दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं. जैसे- प्रिंट मीडिया, ऑनलाइन या फिर सोशल मीडिया पर.
आज के विशेष रूप से प्रदर्शित कार्टून में, साजिथ कुमार ने वस्तुओं और सेवा कर (जीएसटी) की बढ़ोत्तरी से घरों पर पड़ने वाले बोझ पर टिप्पणी की है, जबकि मीडिया सांप्रदायिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. 5 प्रतिशत जीएसटी वृद्धि सोमवार से लागू होने के साथ, अनाज, दाल और आटा जैसे पहले से पैक और लेबल वाले खाद्य पदार्थ महंगे हो जाएंगे.
जीएसटी को लेकर कीर्तीश भट्ट ने आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि पर आम आदमी की प्रतिक्रिया पर एक टिप्पणी की है. कार्टून में एक महिला डाइनिंग टेबल पर अपने पति से पूछ रही है कि क्या खाना बहुत मसालेदार था, क्योंकि वह आंसू बहा रहा था. आदमी जवाब देता है कि यह जीएसटी के कारण था.
संदीप अध्वर्यु भी जीएसटी वृद्धि के प्रभाव को दर्शाते हैं, जिसमें अस्पताल के कमरों के लिए मरीजों द्वारा भुगतान किए गए किराए (5,000 रुपये से अधिक) पर 5 प्रतिशत कर शामिल है.
सोमवार से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र की शुरुआत पर टिप्पणी करते हुए, ई. पी. उन्नी ने दर्शाया कि कैसे मोदी सरकार ने पारित होने के लिए 32 विधेयकों को तैयार किया है. 12 अगस्त को समाप्त होने वाले सत्र के साथ, ऐसा करने के लिए केवल 17 कार्य दिवस होंगे. उन्नी लोकसभा सचिवालय द्वारा प्रकाशित ‘असंसदीय’ शब्दों की एक पुस्तिका पर विवाद की ओर भी इशारा करते हैं.
आलोक निरंतर रुपये के गिरते मूल्य को दर्शाया है, जो मंगलवार को 80.05 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर को छू गया था.
(इन कार्टून्स को अंग्रेजी में देखने के लिए यहां क्लिक करें)