दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गये दिन के सबसे अच्छे कॉर्टून
चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं जैसे प्रिंट, ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर और इन्हें उचित श्रेय भी मिला है।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल की 43वीं वर्षगांठ पर, दिप्रिंट के द्वारा उस युग की सरकार की कड़ी निंदा करने वाले कुछ कार्टूनों पर एक नज़र डालें।
इ.पी.उन्नी ने इंडियन एक्सप्रेस में राजनीति में राहुल गांधी के रुख पर व्यंग करते है जो कि अपनी दादी इंदिरा गांधी की आपातकालीन युग नीतियों के बिल्कुल विपरीत है।
कार्टूनिस्ट अशोक डोंगरे ने इंदिरा गांधी की सत्ता के लिए लालसा के ओर इशारा करते हुए संकेत दिया कि आपातकाल के दौरान संविधान भी खतरे में आ गया था।
आर.के. लक्ष्मण ने इंदिरा गांधी के अहंकारी व्यक्तित्व पर संकेत दिया था, जिन्होंने 1978 में कर्नाटक में चिकमगलूर सीट जीती थी, यहां तक कि आपातकाल के ख़त्म होने के बाद वह सत्ता के बाहर हो गई थी। उनका एक नारा था की , “अपनी छोटी बेटी को अपना वोट दें।”
दि इंडियन एक्सप्रेस में अबू अब्राहम ने पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को 1975 में अपने बाथटब से आपातकाल की घोषणा पर हस्ताक्षर करने का मज़ाक उड़ाया है ।
अबू अब्राहम ने इंदिरा गांधी सरकार को मतभेद रखने वालो और संपादकीय पर सेंसरिंग करने के लिए तंज कसते है । राजनीतिक कार्टून सरकार की आलोचना करने का एकमात्र तरीका बन गया था ।
कार्टूनिस्ट राजिंदर पुरी ने इंदिरा गांधी के ‘उद्देश्य’ को कार्टून के विचार में चित्रित किया जो की उन्हें संत और निर्दोष दिखता है।
आर.के. लक्ष्मण आपातकालीन युग में कार्टून में हमेशा लास्ट लाफ करते थे । यहां तक की , इंदिरा गांधी और उनके मंत्री देश में बढ़ती कीमतों, भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था की स्थिति के लिए सरकार के खिलाफ बढ़ती नाराजगी असंतोष से दूर भाग रहे थे ।
Read in English : Indira Gandhi’s Emergency era through cartoons