दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गये दिन के सबसे अच्छे कॉर्टून
चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं जैसे प्रिंट, ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर और इन्हें उचित श्रेय भी मिला है.
बीबीसी हिंदी में कीर्तीश भट्ट प्रवासी श्रमिकों के बीच की बातचीत को दर्शाते हैं जिन्हें हाल ही में हुई हिंसा के कारण गुजरात छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
सितंबर में गुजरात के साबरकंठा जिले में एक प्रवासी मज़दूर ने 14 महीने की एक लड़की के साथ कथित रूप से बलात्कार किया था. इस घटना के बाद राज्य में हिंसा शुरू हो गयी जिससे 50,000 प्रवासी श्रमिकों को गुजरात छोड़ने के लिए मज़बूर होना पड़ा.
गुजरात हिंसा के परिणामस्वरूप, फर्स्टपोस्ट में मंजुल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा उन प्रवासी श्रमिकों को आश्वासन देने पर जो गुजरात छोड़कर बाहर जा रहे है उनपर तंज कर रहे है.
साजिथ कुमार भी गुजरात राज्य से जबरन प्रवासियों को बाहर निकालने पर टिप्पणी करते हैं.
सुहैल नक़्शबन्दी ने पत्रकारों के आंदोलन पर रौशनी डाली हैं क्योंकि वे बाहर आयी और अपने साथी पत्रकारों के द्वारा यौन उत्पीड़न की कहानियों को सार्वजनिक किया जिसका सामना उन्होंने किया था.
इकोनॉमिक टाइम्स में आर.प्रसाद ने #MeToo आंदोलन का मज़ाक उड़ाया है.इस आंदोलन को बहुत ही वेग मिला है जोकि पत्रकारिता और फिल्म जगत में पूरी तरह से फैल गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया में संदीप अध्वर्यु #MeToo आंदोलन के तहत लोगों के नाम बाहर आने पर प्रतिक्रिया करते है.
दिप्रिंट के सोहम सेन ने सुझाव दिया कि #MeToo आंदोलन ने घिनौने मीडिया जगत का खुलासा किया है.
सतीश आचार्य सुझाव देते है कि भारत और रूस के बीच रक्षा समझौता के कारण डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन से प्रतिबंध लग सकता है.
आउटलुक में इरफ़ान रुपये के गिरते मूल्य पर मज़ाकिया अंदाज़ में तंज करते है, भले ही सरकार इसके लिए बेतुके कारण बताती है.
“मुख्यमंत्री का वैचारिक सूखा” नामक शीर्षक पर कार्टून में राज ठाकरे ने महाराष्ट्र के कई जिलों में मौजूदा सूखा जैसी स्थिति पर एक व्यंग्य किया है, जबकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के चार साल पूरे होने वाले है.
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