मानवेंद्र सिंह गोहिल के परिवार वालों ने विंडसर पैलेस जैसा महल बनाया जिसे अब वे LGBTQA सेंटर में तब्दील कर रहे हैं.
जब मैंने अपने परिवार को अपनी समलैंगिकता के बारे में बताया तब मेरे माता-पिता ने सार्वजनिक तौर पर मुझे त्याग दिया था और मुझे मेरी पैतृक संपत्ति से भी वंचित कर दिया था.
मैं भारत में अपनी तरह के पहले एलजीबीटीक्यूए (लेस्बियन गे बाईसेक्सुअल ट्रांस क्विअर एलाइस) [सभी प्रकार के समलैंगिक लोगों का एक केंद्र] सामुदायिक केंद्र को विकसित करने की प्रकिया में हूँ, जो गुजरात राज्य के हनुमंतेश्वर में एक शाही भवन में स्थित होगा.
नर्मदा नदी के तट पर स्थित यह 15 एकड़ भू-संपत्ति सन् 1927 में मेरे परदादा और राजपिपला रियासत के अंतिम शासक महाराजा विजय सिंह जी द्वारा विकसित की गयी थी.
यह केवल भगवान हनुमान के नाम पर एक आध्यात्मिक स्थान ही नहीं है, जिसके बारे में ऐसा माना जाता है कि उन्होंने यहाँ पर एक बलिदान दिया था और भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया गया था, बल्कि लार्ड वेलिंगटन से संबंधित होने के कारण इस स्थान का एक ऐतिहासिक मूल्य भी है. वेलिंगटन को बाद में भारत का वायसराय बनाया गया था.
विंडसर महल की वास्तुकला के समान मेरे दादाजी ने हनुमंतेश्वर की शाही जगह पर एक सुंदर महल का निर्माण करवाया था. उन्होंने ब्रिटेन से वीपिंग विलो के पेड़ों को आयात किया और इनको नर्मदा नदी के तट पर लगवाया, जिससे इसे टेम्स नदी पर स्थित विंडसर महल जैसा रूप प्राप्त हुआ. लेकिन दुर्भाग्य से नदी में आने वाली बाढ़ के कारण महल क्षतिग्रस्त हो गया.
मैं महल के कुछ हिस्सों के पुर्ननिर्माण की प्रक्रिया में हूँ, और पुरानी इमारत के साथ नई इमारत को जोड़ रहा हूँ. एक समलैंगिक व्यक्ति के रूप में खुले तौर पर सामने आने के बाद यह संपत्ति मेरे पिता ने मुझे भेंट की थी. उन्होंने LGBTQA समुदाय के केन्द्र के लिए एक अनुष्ठान करके इसकी आधारशिला भी रखी। पड़ोस में स्थित सदियों पुराने हनुमान मंदिर के पुजारी ने भी इस अनुष्ठान में शिरकत की थी.
इस स्थान पर एक समारोह का आयोजन भी किया गया जिसमें अन्य शाही परिवारों के सदस्यों, सरकारी अधिकारियों, छात्रों और बॉलीवुड की हस्तियों आदि ने भाग लिया.
जब मेरे साथ भेदभाव किया गया और मुझे समाज से बाहर कर दिया गया तो LGBTQA समुदाय के लिए इस संसाधन केन्द्र को विकसित करने का विचार मेरे मन में आया. मेरे माता-पिता ने सार्वजनिक तौर पर मुझे शाही परिवार से बहिष्कृत कर दिया था और पैतृक संपत्ति से भी वंचित कर दिया था. लेकिन बाद में उन्होंने इस मामले को सुलझाया और एक समझौते के रूप में मैंने यह शाही महल प्राप्त किया.
लेकिन भारत में LGBT समुदाय के अन्य सदस्यों का भाग्य इतना अच्छा नहीं है, जब वे अपने माता-पिता को छोड़ कर आते हैं या जब वे अपने परिवार द्वारा विवाह के दबाव से बचना चाहते हैं. अधिकांश माता-पिता अपने बच्चों को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करते हैं और उनके समलैंगिकता के खुलासे के बाद, उनको विपरीत लिंग वाले के साथ विवाह करने के लिए मजबूर करते हैं. इसका कारण यह है कि उनको समलैंगिकता के प्रति रूढ़िवादी विचार रखने वाले समाज द्वारा कलंकित होने का डर होता है. अगर बच्चे घर वालों की बात मानने से इंकार करते हैं तो उनको घर से निकाल दिया जाता है और सामाजिक रूप से उनका बहिष्कार कर दिया जाता है.
