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Thursday, 28 March, 2024
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सरोज खान की टिप्पणी के बाद अब बॉलीवुड के #MeToo का समय आ गया है

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भाई-भतीजावाद परिवारों के युवराजों में से एक युवराज, रणबीर कपूर,का कहना है कि यदि बॉलीवुड में कास्टिंग काउच हो रहा है तो यह वास्तव में बहुत निराशाजनक है।

सरोज खान ने एक बात तो सही कही है। बॉलीवुड में कास्टिंग काउच कोई नई बात नहीं है। इस समय एक घर की पार्टी में जहा अच्छी तरह से लगाया गया मोटा गद्दा जिसपे उस समय अवश्य कोई ना कोई उत्पीडित हो रहा है और हर व्यक्ति इससे पिछा छुडाते हुए आगे बढ रहा है और किसी के द्दुअरा किया गया हस्तछेप बहुत अजीब माना जायेगा जिस प्रकार हम एक महिला को सार्वजनिक रूप से डराने की कोशिश कर रहे व्यक्ति को दूर से ही देखकर हम कहेते हैं “अरे किसी के निजी मामलों में हम क्यों पड़े, यार?”

बॉलीवुड की पहेली सुरक्षात्मक पंक्ति पर रिचा चड्ढा ने कहा था किः मुझे लगता है कि लोग जानवरों के बिलों से निकाली गई मिट्टी से पहाड़ बना रहे हैं।“ इस बात का भाव यह निकलता है कि बॉलीवुड में लोग अत्यधिक खराब हैं और इस मामले में वे कानून का पालन नहीं करते हैं। उनका कहना था कि ऐसा तो सभी उद्योगों में होता है, केवल बॉलीवुड को क्यों बदनाम किया जा रहा है। यह भी सच है कि बॉलीवुड अकेला ऐसा उद्योग नहीं है जहाँ लोगों का यौन उत्पीड़न किया जाता है, उनको डराया धमकाया जाता है और हमल भी किया जाता है।

क्या सोंचनीय तथ्य यह है कि बॉलीवुड में पीड़ित लोगों के पास सहायता या सहारे के लिए कोई तंत्र नहीं है। कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) पर बने अधिनियम 2013 के तहत अधिकांश अन्य उद्योगों को अपने कार्यस्थलों पर एक समिति का गठन करना होता है और एक ऐसी प्रक्रिया का निर्माण करना होता है जो भविष्य में यौन उत्पीड़न के प्रति महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करे।

लेकिन क्या यह नियम हमेशा कार्य करता है? अक्सर नहीं। इस प्रक्रिया में काफी धैर्य और स्त्रोत तथा समय के निवेश की आवश्यकता होती है। बहुत सारे कार्यस्थल इस प्रक्रिया को पूरा करने या अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं। हालांकि यह वास्तव में काफी महत्वपूर्ण दिशानिर्देश हैं जो संकट के समय किसी को सहायता प्रदान करते हैं। संरचनाओं और पारदर्शिता में कमी के कारण बॉलीवुड महिला उत्पीड़न और इसी प्रकार की कुप्रथाओं को जन्म देने और उनको पोषित करने के लिए एक सही स्थान है, यह एक ऐसी स्थिति को बनाए रखता है जो न केवल लोगों को असमान शक्ति सुरक्षित रखने का मौका देता है बल्कि ऐसे लोगों के पैदा करने में बढ़ावे के लिए उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।

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बहुत से लोगों के लिए, एक मशहूर हस्ती के खिलाफ लगाए गए आरोप के लिए सबसे पहली प्रतिक्रिया यही होती है कि “वह स्वयं कुछ क्यों नहीं बोलती है?” खैर,अभिनेत्री श्री रेड्डी ने बहुत ही अच्छे तरीके से इसपर अपना जवाब देते हुए कहा, आपको यह भी बताना चाहिए कि मनोरंजन उद्योग में महिलाएं अपने साथ किए जाने वाले दुर्व्यवहार के बारे में बात क्यों नहीं करती हैं।उनको केवल मनमाने ढंग से ही खारिज नहीं किया गया था बल्कि उनको और भी इस प्रकार की समस्याओं और दबावों का सामना करना पड़ा था। हम अपनी कहानी “गुड गर्ल” के लिए इतनी कड़ी मेहनत कर रहे हैं कि कोई भी महिला जो अपनी कहानी के साथ सामने आती है, वह फूहड़पन और शर्मिंदगी का अधिक समय तक सामना नहीं कर पाती है, जो उसकी आवाज को दबाने के लिए काफी है। महिलाओ पे दोष लगता है कि वे स्वयं पे होने वाले उत्पीड़ित की अनुमति देने के लिए लगातार स्वयं दोषी होती हैं।

याद करिये जब टिस्का चोपड़ा ने पूछा था कि महिलाएं पुरूषों के साथ होटल में सूटिंग करने के लिए क्यों जाती हैं? यह एक रेखा है प्रश्न उठाने की और गलत ठहराने की उन महिलाओ के द्दुअरा जिनके जिनके चेहरे बहुत कुछ बोलते हैं। शोषण करने वाले लोग युवा, कमजोर और उपेक्षित लोगों की तलाश करते हैं, और उनको न केवल काम की कमी बल्कि उद्योग से बाहर कर देने तक की धमकी दी जाती है। बॉलीवुड को गेटकीपिंग और निष्कासन के जोर पर बनाया गया ह – भाई-भतीजावाद और पक्षपात की कहानियों को अक्सर इस उद्योग की विशेषता के रूप में माना जाता है, लेकिन यह कहानियाँ इस तंत्र में मची दुर्गंध के बारे में भी बताती हैं। इस उद्योग में कुछ लोगों के पास शक्तियाओं का एकत्रीकरण है, जिसके कारण बहुत से लोग अपने साथ किए गए दुर्व्यवहार के बारे में आवाज उठाने में असमर्थ हो जाते हैं।

