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Friday, 15 November, 2024
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‘एनकाउंटर प्रदेश’: मारा गया 11 बजे, घड़ी 7 बजा रही थी

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दस महीने में 39 गैंगस्टरों का सफाया करके अपराध पर लगाम लगाने के जो दावे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कर रही है उसकी हकीकत का खुलासा कर रही है ‘दिप्रिंट’ की यह खोजी रिपोर्ट. प्रस्तुत है इसकी तीसरी किस्त:

मुजफ्फरनगर: योगी सरकार की ‘एनकाउंटर मुहिम’ में छह महीने के भीतर सात अपराधी मारे गए और हरेक का साथी गन्ने के खेत से होकर भाग निकला. सात एफआइआर दर्ज किए गए और हरेक में एक ही कहानी- दो अपराधी ‘बर्बर अपराध’ करने के लिए बाइक या कार से जा रहे थे, उनका पीछा किया गया, जो गन्ने के खेतों में जाकर खत्म हुआ, बाइक फिसल गई या कार रुक गई, अपराधियों ने पुलिस पर गोलियां चलाईं, पुलिस ने जवाबी गोलीबारी की जिसमें एक अपराधी मारा गया, उसका साथी अंधेरे का फायदा उठाते हुए खेतों में लगे गन्ने से होकर फरार हो गया.

मुजफ्फरनगर की कहानियां पड़ोसी जिले शामली और बाकी पूरे उत्तर प्रदेश की कहानियों से बड़े रहस्यपूर्ण ढंग से मिलती-जुलती हैं- कथित अपराधी देर रात में या एकदम भोर के अंधेरे में सुनसान जगहो पर मारे जाते हैं; उनके पास से वही .32 बोर या .315 बोर की पिस्तौलें बरामद होती हैं.

योगी आदित्यनाथ की सरकार के एनकाउंटर अभियान की ‘दिप्रिंट’ ने जो पड़ताल की उससे ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जो पुलिस के दावों पर संदेह पैदा करते हैं- मारे गए अपराधियों के शरीर पर ऐसी चोटें पाइ गईं जिनकी कोई वजह नहीं बताई गई है, मसलन उनकी पसलियां, रीढ़ की हड्डी टूटी थीं या उन पर बिलकुल करीब से गोली मारे जाने के घाव.

अधिकतर अपराधियों के परिवारों का आरोप था कि उनके आदमी को ‘फर्जी एनकाउंटर’ में मारे जाने के पहले उन्हें हिरासत में खूब सताया गया. इनमें से किसी मामले की सूचना सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद मानवाधिकार आयोग को नहीं दी गई. प्रायः मारे गए किसी अपराधी के परिवार को एफआइआर या पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट की प्रति नहीं सौंपी गई.
बहरहाल, इन खामियों तथा आरोपों के बावजूद इनमें से सात मामले में पांच में मजिस्ट्रेट जांच को ‘संतोषजनक’ बताकर बंद कर दिया गया क्योंकि उनमें ‘किसी पर संदेह नहीं’ जाहिर किया गया.

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सपा से जुड़े आदमी को राजनीतिक दुश्मनी के चलते मारा गया?

नाम: नितिन (30)
मारे जाने का समय और स्थान: सुबह 5 बजे, नांगला खेपड़, मुजफ्फरनगर
तारीख: 16 अगस्त 2017
मामले दर्ज: 14. लूटपाट के नौ मामले, कत्ल की कोशिश के दो, आर्म्स एक्ट और गुंडा एक्ट के तहत एक-एक. 50,000 रु. का इनाम घोषित.
चोटें: हृदय के बगल में गोली लगने के तीन घाव, ललाट पर गोली लगने का एक घाव, पीठ कंधे पर चोट और गरदन पर चोट के निशान.

एक गुमनाम व्यक्ति ने पुलिस को फोन किया कि उसे नितिन और उसके साथियों से अपनी जान को खतरा है इसलिए उसे सुरक्षा प्रदान की जाए. ऐसे मामले में आम तौर पर अदालत की मंजूरी के बाद उसकी सुरक्षा के लिए दो गार्ड तैनात किए जाते हैं लेकिन इस मामले में पुलिस टीम शिकायतकर्ता के घर गई और उसके ‘इलाके को सुरक्षित’ करने के लिए चौकी लगा दी. जल्दी ही नितिन अपने एक साथी के साथ बजाज पल्सर बाइक पर सवार होकर नांगला खेपड़ की तरफ आया. जब शिकायतकर्ता ने उसकी पहचान कर दी तो पुलिस ने उसे रुकने के लिए कहा. लेकिन, एफआइआर के मुताबिक, नितिन और उसके साथी ने पुलिस को देखते ही पलटकर भागना चाहा. उना पीछा किया गया तो उनकी बाइक फिसल गई और वे गिर पड़े लेकिन उन्होंने भागना जारी रखा और पुलिस पार्टी पर गोलियां दागने लगे. दो पुलिसवालों को गोली लगी मगर वे अपनी बुलेटप्रूफ जैकेट के कारण बच गए.

