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Monday, 18 November, 2024
होमलास्ट लाफकेजरीवाल का BJP के तालाब में 'कैटफिशिंग' के लिए जाना, ब्रिटेन के हालात के बोझ से दबे ऋषि सुनक

केजरीवाल का BJP के तालाब में ‘कैटफिशिंग’ के लिए जाना, ब्रिटेन के हालात के बोझ से दबे ऋषि सुनक

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए पूरे दिन के सबसे अच्छे कार्टून.

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दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं. जैसे- प्रिंट मीडिया, ऑनलाइन या फिर सोशल मीडिया पर.

आज के चित्रित कार्टून में, विष्णु माधव दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख केजरीवाल पर कटाक्ष करते हैं, जिसमें वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत की अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति में सुधार के लिए भारतीय मुद्रा पर हिंदू देवताओं गणेश और लक्ष्मी की तस्वीरों को मुद्रित करने की मांग करते हैं.

यह दृष्टांत गुजरात विधानसभा और दिल्ली नगर निगम चुनावों से पहले केजरीवाल के धर्म के अस्वाभाविक इस्तेमाल- जो कि भारतीय जनता पार्टी के चुनावी एजेंडे का एक ट्रेडमार्क है, पर प्रकाश डालता है.
R Prasad | Twitter @rprasad66

आर. प्रसाद ने ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की जाति को लेकर हालिया बहस पर टिप्पणी की है. हालांकि पंजाब से आए भारतीय-अमेरिकी माता-पिता के घर पैदा हुए, सुनक, जिन्होंने विनचेस्टर कॉलेज, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की है, ने अपना सारा जीवन यूरोप और अमेरिका में गुजारा है.

Sandeep Adhwaryu |Twitter @CartoonistSan
संदीप अधर्व्यु |Twitter @CartoonistSan

संदीप अध्वर्यु ‘गोरे आदमी के बोझ’ को चित्रित करते हैं – एक दक्षिण एशियाई ब्रिटिश पीएम सुनक, जो ब्रिटेन की ढहती अर्थव्यवस्था और ब्रेक्सिट के प्रभावों का बोझ उठा रहे हैं, को दिखाते हैं.

sajithkumar | Twitter @sajithkumar

सुनक के प्रधानमंत्री बनने पर कुछ भारतीयों द्वारा व्यक्त की गई खुशी की ओर इशारा करते हुए, साजिथ कुमार भारत में राजनीतिक नेताओं द्वारा सकारात्मक कार्रवाई की कमी पर टिप्पणी करते हैं, जिसके कारण यहां के लोग ब्रिटेन में भारतीय मूल के राजनेताओं का जश्न मनाते हैं.

E P Unny | The Indian Express

ई.पी. उन्नी शहरों और स्थानों के नाम बदलने के लिए मोदी सरकार को लेकर भारतीय राजनीतिक परिदृश्य पर कटाक्ष करते हैं, सुनक, एक हिंदू प्रधानमंत्री के लिए, स्थलों का नाम बदलना कोई चिंता का विषय नहीं होगा क्योंकि दोनों दक्षिणपंथी दलों से संबंधित होने के बावजूद, आर्थिक संकटों की स्थिति में उनकी प्राथमिकताएं भिन्न होती हैं.

(इन कार्टून्स को अंग्रेजी में देखने के लिए यहां क्लिक करें)
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