दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गये दिन के सबसे अच्छे कॉर्टून
चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं जैसे प्रिंट, ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर और इन्हें उचित श्रेय भी मिला है।
अपने कार्टून के माध्यम से, जयचंद्रन ने पाकिस्तान में प्रधान मंत्री की कुर्सी तक पहुंचने के लिए इमरान खान के प्रयासों को दिखाया। पाकिस्तानी तहरीक-ए-इंसाफ नेता को पाकिस्तान सेना में एक जनरल की कठपुतली के रूप में दिखाया गया है। सामान्य रूप में चीन के कठपुतली के रूप में दिखाया गया है।
कार्टूनिस्ट मंजुल उसी तरह व्यंग करते हैं,बावजूद इसके की खान ने क्रिकेट गेंद को ऊपर टॉस करने के लिए फेंकते है जिसमें पाकिस्तान का ध्वज है। खुद खान पाकिस्तान सेना की दया पर है दिखाया गया है जिसको की एक बड़े हाथ के रूप में दिखाया गया है।
2016 में कृषि श्रम द्वारा आत्महत्या में 10 फीसदी की वृद्धि के मुक़ाबले किसान आत्महत्या में 20 फीसदी की गिरावट आयी है। आर. प्रसाद दुखद सच्चाई को दर्शाते हैं। (किसानों की आत्महत्या में कमी लेकिन कृषि श्रमिकों की आत्महत्या में बढ़ोतरी ),(संकट कम हो रहा है, वास्तव में कम हो रहा है )
टाइम्स ऑफ इंडिया कार्टून में एक पाकिस्तानी सेना के जनरल द्वारा इमरान खान को आदेश देते दिखाया गया हैं। आम तौर पर ऐसा दिखाई दे रहा है की जनरल खान को पैड बांधने और बल्लेबाजी करने के लिए कह रहा है बावजूद उनके पास चुने हुए प्रधानमंत्री के लिए तैयार डायपर पैड का एक पैक है।
( फ्री स्पीच के ख़तरे )
कार्टूनिस्ट हेमंत मोरपारिया व्हाट्सएप पर फ्री स्पीच के साथ आने वाले खतरों को दर्शाते है। उनका कार्टून हमला करता है कि कैसे व्हाट्सएप संदेशों के अफवाह के कारण हाल में लिंचिंग की घटनाओं बढ़ी है ।
(आपके लिए कुर्सी बलिदान करने लिए तैयार है;क्या हम एक डील कर सकते हैं) ,(महागठबंधन के लिए राहुल के प्रधानमंत्री के सपने को कांग्रेस छोड़ने के लिए तैयार है )
जैकार्टूनस ने 2019 के आम चुनावों में बीजेपी से लड़ने के लिए महागठबंधन बनाने की कांग्रेस पार्टी की योजना का मज़ाक उड़ाया है।
( कोई भी राजनेता हमेशा के लिए कठपुतली या पप्पू नहीं बना रह सकता है)
इ.पी उन्नी इमरान खान और राहुल गांधी को समानांतर दर्शाते है। खान सैन्य स्थापन की छाया से उभर सकते है, जैसे राहुल गांधी कांग्रेस की छाया से उभरे थे। राहुल गांधी के ऊपर संसद बहुत हंसी थी जब उन्होंने कहा था कि लोग उन्हें पप्पू बोलतें है इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
Read in English : Imran Khan’s victory in Pakistan polls, and free-speech perils on WhatsApp