दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं. जैसे- प्रिंट मीडिया, ऑनलाइन या फिर सोशल मीडिया पर.
आज के विशेष रूप से प्रदर्शित कार्टून में, मंजुल भारत में बढ़ रही सांप्रदायिक असहिष्णुता पर प्रहार करते हैं, जैसे कि दिल्ली, उत्तराखंड और महाराष्ट्र से नारेबाजी, पथराव और सांप्रदायिक दंगों की घटनाएं सामने आईं. कार्टूनिस्ट राजनेताओं पर आग बुझाने के बजाय सांप्रदायिक आग का इस्तेमाल अपने उद्देश्यों के लिए करने का आरोप लगाते हैं.
आलोक निरंतर देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक जुलूसों के दौरान पथराव की कई घटनाओं के बाद, इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कैसे कुछ नेता भीड़ को उकसाते हैं, लेकिन इसके तुरंत बाद चले जाते हैं.
सतीश आचार्य मनसे प्रमुख राज ठाकरे की चेतावनी पर तंज कसते हैं कि अगर वे अजान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले लाउडस्पीकर को नहीं हटाते हैं तो मस्जिदों के बाहर हनुमान चालीसा को खूब बजाया जाएगा. वह आम आदमी को समस्याओं को उजागर करने की कोशिश करते हुए दिखाते हैं, जबकि पीएम नरेंद्र मोदी एक कहावत के अनुसार वह आइबरी टॉवर में बेखबर बैठे हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया में संदीप अधर्व्यु ईंधन और नींबू कीमतें बढ़ने पर तंज कसते हैं.
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