दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं. जैसे- प्रिंट मीडिया, ऑनलाइन या फिर सोशल मीडिया पर.
आज के फीचर कार्टून में आर. प्रसाद युद्धग्रस्त यूक्रेन की सीमाओं पर फंसे भारतीय छात्रों की दुर्दशा की ओर इशारा करते हैं जहां तापमान शून्य से 2 डिग्री सेल्सियस नीचे है. साथ ही वो यूक्रेनी उप मुख्य अभियोजक डेविड सकवारेलिड्ज़ के बयान जिसमें उन्होंने कहा है कि ‘हर दिन नीली आंखों वाले और सफेद बाल वाले यूरोपीय लोग मारे जा रहे हैं’ पर तंज कसा है. इसके बाद से युद्ध के मीडिया कवरेज में नस्लवाद को लेकर विवाद खड़ा कर दिया.
संदीप अध्वर्यु इस बात पर तंज करते हैं कि कैसे संयुक्त राष्ट्र रूस-यूक्रेन संघर्ष पर कार्रवाई करने में असमर्थ रहा है, चीन को व्लादिमीर पुतिन के कोने में देखा जा रहा है, हालांकि उसने सुरक्षा परिषद के वोटों में भाग नहीं लिया है. पुतिन पर यूक्रेन पर हमला करने का आरोप लगाया गया है क्योंकि वह अपने पड़ोस में उदार लोकतंत्र को बर्दाश्त नहीं कर सकते.
सतीश आचार्य यूक्रेन में युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव से दूसरी बार भारत द्वारा दूरी बनाने की तरफ इशारा कर रहे हैं, जिसे पश्चिम को अलग किए बिना मॉस्को के साथ नई दिल्ली के संबंधों को सुरक्षित रखने की कोशिश समझा जा रहा है.
साजिथ कुमार युद्ध में फंसे बच्चों की दुर्दशा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, मौत और आघात की रिपोर्ट के बीच उन्हें जिंदगी का डर सता रहा है.
आलोक निरंतर यूक्रेन की सीमाओं पर फंसे भारतीयों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कह रह हैं कि उन्हें भारत से मदद नहीं मिल रही थी. एक छात्रा ने पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि वह शायद उत्तर प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनाव में व्यस्त हैं.
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