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Saturday, 21 December, 2024
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भारत के खिलाफ तवांग में PLA के साथ झड़प के बाद अब चीनी राष्ट्रवादियों का हल्ला

भारतीय मीडिया में झड़प की खबर के फौरन बाद चीन के सोशल मीडिया जोरदार हंगामा बरपा.

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यांगत्से की 17,000 फुट ऊंची चोटी पर कब्जे की क्षमता से तवांग सेक्टर में किसी भी फौज को रणनीतिक बढ़त मिल सकती है. खबरों के मुताबिक, एक चीनी गश्ती टुकड़ी ने चोटी पर चढ़ने और तवांग सेक्टर में यथास्थिति बदल डालने की कोशिश की, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम का दिया.

अरुणाचल प्रदेश में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और भारतीय सेना के बीच हुई झड़प जून 2020 के गलवान घाटी में टकराव के बाद पहली गंभीर झड़प है, जिसमें दोनों देशों के सैनिक मारे गए. यह झड़प 9 दिसंबर को घुसपैठ की कोशिश के कारण हुई, जिसे कथित तौर पर भारतीय और चीनी पक्ष के स्थानीय कमांडरों ने सुलझा लिया है.

झड़प

पीएलए के वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रवक्ता लोंग शाओहुआ ने डोंगझांग क्षेत्र में हुई घटना पर एक बयान दिया, जो चीनी तवांग सेक्टर में चुमी ग्यात्सेर झरने के नाम को कहते हैं.

वरिष्ठ कर्नल लोंग शाओहुआ ने कहा, ‘गश्ती दल को भारतीय सेना ने अवैध रूप से लाइन पार करने से रोक दिया था. हमने इससे पेशेवर और प्रभावी तरीके से निपटा और जमीन पर हालात स्थिर किया. फिलहाल, चीनी और भारतीय सेना अलग-अलग हो गई हैं. हमने भारतीय पक्ष से कहा है कि अग्रिम मोर्चे के जवानों को पूरी तरह काबू में रखें और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए चीन के साथ बातचीत करें.’

पीएलए प्रवक्ता ने संकेत दिया कि गश्ती टुकड़ी को भारतीय सेना ने रोक दिया था, लेकिन भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कड़ा बयान दिया, जिसमें अरुणाचल झड़प की दूसरी ही कहानी निकलती है.

सिंह ने राज्यसभा में कहा, ‘पीएलए की टुकड़ियों ने 9 दिसंबर 2022 को यांगत्से क्षेत्र में एलएसी को पार करने और यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश की. चीनी कोशिश को हमारे सैनिकों ने दृढ़ता और मजबूती से मुकाबला किया.’ उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय पक्ष में कोई मौत या गंभीर तौर से हताहत नहीं हुआ है. अभी भी घटना के ब्यौरे आ ही रहे हैं, लेकिन यांगत्से क्षेत्र का विवादित इतिहास विवादास्पद रहा है, और चीन यथास्थिति को बदलने की कोशिश करता रहा है.

यांगत्से क्षेत्र में हाल के वर्षों में गश्त के इलाकों को लेकर टकराव देखा गया है. वहां 2021 में एक छोटा टकराव भी हुआ था, जब चीन की गश्ती टुकड़ी ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की थी. वह झड़प तवांग से लगभग 35 किमी उत्तर में हुई थी, जहां बीजिंग बड़े पैमाने पर आम और सैन्य निर्माण कर रहा था, जिसमें जियाओकांग गांव भी था, जहां झड़प हुई, उसे चीनी भाषा में डोंगझांग या डोंगझांग नदी घाटी के नाम से जाना जाता है. चीनी राष्ट्रवादियों का कहना है कि पीएलए को डोंगझांग क्षेत्र पर फिर से कब्जा कर लेना चाहिए क्योंकि उस पर ‘भारतीय सेना ने अवैध कब्जा कर रखा है.’

दिप्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, झड़प में चीनी सैनिकों ने ‘नुकीले पंजों, टेजर गन, मंकी फिस्ट’ का इस्तेमाल किया था. एक अन्य मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 200 से 300 सैनिकों की गश्ती टुकड़ी ने अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ की और भारतीय सेना की क्विक रिस्पांस टुकड़ी ने मुकाबला किया. कुछ रिपोर्टों के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ करने वाले चीनी गश्ती दल में करीब 600 सैनिक थे. झड़प में जख्मी भारतीय सेना के जवानों की कथित संख्या 9 और 20 के बीच है, और जख्मी चीनी सैनिकों की संख्या अज्ञात है.