कुछ एक हाँथों में ही सारी सत्ता का एकीकरण होने के कारण कुछ लोग अपने साथ किए गए दुरव्यवहार करने वाले का नाम नहीं ले सकते हैं

जब भाई-भतीजावाद परिवारों में से एक रणवीर कपूर इस बारे में बात करते हैं कि “यदि कास्टिंग काउच है तो वह बहुत दुखी होंगे,”इस पूरी प्रतिक्रया पर अपनी कोई रायदेना बहुत ही कठिन है।” सच कहा न रणबीर। आपको ऐसी फिल्म, जो अधूरी थी, में भूमिका के लिए अपनी गरिमा को बाधित करना नहीं पड़ा था।इसमें आश्चर्य की क्या बात है? मजाक की बात तो यह है कि आपकी सहयोगी कलाकार सोनम को जमीनी वास्तविकताओं का ज्ञान आपसे बेहतर है।

बॉलीवुड के लोग आपसे अभी भी असंतुष्ट होंगे। रणवीर सिंह और आयुष्मान खुराना दोनों ही इस तथ्य के बारे में उदार हैं कि उन्होंने इस जघन्य, अमानवीय प्रकार का सामना किया है। यौन समर्थन स्वयं सैक्स के अधिनियम के बारे में नहीं है।ये मरजी, या खुशी साझा करने, या मुहब्बत के बारे में नहीं हैं।यह कुछ भी नहीं हैं अगर किसी को खुल के इसके खिलाफ असमर्थन दिखाने की हिम्मत हो तो क्या वे ऐसी चूक करेंगे, इस बारे में याद दिलाने पर उन्हें पता है कि इसके(कास्टिंग काउच) खिलाफ बोलने पर उन्हें बहुत कुछ खोना पड़ सकता है।

बॉलीवुड, दोनों में से क्या प्रोड्यूस करता है और यह कैसे प्रोड्यूस करता है, एक बेहद पितृसत्तात्मक उद्योग बना हुआ है।जो लोग इसे चलाते हैं, वे वर्षों से ऐसा कर रहे हैंऔर उन्हें न्याय के बारे में बहुत कम या कोई डर नहीं है क्योंकि वे जानते हैं कि उद्योग उन्हें बचा लेगा।हॉलीवुड के रूप में #MeToo आकार और पक्ष ले रहा है (ह्लाकीं हानि कुछ भी हो )और हार्वे वेनस्टीन जैसे असाधरण व्यक्ति के गिरने का कारण बनता है, और इसपे बॉलीवुड की जटिल चुप्पी लगातार राहत में दिखाई देती है।

यह सिर्फ बुरे व्यवहार के बारे में नहीं है।यह सब उन सभी कार्यों के बारे में है जो इससे संबंधित हैं।यह महिला निदेशकों, लेखकों और कैमरामैंनो के खिलाफ लगातार अवरोध पैदा कर रहा है। यह महिलाओं में हो रही निरंतर कमी और मनमानी विकृतियों के लिए उनके कार्य के कारण है।यह दर्दनाक अनुस्मारक के बारे में है जिसमें स्क्रीन पर एक महिला के शरीर की कीमत उस महिला की तुलना में अधिक मूल्यवान नहीं है।बॉलीवुड एक सपना है जो कई लोगों के जीवन के लिये होता है ।यह एक ऐसी मशीन है जो उम्मीदों और आकांक्षाओं को बढ़ावा देती है और यह निर्धारित करती है की यह इसका कर्तव्य है कि वे इसे कलंकित नहीं होने देंगे।

यह समय उन कलाकारों के लिए है जिन्होंने बॉलीवुड को बोलने के लिए तैयार किया है ।यह समय उन लोगों के लिए है जिन्हें जानने का विशेषाधिकार है कि वे अपने आप को उन लोगो के एमआईसीएसऔर प्लेटफॉर्म पर त पहुंचकर बर्बाद तो नहीं कर रहे , जिनके पास कोई पहुंच नहीं है।यह जटिल, अव्यवस्थित और हानिकारक होता जा रहा है।उम्र की सच्चाई को फिर से समझा जाना होगा और इसके लिए आघात की रीटेलिंग की लगातार कीमत चुकाई जाएगी।इसे शुद्ध करने और ठीक करने के लिए एक अभ्यास करना होगा, हमें उन सूचियों को पूर्ववत करना होगा जिसमे लोगो ने अपने दर्द भरे जख्मों को दुनिया से छिपा रखा है।

अगर इस समय कुछ भी करने का समय है, तो वह है बॉलीवुड के #MeToo पल के लिए कुछ करने का समय है और हम लोग इसे यथास्थित स्थान पे लाएंगे।

हरनिध कौर एक नारीवादी महिला व कवियित्री हैं । विचार निजी हैं 

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