आज 14 फरवरी है. अगर कैलेंडर देखें तो सामान्य सा दिन है. कोई छुट्टी नहीं. रविवार वाली भी नहीं. लेकिन अगर आप अपने आसपास नज़र घूमाए. सोशल मीडिया पर थोड़ा सक्रीय हो जाए. तो आप को शायद समझ आएगा कि आज का दिन बहुत सारे लोगों के लिए ‘विशेष’ है. यह एक टूर्नामेंट की तरह है जो कि पिछले एक हफ्ते से चला आ रहा है. आज उसका फाइनल है. वैलेंटाइन डे के नाम से मशहूर आज का दिन खास है उनके लिए जो प्यार करना चाहते हैं. उनके लिए भी जो प्यार कर रहें और उन लोगों के लिए भी जो अपनी संस्कृति बचाने के नाम पर, प्यार करने वालों के ‘दुश्मन’ बन बैठे हैं.
लेकिन इसी दुनिया में एक बड़ा समुदाय ऐसा भी है. जहां दो लोग आपस में. सहमति से. एक दूसरे से बेपनाह प्यार करना तो चाहते हैं लेकिन डरते हैं. उन्हें भय है समाज का. समाज में चली आ रही परंपरा का. और सबसे महत्वपूर्ण, समाज में रहने वाले लोगों का. उस बड़े समुदाय को समलैंगिक समुदाय के नाम से पहचाना जाता है. समलैंगिक यानी दो सेम सेक्स के लोगों का एक दूसरे के प्रति आकर्षण. भले ही लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंध को अपराध मानने से इंकार कर फैसला समुदाय के पक्ष में सुना दिया हो, लेकिन इनके हालात देख कर लगता है- पिक्चर अभी बाकी है.
धारा 377 हटने के बाद कितना बदलाव आया.
देश की राजधानी दिल्ली में इस पूरे हफ्ते उत्साह देखने लायक रहता है. तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित होते हैं. रेस्त्रां वाले भी कोई मौके नहीं छोड़ते हैं. जमकर डिस्काउंट देते हैं. लेकिन जब बात आती है समलैंगिक समुदाय के इस दिन को लेकर तो वे अभी भी संशय में है. आईएनए मेट्रो के पास स्थित ‘दिल्ली हाट’ में 13 फरवरी को ‘इंटरनैशनल कंडोम डे’ मनाया गया. जहां काफी संख्या में होमोसेक्सुअल (समलैंगिक) भी आए थे. एक बैंड का परफॉर्मेंस भी था. सब नाच रहे थे. खुशी से झूम रहे थे. वहां पर आए कुछ लोगों से हमने बात की.
एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करने वाले भुवन बताते हैं,’हमारे दैनिक जीवन में बहुत बदलाव आया है लेकिन सरकार के स्तर पर कोई बदलाव नहीं आया.’
कैसे?
‘सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सरकार को मीडिया के माध्यम से यह संदेश पहुंचाना होगा कि अब गे सेक्स असैंवेधानिक नहीं है. लेकिन हमारे समुदाय को कभी नहीं लगा कि सरकार ने इस दिशा में कोई पहल उठाया है. ट्विटर पर इतने सक्रीय रहने वाले हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जब से सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट आया है तब से अभी तक एक भी ट्विट नहीं किया है. न ही अपने किसी ‘मन की बात’ में जिक्र किया है.’
क्या इस बार के वैलेंटाइन डे में कुछ अलग बात है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समलैंगिक समुदाय का यह पहला वैलेंटाइन डे है. ऐसे में ये देखना बहुत दिलचस्प है कि इस बार क्या कुछ नया होने वाला है.
27 साल के गे सुधीर बताते हैं कि, ‘इस बार का वैलेंटाइन डे कुछ अलग लग रहा है. क्योंकि इस बार मेनस्ट्रीम के बहुत से लाइफस्टाइल ब्रांड हम लोगों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. कई मीडिया वालें भी हम लोगों को अब इंटरव्यू के लिए बुला रहे हैं. दिल्ली के केशव सुरी फाउंडेशन द्वारा सीपी में कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है.’
पहले सामूहिक मिलन ज्यादा नहीं होता था. लेकिन अब चीज़ें धीरे धीरे बदलनी शुरू हुई हैं.
वहीं 30 वर्षीय लेस्बियन सुनैना बताती हैं, ‘इस बार फिज़ाओं में कुछ बदला-बदला सा माहौल है. हम कार्ड पहले भी खरीदते थे, लेकिन पहले हमारे लिए खास कार्ड तो बने होते थे लेकिन वो बाकी कार्ड से अलग रखे जाते थे. अब ऐसा नहीं है.’
दिक्कतें कहां हैं.
होमोसेक्सुअल समुदायों के लोगों के साथ भेद-भाव और छेड़छाड़ की घटनाएं आम हैं. कोर्ट का फैसला भले आ गया हो लेकिन समाज की समझ और सोच बदलने में अभी वक्त लगेगा.
नाम न बताने की शर्त पर एक फर्म हाउस में काम करने वाले समलैंगिक बताते हैं,’अगर हमें दिल्ली के पहाड़गंज या महिपालपुर जैसे इलाकों में होटलों के रूम बुक करते हैं तो वहां समलैंगिक होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार हमारे कमरे में सीसीटीवी कैमरे भी लगे होते हैं. और होटल के कर्मचारी अजीब अजीब सवाल पूछ कर तंग करते हैं.’
समलैंगिक समुदाय के प्रेमियों को धर्म रक्षा के नाम पर बने संगठनों की अपेक्षा के साथ ही सामान्य लोगों से भी छेड़खानियां झेलनी पड़ती है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए अभी छ महीना हुआ है और सैकड़ों सालों से जो समाज का नज़रिया बना है उसे बदलने में वक्त लगेगा. उम्मीद है कि आने वाले समय में समलैंगिक समुदाय भी खुल कर अपने प्यार का इजहार कर सकेगा.