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Saturday, 23 November, 2024
होमलास्ट लाफ'बुलडोजर सरकार' की चाबी अरब देश और टीवी डिबेट को डेसिबल लेवल कम करने की जरूरत क्यों है

‘बुलडोजर सरकार’ की चाबी अरब देश और टीवी डिबेट को डेसिबल लेवल कम करने की जरूरत क्यों है

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए पूरे दिन के सबसे अच्छे कार्टून.

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दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं. जैसे- प्रिंट मीडिया, ऑनलाइन या फिर सोशल मीडिया पर.

आज के विशेष रूप से प्रदर्शित कार्टून में, आर. प्रसाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के फैसले पर एक टिप्पणी की है, जिसमें पैगंबर मोहम्मद के बारे में उनकी टिप्पणी पर खाड़ी देशों के विरोध के बाद इसके दो पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लिया गया था. यह उदाहरण तेल के लिए अपने खाड़ी भागीदारों पर भारत की निर्भरता को दर्शाता है, और बुलडोजर की विशेषता है – कथित रूप से अवैध निर्माण के खिलाफ तैनात और जिसे उत्तर प्रदेश व अन्य जगहों पर भाजपा सरकारों द्वारा कानून और व्यवस्था के प्रतीक के रूप में पेश किया गया.

E.P. Unny | The Indian Express

ई.पी. उन्नी दि इंडियन एक्सप्रेस में ‘विदेशी हाथ’ का जिक्र करते हुए खाड़ी देशों की भारत सरकार पर दबाव बनाने की क्षमता का हवाला देते हैं – वह देश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय साजिशों का आरोप लगाते हुए तंज कसते हैं.

Kirtish Bhatt | Twitter/@Kirtishbhat | BBC Hindi

कीर्तिश भट्ट बीबीसी हिंदी में प्रकाशित अपने कार्टून में पूर्व भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की पृष्ठभूमि में कर्कश बहस करने के लिए टीवी समाचार चैनलों की आलोचना की है, जिसके कारण एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया हुई. उदाहरण के तौर पर, एक आदमी को टीवी समाचार स्टूडियो के अंदर किसी से कहते हुए देखा जा सकता है: ‘अरे, धीरे से बोलो, आवाज़ बाहर तक पहुंच रही है.’

आलोक निरंतर अपनी मौद्रिक नीति समिति के रेपो दर में 50 आधार अंकों की वृद्धि के फैसले के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर कटाक्ष करते हैं, जो कि कई महीनों में दूसरी वृद्धि है. मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के उद्देश्य से इस कदम से ईएमआई में वृद्धि होगी क्योंकि ऋण अधिक महंगा हो जाएगा.

नाला पोनप्पा ने कई राज्यों में सरकारों द्वारा किए गए स्कूली इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव के विवाद पर टिप्पणी की है, जिसे आलोचकों ने राजनीति से प्रेरित बताया है.

(इन कार्टून्स को अंग्रेजी में देखने के लिए यहां क्लिक करें)

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