पुलिस की जवाबी गोलीबारी में नितिन मारा गया और उसका साथी गन्ने के खेत में से होकर भागने में सफल रहा. पुलिस को इस मामले में भी नितिन के पास से .32 और .315 बोर की पिस्तौलें बरामद हुईं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि नितिन इसलिए मारा गया क्योंकि समाजवादी पार्टी के साथ उसके राजनीतिक संबंध थे. उसके खिलाफ शिकायत करने वाला आदमी कथित तौर पर भाजपा का था. लेकिन पुलिस का कहना है कि नितिन सुशील मूंच गिरोह का निशानेबाज था. यह गिरोह राज्य में सपा के राज में काफी मजबूत था. नितिन के रिश्तेदार अमित का सवाल है, ‘‘उसके खिलाफ हत्या का एक भी मामला नहीं है. क्या वह इतना बड़ा गैंगस्टर था कि उसे केवल इसी शक में मार दिया जाना जरूरी था कि वह किसी का खून करने वाला था?’’

इस पर इलाके के एसएचओ का जवाब था कि ‘‘वह एक शार्पशूटर, एक भयानक गैंगस्टर था, जिसने हाल में दो महिलाओं पर गोली चलाई थी और वे उसके खिलाफ अदालत में गवाही देने वाली थीं. जब हम उसे गिरफ्तार करने गए तो उसने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. हमारे पास जवाबी गोली चलाने के सिवा कोई रास्ता न था.’’

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जमानत होने वाली थी मगर फरार हो गया और मारा गया

नाम: नदीम (30)
मारे जाने का समय और स्थान: शाम 8.25 बजे; जटवाड़ा
तारीख: 8 सितंबर 2017
मामले दर्ज: 19. हत्या के तीन मामले; बाकी मामले कत्ल की कोशिश, लूटपाट, फिरौती वसूली, आर्म्स एक्ट के उल्लंघन और अपहरण के. 15,000 रु. का इनाम घोषित.
चोटें: गोली लगने के 1.5 गुना 2 सेमी के दो घाव, चेहरे और ललाट पर चोट के निशान.

नदीम को चोरी के एक मामले में 6 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था.

नदीम को चोरी के एक मामले में 6 सितंबर को गिरफ्तार किया गया और मुजफ्फरनगर शहर के नई मंडी थाने ले जाया गया. वहां वह तैनात पुलिसवालों की आंखों में मिर्च पाउडर झोंक कर फरार हो गया, उसे अदालत में पेश न किया जा सका. दो दिन बाद वह मारा गया.

केस फाइल में दावा किया गया है कि नदीम अपने साथी के साथ काली बजाज पल्सर बाइक पर सवार होकर लूटपाट करने जा रहा था कि पुलिस ने उसे रोका. उन्होंने पुलिस पर गोली चला दी. नदीम मारा गया, उसका साथी गन्ने के खेत से होकर भाग निकला. नदीम के पास से .32 बोर की एक पिस्तौल मिली. लेकिन उसकी सौतेली मां समरीन का कहना है कि नदीम को पहले गिरफ्तार किया गया, काकरोली थाने में उसकी काफी पिटाई की गई और बाद में गोली मार दी गई. उन्होंने सवाल किया, ‘‘उसके दांत टूटे हुए थे, चेहरा सूजा हुआ था. उसकी हड्डियां भी टूटी थीं. यह सब कैसे हुआ? मैं 6 सितंबर को खुद थाने में उससे मिली थी. उसने बताया था कि उसे पीटा गया है और उसकी हत्या भी की जा सकती है. मैंने कर्जे लेकर जल्द ही उसकी जमानत के कागजात बनवाए और उसे बताया था कि मैं उसे छुड़ा लूंगी. उसे जब जमानत मिलने वाली थी, तब वह फरार क्यों होता? हम बॉण्ड तैयार करवा रहे थे कि मुझे संदेश मिला कि उसे गोली मार दी गई है.’’