हम में से बहुत सारे लोग मानसिक रूप से प्रतिबंधित होकर अपने माता-पिता के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं और शरण तथा भोजन के लिए परिवार पर निर्भर हैं. सामाजिक और वित्तीय असुरक्षा की यह स्थिति हम में से बहुतों को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करती है. इस केन्द्र का मुख्य उद्देश्य एक सामाजिक समर्थन प्रणाली विकसित करके इनको सशक्त बनाना और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए जरिया प्रदान करना है.
लेकिन इस केन्द्र के बारे में एक अनूठी बात यह है कि इसमें “सहयोगी” भी शामिल हैं. मैंने हमेशा ही शामिल किए जाने पर विश्वास किया है, निष्कासन पर नहीं. यदि हम अपने अधिकार प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमें समाज के एक बड़े हिस्से के द्वारा स्वीकार किए जाने की आवश्यकता है. यदि गैर- LGBTQ समुदाय और सहयोगी हमारे मुद्दों को स्वीकार करें और हमें समझें तो हमारे लिए कई चीजें आसान हो जाएं.
LGBTQA समुदाय का केन्द्र कंप्यूटर कौशल, भाषा कौशल और विशेष रूप से अंग्रेजी का प्रशिक्षण प्रदान करेगा. मैं भी कुछ बीमारियों जैसे रक्तचाप, ह्दय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा आदि के उपचार के लिए संगीत चिकित्सा (म्यूजिक थेरेपी) शुरू करने जा रहा हूँ. भारतीय संगीत के एक छात्र के रूप में मैं इसके प्रभाव को भली प्रकार समझ सकता हूँ. इसलिए इसमें एक संगीत कक्ष भी होगा.
हमारे पास एक बहुउद्देश्यीय कक्ष का भी प्रावधान है जहाँ मेकअप, फैशन, कोरियोग्राफी, फोटोग्राफी, कला और इंटीरियर डिजाइनिंग आदि के कौशल के लिए प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा. इस कक्ष में योग और ध्यान की कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जाएगा. इसके अलावा हमारे पास खाना पकाने के कौशल के लिए एक सामुदायिक रसोईघर भी होगा जिसमें समुदाय के लोगों को खाना पकाने का अवसर भी प्रदान किया जाएगा.
केन्द्र में अपना स्वयं का एक चिकित्सालय भी होगा जहाँ पर एचआईवी-एड्स सहित कई यौन जनित रोगों और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का उपचार किया जाएगा. इसमें सुरक्षित यौन शिक्षा के सेमीनार भी आयोजित किए जाएंगे.
मैं उन लोगों के लिए एक नई आश्रय इमारत बनाना चाहता हूँ जिनको उनके परिवारों द्वारा निष्कासित कर दिया गया है और अब वे बेघर घूम रहे हैं. इसमें आठ कमरे होंगे जो 20 से 25 लोगों को समायोजित कर सकेगें. लोग यहाँ पर तब तक रह सकते हैं जब तक वे आत्मनिर्भर न हो जाएं.
इस पूरी परियोजना के लिए अनुमानित 65 लाख रूपये की लागत आएगी और इतनी बड़ी राशि जुटाना वास्तव में एक चुनौती है.
मैं आशा करता हूं कि भारत में अधिक से अधिक लोग अपने क्षेत्रों में इस प्रकार की सुविधा प्रारंभ करेंगे. आने वाले समय में इस तरह के केन्द्रों की भारी माँग होगी, क्योंकि काफी लोग अपने समलैंगिक पहचान को उजागर करेंगे.
यह केन्द्र समाज के हाशिये पर बहिष्कृत लोगों को सम्मान देकर एक सुरक्षित स्थान प्रदान करेगा.
मानवेंद्र सिंह गोहिल समलैंगिक व्यक्ति हैं जो पश्चिमी गुजरात में शाही परिवार राजपिपला से संबंधित हैं. उनका ट्वीटर हैंडिल है @PrinceRajpipla .