दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गये दिन के सबसे अच्छे कॉर्टून
इरशाद कप्तान आज के फीचर कार्टून में देश भर में प्रवासी मजदूरों पर निर्दयता के साथ हुए लाठीचार्ज पर टिप्पणी करते हैं.
मीर सुहैल द हिन्दू में छपे कार्टून पर टिप्पणी करते हैं जिसमें इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने के लिए आलोचना की गयी है.
इपी उन्नी दर्शा रहे हैं कि लोग घर से काम करने पर शिकायत कर रहे हैं. यह प्रतिदिन कमाने वाले मज़दूरों की समस्या को भी दर्शाता है.
आर प्रसाद महाभारत और कोरोना के कारण हुए 21 दिन के लॉकडाउन को दर्शाते हैं वह दर्शाते हैं कि युद्ध के दौरान हमने ‘उद्योग पर्व’ को छोड़ दिया और अंतिम पर्व पर पहुंच गए जहां पर पांडव ने स्वर्ग की तलाश में सबकुछ छोड़ दिया था जैसे की देश में प्रवासी मज़दूर इस समय कर रहे हैं.
मंजुल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित की गयी ‘लक्ष्मण रेखा’ को पार करने के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को दर्शाते हैं.
कीर्तिश भट्ट देश भर में पुलिस द्वारा किए गए निर्मम लाठीचार्ज की विभिन्न रिपोर्टों पर एक चुटकी लेते हैं.
(इन कार्टून्स को अंग्रेजी में देखने के लिए यहां क्लिक करें)