लेकिन इलाके के एसएचओ का कहना था, ‘‘नदीम कुख्यात लुटेरा था. कुछ मामलों में उसे भले ही बरी किया गया हो मगर कई मामले अभी दायर हैं. वह पुलिसवालों की आंखों में मिर्ची पाउडर फेंक कर भाग गया था क्योंकि उसे लूटपाट करने जाना था.’’

समीरन ने बताया कि नदीम ने हाल में देहरादून की एक कपड़ा फैक्टरी में काम करना शुरू किया था और सऊदी अरब जाने की तैयारी कर रहा था. ‘‘वह यहां से चले जाना चाहता था. कई मामलों में उसे बरी कर दिया गया था. उसने कसम खाई थी कि वह इन सबसे तौबा कर लेगा क्योंकि वह सऊदी में बसना चाहता था. विदेश जाने के लिए जरूरी है कि उस पर कोई आपराधिक मामला न हो.’’

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सात साल बाद जेल से छूटते ही मारा गया

नाम: फुरकान (30)
मारे जाने का समय और स्थान: रात 10 बजे; मुर्गी फार्म
तारीख: 22 अक्टूबर 2017
मामले दर्ज: 22. हत्या का एक मामला; बाकी मामले चोरी, डकैती, सेंधमारी, के. 50,000 रु. का इनाम घोषित.
चोटें: छाती और सिर में गोली लगने के तीन घाव, पीठ और रीढ़ में चोट के निशान, गरदन पर घाव के निशान.

एफआइआर के मुताबिक, फुरकान अपने चार साथियों के साथ एक डकैती करने के लिए मेरठ जा रहा था.

सात साल जेल में रहने के बाद फुरकान अभी घर लौटा ही था कि 22 अक्टूबर को उसे खबर की गई कि उसके भाई को बागपत के एक अस्पताल में भरती किया गया है. उसने अपनी पत्नी नसरी से कहा कि वह भाई को देखकर उसी रात घर लौट आएगा. बागपत जाने से पहले वह सेब खरीदने के लिए बाजार गया था और कुछ घंटे बाद नसरीन को फोन आया कि वह एनकाउंटर में मारा गया है.

एफआइआर के मुताबिक, फुरकान अपने चार साथियों के साथ एक डकैती करने के लिए मेरठ जा रहा था. पुलिस को सूचना मिली कि वे लोग दो बाइक पर सवार हैं और मुर्गी फार्म इलाके से गुजरने वाले हैं. सूचना मिलते ही पुलिस चौकी लगा दी गई. पुलिस ने जब बाइक को आते देखा तो उसने उन्हें टॉर्च दिखाकर रुकने का संकेत किया लेकिन वे पलटकर तेजी से भागने लगे. जब उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा गया तो वे पुलिस पार्टी पर गोलियां चलाने लगे. पुलिस ने भी जवाब में गोलियां चलाईं. फुरकान गोली लगने से मारा गया. बाकी चार लोग भाग गए. दो पुलिसवाले घायल हुए. एक गोली एक पुलिसवाले की बुलेटप्रूफ जैकेट में अटक गई. इस मामले में भी पुलिस ने फुरकान के पास से .32 और .315 बोर की पिस्तौलें बरामद की.

नसरीन का कहना है कि ‘‘वे सेब खरीदने के लिए घर से बाहर निकले थे. तो अचानक वे डकैती करने के लिए क्यों चले जाएंगे? अगर उन्हें तब गोली मारी गई जब वे भाग रहे थे, तो उनकी इतनी हड्डियां कैसे टूटीं? उन्हें रीढ़ और सिर में चोट कैसे लगी? साफ है कि उनकी पिटाई की गई. उनके चेहरे पर मैंने चोट के निशान खुद देखे, सुबह में वे निशान नहीं थे. वे अभी-अभी जेल से बाहर आए थे. जब वे जेल में थे तब पुलिस ने उन पर कई मामले दायर कर दिए थे. कोई इस पर क्यों नहीं गौर कर रहा है? अगर वे अपराधी थे तो क्या किसी की हत्या कर देना ठीक है? वे उन्हें फिर गिरफ्तार कर सकते थे.’’

