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Monday, 4 November, 2024
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भारत कोरोना के बाद चीन के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की जगह ले सकता है, ये कहना जल्दबाजी होगी

#CutTheClutter के 467वें एपिसोड में शेखर गुप्त बता रहे हैं कि चीन के व्यापार में घुस पाना आसान नहीं लेकिन कुछ एरिया हैं, पर उसके लिए काफी मेहनत करनी होगी.

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नई दिल्ली: लोग इन दिनों सवाल कर रहे हैं कि क्या कोविड-19 के बाद भारत मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में चीन की जगह ले सकता है. न्यूयार्क टाइम्स के कॉलमिस्ट थॉमस फ्रीडमन ने हाल ही में हुए दिप्रिंट के ऑफ द कफ में इस बारे में अपनी राय दी है.

टॉमस फ्रीडमन का यह कहना है कि दुनिया अब एकदम से बदल जाएगी यह कहना जल्दबाजी होगी और ग्लोबलाइजेशन खत्म होने की बात भी जल्दबाजी भरी है, बल्कि यह अब और बढ़ेगा. ये अलग बात है कि जब तक टीका नहीं आता दुनिया संभलकर बैठकें करेगी.

वहीं चीन से उद्योगों के भारत आने की बात का टॉमस फ्रीडमन ने शार्प विश्लेषण किया. चीन ने कोरोनावायरस पर कंट्रोल कर अपने बिजनेस चालू कर दिए हैं पर दुनिया अभी इसका उपाय खोज रही है. चीन ने शंघाई में डिज्नीवर्ल्ड तक खोल दिया है, जहां लाखों लोग आते हैं, इसलिए वहां से बिजनेस भारत आ जाएगा यह कहना जल्दबाजी होगी. लिहाजा चीन के बिजनेस में घुसना आसान नहीं, कुछ एरिया जरूर हैं पर उसके लिए मेहनत करनी होगी. 

नरेंद्र मोदी ने कैसे हैंडल किया लॉकडाउन, इस सवाल का जवाब फाइनेंसियल टाइम्स के जॉन एलियट ने दिया है. वह कहते हैं कि मोदी ने लॉकडाउन को उम्दा तरीके से हैंडल किया है.

ट्रंप को टॉमस मोरोन कहते हैं. जिसका मतलब बेकार है. फ्रीडमन कहते हैं कि वह बेअक्ल, अहंकारी और थर्ड रेट के टीम वाले नेता हैं. उन्होंने ट्रंप को अमेरिका का बहुत नुकसान करने वाला बताया और कहा कि अगर वह फिर चुने गए तो चार साल अमेरिका उन्हें बर्दाश्त नहीं कर पाएगा, खत्म हो जाएगा.

उद्यमियों को छूट देने की बात जहां तक है तो हर देश रोजगार पैदा करने के लिए उन्हें इन्सेंटिव देते हैं, यह दिया जाना चाहिए.

वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया, बांग्लादेश जैसे देशों से कंपिटीशन है, ये हमसे इस मामले में बहुत आगे हैं. दुनिया से प्रतिस्पर्धा करने के लिए यह जरूरी है.

चीन की एकदम नकल करने की जरूरत नहीं है, वह अलग समाज है और भारत अलग है. हमें अपने फायदों के साथ आगे बढ़ना होगा.


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जैसा कि टॉमस फ्रीडमन ने बताया कि अमेरिका पांच चीजें करके आगे बढ़ा. पहला- इन्फ्रास्ट्रक्चर- रोड, हाईवेज वगैरह. दूसरा शिक्षा व्यवस्था में बहुत निवेश किया, बड़ी यूनिवर्सिटीज बनाई. तीसरा रिसर्च और साइंस में खूब निवेश किया. चौथा इमिग्रेशन को खुला रखा और दुनिया भार की प्रतिभाएं पहुंची. पांचवां रूल ऑफ लॉ पर जोर दिया. ऐसा करके आगे बढ़ा जा सकता है.

जहां तक कोरोनावायरस के बाद चीन को अब दुनिया से नुकसान झेलने की बात है तो वह होगा और उसे इसे झेलना पड़ेगा.

बाहर से आने वाले उद्योग को सहूलियत मिलनी चाहिए ताकि हमारा बिजनेस प्रतिस्पर्धी बन सके.

बिजनेस के लिहाज से देखें तो एनडीए सरकार का भू-अधिग्रहण बिल बहुत सही था. खेती में लगभग 45 फीसदी संसाधन लग रहा है और 15 फीसदी का ही फायदा हो रहा है. दुनिया में कहीं भी खेती से 4 फीसदी से ज्यादा ग्रोथ नहीं मिलती है इसलिए बिजनेसेज में निवेश जरूरी है.

गांवों में फैक्ट्रियों को ले जाने की बात करें तो इसके लिए इको सिस्टम होना चाहिए. यह हर गांव में नहीं जा सकता क्योंकि कंपनियों में काम करने वाले लोगों को सारे इन्फ्रास्ट्रक्चर चाहिए. बच्चों के लिए अच्छे स्कूल चाहिए. सड़कें चाहिए, परिवहन चाहिए और हवाई अड्डे भी चाहिए. 

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