नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने बुधवार को कहा कि सफेदपोश अपराध न्यायपालिका और अर्थतंत्र के लिए गंभीर चुनौती पैदा करते हैं और इससे निपटने के लिए ‘‘बहुआयामी और सूक्ष्म स्तर पर’’ कदम उठाने की जरूरत है।
शीर्ष न्यायालय की न्यायाधीश ने ऐसे अपराधों को रोकने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल की हिमायत की।
उन्होंने कहा, ‘‘ डेटा विश्लेषण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ब्लॉकचेन जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने से सफेदपोश अपराधों का पता लगाने, जांच करने और मुकदमा चलाने की क्षमता बढ़ेगी।’’
न्यायमूर्ति कोहली ‘सेंटर फॉर डिस्कोर्स इन क्रिमिनल एंड कॉन्स्टि्यूशनल जुरिस्प्रूडन्स’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा, ‘‘सफेदपोश अपराध भारत की न्यायिक और आर्थिक व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए सूक्ष्म और व्यापक कार्रवाई की आवश्यकता है। इस अपराध के खिलाफ लड़ने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।’’
न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, ‘‘मजबूत विधायी ढांचा और विशेष संस्थागत तंत्र द्वारा समर्थित न्यायपालिका इन अपराधों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वित्तीय और आर्थिक अपराध मामलों के विशेषज्ञों की सहायता से विशेष अदालतों की स्थापना समय पर और प्रभावी निर्णय के लिए आवश्यक है।’’
उन्होंने पारंपरिक और सफेदपोश अपराधों के बीच अंतर बताते हुए कहा कि पारंपरिक अपराध अक्सर क्रोध या बदले की भावनाओं से उत्पन्न होते हैं, और यदि वे सोच-विचार कर किए गए हों, तो उन्हें सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया जाता है, कभी-कभी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों की मदद ली जाती है।
न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, ‘‘इसके विपरीत, सफेदपोश अपराध लोभ से प्रेरित होते हैं और पेशेवरों की सहायता से व्यक्तियों द्वारा सावधानीपूर्वक योजना बनाकर अंजाम दिए जाते हैं। सफेदपोश अपराध प्रतिष्ठा या वित्तीय क्षति पहुंचाते हैं और पकड़े जाने पर बड़े वित्तीय हानि का पता चलता है।’’
उन्होंने कहा, लेकिन दोनों प्रकार के अपराधों का पीड़ितों और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
भाषा धीरज सुभाष
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