉलीवुड गायकों की यथास्थिति को चुनौती देता है, जबकि वे इसे व्यापक दर्शकों के सामने पेश करते हैं, उन्हें मूल गीत को ‘‘लोकप्रिय’’ बनाने के लिए भी प्रशंसा मिलती है. मूल गायक को अस्पष्ट यूट्यूब डिस्क्रिप्शन बॉक्स में स्वीकार किया जाता है.
इससे क्षेत्रीय गायकों के आगे बढ़ने के मौके सीमित हो गए हैं. अगर, बॉलीवुड लोकप्रिय पंजाबी गीतों का लाभ उठाना चाहता है, तो मूल गायकों को अपने लेबल या फिल्म के लिए गाने के लिए क्यों नहीं कहता? अगर वे ‘‘स्टार पावर’’ चाहते हैं, तो किसी तरह से मूल गायक को शामिल क्यों नहीं करते?
ये आसान तरीके अधिक क्रेडिट दिलाने में तो मदद कर सकते हैं लेकिन बड़े बॉलीवुड गायकों को क्षेत्रीय गायकों की प्रसिद्धि में से हिस्सा लेने से रोक सकते हैं.
ऐसा केवल इसलिए है क्योंकि अली सेठी और पसूरी इतने बड़े हैं कि अरिजीत सिंह इसे हासिल करने की कोशिश में छोटे दिख रहे हैं. पंजाबी संगीत से जबरदस्ती सुर्खियां बटोरने के बजाय, आप अपने गाने खुद क्यों नहीं बनाते, अरिजीत?
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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