scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होमलास्ट लाफहर किसी के लिए नहीं है 'आत्म निर्भरता' और प्रवासी मजदूरों के लिए बनाई गई है कागज़ की नाव

हर किसी के लिए नहीं है ‘आत्म निर्भरता’ और प्रवासी मजदूरों के लिए बनाई गई है कागज़ की नाव

चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं. जैसे- प्रिंट मीडिया, ऑनलाइन या फिर सोशल मीडिया पर.

Text Size:

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गये दिन के सबसे अच्छे कॉर्टून

आज के विशेष रूप से प्रदर्शत कार्टून में आलोक निरंतर सरकार के आत्म निर्भर श्लोगन पर चुटकी लेते हुए उस वायरल फोटो पर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं जिसमें एक बच्चा सूटकेस पर सो रहा है और मां उसे खींच रही है.

मंजुल सरकार के ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ के कदम पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं.

बीबीसी के कीर्तीश भट्ट ने कोरोना संक्रमण को लेकर एक नया एंगल दिया है और वो कह रहे हैं कि हो सकता है एक दिन कोरोना इंसानों से ही संक्रमित हो जाए.

ई पी उन्नी प्रवासी मजदूरों पर एक सटीक चित्रण करते हैं. आज के हालात में मजदूर खुद को किस तरह समुद्र में कागज की नाव की सवारी कर खुद को बचा रहे हैं उसका यह बेहतरीन नमूना है.

मीर सुहैल सरकार द्वारा दिए गए 20 लाख करोड़ के पैकेज से इत्तेफाक नहीं रखते हैं.

इरशाद कपतान महसूस कर रहे हैं कि प्रवासी मजदूर आज भी असहाय हैं. उनके हालात वैसे ही हैं जैसे 20 लाख करोड़ का पैकेज दिए जाने से पहले थे.

(लास्ट लाफ्स को अंग्रेजी में भी पढ़ा जा सकता है, यहां क्लिक करें)

share & View comments