स्थानीय लोगों ने ‘दिप्रिंट’ से कहा कि फुरकान पुलिस के निशाने पर तभी से था जब उसने शामली के पास के एक गांव से हिंदुओं को कथित तौर पर भागने को मजबूर किया था. उसका एकाउंटर करने वाली पुलिस टीम के एक पुलिस अफसर ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, ‘‘वह सबसे खतरनाक गैंगस्टरों में एक था. वह व्यापारियों से जबरन वसूली करता था, लूटपाट करता था. लोग रात में घर से बाहर नहीं निकल पाते थे. उसके मारे जाने के बाद लोग काफी खुश हैं. उसे राजनीतिक समर्थन हासिल था इसलिए पहले कोई उसे छूने की हिम्मत नहीं करता था. अब यह सरकार चूंकि अपराधियों के लिए जीरो टाॅलरेंस की नीति पर चल रही है इसलिए हालात बदल गए हैं.’’

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एनकाउंटर 11 बजे, मृतक की घड़ी दिखा रही है 7 बजे का समय

नाम: शमीम (30)
मारे जाने का समय और स्थान: रात 10.50 बजे; खतौली
तारीख: 30 दिसंबर 2017
मामले दर्ज: 23. हत्या की कोशिश का मामला; बाकी मामले चोरी, सेंधमारी, आर्म्स एक्ट उल्लंघन के. 50,000 रु. का इनाम घोषित.
चोटें: ललाट पर गोली लगने का 4 गुना 3 सेमी का घाव, खोपड़ी में गोली लगने का 1.5 गुना 1 सेमी का घाव, गंभीर चोट के 13 तीन निशान, गरदन पर भी घाव.

पुलिस रेकॉर्ड बताता है कि शमीम को रात 10.50 बजे गोली मारी गई लेकिन उसकी लाश की जो फोटो पुलिस के पास है उसमें उसकी कलाइ घड़ी सात बजे का समय बता रही है. उसके चेहरे और गरदन पर चोट के कई निशान थे और उसके सिर तथा खोपड़ी में भी गंभीर चोटें थीं. पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट बताती है कि शमीम की खोपड़ी और ललाट के बीच में संभवतः बहुत नजदीक से गोली मारी गई. खोपड़ी में जहां से गोली घुसी वहां पर घाव 1.5 गुना 1 सेमी का था, जबकि बाहरी घाव 2 गुना 1.5 सेमी का था.

एफआइआर बताती है कि शमीम को जब भलवा गांव में पुलिस चौकी के पास रोका गया तो वह अपने साथी के साथ मारुति स्विफ्ट कार में था. जैसे ही उसे रुकने का संकेत किया गया, उसका साथी चिल्लाया, ‘‘गोली चला शमीम. पुलिस है.’’ और वह अंधाधुंध गोली चलाने लगा. वह कार को घुमा कर भागने लगा तो पुलिस टीम ने उनका पीछा किया. कार गन्ने के खेत में चली गई ते शमीम उससे उतरकर पुलिस पर गोली चलाने लगा. पहले उसने कार का शीशा गिराने की कोशिश की थी मगर सफल नहीं हुआ था. इसके बाद पुलिस ने गोली चलाई और शमीम मारा गया जबकि उसका साथी गन्ने के खेत में भाग गया.

शमीम के पिता फखरुद्दीन इस कहानी का खडन करते हैं.

शमीम के पिता फखरुद्दीन इस कहानी का खडन करते हैं, ‘‘अगर वह कार में था और पुलिसवाले उसका पीछा कर रहे थे तो वह कार से बाहर क्यों निकलेगा? मारे जाने के लिए? यही तो पेच है. वे उसे खेत में ले गए थे और उसके सिर में गोली मार दी थी. अगर वह भाग रहा था तो उसके पैरों या पीठ में गोली लगती, वह भी दूर से, करीब से गोली मारे जाने का ऐसा निशान नहीं होता.’’

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वह डेढ़ घंटे में एनकाउंटर वाली जगह नहीं पहुंच सकता था

नाम: इंदरपाल सिंह (35)
मारे जाने का समय और स्थान: रात 1.03 बजे; जनसाठ
तारीख: 2 फरवरी 2018
मामले दर्ज: 33. हत्या के चार; बाकी मामले हत्या की कोशिश, अपहरण, जबरन वसूली के. 25,000 रु. का इनाम घोषित.

चोटें: ललाट पर एक गोली लगने का निशान.

वकील रजनी शर्मा का कहना है कि वह पिछले दो महीने से डेंगू से पीड़ित था.

