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Friday, 29 March, 2024
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संसद में एक शक्तिहीन अविश्वास प्रस्ताव और 2019 से पहले की विपक्षी एकता

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दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गये दिन के सबसे अच्छे कॉर्टून

चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं जैसे प्रिंट, ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर और इन्हें उचित श्रेय भी मिला है।

गोकुल गोपालकृष्णन | एशियन एज न्यूज़

लोकसभा अध्यक्ष एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करते जिसके बने रहने की उम्मीद है और उम्मीद है कि अब सारी बाधाएं ख़त्म हो जाएंगी और संसद का मानसून सत्र कामदार होगा। व्यवधान की ज्यादा संख्या के कारण 2018 का बजट सत्र वर्ष 2000 के बाद सबसे कम कामदार कहा जा रहा है।

मीका अज़ीज़ । द इंडियन एक्सप्रेस

मीका अज़ीज़ ने इस साल दूसरी बार मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लाने का मज़ाक उड़ाया है और एनडीए को ट्रस्ट वोट प्राप्त करने और इसे बचाने की क्षमता है।

आर . प्रसाद | ट्विटर

कांग्रेस नई दिल्ली में अपने नए पार्टी मुख्यालय को बनाने के लिए जन-सहयोग की योजना बना रही है। आर .प्रसाद इस तथ्य का मज़ाक उड़ाते हैं कि कांग्रेस के लिए अब मतदान भी अतिरिक्त खर्चों के साथ आता है।

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साजिथ कुमार | ट्विटर

जैसा की मोदी सरकार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ रहा है, यह देखने की परीक्षा होगी कि क्या राजनेता वास्तव में मुद्दों पर बहस कर सकते हैं या सिर्फ चिल्ला सकते हैं और संसद को बाधित कर सकते हैं।

संदीप अध्वर्यु | टाइम्स ऑफ़ इंडिया

संदीप अध्वर्यु संदीप ने सुझाव दिया कि कुमारस्वामी के शब्दों में कांग्रेस के साथ गठबंधन को स्वीकार करना “जहर निगलने” की तरह है । 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी एकजुटता की उम्मीदों को तोड़ रहा है ।

सतीश आचार्य । मेल टुडे

सतीश आचार्य ने नरेंद्र मोदी को दर्शाया है और बताया है की वो संकोच में पड़े हुए है लेकिन संसद के मानसून सत्र में लिंचिंग, मूल्य वृद्धि और कृषि मुद्दों जैसे मुद्दों पर बहस करने के लिए तैयार है ।

सुरेंद्र | द हिन्दू

सुरेंद्र सर्वोच्च न्यायालय के शब्दों को दिखते है कि कैसे “कानून की गरिमा को नष्ट कर देते हैं” जब लोग अपने हाथों में कानून और व्यवस्था को लेते हैं।

कीर्तिश भट्ट ।बीबीसी हिंदी

कीर्तिश भट्ट ने भारतीय टेलीविजन पर इस समय होने वाली प्राइम टाइम की बहस पर तंज किया है जहां पर टेलीविज़न बहस की बजाय वास्तविक झगड़े हो रहे हैं ।

Read in English : A looming no-confidence motion in Parliament, and opposition unity ahead of 2019

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