चीनी सोशल मीडिया ऐप वीबो पर कुछ का दावा है कि झड़प के दौरान गोलियां चलीं. हालांकि भारतीय मीडिया में गोलीबारी की खबर है, लेकिन सोशल मीडिया पर ऐसा कुछ संकेत जरूर है कि पीएलए की तरफ से गोलियां चलीं.

रोजाना की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान जब एक पत्रकार ने चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन से अरुणाचल प्रदेश की झड़प के बारे में पूछा, तो जवाब था, ‘… जहां तक हमें मालूम है, फिलहाल चीन और भारत के बीच सीमा पर स्थिति तकरीबन स्थिर है. दोनों पक्षों ने राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से सीमा संबंधी मुद्दों पर हमेशा सुचारू संवाद बनाए रखा है. उम्मीद है कि भारतीय पक्ष चीन से बातचीत को आगे बढ़ाएगा और दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई महत्वपूर्ण सहमति पर पूरी तरह अमल करेंगा, दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित प्रासंगिक समझौतों और समझौतों की भावना का कड़ाई से पालन करेगा, संयुक्त रूप से चीन और भारत के बीच संबंधों की रक्षा करेगा, और सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन-चैन कायम रखेगा.

जहां तक आपके खास सवाल का संबंध है तो मेरा सुझाव है कि आप उसे संबंधित सक्षम अधिाकारी से मुखातिब हों.’ ‘सक्षम अधिकारी’ से मतलब है, वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रवक्ता लॉन्ग शाओहुआ के बयान को देखें.


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सोशल मीडिया की जंग

झड़प की खबर भारतीय मीडिया में पहले आई, उसके फौरन बाद चीनी सोशल मीडिया पर उसकी भरमार हो गई.
जैसे ही झड़प पर चीन के विदेश मंत्रालय की टिप्पणी आई, सिना वीबो पर हैशटैग ‘चीन-भारत सीमा पर झड़प के भारतीय मीडिया के दावे पर चीन का जवाब’ ट्रेंड करने लगा. वीबो पर इस हैशटैग को 16 करोड़ बार देखा गया.

चीन की सरकारी मीडिया पर जब तक झड़पों पर चुप्पी थी, वीबो प्लेटफॉर्म ही चीन के लोगों के लिए सूचना का स्रोत बन हुआ था. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अलावा, रूस के स्पुतनिक और भारतीय समाचार एजेंसियों की रिपोर्टिंग से भी चीन के लोग एलएसी के घटनाक्रम से वाकिफ हुए.

एक चीनी सैन्य ब्लॉगर ने लिखा, ‘यह गलवान घाटी जैसा नहीं होगा. दोनों पक्ष यहां कई बार भिड़ चुके हैं, और कोई जोखिम भरी हरकत नहीं होगी.’

झड़प के पूरे ब्यौरे भी नहीं आए थे कि चीनी राष्ट्रवादी पीएलए की कार्रवाइयों की सराहना करने लगे.

पीएलए के एक पूर्व फौजी और 70 लाख से ज्यादा फालोअर वाले सैन्य ब्लॉगर ने लिखा, ‘मातृभूमि के पहाड़ों और नदियों, हरेक इंच जमीन के लिए लड़ना चाहिए. बहाुदर सीमा प्रहरियों को सलाम!’

चीनी सोशल मीडिया के राष्ट्रवादी अफसाने में भारतीय सेना को दोषी ठहराया गया कि उसने चीन के इलाके में घुसने की कोशिश की. गलवान घाटी झड़प के बाद भी चीन ने ऐसा ही सार्वजनिक स्पष्टीकरण दिया था.

भारतीय मीडिया में इस खबर के ब्रेक होने के शुरुआती घंटों में ग्लोबल टाइम्स के पूर्व प्रधान संपादक, हू शीजिन की ओर से सबसे पहली टिप्पणी आई.

वीबो पर एक लंबे पोस्ट में हू शीजिन ने लिखा, ‘झड़प में कई भारतीय और चीनी सैनिक घायल हो गए, लेकिन कोई भी मारा नहीं गया. कुछ रूसी मीडिया की खबरों के मुताबिक, कम से कम छह भारतीय सैनिक घायल हो गए. इस खबर की न तो चीनी और न ही भारतीय अधिकारियों ने सार्वजनिक पुष्टि की है.’

