नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) कानून मंत्रालय की ‘ई-कोर्ट’ परियोजना के तीसरे चरण के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में 1,500 करोड़ रुपये के प्रावधान किये गये हैं।
परियोजना के तीसरे चरण में निचली अदालतों के डिजिटल बुनियादी ढांचे को उन्नत किया जाना है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल सितंबर में 7,210 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में ‘ई-कोर्ट’ परियोजना के तीसरे चरण को मंजूरी दी थी।
चार वर्षों में लागू होने वाले तीसरे चरण में 2,038.40 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सभी अदालती रिकॉर्ड एवं पुराने और लंबित दोनों तरह के मामलों का डिजिटलीकरण होगा। आधिकारिक सूत्रों ने पहले बताया था कि कुल 3,108 करोड़ दस्तावेजों का डिजिटलीकरण किया जाएगा।
तीसरे चरण के तहत सिस्टम को ‘क्लाउड तकनीक’ पर स्थानांतरित किया जाएगा और मौजूदा जरूरतों के अनुरूप 25 पेटाबाइट स्टोरेज की अनुमानित लागत 1,205.20 करोड़ रुपये होगी।
परियोजना का उद्देश्य एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा बनाकर मामलों की सुनवाई के लिए आभासी अदालतों के दायरे को स्थापित करना और उसका विस्तार करना है।
सूत्रों ने कहा था कि 1,150 आभासी अदालतों की स्थापना के लिए 413.08 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है।
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के तहत भारतीय न्यायपालिका को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सक्षम बनाने के लिए ‘ई-कोर्ट’ परियोजना 2007 से लागू किया गया है।
परियोजना का दूसरा चरण पिछले साल संपन्न हुआ।
परियोजना के तीसरे चरण का मुख्य उद्देश्य न्यायपालिका के लिए एक एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच बनाना है, जो अदालतों, वादियों और अन्य हितधारकों के बीच एक सहज और कागज रहित ‘इंटरफेस’ प्रदान करे।
भाषा सुरेश अविनाश
अविनाश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.