दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सबसे अच्छे भारतीय कार्टून।
चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं जैसे प्रिंट, ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर और इन्हें उचित श्रेय भी मिला है।
फर्स्टपोस्ट के लिए मंजुल ने मुख्य कार्टून में, न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सरकार और न्यायपालिका द्वारा खेले जा रहे शतरंज के खेल पर प्रकाश डाला है। बुधवार को, पाँच सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ के पदोन्नत के बारे में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से अनुरोध करते हुए दिखेंगे।
टाइम्स ऑफ इंडिया में संदीप अध्वर्यु पंचायत चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में हो रही निरंतर हिंसा को दर्शाते हैं। कई लोग दावा कर रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस के गुंडे, अन्य पार्टी के उम्मीदवारों को अपना नामांकन दाखिल नहीं करने दे रहे। लोगों को जागृत करते हुए अध्वर्यु बताते हैं कि बनर्जी पूर्व निरंकुश सीपीआई (एम) से अलग नहीं है।
द हिंदू में सुरेंद्र इस तथ्य का मजाक उड़ाते है कि मोदी सरकार ने भारत के सभी गाँवों में विद्युतीकरण करने का श्रेय स्वयं को दे रहे हैं, जैसा कि स्वतंत्रता के बाद से कई सरकारों ने इसी लक्ष्य पर काम किया है।
मेल टुडे में सतीश आचार्य ने सुझाव दिया कि राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी को विभिन्न कार्यों में एक-दूसरे टाँग खीचने के बजाय आम लोगों की समस्याओं को सुनना चाहिए।
भारत में श्रम दिवस के मौके पर,न्यूज 18 में मीर सुहेल दैनिक मजदूरी के विरोधाभास को, एक दैनिक मजदूर के अधिकारों और श्रम की गरिमा का जश्न मनाते हुए विशाल केक के परिवहन के माध्यम से दिखाते हैं।