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Sunday, 29 September, 2024
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पूर्व न्यायाधीशों, नौकरशाहों ने खुले पत्र में मोदी का बचाव किया, आलोचकों पर प्रहार

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नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) ‘नफरत की राजनीति’ पर पूर्व नौकरशाहों के एक समूह द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखे जाने के कुछ दिनों के बाद पूर्व न्यायाधीशों और नौकरशाहों के एक अन्य समूह ने उक्त पत्र की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह पत्र राजनीति से प्रेरित तथा मोदी सरकार के विरुद्ध था, जो सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ समय-समय पर चलाये जाने वाले अभियान का हिस्सा है, ताकि सरकार के खिलाफ जनमत बनाया जा सके।

खुद को ‘कंसर्न्ड सिटिजन्स’ कहने वाले इस समूह ने कहा कि वह नहीं मानता है कि कंस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप (सीसीजी) द्वारा मोदी को भेजा गया खुला पत्र ‘ईमानदारी से प्रेरित’ था। सीसीजी पूर्व नौकरशाहों के उस समूह का नाम है, जिसने पिछले दिनों खुला पत्र लिखा था।

उन्होंने भाजपा की हालिया चुनावी जीत का हवाला देते हुए कहा कि सीसीजी का यह पत्र जनता की उस राय के खिलाफ अपनी निराशा दूर करने का समूह का तरीका था, जो ‘मोदी के पीछे दृढ़ता से’ बनी हुई है।

सीसीजी द्वारा मोदी और अन्य भाजपा सरकारों की आलोचना करने वाले पत्र के उत्तर में लिखे गये इस खुले पत्र में आठ पूर्व न्यायाधीशों, 97 पूर्व नौकरशाहों और 92 पूर्व सशस्त्र बलों के अधिकारियों ने हस्ताक्षर किये हैं।

गौरतलब है कि सीसीजी के खुले पत्र पर 108 पूर्व नौकरशाहों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।

नये पत्र में पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा पर कथित ‘चुप्पी’ को लेकर भी सवाल उठाया गया है।

नये पत्र में समूह ने कहा कि पूर्व नौकरशाहों ने अपने पत्र में जिन बातों का उल्लेख किया है, वे पश्चिमी मीडिया या पश्चिमी एजेंसियों के सरकार-विरोधी बयान का दोहराव मात्र हैं, जो सीसीजी के इरादे को प्रदर्शित करती हैं।

मोदी का बचाव करने वाले समूह ने कहा, ‘‘यह मुद्दों के प्रति उनके निंदक और गैर-सैद्धांतिक दृष्टिकोण को उजागर करता है।’’

उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा सरकार के तहत बड़ी सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में ‘‘स्पष्ट रूप से’’ कमी आई है, जिसकी जनता ने सराहना की है।

उसने कहा, ‘‘इसने (साम्प्रदायिक हिंसाा में कमी ने) सीसीजी जैसे समूह को साम्प्रदायिक हिंसा की छिटपुट घटनाओं को जरूरत से ज्यादा बड़ा करके दिखाने के लिए उकसाया है, जबकि कोई भी समाज इन घटनाओं को पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकता।’’

समूह ने सीसीजी को सलाह दी कि वह खुद को ‘निजी पक्षपात से मुक्त करे और कोई व्यावहारिक समाधान’ का प्रस्ताव करे।

भाषा सुरेश दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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