नयी दिल्ली, 19 अप्रैल (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मंडी और ब्रिटेन के डरहम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने रेलवे तटबंधों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की जांच के वास्ते मिट्टी चक्रीय परीक्षण के लिए एक निगरानी ढांचा विकसित किया है।
इस अध्ययन के नतीजे अमेरिकी पत्रिका ‘एएससीई जर्नल ऑफ जियोटेक्निकल एंड जियोएनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग’ में प्रकाशित हुए हैं। इस पत्रिका का प्रकाशन ‘अमेरिकन सोसाइटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स’ द्वारा किया जाता है।
शोध दल के अनुसार, रेलवे के बुनियादी ढांचे का मुख्य घटक पटरियों के नीचे का स्थान है और इसका उपयोग मुख्य रूप से पटरियों के बुनियादी ढांचे को मदद देने और यातायात के दौरान भार को वहन करने में होता है।
आईआईटी मंडी के सहायक प्राध्यापक आशुतोष कुमार ने कहा कि वर्तमान ‘डिजाइन प्रोटोकॉल’ में केवल चलती ट्रेन के कारण आने वाले भार पर विचार किया जाता है जबकि पानी के प्रवेश और निकास के कारण मिट्टी की प्राकृतिक स्थिति में बदलाव जैसे परिदृश्य पर गौर नहीं किया जाता।
उन्होंने कहा कि अक्सर, जमीन तैयार करने के काम में इस्तेमाल की जाने वाली मिट्टी को संकुचित किया जाता है और वह मिट्टी असंतृप्त रहती है। उन्होंने कहा कि वर्षा और सूखे के मामले में मौसमी बदलाव से इस मिट्टी में मौजूद पानी की मात्रा में भी परिवर्तन होता है जिससे नीचे की जमीन की ताकत प्रभावित हो सकती है।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की वास्तविकता को सभी समझते हैं और इसके कारण भारी वर्षा हो रही है और मिट्टी की जल धारण क्षमता में बदलाव के कारण मिट्टी की ताकत में कमी आने की आशंका है।
भाषा अविनाश देवेंद्र
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