केस फाइल के अनुसार, पुलिस को खुफिया सूचना मिली कि इंदरपाल एक हत्या के लिए अपने पांच साथियों के साथ जनसाठ से गुजरने वाला है. पुलिस ने चौकी लगाई. यह देखकर कार में सवार उन लोगों ने गोली चलाई. बुलेटप्रूफ जैकेटों ने पुलिसवालों को फिर बचा लिया. और उन्होंने जवाबी गोली चलाई तो एक गोली इंदरपाल के ललाट में लगी, उसके साथी भाग गए.

उसकी वकील रजनी शर्मा का कहना है कि वह पिछले दो महीने से डेंगू से पीड़ित था और हरिद्वार में था. 2 फरवरी को वह बुलंदशहर के हिंगवाड़ा में अपने रिश्तेदार के घर से सहारनपुर के रास्ते पर था. वह डकैती के एक मामले में सरेंडर करने जा रहा था. उसके पास 20 हजार रु. थे. फोन के रेकॉर्ड बताते हैं कि रात 11.30 बजे वह बुलंदशहर में था. लेकिन पुलिस बताती है कि इसके डेढ़ घंटे बाद करीब 100 किमी दूर जनसाठ में उसके साथ एनकाउटर हुआ. वहां पहुंचने में तीन घटे लगते हैं. शर्मा का दावा है, ‘‘उसे बुलंदशहर से उठा लिया गया और गोली मार दी गई. पुलिस ने रेकॉर्ड में हेराफेरी की और मुजफ्फरनगर में एनकाउंटर दिका दिया. पुलसि ने अगले दिन पांच बजे शाम तक पोस्ट मॉर्टम नहीं होने दिया. जब उसके माता-पिता शवगृह पहुंचे और इसके लिए जोर दिया तभी डॉक्टर को बुलाया गया.’’

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बीमार पिता के लिए राशन लाने गया था और लौट नहीं पाया

नाम: विकास (25)
मारे जाने का समय और स्थान: रात 9 बजे; जॉली गंगानहर, धनडेडा, मुजफ्फरनगर
तारीख: 6 फरवरी 2018
मामले दर्ज: 6. हत्या के दो; बाकी मामले गैरइरादतन हत्या की कोशिश, अवैध जमावड़ा, चोरी का सामान छिपाने, हत्या की कोशिश के. 50,000 रु. का इनाम घोषित.
चोटें: गोली लगने के तीन निशान, रीढ़ में चोट, चेहरे पर घाव.

गंदा कुर्ता-पाजामा पहने एक दुबला-पतला शख्स खाट पर लेटा था, उसकी आंखें दठसी हुई थीं और चेहरा बता रहा था कि उसने कई दिनों से खाना नहीं खाया है. घर में पानी तक नहीं था और उसकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं था. इस महीने के शुरू तक इंदर पाल का बेटा विकास ही उसके लिए खाने और दवाओं का इंतजाम करता था. 4 फरवरी को वह महीने भर का राशन लाने के लिए घर से निकला मगर लौट नहीं पाया. वह एनकाउंटर में मारा गया. उसके पिता ने कहा, ‘‘इस घर की हालत पर गौर कीजिए. न खाने को कुछ है, न कोई बरतन है, न फर्नीचर है. अगर वह इतना बड़ा गैंगस्टर था तो क्या उसके घर में अपने बाप को खिलाने के लिए कुछ तो होता? घर में जो पानी था वह भी दो रात पहले खत्म हो गया.’’

इंदरपाल, विकास के पिता

केस फाइल के मुताबिक, एक मुखबिर ने पुलिस को खबर दी कि विकास एक काली पल्सर बाइक पर जॉली रोड से गुजरेगा. पुलिस ने धनडेडा गांव में चेकपोस्ट लगा दिया. वे लोग बाइक से तेजी से आए लेकिन बाइक बालू में फिसल गई. वे लोग गिर गए और भागते हुए पुलिस पार्टी पर गोलियां चलाने लगे. पुलिस ने भी जवाबी गोलियां चलाई, जो विकास को लगी. वह मारा गया. उसके साथी गन्ने के खेत से भाग गए. जिंदा करतूसों के साथ .32 बोर की एक पिस्तौल बरामद हुई.

विकास ने अपन पिता से कहा था कि जल्द ही वह उन्हें उत्तराखंड ले जाएगा, जहां उसे एक कारखाने में नौकरी लगी है. पिता बताते हैं, ‘‘थाने से कोई खबर देने नहीं आया. पड़ोसियों ने बताया कि मेरे बेटे को गोली मार दी गई है. मुझे विकास को खोजने के लिए कई अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़े. उन्होंने मुझे उसकी पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट देने तक की जरूरत नहीं समझी.’’

 

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