हू शीजिन ने आगे लिखा, ‘भारतीय मीडिया में जिक्र किए गए ‘सूत्रों’ के अनुसार, झड़प 9 तारीख को हुई थी, और तब से तीन दिन बीत चुके हैं, इस दौरान किसी भी चीनी और भारतीय अधिकारी ने इस खबर की सार्वजनिक पुष्टि नहीं की और कोई रुख जाहिर नहीं किया. संभव है कि दोनों पक्ष इस मामले को सुलझाने में व्यस्त हों.’

हू के वीबो पोस्ट के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अन्य प्रमुख सैन्य ब्लॉगरों ने इस घटना पर टिप्पणी करनी शुरू कर दी.

वीबो अकाउंट ‘बिग रेड स्पीयर’ ने लिखा, ‘9 दिसंबर को भारतीय सैनिकों की झड़प यांगत्से (जिसे चीन में डोंगझांग कहा जाता है) के पास चीनी सैनिकों से हुई. दोनों तरफ के सैनिक घायल हो गए, लेकिन किसी की जान नहीं गई. बेशक, भारतीय मीडिया यह जरूर कहेगा कि चीनी सैनिक ज्यादा घायल हैं. झड़प शायद चित्र 1 में पीले घेरे वाली जगह में हुई है, जिसके उत्तर में तिब्बत में कुओना काउंटी, दक्षिण में दक्षिणी तिब्बत में दावांग टाउन (वास्तव में भारत के नियंत्रण में), और लाल रेखा एलएसी की वास्तविक नियंत्रण रेखा है.’

मंगलवार के शुरुआती घंटों में जब यह खबर आई, तो चीनी सरकारी मीडिया चुपी साधे रहा.

चीनी सरकारी मीडिया ने अरुणाचल प्रदेश की झड़प पर चुप्पी बनाए रखी है, लेकिन हांगकांग सैटेलाइट टेलीविजन (एचएसटीवी) ने 9 दिसंबर को झड़प की सूचना दी. एचएसटीवी की रिपोर्ट में भारतीय मीडिया सूत्रों का हवाला दिया गया.
चीन की इलाकेवार चेतावनी अधिसूचना के मुताबिक, चीनी सोशल मीडिया पर 15-16 दिसंबर तक भारत की एयर ड्रिल की योजना का भी जिक्र है. इलाकेवार चेतावनी अधिसूचना में किसी क्षेत्र में किसी तरह की सैन्य गतिविधि का जिक्र होता है. चीन के राष्ट्रवादियों ने पीएलए की कार्रवाइयों को सही ठहराने के लिए भारतीय वायु सेना की आगामी एयर ड्रिल की खबरों का हवाला दिया.

तकरीबन 13 लाख फॉलोअर्स वाले एक अन्य सैन्य ब्लॉगर ने लिखा कि भारत अरुणाचल प्रदेश में हवाई अभ्यास करने वाला था. डापेंग गार्जियनशिप थाउजेंड हाउस ने लिखा, ‘इसके अलावा, 15 से 16 तारीख तक, भारत दक्षिणी तिब्बत में वायु सेना अभ्यास करेगा, और एक नो-फ्लाई जोन तैयार किया गया है.’

हमें मीडिया रिपोर्टों से पता चला कि पिछले कुछ हफ्तों में पीएलए वायु सेना ने दो से तीन बार हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया. अरुणाचल प्रदेश में तनाव सिर्फ जमीन तक ही सीमित नहीं है. हवाई क्षेत्र भी गरमा रहा है.

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने झड़प को एलएसी पर यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश बताया है. भारत की सैन्य और राजनयिक बिरादरी अब यह मानकर नहीं बैठ सकती कि द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से सीमा तनाव का समाधान हो जाएगा. भारतीय सैन्य और नागरिक प्रतिष्ठान को ‘ग्रे-जोन’ और बड़े पैमाने पर घुसपैठ दोनों को नाकाम करने के लिए रणनीति तैयार करनी पड़ सकती है, जो अभी-अभी नाजारा अरुणाचल प्रदेश में देखने को मिला है.

ब्रह्मपुत्र का पानी जल्द ही भारत-चीन दरार के पुल के नीचे से नहीं बहेगा.

(लेखक स्तंभकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं. वे पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीन के मीडिया पत्रकार थे. उनका ट्विटर हैंडल @aadilbrar है. व्यक्त विचार निजी हैं.)

(अनुवाद : हरिमोहन मिश्रा | संपादन : इन्द्रजीत)


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