दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सबसे अच्छे भारतीय कार्टून।
चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं जैसे प्रिंट,ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर, और इन्हें उचित श्रेय भी मिला है।
मुख्य कार्टून में, केशव द हिंदू शोज में दिखाते हैं कि मतदाताओं को खुश करने के लिए, नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार अम्बेडकर की राह पर चलने की कोशिश कर रही है लेकिन उनकी यह कोशिश अधूरे मन से की जा रही है। इसी तरह, आर प्रसाद ने चतुराई से चुटकी लेते हुए कहा कि किस तरह से राइट विंग वाले राष्ट्रवादी भी अंबेडकर को जानते हैं।
कार्टूनिस्ट एक ऐसी कल्पना की स्थिति को दर्शाता है जिसमें गोडसे अम्बेडकर से कहते हैं कि उन्होंने उस व्यक्ति को मार डाला जिसने 1932 के पूना समझौते में उनको धोखा दिया था, जिसमें दलित वर्ग के लिए सीटें आरक्षित की जानी थीं।
कार्टूनों में,लोगों की निराशा के साथ कांग्रेस और भाजपा जैसी राजनीतिक पार्टियां एक प्रमुख विषय रही हैं। आलोक निरंतर,राजनेताओं द्वारा भोजन की व्यवस्था करने के बजाय,जहाँ गरीब भूखे पड़े हैं,वे उन नेताओं के उपवास रखने के बेतुकेपन को दिखाते हैं।
इश्तियाक अंसारी करनी सेना और राइट विंग समूह के आडम्बर को दिखाते हैं,जो बच्चों के बलात्कार के विरोध में सड़कों पर आकर नारेबाजी नही करते,बल्कि वे फिल्मों की स्क्रिप्ट के प्रति उग्र होते हैं।
मेल टुडे में सतीश आचार्य ने,कठुआ और उन्नाव मामलों की घटनाओं के बाद अमित शाह और मोदी को नुकसान की भरपाई करते हुए चित्र द्वारा दिखाया है।